उत्कर्ष संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. बड़ाई । प्रशंसा । २. श्रेष्ठता । उत्तमता । अधिकता । बढ़ती । उ॰—भले की भलाई और बुरे की बुराई दिखलाकर एक का उत्कर्ष ओर दूसरे का पतन दिखलाया जाता है—रस क॰ पृ॰ २७ ।