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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्र ममाहहेश्वररी
लहेखक
शरीभमागवितमाननंद गगुर
NOTION PRESS
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 2
NOTION PRESS
India. Singapore. Malaysia.
ISBN xxx-x-xxxxx-xx-x
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 3
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्र ममाहहेश्वररी
लहेखक
शरीभमागवितमाननंद गगुर
NOTION PRESS
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 4
धमर्यसनंरक्षरमारमार्यरमाधमर्यसनंहमारहहेतविहे ।
ननग्रहमारमाञ्च धममार्यजमा ललोकहे ललोकहे प्रविरर्यतमामम् ।।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 5
पगुरलोविमाकम्
'नक्षत्र ममाहहेश्वररी' नमामक प्रसगुत ग्रन्थ अपनहे नमाम ककी सममृरतमा कलो पपूररी ननषमा
कहे समार समारर्यक करतमा हहै। रह ग्रन्थ नविलगुप्तप्रमार ननग्रह-सम्प्रदमार कहे अनन्तिम
आचमारर्य शरीननग्रहमाचमारर्य (शरीभमागवितमाननंद गगुर) कहे दमारमा रचचत हहै। धममार्यनगुरमागरी
विहैश्यकगुललोत्पन्न मगुनदत नमत्तल जरी नहे पपूविर्यकमाल ममें ग्रन्थकमार सहे नक्षत्रलोनं सहे
सम्बनन्धित व्रतनविचमार ककी चजजमासमा ककी ररी। रहरी इस ग्रन्थ ककी रचनमा कमा
मगुख आधमार बनमा और 23 पटललोनं ममें नक्षत्र-शमानन्ति सहे सम्बनन्धित शलोकबर
ग्रन्थ ककी रचनमा हुई। ग्रन्थ रचनमा कहे पशमातम् आचमारर्यशरी नहे इसककी वमाखमा
करनहे कमा प्रसमावि महेरहे पमास रखमा, रह महेरहे चलए नकसरी उत्सवि सहे कम नहरीनं
रमा।
चपूनंनक मगुझहे जलोनतषरी जमानकर इस ग्रन्थ ककी वमाखमा कमा प्रसमावि प्रसगुत नकरमा
गरमा रमा अततः ग्रन्थमाविललोकन कहे समर महेरहे मन ममें रह चजजमासमा हुई नक
ग्रन्थरत्न तलो बहुत सममृर और नक्षत्र-शमानन्ति नविचध कमा जमान करमानहे ममें
अप्रनतम हहै परन्तिगु शमानन्ति तलो परीनड़ित नक्षत्र ककी करमाररी जमातरी हहै। पमाठक कलो
इस बमात कमा जमान कहैसहे हलोगमा नक उसकमा कज्यौन समा नक्षत्र परीनड़ित हहै ? इस
चजजमासमा नहे इस ग्रन्थ कमा कलहेविर बढमा नदरमा।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 6
कई नदनलोनं कहे अरक पररशम सहे ममैंनहे ग्रन्थ-वमाखमा रूप प्रमाप्त सज्यौभमाग्य कलो
पपूरर्य नकरमा। सभरी ग्रहलोनं ककी नस्थिनत नकसरी न नकसरी नक्षत्र ममें रहतरी हहै। सभरी
ग्रहलोनं ममें चन्द्रममा कमा प्रभमावि सबसहे जमादमा हलोनहे कहे कमारर चन्द्रनक्षत्र कलो हरी
जन्मनक्षत्र भरी कहमा जमातमा हहै लहेनकन रह अननविमारर्य नहरीनं हहै नक कहेविल चन्द्र
नक्षत्र हरी परीनड़ित हलो।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 7
नविषर सपूचरी
वविहमारखण्ड - पमृष ०८
प्ररलोगखण्ड - पमृष ६३
पररचशष्ट - पमृष १३२
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 8
॥ अर वविहमारखण्डतः॥
ग्रन्थकमारकमृतमङ्गलमाचररमम्
॥ रमाजतहे कमालचजहमा॥
कमाल ककी चजहमा (समर ककी नविनमाचशकमा शनक) हरी सविर्यत्र शलोभमारममान हहै।
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 9
॥ अर प्ररमतः पटलतः॥
नक्षत्रपररचरतः
1) न क्षरनत न गच्छतरीनत नक्षत्रमम्।
2) तत्समापहेचक्षकमा ग्रहगनततः।
3) अनन्तिमानन।
चजसकमा क्षरर न हलो, जलो गनतममानम् न हलोनं, जलो हममें नस्थिर नदखमें, उनमें
नक्षत्र कहतहे हमैं । अनन्ति आकमाश ममें नस्थित नक्षत्रलोनं कहे समापहेक्ष हरी हम
ग्रहलोनं ककी गनत, कमानन्ति, नस्थिनत आनद कमा अध्यरन करतहे हमैं । अनन्ति
आकमाश ममें नक्षत्रलोनं ककी सनंखमा अनन्ति हहै ।
4) कमानन्तिविमृत्तस्थिमान्यष्टमानविनंशनत विहैकलोनसङकमानन।
5) पमादमाशतमारतः।
इस ग्रन्थ ममें अरविमा कहमें नक जलोनतष शमास्त्र ममें नक्षत्र शब्द कमा तमात्परर्य
कमानंनतविमृत्तस्थि 27 रमा 28 नक्षत्रलोनं सहे हलोतमा हहै । सभरी नक्षत्रलोनं ममें चमार-
चमार चरर हलोतहे हमैं । इस प्रकमार 27 नक्षत्रलोनं ममें 27 × 4 = 108
चरर हलोतहे हमैं ।
8) फचलतदषमा परमाचर।
अनहेक नक्षत्रलोनं ममें सहे 27/28 नक्षत्र हरी कलोनं ? इसरी प्रश्न कमा उत्तर
ग्रनंरकमार शरीननग्रहमाचमारर्य जरी नहे उक तरीन सपूत्रलोनं ममें नदरमा हहै । ममान
लरीचजरहे, आप एक कगुएराँ ममें नगर गए, विहमाराँ पमानरी नहरीनं हहै नकन्तिगु कगुविमाराँ
रलोडमा गहरमा हहै । अब आप ऊपर ककी ओर दहेचखरहे और कल्पनमा करकहे
बतमाइए नक आप आकमाश कमा नकतनमा बड़िमा क्षहेत्र दहेख पमाएनंगहे ? आप
उस कगुविमें कहे अन्दर सहे आकमाश कमा उतनमा हरी बड़िमा क्षहेत्र दहेख पमाएनंगहे
चजतनरी बड़िरी उस कगुविमें ककी पररचध हलोगरी ।
9) भपूरक्षनतमाचभचजत्स्पशमार्यनदकल्पतः।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 11
मगुखरूप सहे 27 हरी नक्षत्र फल नविचमार कहे दनष्टकलोर सहे स्वरीकमारर्य नकए
गए हमैं, 28 विमाराँ अचभचजतम् नक्षत्र हममारहे पररकममा ममागर्य ममें नहरीनं आतमा
पर पमृथरी कहे अपनहे अक्ष पर 23.5° झगुककी हलोनहे कहे कमारर रह
नकचञ्चतम् अचभचजतम् नक्षत्र कमा स्पशर्य ममात्र कर लहेतरी हहै, इसचलए
नविकल्प सहे कहरीनं कहरीनं फलनविचमार कहे कम ममें अचभचजतम् कलो भरी स्थिमान
नदरमा गरमा हहै ।
उत्तरमाषमाढमा नक्षत्र कहे चतगुरर्य और शविर नक्षत्र कहे प्ररम चरर कहे मध्य
अचभजरीत नक्षत्र ककी नस्थिनत रहतरी हहै । उत्तरमाषमाढमा नक्षत्र कमा 15 विमाराँ
भमाग (उत्तरमाषमाढमा कमा सम्पपूरर्य ममान ÷ 15) और शविर नक्षत्र ककी 4
घटरी नमलमानहे पर अचभचजतम् नक्षत्र कमा ममान प्रमाप्त हलोत्तमा हहै । इस तरह
औसत रूप ममें अचभचजतम् नक्षत्र कमा ममान 19 घटरी (7 घनंटमा 36
नमनट) ममानमा गरमा हहै चजसकलो नमलमानहे पर नक्षत्रलोनं ककी सनंखमा 28 हलो
जमातरी हहै । रहमाराँ रह ध्यमान रहहे नक प्रनतनदन दलोपहर कहे समर 48
नमनट कहे चलए आनहे विमालमा अचभचजतम् मगुहूतर्य और अचभचजतम् नक्षत्र
दलोनलोनं हरी अलग अलग हमैं, रहमाराँ सनंशर नहरीनं करनमा चमानहए ।
11) कलमानगुपमातहेनक्षर्यममानमष्टशतमम्।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 12
कहमा गरमा हहै । पहलहे हरी कह चगुकहे हमैं नक 27 नक्षत्र कमानन्तिविमृत्त ममें
नस्थित हमैं । कमानन्तिविमृत्त एक गलोलमाकमार पर हहै, आप सभरी जमानतहे हहै नक
नकसरी भरी विमृत्त रमा गलोल कमा कलोररीर ममान 360° हलोतमा हहै । अततः
॥ अर नदतरीरतः पटलतः॥
दशमाविरर्यनमम्
1) नविनंशलोत्तररी गररीरसरी।
2) नक्षत्रमाधमाररतमा।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 13
पगुष्ट नकरमा हहै। पगुनश, उनलोनंनहे दशमाफल भरी नविनं शलोत्तररी मत सहे हरी
बतमारमा हहै। रह दशमा नक्षत्र पर हरी आधमाररत हहै।
3) कमृनत्तकलोत्तरमाफमालगुन्यगुत्तरमाषमाढमासगु सपूरर्यतः।
4) रलोनहररीहसशविरमासगु चन्द्रतः।
रलोनहररी, हस एविनं शविर नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें सविर्यप्ररम
चन्द्रममा ककी दशमा आतरी हहै।
5) ममृगचशरमाचचत्रमाधननषमासगु भज्यौमतः।
ममृगचशरमा, चचत्रमा एविनं धननषमा नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें
सविर्यप्ररम मनंगल ककी दशमा आतरी हहै।
आद्रमार्य, स्वमातरी एविनं शतचभषमा नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें
सविर्यप्ररम रमाहु ककी दशमा आतरी हहै।
7) पगुनविर्यसगुनविशमाखमापपूविमार्यभमाद्रपदमासगु जरीवितः।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 14
पगुनविर्यसगु, नविशमाखमा एविनं पपूविमार्यभमाद्रपद नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें
सविर्यप्ररम गगुर ककी दशमा आतरी हहै।
8) पगुषमानगुरमाधलोत्तरमाभमाद्रपदमासगु सज्यौररतः।
पगुष, अनगुरमाधमा एविनं उत्तरमाभमाद्रपद नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें
सविर्यप्ररम शनन ककी दशमा आतरी हहै।
9) अशहेषमाजहेषमारहेवितरीषगु सज्यौमतः।
अशहेषमा, जहेषमा एविनं रहेवितरी नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें
सविर्यप्ररम बगुध ककी दशमा आतरी हहै।
मघमा, मपूल एविनं अचश्वनरी नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें सविर्यप्ररम
कहेतगु ककी दशमा आतरी हहै।
पपूविमार्यफमालगुनरी, पपूविमार्यषमाढमा एविनं भरररी नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन ममें
सविर्यप्ररम शगुक ककी दशमा आतरी हहै।
॥ इनत नदतरीरतः पटलतः॥
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॥ अर तमृतरीरतः पटलतः॥
गण्डमान्तिविरर्यनमम्
1) समाममान्यगण्डमान्तिमाभगुकमानन दगुदर्यशमाननष्टकमारकमाचर।
गण्डमान्ति कहे मगुखततः तरीन भहेद हलोतहे हमैं – समाममान्य मपूल दलोष,
नक्षत्रगण्डमान्ति, अभगुक मपूल। रहे सभरी दगुदर्यशमा एविनं अननष्ट करनहे विमालहे
हलोतहे हमैं।
2) अचश्वनरीशहेषमामघमाजहेषमामपूलरहेवितरीसनंजकमानन।
अचश्वनरी, अशहेषमा, मघमा, जहेषमा, मपूल एविनं रहेवितरी नक्षत्रलोनं ककी मपूल सनंजमा
हलोतरी हहै । इन नक्षत्रलोनं ममें जन्म हलोनहे पर समाममान्य मपूल दलोष तलो हलोतमा
हरी हहै । रहमाराँ तक मपूलसनंजक सभरी नक्षत्रलोनं कहे नमाम एविनं समाममान्य दलोष
कमा उलहेख करनहे कहे पशमातम् अब ग्रनंरकमार इन नक्षत्रलोनं ककी अशगुभतमा
कलो सपूक्ष्मतमा सहे समझनहे कहे चलए प्रतहेक चररलोनं कमा जन्मफल कह रहहे
हमैं ।
3) अचश्वन्यमानं नपतमृकष्टनं सगुखसम्पनतस्सचचवितनं
भपूपनततञ्च।
अचश्वनरी कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा नपतमृकष्ट, दपूसरहे चरर ममें
जन्म लहेनहे विमालमा सगुख सम्पनत्त, तरीसरहे चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा सचचवि
पद एविनं चतगुरर्य चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा भपूस्वमानमत कलो प्रमाप्त करतमा हहै
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 16
। रविन जमातक ममें अचश्वनरी नक्षत्र कहे चरर फललोनं ममें इससहे रलोडमा चभन्न
मत प्रसगुत नकरमा गरमा हहै –
अचश्वनरी नक्षत्र कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा चलोर, नदतरीर चरर
ममें जन्म लहेनहे विमालमा बमालकमाल सहे हरी आजरीनविकमा कहे प्रनत समनपर्यत ,
तमृतरीर चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा सज्यौभमाग्यशमालरी एविनं चतगुरर्य चरर ममें
जन्म लहेनहे विमालमा भलोगविमानम् और दरीघमार्यरगु हलोतमा हहै।
अशहेषमा कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा रमाजसगुख, दपूसरहे चरर ममें
जन्म लहेनहे विमालमा धननमाश, तरीसरहे चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा ममातमृनमाश
एविनं चतगुरर्य चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा नपतमृनमाश कलो प्रमाप्त करतमा हहै।
फचलत ममातर्यण्ड ममें भरी उक फल हरी विचरर्यत हहै -
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 17
अरमार्यतम् - आशहेषमा कहे प्ररम चरर ममें जन्म हलो तलो रमाज सगुख हलोतमा
हहै, नदतरीर चरर ममें धन ककी हमानन, तमृतरीर चरर ममें ममातमा ककी हमानन
तरमा चतगुरर्य चरर ममें जन्म हलोनहे सहे नपतमा ककी ममृतगु हलोतरी हहै।
5) मघमारमानं ममातमृपक्षनमाशतः
नपतमृनमाशस्सगुखमानप्तनविर्यद्यरमारर्यतः।
मघमा कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा ममातमृपक्ष कमा नमाश, दपूसरहे
चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा नपतमृनमाश, तरीसरहे चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा
सगुख एविनं चतगुरर्य चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा नविद्यमा कहे ममाध्यम सहे धन
कलो प्रमाप्त करतमा हहै। मघमा नक्षत्र कमा चरर फल फचलत ममातर्यण्ड कहे
अनगुसमार –
आद्यपमादहे मघमारमातः समान्ममातमृपक्षनविनमाशनमम्।
नदतरीरहे नपतमृनमाशतः समात्तमृतरीरहे सगुखसम्पदतः॥
चतगुरर्थे द्रनविरनं नविद्यमानदनत शङ्करभमानषतमम्।
(फचलत ममातर्यण्ड अ. 4, शलो.21)
अरमार्यत-म् मघमा कहे प्ररम चरर ममें जन्म हलो तलो ममातमा रमा ममातमृपक्ष ककी
हमानन हलोतरी हहै। नदतरीर चरर ममें नपतमा कमा नमाश, तमृतरीर चरर ममें
सगुखसनंपनत्त ककी प्रमानप्त तरमा चतगुरर्य चरर ममें नविद्यमा सहे धन कमा लमाभ
हलोतमा हहै ऐसमा शङ्कर नहे कहमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 18
जहेषमा कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा बड़िहे भमाई कलो प्रमारसनंकट,
दपूसरहे चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा छलोटहे भमाई कलो प्रमारसनंकट, तरीसरहे चरर
ममें जन्म लहेनहे विमालमा ममातमा-नपतमा कहे चलए प्रमारसनंकट एविनं चतगुरर्य चरर
ममें जन्म लहेनहे विमालमा अपनहे चलए प्रमारसनंकट ककी नस्थिनत उत्पन्न करतमा
हहै। जमातक-पमाररजमात कहे मत सहे जहेषमा नक्षत्र कहे प्रतहेक चरर कमा
फल प्रसगुत हहै –
अरमार्यतम् - जहेषमा कहे प्ररम चरर ममें उत्पन्न बमालक जहेष भ्रमातमा कमा
शरीघ्र नमाश करतमा हहै । नदतरीर चरर ममें अपनहे छलोटहे भमाई कमा नमाश
करतमा हहै, तमृतरीर चरर ममें जन्म हलो तलो नपतमा कमा नमाश करतमा हहै तरमा
चतगुरर्य चरर ममें उत्पन्न बमालक स्वरनं हरी ममृतगु कलो प्रमाप्त करतमा हहै ।
मतमान्तिर सहे तमृतरीर चरर ममें उत्पन्न बमालक ममातमा कलो और चतगुरर्य पद
ममें उत्पन्न बमालक नपतमा कलो नष्ट करतमा हहै ।
मपूल कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा नपतमृनमाश, दपूसरहे चरर ममें
जन्म लहेनहे विमालमा ममातमृनमाश, तरीसरहे चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा धन एविनं
चतगुरर्य चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा शगुभतमा कलो प्रमाप्त करतमा हहै।
मगुहूतर्य चचन्तिमामचर ममें भरी मपूल नक्षत्र कहे प्रतहेक चरर कमा फल रहरी
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 19
अरमार्यतम् - मपूल कहे प्ररम चरर ममें जन्म हलो तलो नपतमा कमा नमाश हलोतमा हहै,
नदतरीर चरर ममें जन्म हलो तलो ममातमा कमा नमाश हलोतमा हहै, तमृतरीर चरर ममें
जन्म हलो तलो धन ककी हमानन हलोतरी हहै तरमा चतगुरर्य चरर कमा जन्म शगुभ
ममानमा गरमा हहै । इसरी प्रकमार अशहेषमा कहे प्ररम चरर ममें जन्म हलो तलो
शगुभ, नदतरीर चरर ममें जन्म हलो तलो धन ककी हमानन, तमृतरीर चरर ममें
जन्म हलो तलो ममातमा कमा नमाश और चतगुरर्य चरर ममें जन्म हलो तलो नपतमा कमा
नमाश हलोतमा हहै । इसककी शमास्त्ररीर शमानन्ति करमा लहेनहे सहे सविर्यत्र शगुभ हलोतमा
हहै, अशगुभ फल न्यपून हलो जमातहे हमैं ।
रहेवितरी कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा रमाजपद, दपूसरहे चरर ममें
जन्म लहेनहे विमालमा सचचविपद, तरीसरहे चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा सम्पन्नतमा
एविनं चतगुरर्य चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा बहुत सहे कष्टलोनं कलो प्रमाप्त करतमा
हहै। फचलत ममातर्यण्ड ग्रन्थ कहे अनगुसमार रहेवितरी नक्षत्र कमा चरर फल
प्रसगुत हहै -
पज्यौष्णमानद नमृपनतनदर्यतरीरहे सचचविसरमा।
तमृतरीरहे सगुखसम्पन्नशतगुरर्थे बहुकष्टभमाकम्॥
(फचलत ममातर्यण्ड अ. 4, शलो.26)
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 20
अरमार्यतम् - रहेवितरी कहे प्ररम चरर ममें जन्म हलो तलो जमातक कलो नमृप कहे
सममान विहैभवि प्रमाप्त हलोतमा हहै, नदतरीर चरर ममें जन्म हलो तलो जमातक कलो
मनंत्ररी आनद कहे पद प्रमाप्त हलोतहे हमैं, तमृतरीर चरर ममें जन्म हलो तलो जमातक
सगुखसम्पनत्त सहे रगुक हलोतमा हहै तरमा चतगुरर्य चरर ममें जन्म हलो तलो जमातक
अनहेक कष्ट प्रमाप्त करतमा हहै । अब अगलहे सपूत्रलोनं ममें आप नक्षत्रगण्डमान्ति
कमा नविशद विरर्यन पढमेंगहे ।
9) मपूलमघमाचश्वन्यमानदमगुहूतर्यममात्रलो गण्डमान्तितः।
10) शहेषमारमामन्तिहे।
मपूल, मघमा एविनं अचश्वनरी कहे प्ररम मगुहूतर्य (नक्षत्र प्रमारम्भ सहे ४८ नमनट
तक) ममें गण्डमान्ति हलोतमा हहै । शहेष (अशहेषमा, जहेषमा, रहेवितरी) कहे अनंनतम
मगुहूतर्य (नक्षत्र सममानप्त सहे ४८ नमनट पहलहे तक) ममें गण्डमान्ति हलोतमा हहै।
इसकहे सन्दभर्य ममें शरीपनतजरी कमा विचन प्रसगुत हहै -
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 21
तरीनलोनं प्रकमारलोनं कहे गण्डमान्तिलोनं ममें (नक्षत्र चरर फल कहे शगुभ हलोनहे पर भरी)
शमानन्ति अविश्य हरी करमानरी चमानहरहे । समाममान्य गण्डमान्ति ममें नपतमा अपनहे
सम्बनन्धित चशशगु कलो उस नक्षत्र ममें चन्द्रममा कहे पगुनतः आनहे तक न दहेखहे
। चन्द्रममा कलो पगुनतः उस नक्षत्र ममें आनहे ममें गनतनस्थिनतभहेद सहे २७ सहे
२९ नदनलोनं कमा समर लगतमा हहै । सममाज ममें ‘सत्तमाईसमा शमानन्ति’
प्रचचलत हरी हहै। नक्षत्रगण्डमान्ति ममें ६ महरीनहे तक नपतमा अपनहे चशशगु कलो
न दहेखहे। इसकहे बमाद मपूल-शमानन्ति करमाकर हरी प्ररम बमार बमालक कमा
मगुखदशर्यन करनमा चमानहए ।
ऊपर ग्रन्थकमार नहे छतः मपूल नक्षत्रलोनं कहे नमाम वि फललोनं कमा विरर्यन नकरमा
हहै । उनममें भरी जहेषमा, शहेषमा तरमा मपूल रहे तरीन नक्षत्र बहुत कपूर और
बहुत जमादमा अशगुभ फल दहेनहे विमालहे हमैं, अततः उनकमा सपूक्ष्मतरमा
पगुननविर्यचमार नविचध प्रसगुत ककी जमा रहरी हहै -
14) जहेषमाशहेषमामपूलमान्यनतकपूरमाचर।
जहेषमा, अशहेषमा एविनं मपूल अतन्ति कपूर हलोतहे हमैं । इसरीचलए ग्रनंरकमार इन
नक्षत्रलोनं कमा चररफल विरर्यन करनहे कहे बमाद भरी अनत सपूक्ष्मतमा सहे नक्षत्रलोनं
कहे अननष्टफल कलो जमाननहे कहे चलए इन तरीन कपूर नक्षत्रलोनं कमा पगुननविर्यचमार
कर रहहे हमैं ।
सविर्यप्ररम मपूल नक्षत्र कमा नविचमार प्रसगुत हहै, मपूल नक्षत्र कमा पगुननविर्यचमार
ग्रनंरकमार नहे बमालक वि बमाचलकमा कहे चलए अलग-अलग प्रसगुत नकरमा
हहै। ननम्नचलचखत नविचध सहे मपूल नक्षत्र कमा फल जमाननहे कहे चलए मपूल
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 22
नक्षत्र कहे सम्पपूरर्य ममान कलो 60 सहे भमाग दहेनमा चमानहए और भमागफल
कलो सपूत्रलोनं ममें बतमाए गए भमागसनंखमा सहे गगुरमा कर कहे जन्मभमाग कमा फल
जमाननमा चमानहए। आप बगुनरपपूविर्यक ननम्नसपूत्र कमा सहमारमा लहे सकतहे हमैं -
मपूल नक्षत्र सममानप्त समर – मपूल नक्षत्र प्रमारम्भ समर = मपूल नक्षत्र
कमा सम्पपूरर्य ममान
मपूल नक्षत्र कमा सम्पपूरर्य ममान ÷ 60 = मपूल षषनंश
15) मपूलमाद्यसप्तमानंशष
हे गु सविर्यनमाशतः।
मपूल नक्षत्र कहे प्ररम सप्तमानंश (समातविमें अनंश तक) ममें जन्म हलोनहे पर
सविर्यनमाश हलोतमा हहै ।
समातविमाराँ अनंश = मपूल नक्षत्र प्रमारम्भ समर + (मपूल षषनंश × 7)
उसकहे बमाद कहे आठ अनंशलोनं (अरमार्यतम् 8 अनंशलोनं सहे लहेकर 15 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर विनंशनमाश हलोतमा हहै । पनंद्रहविमाराँ अनंश = समातविमाराँ
अनंश + (मपूल षषनंश × 8)
उसकहे बमाद कहे दश अनंशलोनं (अरमार्यतम् 16 अनंशलोनं सहे लहेकर 25 अनंशलोनं कहे
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 23
उसकहे बमाद कहे 11 अनंशलोनं (अरमार्यतम् 26 अनंशलोनं सहे लहेकर 36 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर ममातमृकहेश हलोतमा हहै । छत्तरीसविमाराँ अनंश =
पच्चरीसविमानं अनंश + (मपूल षषनंश × 11)
उसकहे बमाद कहे बमारह अनंशलोनं (अरमार्यतम् 37 अनंशलोनं सहे लहेकर 48 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर रमाजलमाभ हलोतमा हहै । अड़ितमालरीसविमाराँ अनंश =
छत्तरीसविमाराँ अनंश + (मपूल षषनंश × 12)
20) पञ्चमानंशष्व
हे ममाततमम्।
उसकहे बमाद कहे पमाराँच अनंशलोनं (अरमार्यतम् 49 अनंशलोनं सहे लहेकर 53 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर मनरीपद प्रमाप्त हलोतमा हहै। नतरपनविमाराँ अनंश =
अड़ितमालरीसविमाराँ अनंश + (मपूल षषनंश × 5)
उसकहे बमाद कहे चमार अनंशलोनं (अरमार्यतम् 54 अनंशलोनं सहे लहेकर 57 अनंशलोनं कहे
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 24
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर धन-सम्पदमा कमा लमाभ हलोतमा हहै। सत्तमाविनविमाराँ
अनंश = नतरपनविमाराँ अनंश + (मपूल षषनंश × 4)
उसकहे बमाद कहे तरीन अनंशलोनं (अरमार्यतम् 58 अनंशलोनं सहे लहेकर 60 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर अल्पमारगु रलोग हलोतमा हहै । रहे समारहे सपूत्र पगुरष
जमातकलोनं कहे चलए विचरर्यत हमैं ।
समाठविमाराँ अनंश = सत्तमाविनविमाराँ अनंश + (मपूल षषनंश × 3)
उदमाहरर – 03 जगुलमाई 2020 कलो जहेषमा नक्षत्र कमा अन्ति समर
24:06 एविनं 4 जगुलमाई 2020 कलो मपूल नक्षत्र ककी सममानप्त कमा समर
23:21 नदरमा गरमा हहै। जहेषमा नक्षत्र कमा अनंत समर हरी मपूल नक्षत्र कमा
प्रमारम्भ समर हलोगमा ।
अततः 24h – 00h 06m = -06m
अब 23h21m + (-06m) = 23h15m (मपूल नक्षत्र
कमा सम्पपूरर्य ममान)
ऊपर बतमाए गए सपूत्र कहे अनगुसमार –
23h15m ÷ 60 = 23m15s (मपूल षषनंश)
समातविमाराँ अनंश = 00h06m + (23m15s × 7)
समातविमाराँ अनंश = 2h48m
अततः रनद 4 जगुलमाई 2020 कलो रमानत्र 12 बजकर 06
नमनट सहे 2 बजकर 48 नमनट कहे बरीच जन्म हलो तलो मपूल
नक्षत्र कहे प्ररम सप्तममानंश ममें जन्म जमाननमा चमानहए, उसकमा
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 25
मपूल नक्षत्र कहे प्ररम चमार अनंशलोनं ममें जन्म हलोनहे पर पशगुनमाश हलोतमा हहै।
* उक नविचध सहे हरी सपूत्रलोत्पनत्त एविनं अनंशमानरन करकहे फलजमान करमें।
उसकहे बमाद कहे छह अनंशलोनं (अरमार्यतम् 5 अनंशलोनं सहे लहेकर 10 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर धननमाश हलोतमा हहै।
25) पञ्चमानंशष
हे गु धनमानप्ततः।
उसकहे बमाद कहे पमाराँच अनंशलोनं (अरमार्यतम् 11 अनंशलोनं सहे लहेकर 15 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर धन-सम्पदमा कमा लमाभ हलोतमा हहै।
26) कगुनटलतमा।
उसकहे बमाद कहे पमाराँच अनंशलोनं (अरमार्यतम् 15 अनंशलोनं सहे लहेकर 20 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म लहेनहे विमालरी कगुनटल हलोतरी हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 26
उसकहे बमाद कहे दश अनंशलोनं (अरमार्यतम् 21 अनंशलोनं सहे लहेकर 30 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर धन-सम्पदमा कमा लमाभ हलोतमा हहै।
28) दरमाष्टमानंशष
हे गु।
उसकहे बमाद कहे आठ अनंशलोनं (अरमार्यतम् 31 अनंशलोनं सहे लहेकर 38 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म लहेनहे विमालरी दरमालगु हलोतरी हहै।
उसकहे बमाद कहे चमार अनंशलोनं (अरमार्यतम् 39 अनंशलोनं सहे लहेकर 42 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म लहेनहे विमालरी कमानमनरी (कमामनमाओनं विमालरी) हलोतरी हहै।
30) जहेषममातगुलनमाशतः।
उसकहे बमाद कहे चमार अनंशलोनं (अरमार्यतम् 43 अनंशलोनं सहे लहेकर 46 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर ममाममा कमा नमाश हलोतमा हहै।
31) जहेषभमातमृनमाशतः।
उसकहे बमाद कहे चमार अनंशलोनं (अरमार्यतम् 47 अनंशलोनं सहे लहेकर 50 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर बड़िहे भमाई कमा नमाश हलोतमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 27
उसकहे बमाद कहे दश अनंशलोनं (अरमार्यतम् 51 अनंशलोनं सहे लहेकर 60 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर विहैधव हलोतमा हहै। रह फल चस्त्ररलोनं कहे चलए
कहहे गए हमैं। अब अशहेषमा नक्षत्र कमा फल कह रहहे हमैं । रह फल
पगुरष जमातक एविनं स्त्ररीजमातक दलोनलोनं ममें समाममान रूप सहे लमागपू हलोतमा हहै।
अशहेषमा नक्षत्र कहे प्ररम पमाराँच अनंशलोनं ममें जन्म हलोनहे पर पशगुनमाश हलोतमा
हहै।
34) तततः सप्तमानंशहेषगु नपतमृहमाननतः।
उसकहे बमाद कहे समात अनंशलोनं (अरमार्यतम् 06 अनंशलोनं सहे लहेकर 12 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर नपतमृहमानन हलोतरी हहै।
उसकहे बमाद कहे दलो अनंशलोनं (अरमार्यतम् 13 अनंशलोनं सहे लहेकर 14 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर ममातमा कमा नमाश हलोतमा हहै।
उसकहे बमाद कहे तरीन अनंशलोनं (अरमार्यतम् 15 अनंशलोनं सहे लहेकर 17 अनंशलोनं कहे
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 28
उसकहे बमाद कहे चमार अनंशलोनं (अरमार्यतम् 18 अनंशलोनं सहे लहेकर 21 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म लहेनहे विमालमा गगुरभक हलोतमा हहै।
38) अष्टमानंशष
हे गु बलरी।
उसकहे बमाद कहे आठ अनंशलोनं (अरमार्यतम् 22 अनंशलोनं सहे लहेकर 29 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म लहेनहे विमालमा बलविमानम् हलोतमा हहै।
उसकहे बमाद कहे ग्यमारह अनंशलोनं (अरमार्यतम् 30 अनंशलोनं सहे लहेकर 40 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म लहेनहे विमालमा आत्मघमातरी हलोतमा हहै।
40) षडनंशष
हे गु शरीममानम्।
उसकहे बमाद कहे छतः अनंशलोनं (अरमार्यतम् 41 अनंशलोनं सहे लहेकर 46 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म लहेनहे विमालमा धनविमान हलोतमा हहै।
उसकहे बमाद कहे नज्यौ अनंशलोनं (अरमार्यतम् 47 अनंशलोनं सहे लहेकर 55 अनंशलोनं कहे
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 29
उसकहे बमाद कहे पमाराँच अनंशलोनं (अरमार्यतम् 56 अनंशलोनं सहे लहेकर 60 अनंशलोनं कहे
बरीच) ममें जन्म हलोनहे पर धननमाश हलोतमा हहै। उक फल बमालक वि
बमाचलकमा दलोनलोनं कहे चलए सममान हरी हमैं। अब जहेषमा नक्षत्र कहे जन्मभमागलोनं
कहे अनगुसमार फल कलो जमानतहे हमैं, इसकहे चलए जहेषमा नक्षत्र कहे सम्पपूरर्य
ममान कलो 10 सहे भमाग दहेनमा चमानहए और भमागफल कलो सपूत्रलोनं ममें बतमाए
गए भमागसनंखमा सहे गगुरमा कर कहे जन्मभमाग कहे अनगुसमार फल जमाननमा
चमानहए । रहे फल भरी बमालक एविनं बमाचलकमा दलोनलोनं कहे चलए सममान हरी
हमैं । पपूविरक नविचध सहे हरी रगुनक-पपूविर्यक अनंशमानरन करनमा चमानहए ।
जहेषमा नक्षत्र कहे प्ररम भमाग ममें जन्म हलोनहे पर नमानरी कमा ननधन कहमा
गरमा हहै।
44) ततलोनंऽशदरहे ममातमृनपतमृननधनमम्।
जहेषमा नक्षत्र कहे नदतरीर भमाग ममें जन्म हलोनहे पर नमानमा कमा ननधन कहमा
गरमा हहै।
45) नत्रषगु ममातगुलनमाशतः।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 30
जहेषमा नक्षत्र कहे तमृतरीर भमाग ममें जन्म हलोनहे पर ममाममा कमा ननधन कहमा
गरमा हहै।
46) विहेदमानंशहेषगु ममातमृनमाशतः।
जहेषमा नक्षत्र कहे चतगुरर्य भमाग ममें जन्म हलोनहे पर ममातमा कमा नमाश कहमा
गरमा हहै।
47) पञ्चमानंशहेषगु स्वनमाशतः।
जहेषमा नक्षत्र कहे पनंचम भमाग ममें जन्म हलोनहे पर स्वरनं कमा हरी नमाश कहमा
गरमा हहै।
48) षडनंशहेषगु गलोत्रनमाशतः।
जहेषमा नक्षत्र कहे षष भमाग ममें जन्म हलोनहे पर सगलोनत्ररलोनं कमा हरी नमाश
कहमा गरमा हहै।
49) नगमानंशष
हे गु कगुलनमाशतः।
जहेषमा नक्षत्र कहे समातविमें भमाग ममें जन्म हलोनहे पर कगुल कमा हरी नमाश कहमा
गरमा हहै।
50) अष्टमानंशष्व
हे ग्रजननधनमम्।
जहेषमा नक्षत्र कहे आठविमें भमाग ममें जन्म हलोनहे पर बड़िहे भमाई ककी ममृतगु कहरी
गई हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 31
जहेषमा नक्षत्र कहे नविम भमाग ममें जन्म हलोनहे पर ससगुर कमा नमाश कहमा
गरमा हहै।
52) नदगनंशहेषगु सविर्यनमाशतः समादगुभरलोजमार्यतहे।
जहेषमा नक्षत्र कहे दशम भमाग ममें जन्म हलोनहे पर सविर्यनमाश कहमा गरमा हहै।
उपरगुर्यक फल दलोनलोनं (बमालक रमा बमाचलकमा) कहे जन्म कहे सनंदभर्य ममें
सममान हमैं।
53) अशहेषमारमानं पमादलोनमाब्दमादशर्यनमम्।
अशहेषमा नक्षत्र कहे दलोषरगुक अनंश ममें जन्म हलोनहे पर नपतमा कलो बमालक
कमा मगुख 9 महरीनहे तक नहरीनं दहेखनमा चमानहए।
जहेषमा नक्षत्र कहे दलोषरगुक अनंश ममें जन्म हलोनहे पर नपतमा कलो बमालक कमा
मगुख 15 महरीनहे तक नहरीनं दहेखनमा चमानहए।
55) मपूलहेऽष्टवित्सरमाचर।
मपूल नक्षत्र कहे दलोषरगुक अनंश ममें जन्म हलोनहे पर नपतमा कलो बमालक कमा
मगुख 8 विषर्षों तक नहरीनं दहेखनमा चमानहए।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 32
जहेषमा कहे अनंनतम दलो मगुहूतर्य (९६ नमनट) तरमा मपूल कहे प्रमारनम्भक दलो
मगुहूतर्षों ममें अभगुकमपूल हलोतमा हहै।
बहुमतचसर नमारदजरी कहे विचनमानगुसमार -
अभगुकमपूलनं घनटकमाचतगुष्टरनं जहेषमानमपूलमानदभविनं नह नमारदतः ।
(मगु.चच.- न.प्र. शलो.54)
अरमार्यतम् - नमारद जरी कहे मत सहे जहेषमा नक्षत्र ककी अनन्तिम 4 घटरी (1
घनंटमा 36 नमनट) एविनं मपूल नक्षत्र कहे प्रमारम्भ ककी 4 घटरी (1 घनंटमा 36
नमनट) कगुल-नमलमाकर 3 घनंटहे 12 नमनट कमा समर अभगुकमपूल
कहलमातमा हहै । इसकलो त्रहैरमाचशक सहे भरी समझनमा चमानहए, इन दलोनलोनं कमा
औसत 4 घटरी (96 नमनट) कमा समर सबसहे अचधक खरमाब प्रभमावि
विमालमा हलोतमा हहै । अरमार्यतम् जब जहेषमा नक्षत्र कहे सममानप्त कहे 1 घनंटहे 36
नमनट शहेष हलोनं तलो अभगुकमपूल शगुरू हलोगमा, जहैसहे जहैसहे दलोनलोनं नक्षत्रलोनं ककी
सनन्धि ननकट आतरी जमाएगरी, अशगुभतमा बढतरी जमाएगरी, अनन्तिम दलो
घनटरलोनं अरमार्यत 48 नमनट कहे समर सहे अशगुभत अपनहे चरम ककी ओर
बढ रहमा हलोगमा, अनंनतम एक घटरी (24 नमनट) ममें अशगुभत अपनहे
चरम पर हलोगमा । इसरी प्रकमार मपूल कहे प्ररम 24 नमनट ममें अशगुभतमा
अपनहे चरम पर हलोगरी अगलहे 24 नमनट चरम सहे दपूर जमातरी अशगुभतमा
और शहेष 48 नमनट ममें अभगुकमपूल ककी सविर्यसमाममान्य अशगुभतमा रहहेगरी ।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 33
57) तमागलोऽभगुकहे।
अभगुक मपूल ममें जन्महे चशशगु कमा तमाग अरविमा दमान हरी शहेरस्कर हहै ।
तमाग रमा दमान ममें कहेश हलोनहे पर नपतमा आठ विषर्षों तक चशशगु कमा मगुख
न दहेखहे, स्वरनं सहे दपूर रखकर पमालन पलोषर करमानमा समगुचचत हलोतमा हहै।
शमास्त्रग्रनंरलोनं ममें अनहेकशतः रहरी मत प्रमाप्त हलोतमा हहै । उदमाहररस्वरूप
मगुहूतर्य-चचन्तिमामचर कमा विचन प्रसगुत हहै –
जमातनं चशशगुनं तत्र पररतजहेदमा मगुखनं नपतमासमाष्टसममा न पश्यहेतम् ।।
(मगु.चच.-न.प्र. शलो.54)
59) अरहेतरमाचर।
रमानत्र कलो रनद नक्षत्र ककी सममानप्त कहे समर कहे आसपमास अरविमा नदन
ममें नक्षत्र कहे प्रमारम्भ कहे समर कहे आसपमास जन्म हलो तलो भरी गण्डमान्ति
हलोतमा हहै।
61) सन्ध्यरलोस्सन्ध्यमारमानं विमा।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 34
प्रमाततः एविनं समारनं सनंध्यमा कहे समर अरविमा दलो नक्षत्रलोनं ककी सनन्धिकमाल ममें
जन्म हलो तलो भरी गण्डमान्ति हहै।
62) चमापहे पपूविमार्यषमाढमासगु नपतमृनमाशतः।
धनगु लग्न हलो एविनं पपूविमार्यषमाढमा नक्षत्र ममें चन्द्रममा हलो तलो नपतमृनमाश हलोतमा हहै।
पपूविमार्यषमाढमा नक्षत्र कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा नपतमा कहे चलए,
नदतरीर चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा ममातमा कहे चलए, तमृतरीर चरर ममें जन्म
लहेनहे विमालमा (ररमाकमाल ममें) पगुत्र कहे चलए तरमा चतगुरर्य चरर ममें जन्म
लहेनहे विमालमा वनक ममाममा कहे चलए प्रमारभर उत्पन्न करतमा हहै।
64) पगुषहे च।
पगुष नक्षत्र कहे सन्दभर्य ममें भरी उपरगुर्यक फल समझनमा चमानहए। रहमाराँ
रह ध्यमातव हहै नक सपूत्र नतरसठ ममें जलो पपूविमार्यषमाढमा नक्षत्र कहे चरर फल
बतमारहे गए हमैं विलो पगुष नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे विमाललोनं कहे चलए ररमावितम्
रहमेंगहे लहेनकन सपूत्र बमासठ ममें जलो नपतमृनमाश फल बतमारमा गरमा हहै विलो तब
हलोगमा जब जमातक कमा जन्म नक्षत्र पगुष और जन्म लग्न ककर्य हलो।
जमातक-पमाररजमात नमामक ग्रन्थ ममें विहैद्यनमार दरीचक्षत जरी नहे इनकहे
अलमाविमा भरी कगुछ गण्डमान्ति रलोग बतमारहे हमैं, प्रसनंगविश उनकमा नविविरर
प्रसगुत हहै -
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 35
अरमार्यतम् – उत्तरमाफमालगुनरी नक्षत्र कहे प्ररम चरर ममें पगुष नक्षत्र कहे
नदतरीर वि तमृतरीर चररलोनं ममें, चचत्रमा नक्षत्र कहे तमृतरीर चरर ममें, भरररी
नक्षत्र कहे प्ररम वि नदतरीर चररलोनं ममें, हस नक्षत्र कहे तमृतरीर चरर ममें
एविनं रहेवितरी नक्षत्र कहे चतगुरर्य चरर ममें पगुत्र कमा जन्म हलो तलो नपतमा कलो
तरमा कन्यमा कमा जन्म हलो तलो ममातमा कलो अननष्ट हलोतमा हहै। अब नकस
गण्डमान्ति रलोग कमा फल जमातक कहे आरगु ककी नकस अविस्थिमा ममें प्रमाप्त
हलोगमा, उसकमा ननरर्यर बतमातहे हमैं -
अचश्वनरी नक्षत्र ममें जन्म हलो तलो गण्डमान्ति कमा फल आरगु कहे सलोलहविमें विषर्य
ममें नमलतमा हहै।
66) मघमास्वष्टमहे।
मघमा कमा फल आरगु कहे आठविमें विषर्य ममें नमलतमा हहै।
67) मपूलहे तगुररीरहे।
मपूल कमा फल आरगु कहे चज्यौरहे विषर्य ममें नमलतमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 36
नक्षत्ररलोगविरर्यनमम्
अब रहमाराँ सहे ग्रन्थकमार नक्षत्र सम्बन्धिरी बहुत हरी महतपपूरर्य रलोगलोनं कहे
बमारहे ममें बतमा रहहे हमैं। इन अशगुभ नक्षत्र-रलोगलोनं ममें जन्म हलोनहे पर जरीविन
ममें अनहेक सनंकट आतहे हमैं । स्वमास, आरगु, सफलतमा एविनं सगुख ममें
अप्रतमाचशत कमरी दहेखनहे कलो नमलतरी हहै। रहसमात्मक रूप सहे पपूरमा
जरीविन हरी नदशमाहरीन हलो जमानमा रमा जरीविन ममें अचमानक सहे उठमापटक
शगुरू हलो जमानमा, रहे सब फल अशगुभ नक्षत्र-रलोगलोनं कहे रहनहे पर हलोतहे हमैं।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 37
1) अममारमामनगुरमाधलोत्तरमाधर्थेऽकर्थेन्दभ
गु मानं समापर्यशरीषर्यतः।
अममाविसमा नतचर कलो रनद सपूरर्य वि चन्द्रममा दलोनलोनं अनगुरमाधमा नक्षत्र कहे
तमृतरीर रमा चतगुरर्य चरर ममें नस्थित हलोनं तलो समापर्यशरीषर्य नमामक रलोग बनतमा
हहै।
2) मघमानविशमाखमाद्रमार्यमपूलकमृनत्तकमारलोनहररी-
हसहेष्वकमार्यदमारकममाद्यमघणटतः।
इस सपूत्र ममें रमघनंट रलोगलोनं कहे बमारहे ममें बतमारमा गरमा हहै । विमार और नक्षत्र
कहे सनंरलोजन सहे रमघनंट रलोग हलोतमा हहै । रनविविमार कलो मघमा, सलोमविमार
कलो नविशमाखमा, मनंगलविमार कलो आद्रमार्य, बगुधविमार कलो मपूल, गगुरविमार कलो
कमृनत्तकमा, शगुकविमार कलो रलोनहररी, शननविमार कलो हस नक्षत्र हलो तलो उस
नदन रमघनंट रलोग जमाननमा चमानहए। महनषर्य परमाशर नहे विमृहत्पमारमाशर
हलोरमाशमास्त्र ममें 17 अशगुभजन्म रलोगलोनं ककी चचमार्य ककी हहै । बमृहत्पमारमाशर
हलोरमाशमास्त्र अध्यमार 88, शलोक 3 ममें रमघनंट रलोग तरमा शलोक 4 ममें
समापर्यशरीषर्य रलोग पररगचरत हमैं । प्रसगुत नक्षत्रममाहहेश्वररी कहे नक्षत्रमाधमाररत
हलोनहे सहे ननग्रहमाचमारर्य नहे कहेविल नक्षत्र सम्बन्धिरी अशगुभजन्म रलोगलोनं ककी हरी
चचमार्य ककी हहै । अब आगहे कहे सपूत्रलोनं सहे आप रह जमान पमाएनंगहे नक नकसरी
नक्षत्र कलो नकन नस्थिनतरलोनं ममें परीनड़ित ममानमा जमातमा हहै । ग्रनंरकमार कमा रह
सनंकलन बहुत महतपपूरर्य और सरमाहनरीर हहै ।
3) पमापहैतः क्षरीरमम्।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 38
जब नकसरी नक्षत्र ममें पमापग्रहलोनं ककी उपनस्थिनत हलो जमारहे, तलो उस नक्षत्र
कमा शगुभफल क्षरीर हलो जमातमा हहै।
4) विकमारहे ग्रहरहे च।
चजस नक्षत्र ममें मनंगल विककी हलोनमा आरम्भ करहे विह नक्षत्र क्षरीर ममानमा
जमातमा हहै । चजस नक्षत्र ममें सपूरर्य रमा चन्द्रममा कमा ग्रहर लगमा हलो विह
नक्षत्र ग्रहर सहे लहेकर आगमामरी 6 ममास तक परीनड़ित रहतमा हहै ।
5) अपसवहेऽधरीशहे।
जब चन्द्रममा नकसरी नक्षत्र ककी रलोगतमारमा कहे दचक्षर ककी ओर सहे गमन
करतमा हहै तलो इसहे अपसवगमन कहमा जमातमा हहै । चन्द्रममा चजस नक्षत्र
कमा अपसव गमन करहे उस नक्षत्र कलो परीनड़ित जमाननमा चमानहए ।
• जब चन्द्रममा कमा उत्तर शर नक्षत्र कहे उत्तर शर सहे कम हलो
अरविमा जब चन्द्रममा कमा दचक्षर शर नक्षत्र कहे दचक्षर शर सहे अचधक
हलो तलो रह अपसव गमन कहलमातमा हहै।
• जन्मनक्षत्र कमा शगुर हलोनमा अनत आविश्यक हहै, इसकहे परीनड़ित
रहनहे पर जरीविन सनंघषर्षों सहे भरमा रहतमा हहै। कश्यप ऋनष नहे स्पष्ट शब्दलोनं
ममें कहमा हहै -
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 39
अरमार्यतम् - जन्म कहे समर जन्मनक्षत्र कहे पमापग्रह सहे रगुक रहनहे पर
गगुरकमारक फल वि रलोग गगुररनहत हलो जमातहे हमैं तरमा शगुभग्रह कहे रगुक
रहनहे पर गगुरकमारक फललोनं ककी गगुरवित्तमा और बढ जमातरी हहै।
अब ग्रन्थकमार आगहे कहे सपूत्रलोनं ममें धगुविमानद सनंजमाओनं कहे आधमार पर
जन्मफल और जमातक ककी प्रकमृनत कमा जमान करमा रहहे हमैं ।
8) नहनंसक उग्रहेषगु।
उग्रसनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्ममा जमातक उग्र प्रकमृनत विमालमा, अरमार्यतम् कलोधरी
एविनं आकमामक नविचमारलोनं कमा हलोतमा हहै ।
9) लघगुभहेऽधरीरतः।
लघगुसनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्ममा जमातक अधरीर प्रकमृनत कमा हलोतमा हहै, उसकहे
हर कमारर्य ममें अधरीरतमा पररलचक्षत हलोतरी हहै ।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 41
अरमार्यतम् – रनद जमातक कमा जन्म धगुविसनंजक नक्षत्रलोनं ममें हलो तलो विह नस्थिर
प्रकमृनत विमालमा, क्षममाशरील और आलसरी हलोतमा हहै। चरसनंजक नक्षत्रलोनं ममें
जन्ममा जमातक चनंचल स्वभमावि विमालमा हलोतमा हहै, विह रलोगरी हलोनहे पर भरी
पथमापथ कमा पमालन नहरीनं कर पमातमा एविनं इच्छमानगुसमार सब कगुछ खमातमा
हहै। उग्र सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्ममा जमातक उग्र स्वभमावि विमालमा, नहनंसमा एविनं
बनंधन (कहैद रमा अपहरर) आनद ममें रचच रखनहे विमालमा हलोतमा हहै।
नमश नक्षत्रलोनं ममें जन्ममा जमातक नमलहे-जगुलहे स्वभमावि कमा हलोतमा हहै, विह न
तलो नकसरी सहे विहैर करतमा हहै और न हरी गहररी नमत्रतमा रखतमा हहै। चक्षप्र
सनंजक (लघगुसनंजक) नक्षत्रलोनं ममें जन्ममा जमातक जल्दबमाजरी ममें कमारर्य करनहे
विमालमा, अपनहे विर और शररीरमाकमृनत कहे अनगुपमात सहे आधमा भलोजन करनहे
विमालमा हलोतमा हहै। ममृद गु सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्ममा जमातक दरमालगु तरमा
चन्दन-पगुष्पप्रहेमरी (शज्यौककीन तरमा सममान-पसनंद) हलोतमा हहै। तरीक्ष्ण सनंजक
नक्षत्रलोनं ममें जन्ममा जमातक ननत कलह करनहे विमालमा, कठलोरभमाषरी और
मचलन हलोतमा हहै।
13) अधलोमगुखहेषगु गगुह्यदशर्शी।
अधलोमगुख सनंजक नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक अन्तिमर्यन ककी बमातलोनं
कलो जमाननहे विमालमा, पगुरमातत्त्व एविनं गगुप्तनविद्यमाओनं कहे प्रनत आकनषर्यत तरमा
भपूगभर्यशमास्त्र ममें रचच लहेनहे विमालमा हलोतमा हहै।
* भरररी, कमृनत्तकमा, शहेषमा, मघमा, तरीनलोनं पपूविमार्य, नविशमाखमा और मपूल
नक्षत्रलोनं ककी अधलोमगुख सनंजमा हहै।
14) उरर्यमगुखहेषपूरर्यरहेतमा।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 42
नतरर्यकम् मगुख सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्महे जमातक भलोगरी और स्वमारर्शी स्वभमावि
कहे हलोतहे हमैं।
* अचश्वनरी, ममृगचशरमा, पगुनविर्यसगु, हस, चचत्रमा, स्वमातरी, अनगुरमाधमा, जहेषमा
एविनं रहेवितरी नक्षत्रलोनं ककी नतरर्यकम् मगुख सनंजमा हहै।
दहेविगर सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्महे जमातक समाचतक (धमानमर्यक आचरर ममें
रचच रखनहे विमालहे) स्वभमावि कहे हलोतहे हमैं।
दहेविगर सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्महे जमातक रमाजस (इच्छमानगुसमार आचरर ममें
रचच रखनहे विमालहे) स्वभमावि कहे हलोतहे हमैं।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 43
दहेविगर सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्महे जमातक तमामस (धमर्यनविरर आचरर ममें
रचच रखनहे विमालहे) स्वभमावि कहे हलोतहे हमैं।
• नक्षत्रलोनं कमा गर जमाननहे कहे चलए पररचशष्ट दहेखमें ।
कगुलसनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्महे जमातक अपनहे कगुल ममें शहेष हलोतहे हमैं। तरीनलोनं
पपूविमार्य, अचश्वनरी, पगुष, मघमा, ममृगचशरमा, शविर, कमृनत्तकमा, नविशमाखमा,
जहेषमा एविनं चचत्रमा नक्षत्र कगुलसनंजक हमैं ।
20) नविपररीतलोऽकगुलहेषगु।
अकगुलसनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्महे जमातक अपनहे कगुल कहे नविरर आचरर
विमालहे (कगुल कहे मरमार्यदमा ककी परविमाह न करनहे विमालहे) हलोतहे हमैं। स्वमातरी,
भरररी, अशहेषमा, धननषमा, रहेवितरी, हस, अनगुरमाधमा, पगुनविर्यसगु, तरीनलोनं
उत्तरमा तरमा रलोनहररी नक्षत्रलोनं ककी अकगुल सनंजमा हहै ।
21) कगुलमाकगुलहेषगु मध्यमतः।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 44
अरमार्यतम् - कगुल सनंजक नक्षत्रलोनं ममें उत्पन्न जमातक अपनहे कगुल ममें प्रधमानतमा
प्रमाप्त करतहे हमैं। अकगुल सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक दपूसरहे
कहे धन कमा भलोग करनहे विमालमा हलोतमा हहै। कगुलमाकगुल नक्षत्रलोनं ममें जन्म पमानहे
विमालहे वनक समाधमारर कहहे गए हमैं।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 45
कमर्यनक्षत्र कहे परीनड़ित रहनहे पर आजरीनविकमा ममें बमाधमा रमा हमानन समझनरी
चमानहए।
26) जन्मन एकलोननविनंशममाधमानमम्।
27) दपूनषतहे प्रविमासतः।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 46
32) जन्मसम्पनदपतम्
क्षहेमप्रतररसमाधकननधननमत्रमानतनमत्रमाचर नवितमारमाचर।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 47
33) प्रनतपदपूलरलोरमार्यलमामगुखरी।
34) पञ्चममानं भरररी तरमा।
35) षषमानं कमृनत्तकमा।
36) नविममानं रलोनहररीतः।
37) दशममामशहेषमा।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 48
38) एकक्षर्थेऽशगुभमम्।
ममातमा-नपतमा रमा भमाई-बहनलोनं कहे नक्षत्रलोनं ममें हरी जमातक कमा जन्म हलोनमा
अशगुभ हलोतमा हहै। महनषर्य परमाशर नहे भरी इसहे अशगुभ-जन्मरलोगलोनं ममें
पररगचरत करतहे हुविहे इसकहे शमानन्ति नविधमान कमा भरी उलहेख नकरमा हहै।
39) पञ्चकहेऽनप।
पनंचक नक्षत्रलोनं ममें भरी जन्म अशगुभ ममानमा गरमा हहै । धननषमा कहे तमृतरीर
चरर सहे रहेवितरी परर्यन्ति पनंचक सनंजमा हलोतरी हहै ।
नत्रपगुष्कर रमा नदपगुष्कर रलोगलोनं ममें जन्म हलोनमा शगुभ हहै । पगुष्कर कमा अरर्य
पद रमा चरर हलोतमा हहै । ऐसहे नक्षत्र, चजनकहे दलो चरर एकरमाचश ममें
और अगलहे दलो चरर अगलरी रमाचश ममें हलोनं, विहे नदपगुष्कर कहलमातहे हमैं ।
समार हरी, चजन नक्षत्रलोनं कहे तरीन चरर एक रमाचश ममें तरमा शहेष एक
चरर दपूसररी रमाचश ममें हलोनं, विहे नत्रपगुष्कर कहलमातहे हमैं । रह पगुष्करसनंजक
नक्षत्रलोनं कमा विहैजमाननक आधमार हहै । नतचर, विमार एविनं नक्षत्रलोनं कहे सनंरलोजन
सहे इनमें नदपगुष्कर रमा नत्रपगुष्कर कहमा जमातमा हहै । रनविविमार, मनंगलविमार रमा
शननविमार कलो नदतरीरमा, सप्तमरी रमा दमादशरी नतचर कहे रहनहे पर ममृगचशरमा,
चचत्रमा रमा धननषमा नक्षत्र हलो तलो नदपगुष्कर रलोग हलोतमा हहै । रनद उक
विमार-नतचर कहे सनंरलोजन कहे समार कमृनत्तकमा, पगुनविर्यसगु, उत्तरमाफमालगुनरी,
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 49
रनविरलोग दलोषलोनं कहे समपूह कमा नमाश करतमा हहै । रनविरलोग सपूरर्य नक्षत्र एविनं
चन्द्र नक्षत्र ककी परस्पर दपूररी पर ननभर्यर करतमा हहै । जन्म समर कमा
चन्द्र नक्षत्र रनद सपूरर्य नक्षत्र सहे चज्यौरहे, छठहे, नविमें, दसविमें, तहेरहविमें रमा
बरीसविमें कम ममें हलो तलो जमातक कमा जन्म रनविरलोग ममें हुआ हमा, ऐसमा
जमाननमा चमानहए । रनविरलोग अनहेक दलोषलोनं कमा शमामक हलोतमा हहै ।
मगुहूतर्यचचन्तिमामचरकमार नहे भरी रनविरलोग कलो दलोषसङनविनमाशकमातः कहमा हहै ।
सविमार्यरर्यचसनर रलोग ममें जन्म हलोनहे सहे वनक ककी सभरी कमामनमाएराँ पपूररी
हलोतरी हमैं, विह जलो चमाहतमा हहै उसममें ननचशत हरी सफल हलोतमा हहै ।
43) भमाग्यविमानममृतचसरज्यौ।
नविष रलोग अपनरी एविनं ननकटवितर्शी पक्ष (नमत्र रमा सम्बनन्धिरलोनं), दलोनलोनं
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 50
ककी हमानन करमातमा हहै । सविमार्यरर्यचसनर, अममृतचसनर एविनं नविष रलोगलोनं कमा
नविविरर आप ननम्नचलचखत समारररी सहे प्रमाप्त कर सकतहे हमैं ।
उदमाहरर – रनद रनविविमार कलो अचश्वनरी नक्षत्र हलो तलो विह सविमार्यरर्यचसनर
रलोग कहलमारहेगमा । इसरी प्रकमार सहे रनविविमार कलो हस नक्षत्र कहे रहनहे पर
अममृतचसनर रलोग बनहेगमा । नकन्तिगु रनद रनविविमार कहे नदन हस नक्षत्र
हलोनहे पर पञ्चमरी नतचर भरी हलो जमाए तलो विह नविष रलोग कमा ननममार्यर
करहेगमा । रहमाराँ ध्यमातव हहै नक नतचर-विमार कहे सनंरलोजन सहे एक अन्य
नविष रलोग भरी प्रचसर हहै, चजसकमा अलग महत्त्व हहै, पमाठक भ्रनमत न
हलोनं ।
॥ इनत चतगुरर्यतः पटलतः॥
*-*-*
॥ अर पञ्चमतः पटलतः॥
रलोगविरर्यनमम्
1) जन्महे रजभमाङररमार तगुलमार विमा।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 51
जन्मनक्षत्र सहे उन्नरीसविमानं नक्षत्र हरी आधमानसनंजक भरी हहै । जन्मनक्षत्र सहे
समातविमानं, सलोलहविमानं और पच्चरीसविमानं नक्षत्र ननधनसनंजक हहै । जन्मनक्षत्र
सहे पमानंचविमानं, चज्यौदहविमानं एविनं तहेईसविमानं नक्षत्र प्रतरर कहलमातमा हहै ।
जन्मनक्षत्र सहे तरीसरमा, बमारहविमानं एविनं इककीसविमानं नक्षत्र नविपतम् नमाम विमालमा
हलोतमा हहै । इनममें भरी रलोगग्रस हलोनहे सहे ममृतगु अरविमा ममृतगुतगुल कष्ट ककी
प्रमानप्त हलोतरी हहै ।
3) अशहेषलोत्तरमाभमाद्रपदप्रमारनमकजलो रजभमाकम्।
अशहेषमा एविनं उत्तरमाभमाद्रपद नक्षत्रलोनं कहे प्ररम चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा
वनक रलोगलोनं सहे ग्रस हलोतमा हहै ।
4) भरररीमपूलरलोनदर्यतरीरहेऽनप।
भरररी एविनं मपूल नक्षत्रलोनं कहे नदतरीर चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक भरी
रलोगरी हलोतमा हहै ।
5) उत्तरमाफमालगुनरीशविरमानमानं तमृतरीरहे।
6) ममृगचशरमास्वमातरीनमानं चतगुरर्थे च।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 52
उत्तरमाफमालगुनरी एविनं शविर नक्षत्रलोनं कहे तमृतरीर चरर ममें जन्म लहेनहे विमालमा
वनक रलोगरी हलोतमा हहै और ममृगचशरमा एविनं स्वमातरी नक्षत्रलोनं कहे चतगुरर्य चरर
ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक रलोगरी हलोतमा हहै ।
रनद जन्मकगुनंडलरी कहे दशम भमावि ममें चन्द्रममा हलो और सपूरर्य जन्मनक्षत्र सहे
तरीसरहे नक्षत्र ममें नस्थित हलो तलो जमातक कलो ननचशत रूप सहे रलोगरी बनमातमा
हहै । रहमाराँ तक ग्रन्थकमार नहे जन्मकगुण्डलरी कहे आधमार पर रलोगरी हलोनहे कमा
विरर्यन नकरमा हहै । अब अगलहे सपूत्र सहे दहैननक चन्द्रनक्षत्र (गलोचर) कहे
आधमार पर रलोगमारम्भ कमा फल विचरर्यत करमेंगहे ।
8) कमृनत्तकमासगु नविरमात्रपरर्यन्तिमम्।
9) अशहेषमासगु च।
रलोनहररी नक्षत्र ममें रनद वनक अस्वस्थि हलो जमाए तलो 3 रमानत्र बमाद स्वस्थि
हलोतमा हहै ।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 53
ममृगचशरमा नक्षत्र ममें बरीममार पड़िनहे विमालमा वनक 5 रमानत्र कहे बमाद स्वस्थि
हलोतमा हहै ।
12) आद्रमार्यरमानं प्रमारनमाशश।
आद्रमार्य नक्षत्र ममें बरीममार हुए वनक कमा कदमाचचतम् मरर भरी हलो सकतमा
हहै । प्रमारसनंकट तलो हलोतमा हरी हहै ।
पगुनविर्यसगु रमा पगुष नक्षत्र ममें रनद स्वमास क्षरीर हलो जमाए तलो 7 रमानत्ररलोनं
कहे बमाद स्वमास लमाभ हलोगमा, ऐसमा बतलमानमा चमानहए ।
मघमा नक्षत्र ममें अस्वस्थि हुआ वनक एक महरीनहे कहे बमाद स्वस्थि हलोतमा
हहै ।
16) पपूविमार्यफमालगुन्यमाममृतगुतः।
17) शविरहे स्वमातमाञ्च।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 54
पपूविमार्यफमालगुनरी, शविर एविनं स्वमातरी नक्षत्रलोनं ममें बरीममार हलोनहे कमा सहे दलो ममास
कमा रलोगजन्य कष्ट बतमारमा गरमा हहै ।
उत्तरमाफमालगुनरी नक्षत्र ममें अस्वस्थि हुआ वनक पन्द्रह महरीनहे कहे बमाद
स्वस्थि हलोतमा हहै ।
19) हसहेषगु सप्तममाचसकमम्।
हस नक्षत्र ममें अस्वस्थि हुआ वनक समात महरीनहे कहे बमाद स्वस्थि हलोतमा
हहै ।
20) चचत्रमारमानं पमाचक्षकमम्।
21) जहेषलोत्तरमाभमाद्रपदमापपूविमार्यषमाढमाधननषमासगु च।
22) नविशमाखमास्वह्ननविनंशनततः।
23) उत्तरमाषमाढमासगु रहेवितमाञ्च।
नविशमाखमा, उत्तरमाषमाढमा एविनं रहेवितरी नक्षत्रलोनं ममें बरीममार पड़िनहे विमालमा वनक
20 नदनलोनं कहे बमाद स्वस्थि हलोतमा हहै ।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 55
24) दशमाह्नलोऽनगुरमाधमासगु।
25) विमारण्यमाञ्च।
26) मपूलहेऽसमाध्यमम्।
27) पपूविमार्यभमाद्रपदहे तरमा।
मपूल एविनं पपूविमार्यभमाद्रपद नक्षत्रलोनं ममें बरीममार पड़िनहे विमालहे वनक कमा रलोग
असमाध्य हलो जमातमा हहै ।
28) अहलोरमात्रमचश्वन्यमामम्।
अचश्वनरी नक्षत्र ममें बरीममार पड़िनहे विमालमा वनक एक नदन ममें हरी स्वस्थि हलो
जमातमा हहै । (रहमानं ध्यमान रहहे नक उसकमा जन्म रमा ननधन नक्षत्र अचश्वनरी
न हलो)
29) भरण्यमानं मररनं धगुविमम्।
रनद जमातक भरररी नक्षत्र ममें बरीममार पड़ि जमाए तलो उसकमा मरर
ननचशत जमाननमा चमानहए ।
30) दहेविव्रतहेन शमानन्तितः।
उपरगुर्यक सभरी दगुररग एविनं दलोषलोनं ककी शमानन्ति सम्बनन्धित नक्षत्रलोनं कहे स्वमामरी
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 56
दहेवितमाओनं कहे व्रत सहे हलोतरी हहै । इसकमा विरर्यन आगहे ‘प्ररलोग-खण्ड’ ममें
नमलहेगमा ।
स्वमातरी, जहेषमा, तरीनलोनं पपूविमार्य, आद्रमार्य एविनं अशहेषमा ममें चजसहे रर हलो,
उसककी ममृतगु हलोतरी हहै । रहेवितरी एविनं अनगुरमाधमा ममें हलो तलो रलोग ककी नस्थिरतमा
बनरी रहतरी हहै । भरररी, शविर, शतचभषमा और चचत्रमा ममें रलोग हलो तलो
ग्यमारह नदनलोनं तक, नविशमाखमा, हस एविनं धननषमा ममें रलोग हलोनहे पर पन्द्रह
नदनलोनं तक, मपूल, कमृनत्तकमा एविनं अचश्वनरी नक्षत्रलोनं ममें नज्यौ नदनलोनं तक, मघमा
नक्षत्र ममें बरीस नदनलोनं तक, उत्तरमा भमाद्रपद, उत्तरमा फमालगुनरी, पगुष,
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 57
पगुनविर्यसगु एविनं रलोनहररी नक्षत्रलोनं ममें समात नदनलोनं तक, ममृगचशरमा एविनं
उत्तरमाषमाढमा नक्षत्रलोनं ममें एक महरीनहे तक रर (रलोग) रहतमा हहै ।
नक्षत्रफल
आपकमा जन्म मघमा नक्षत्र कहे प्ररम चरर ममें हुआ हहै । मघमा नक्षत्र
धनरी, सममृर घर कहे मगुख दमार कहे सममान आकमृनत और नपतर दहेवितमा
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 58
विमालमा नक्षत्र हहै । पचशम ममें इसहे मगुकगुटवितम् ममानमा जमातमा हहै । विहैनदक
समानहत ममें मघमा शब्द कमा अरर्य धनवितरी हरी नकरमा गरमा हहै । इसममें
रमरमाज कमा जन्म समझमा जमातमा हहै । इन जमातकलोनं कमा अक्सर भरमा
हुआ शररीर वि भमाररी ठगु डरी हलोतरी हहै, पहेट ममें उभमार और गलोलमाई रहतरी हहै
। कलोधरी स्वभमावि रहनहे पर भरी इनममें सहनशरीलतमा रहतरी हहै ।
इनममें अपनरी बमात कलो अच्छहे तररीकहे सहे अचभवक करनहे ककी रलोग्यतमा
हलोतरी हहै । इनकमा तहेजस्वरी वनकत, धन सनंग्रह ककी आदत, नज्यौकर-
चमाकरलोनं कमा सगुख, भज्यौनतक सगुखलोनं कहे प्रनत आकषर्यर एविनं पररशमरी
स्वभमावि हलोतमा हहै । रहे अपनहे पररविमार कहे नमाम कलो सनंभमालनहे ककी
कलोचशश करतहे हमैं । इनममें ममातमा–नपतमा कहे गगुर और रूप ककी गहररी
झलक रहतरी हहै । समाममाचजक सर अच्छमा रहनहे सहे इनकहे नमत्र हरी शत्रगु
रहतहे हमैं । इनकलो नपतमा कमा सगुख कम रहतमा हहै ।
मघमा नक्षत्र ममें जन्महे जमातक भमाविनमाओनं ममें शरीघ्र नहरीनं बहतहे हमैं । इनकहे
पमास उत्तम चशक्षमा और जमान, अनस्थिर ममानचसकतमा विमालमा जरीविनसमाररी
और विहैभविशमालरी जरीविन रहतमा हहै । मघमा कहे आरम्भ कहे अनंशलोनं ममें
आपकमा जन्म हलोनहे सहे उतरतहे हुए गनंडमानंत कमा प्रभमावि स्वमास सम्बन्धिरी
नविसनंगनत उत्पन्न करहेगमा । आपममें आन्तिररक गविर्य, बमाहररी नविनम्रतमा तरमा
अग्रगण्य हलोनहे ककी महतमाकमानमा रहहेगरी ।
मघमा नक्षत्र ममें जन्महे जमातक कहे नमाक ककी नलोक पर लमाचलममा, नहेत्रलोनं ममें
गहरमाई एविनं भररी गदर्यन हलोतरी हहै । इनमें धन सम्पनत सरलतमा सहे प्रमाप्त
हलोतरी हहै तरमा नपतमा ककी सम्पनत रमा नविरमासत कमा सगुख रहतमा हहै ।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 59
उग्र सनंजक नक्षत्रफल – मघमा नक्षत्र ककी नगनतरी उग्र सनंजक नक्षत्रलोनं ममें
हलोतरी हहै । उग्र सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्म लहेनहे विमालहे ललोग तरीखरी शहैलरी ममें
बलोलनहे विमालहे, कटगु भमाषरी, नहनंसक एविनं आकमामक हलोतहे हमैं ।
अधलोमगुख सनंजक नक्षत्रफल – मघमा नक्षत्र ककी नगनतरी अधलोमगुख सनंजक
नक्षत्रलोनं ममें हलोतरी हहै । अधलोमगुख सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्म लहेनहे विमालहे ललोग
वनक, विसगु रमा नविषर कहे भरीतर घगुसकर रमाह पमानहे ककी ललक विमालहे,
कल्पनमा सहे दपूर (धरमातल ककी बमात करनहे विमालहे), जलोनतष शमास्त्र एविनं
गगुप्त नविद्यमाओनं ममें रूचच रखनहे विमालहे, शररीर कहे भरीतर ककी जमाराँच-परख ककी
रलोग्यतमा रखनहे विमालहे, भपूनमगत ननममार्यर-खननज-पगुरमातत-विन्य क्षहेत्र
आनद सहे सम्बन्धि रखनहे विमालहे और गलोतमाखलोररी-तहैरमाककी-जलज विसगुओनं
आनद ममें रझमान रखनहे विमालहे हलोतहे हमैं ।
रमाक्षसगर सनंजक नक्षत्रफल – मघमा नक्षत्र ककी गरनमा रमाक्षसगर-
सनंजक नक्षत्रलोनं ममें हलोतरी हहै । रमाक्षसगर ममें जन्महे ललोगलोनं ममें तमलोगगुर ककी
प्रधमानतमा रहतरी हहै । उनममें ललोभ, झपूठ, आलस, आनद अविगगुर हलोतहे
हमैं । विहे नज्यौकररी करनमा चमाहतहे हमैं । अचधक ममानचसक कमारर्य नहरीनं कर
पमातहे हमैं । दपूसरलोनं ककी प्रशनंसमा करकहे कमारर्य करमानहे ममें चतगुर हलोतहे हमैं ।
कगुल सनंजक नक्षत्रफल – मघमा नक्षत्र ककी गरनमा कगुलसनंजक नक्षत्रलोनं ममें
हलोतरी हहै। कगुल सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्म लहेनहे विमालहे ललोग जरीविन ममें बहुधमा
अपनहे कगुल-पररविमार कहे सर सहे ऊपर जमातहे हमैं। विहे अपनरी कगुल ककी
प्रनतषमा, समाख और सम्पनत्त कलो बढमानहे विमालहे और अग्रगण्य हलोतहे हमैं,
इनकहे कमारर कगुल ककी पहचमान बढतरी हहै । इनमें पहैतमृक-सम्पदमा और
पररविमार कमा लमाभ नमलतमा हहै ।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 60
जन्म नक्षत्र (मघमा) दशम भमावि ममें हहै, लहेनकन दशमहेश कहे परीनड़ित हलोनहे
सहे नक्षत्र और नक्षत्रपनत कहेतगु कहे नरीचमाचभलमाषरी हलोनहे एविनं गगुरचमानंडमाल
रलोग बनमानहे सहे रह नक्षत्र परीनड़ित हलो रहमा हहै ।
कमर्य नक्षत्र (मपूल) कहे नक्षत्रपनत भरी कहेतगु हरी हमैं, रह नक्षत्र नदतरीर
भमावि ममें नविद्यममान हहै जलो रत्न-स्वरमार्यनद सहे आजरीनविकमा कमा स्पष्ट सनंकहेत
कर रहमा हहै, नकन्तिगु रहमानं नदतरीरहेश कहे परीनड़ित हलोनहे सहे बमार बमार
वविधमान कमा समामनमा करनमा हलोगमा, परहेशमाननरमाराँ उठमानरी हलोनंगरी, वमापमार
कमा नविसमार धरीमरी गनत सहे हलोगमा और एक वमापक रूप लहेनहे ममें बहुत
लम्बमा समर लग जमारहेगमा । नवितमारमा चक ममें मपूल ककी नस्थिनत जन्म
नक्षत्रलोनं ममें हहै, इन सभरी कमाररलोनं सहे मपूल नक्षत्र आपकहे चलए शगुभ नहरीनं
हलोगमा । हमालमानंनक कहेतगु ककी दशमान्तिदर्यशमा कगुछ न कगुछ लमाभ जरर
करमाएगरी, उस कमाल ममें कमारर्य कमा नविसमार भरी हलोगमा ।
आधमान नक्षत्र (रहेवितरी) ग्रहरनहत हलोनहे सहे मध्यम शगुभ हहै । नवितमारमा
चक ममें रहेवितरी नक्षत्र ककी नस्थिनत अनतनमत्र नक्षत्रलोनं ममें हहै, रह भरी
शगुभतमा कमा सनंकहेत दहे रहमा हहै । इसकहे शगुभ प्रभमावि कहे कमारर जमातक
कलो जन्मस्थिमान सहे सगुदरपू क्षहेत्रलोनं ममें सफलतमा प्रमाप्त हलोगरी, भ्रमर एविनं
परदहेश सहे धनलमाभ हलोगमा । इस तरह रहेवितरी नक्षत्र आपकहे चलए शगुभ
हहै, बगुध ककी दशमान्तिदर्यशमा भरी अच्छच्छी चसर हलोगरी । रह नक्षत्र पनंचम
भमावि ममें नस्थित हहै, जहमाराँ शगुक उच्चस्थि हलोकर नस्थित हहै, जलो पगुत्ररी
सन्तिनत कमा स्पष्ट सनंकहेत दहे रहमा हहै । पनंचमहेश कहे विककी और परीनड़ित
हलोनहे कहे कमारर सन्तिमान प्रमानप्त नविलम्ब सहे हलोगरी ।
समामगुदमानरक नक्षत्र (उत्तरमा भमाद्रपद) ममें उच्चगत शगुक हलोनमा कगुण्डलरी
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 61
॥ इनत वविहमारखण्डतः॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 62
॥ अर प्ररलोगखण्डतः॥
ग्रन्थकमारकमृतमङ्गलमाचररमम्
ब्रहमानंशनं रजनरीश्वरनं हररहरमात्ममाननं धरमापमाश्वर्यगमम्,
आत्रहेरनं तरधमान्यगगुल्मविननतमानविप्रहेश्वरनं खहेचरमम्।
शगुकनं शम्भगुजटमालरमाचशततनगुममृक्षमाचधपनं कमामदमम्,
आचक्षहे च पगुनतः प्रपपूज शचशननं नक्षत्रममाहहेश्वररीमम्॥
ब्रहदहेवि कहे अनंश सहे उदपूत, नविष्णगु (दत्त) एविनं चशवि (दगुविमार्यसमा) सहे रगुक, पमृथरी
ककी पररकममा करनहे विमालहे, अनत्रपगुत्र, विमृक्ष, अन्न, विनस्पनत, लतमा एविनं ब्रमाहरलोनं
कहे स्वमामरी, आकमाशगमामरी, शगुकविरर्य ककी प्रभमा सहे रगुक, चशवि जरी ककी जटमाओनं
ममें ननविमास करनहे विमालहे, सभरी कमामनमाओनं ककी पपूनतर्य कनंरनहे विमालहे नक्षत्रपनत
चन्द्रममा कमा पपूजन करकहे ममैं नक्षत्रममाहहेश्वररी कमा पगुनतः उपदहेश करतमा हूराँ ।
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 63
नक्षत्रव्रतविरर्यनमम्
अरमाततः सम्प्रविकमानम नक्षत्रमाखनं महमाव्रतमम् ।
रहेन तगुष्टलो जगन्नमारलो नक्षत्रपगुरषलो हररतः ॥०१॥
चहैत्रममासहे महमानविष्णगुनं रजहेच्चहैवि सगुबगुनरममानम् ।
कमालचकप्ररहेतमारनं हररनं नक्षत्ररूनपरमम् ॥०२॥
अब ममैं नक्षत्र महमाव्रत कमा नविधमान कहतमा हूराँ, चजससहे नविश्व कहे स्वमामरी
नक्षत्रपगुरष नविष्णगु सन्तिगुष्ट हलोतहे हमैं। बगुनरममानम् वनक चहैत्रममास ममें
कमालचक कहे सञ्चमालक नक्षत्ररूपरी पमापमापहमाररी महमानविष्णगु ककी आरमाधनमा
करमें।
मपूल नक्षत्रसमपूह कलो भगविमानम् कहे चरर समझकर न्यमास करहे तरमा
जनंघमाओनं ककी रलोनहररी नक्षत्रसमपूह ममें पपूजमा करहे। अचश्वनरी नक्षत्रलोनं कलो
जमानगुभमाग ममें एविनं आषमाढमा ममें उरभमाग ककी कल्पनमा करहे। पपूविमार्य एविनं
उत्तरमाफमालगुनरी नक्षत्रलोनं ममें जननमानंग कमा न्यमास करहे तरमा कमृनत्तकमा
नक्षत्रसमपूह ककी कनटभमाग ममें पपूजमा करहे। दलोनलोनं भमाद्रपदमा नक्षत्रसमपूह कलो
पमाश्वर्यभमाग ममें तरमा उदर ममें रहेवितरी कमा न्यमास करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 64
सनलोनं कलो अनगुरमाधमा नक्षत्र ममें कनल्पत करहे तरमा धननषमा नक्षत्रसमपूह कलो
पमृषभमाग ममें स्थिमान दहे। नविशमाखमा ममें दलोनलोनं भगुजमा एविनं पगुनविर्यसगु ममें
उनंगचलरलोनं ककी आरमाधनमा करहे। अशहेषमा ममें नखभमाग कमा पपूजन करकहे,
कण कमा जहेषमा नक्षत्रसमपूह ममें पपूजन करहे। शविरमा नक्षत्रसमपूहलोनं ममें
दलोनलोनं कमान कमा पपूजन करकहे पगुष नक्षत्र कमा भगविमानम् कहे हमासरगुक
चहेहरहे ममें पपूजन करहे ।
दन्तिभमाग ममें स्वमानत नक्षत्रसमपूह, मगुख ममें मध्य ममें शतचभषमा एविनं
नक्षत्रपगुरष ककी नमाचसकमा कमा मघमा नक्षत्रसमपूह ममें ध्यमान करहे। शहेष
उपमासक नहेत्रलोनं कमा ममृगचशरमा ममें, ललमाटभमाग ममें चचत्रमा कमा एविनं मसक
कमा न्यमास भरररी नक्षत्रसमपूह ममें करहे।
कहेशहेषगु च न्यसहेदमाद्रमार्यमहेविममृक्षजनमादर्यनतः ।
उपलोनषतलो व्रतरी भपूतमा समानमभङ्गपपूविर्यकमम् ॥०९॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 65
आद्रमार्य कमा न्यमास कहेशभमाग ममें करहे, इस प्रकमार सहे नक्षत्ररूपरी नमारमारर
कमा स्वरूप बनतमा हहै। व्रतरी उपविमास करकहे तहेल-उबटन आनद कहे दमारमा
शररीर कलो ननमर्यल करकहे समान करहे एविनं समगुद्र सहे उत्पन्न नक्षत्रलोनं कहे
स्वमामरी चन्द्रममा कलो प्ररमाम करतहे हुए उनकमा (अपनरी अचधकमार-मरमार्यदमा
कमा नविचमार करतहे हुए) विहैनदक अरविमा लज्यौनकक मनलोनं सहे पपूजन करहे।
अपनहे जन्मनक्षत्र कहे नदन ब्रमाहरलोनं कमा नविचधवितम् सत्कमार करकहे उनमें
मधगुर भलोजन करमाएनं। शनक कहे अनगुसमार नक्षत्रविहेत्तमा ब्रमाहरलोनं कलो दमान
आनद भरी दमें।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 66
सनंरगुक रूप सहे इन्द्र एविनं अनग्न, नमत्र, इन्द्र, रमाक्षस, जल, नविश्वहेदहेवि, ब्रहमा
(अचभचजतम् नक्षत्र हहेतगु), नविष्णगु, विसगु, विरर, अजपमाद, अनहबगुर्यध एविनं
पपूषमा, रहे कम सहे नक्षत्रलोनं कहे अचधपनत हलोतहे हमैं, ऐसमा मनरीनषरलोनं कलो
जमाननमा चमानहए।
चजस नक्षत्र कमा जलो दहेवितमा हहै, उसकमा पपूजन उस नक्षत्र कहे नदन हरी
करनमा चमानहए। इस प्रकमार सहे नविधमानपपूविर्यक आचरर करतहे हुए इस
उत्तम व्रत कलो करहे। नकसरी प्रकमार कमा नविघ्न आनहे पर, अरविमा सपूतकमानद
सहे अशगुनर वमाप्त हलोनहे पर उस नक्षत्र कहे नदन ममात्र उपविमास एविनं मज्यौन
धमारर करहे तरमा अगलरी बमार उस नक्षत्र कहे आगमन पर पपूजन करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 67
इस प्रकमार सहे ममाघ ममास कहे आरम्भ हलोनहे पर (अरविमा ममाघ ममास कहे
सममापन पर हरी) व्रत कमा उद्यमापन करहे। व्रत कहे सममाप्त हलोनहे पर
नक्षत्रपगुरष ककी स्वरर्यमररी प्रनतममा बनमाकर प्रमारर्शी समाधक उसकमा पपूजन
करहे एविनं जरीविनलोपरलोगरी उपकररलोनं कहे समार भनकपपूविर्यक दमान करहे। शहेष
ब्रमाहर कलो सपत्नरीक बगुलमाकर विस्त्र, अलनंकमार, आभपूषर आनद कहे दमारमा
उनकमा सममान करकहे पलनंग पर बहैठमाकर चन्दन-पगुष्पममालमा आनद कहे
दमारमा, समार हरी सप्तधमान्य, अच्छच्छी प्रकमार सगुसनज्जत दगुधमारू सवित्समा गज्यौ
एविनं छमातमा तरमा चररपमादगुकमा कहे समार घमृतपमात्र कलो समामनहे रखकर,
पगुनतः ननम्न मन सहे प्रमारर्यनमा करहे -
"चजस प्रकमार सहे नविष्णगुभकलोनं कलो कभरी पमापजन्य कष्ट नहरीनं हलोतमा हहै,
उसरी प्रकमार मगुझहे भरी रहमानं सगुन्दर शररीर, स्वमास, सगुख, सम्पनत्त आनद
ककी प्रमानप्त हलो। हहे नविष्णलो ! चजस प्रकमार आपककी शयमा कभरी लक्ष्मरी सहे
शपून्य नहरीनं हलोतरी, उसरी प्रकमार महेररी शयमा भरी महेररी पत्नरी कहे समाननध्य सहे
पपूरर्य रहहे तरमा महेरमा दमाम्पत अनहेकलोनं जन्मलोनं तक अनविनच्छन्न रहहे।" ऐसरी
प्रमारर्यनमा करकहे अपरमाधलोनं कहे चलए क्षममाप्रमारर्यनमा करतहे हुए समस
समामनग्ररलोनं कलो समनपर्यत करकहे दमान कर दहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 68
अचधक दमान करनहे कमा समामथर्य न हलो तलो घमृतपमात्र एविनं गज्यौ कमा दमान
करहे। रह सभरी कमामनमाओनं कलो पपूरर्य करनहे विमालमा नक्षत्रपगुरष - व्रत हहै।
इसकहे प्रभमावि सहे शररीर कलमारप्रद कमारर्षों कलो चसर करनहे ममें समरर्य ,
उत्तम आरलोग्य सहे रगुक हलो जमातमा हहै। इसकहे प्रभमावि सहे सन्तिमान,
ममानचसक प्रसन्नतमा, सगुन्दर रूप, विमाररी ममें मधगुरतमा, वनकत ममें
तहेजनस्वतमा अरविमा और भरी जलो कगुछ इनच्छत विसगु हलो, उसहे इस व्रत सहे
पपूचजत हलोनहे विमालहे नक्षत्रपगुरष जनमादर्यन प्रदमान करतहे हमैं।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 69
नक्षत्रपगुरषमाङ्गमाचर्यनमनमातः
पपूविरकस महक्षर्यस पगुरषस समचर्यनहे ।
महमानविष्णलोश रहे मनमातः प्ररलोकवमाश तमाञ्छिमृरगु ॥०१॥
ईश्वरहेर पगुरमा प्रलोकनं नमारदमार महमात्मनहे ।
नविशहेषततः कलज्यौ घलोरहे नक्षत्रव्रतधमारररहे ॥०२॥
पपूविर्य ममें कहहे गए महमानम् नक्षत्रपगुरष कहे पपूजन ममें महमानविष्णगु कहे जलो मन
प्ररगुक नकरहे जमानहे चमानहए, उनमें सगुनलो। पपूविर्यकमाल ममें इसहे ईश्वर (चशवि) नहे
महमात्ममा नमारद कहे चलरहे कहमा रमा। नविशहेषकर घलोर कचलरगुग ममें नक्षत्र-
व्रत कलो करनहे विमालहे कहे चलए रहे मन कहहे गरहे हमैं।
नविश्वधरमार नमतः इस मन सहे मपूल नक्षत्र ममें चररलोनं ककी पपूजमा करहे।
गगुल एविनं जनंघमा ममें अनन्तिमार नमतः मन सहे करहे। नविष्णगु कहे जमानगुभमाग
कहे पपूजन ममें नमसहे विरदमार मन कमा प्ररलोग करहे एविनं आषमाढमा नक्षत्रलोनं ममें
उरभमाग कमा पपूजन नमतः चशविमार मन सहे करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 70
इसकहे अनन्तिर पञ्चशरमार नमतः मन सहे गगुह्यभमाग कमा पपूजन करहे जहमानं
फमालगुनरीनक्षत्र समपूह ममें पपूविमार्य एविनं उत्तरमासनंजक नक्षत्र हमैं। शमाङ्गर्यधरमार
नमतः मन कलो बलोलकर ररमारलोग्य समामनग्ररलोनं कहे दमारमा दहेवितमा कहे
कनटभमाग कमा पपूजन करहे एविनं नमलोऽसगु तहे कहेचशननषपूदनमार मन सहे
पमाश्वर्यभमागलोनं कमा पपूजन करहे।
रहेवितरी नक्षत्र ममें दलोनलोनं कगुचक्षरलोनं कमा पपूजन दमामलोदरमार नमतः एविनं विक्षभमाग
कमा पपूजन ममाधविमार नमतः बलोलकर करहे। इसकहे बमाद पनवित्रतमा सहे रगुक
समाधक एकमाग्रचचत्त हलोकर भगवितहेऽघज्यौघनविरनंसकतमृर्यरहे नमतः मन सहे
नक्षत्रपगुरष ककी परीठ कमा पपूजन करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 71
प्रकमाश सहे रगुक नक्षत्रदहेवि ककी भगुजमाओनं कहे पपूजन कमा आचमार
शरीशङ्खचकमाचसगदमाधरमार नमलोऽसगु तहे मन पढकर सम्पमानदत करहे।
पनवित्र व्रत कलो करनहे विमालमा वनक नमलो मधगुसपूदनमार मन सहे तरमा
नमसहे कहैटभमाररहे मन सहे हमार कमा पपूजन करहे। समाम्नमामधरीशमार नमतः
ऐसमा बलोलकर अनंगगुचलरलोनं ककी पपूजमा करहे एविनं मतमार महतहे नमतः रह
नखपपूजन कमा मन हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 72
नमलो नमतः कमाररविमामनमार मन सहे दमानंतलोनं ककी पपूजमा करनरी चमानहए एविनं
नमलोऽसगु तहे भमागर्यविनन्दनमार मन सहे शतचभषमा नक्षत्र ममें मगुखमध्य ककी
पपूजमा करनरी चमानहए।
इसककी नमाचसकमा ककी नविचधवितम् पपूजमा नमलोऽसगु रमाममार मन सहे हलोतरी हहै
एविनं नमलो नविघपूचरर्यतमाक्षमार बलमार मन पढकर नहेत्रलोनं कमा पपूजन करनमा
चमानहए।
नमलो बगुरमार शमान्तिमार मनगुनमा भमालपपूजनमम् ।
मगुरमाररहे नमसहेऽसपूत्तममाङ्गञ्चहैवि पपूजरहेतम् ॥१७॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 73
रनद ब्रमाहर, क्षनत्रर एविनं विहैश्य पगुरष उपविरीतरी हलोनं तलो मन सहे पहलहे
ॐ लगमाकर पपूजन करमें। स्त्ररी, शपूद्र, व्रमात और जलो अन्य विरर्यसनंकर
आनद हमैं, विहे ॐकमार कहे नबनमा हरी मन पढमें कलोनंनक उनकहे चलए विहेदमनलोनं
कमा नविधमान नहरीनं हहै।
॥इनत नदतरीरतः पटलतः॥
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 74
नक्षत्रजन्मफलमम्
नक्षत्रफलममाचक्षहे जमातकमानमानं नहतहेच्छरमा ।
पपूविमार्यचमारमार्यन्नमस्कमृत लक्षरञ्च शगुभमाशगुभमम् ॥०१॥
अब ममैं पपूविमार्यचमारर्षों कलो प्ररमाम करतहे हुए जमातकलोनं कहे नहत कहे चलए
नक्षत्रलोनं कहे शगुभमाशगुभ लक्षर एविनं फल कमा विरर्यन करतमा हूराँ।
अचश्वनरी नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक स्वस्थि, रूपविमानम्, धनरी,
जमानविमानम्, सभरी ललोगलोनं कमा नप्रर एविनं रशस्वरी हलोतमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 75
रलोनहररी नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे सहे जमातक दगुबलहे शररीर विमालमा, नप्रर विचन
बलोलनहे विमालमा, ननन्दमा चगुगलरी करनहे विमालमा, समाममाचजक वविहमार ममें
कगुशल, जमानरी एविनं भलोगसम्पन्न हलोतमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 76
पगुनविर्यसगु नक्षत्र कमा जमातक प्रचसर, प्रविमासरी, धनरी, वसनरी, कमामरी एविनं
स्वहेच्छमाचमाररी वविहमार करनहे विमालमा हलोतमा हहै।
पगुष नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे पर जमातक दहेवितमाओनं कमा भक, नविदमानम्,
धनविमानम्, भरहे पपूरहे पररविमार विमालमा, कतर्यवननष, धनरी एविनं सदगुरलोनं सहे रगुक
हलोतमा हहै।
अशहेषमा नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे पर जमातक अभक विसगुओनं कमा भलोजन
करनहे विमालमा, बलसम्पन्न, हमास पररहमास ममें रचच रखनहे विमालमा, मन्दबगुनर,
दगुरमाचमाररी, हठ करनहे विमालमा, कलोधरी एविनं ठग हलोतमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 77
मघमा नक्षत्रसमपूह ममें जन्म लहेनहे विमालमा जमातक उद्यमरी, कगुनटल, समाहसरी,
धमानमर्यक, कमामगुक, धनरी, अहनंकमाररी एविनं आनसक हलोतमा हहै। फमालगुनरी-
सनंजक नक्षत्रलोनं ममें जन्म लहेनहे विमालमा जमातक (पपूविमार्यफमालगुनरी ममें) मधगुर
विचन बलोलनहे विमालमा, प्रनतषमा कलो प्रमाप्त करनहे विमालमा, सगुखरी, जमानरी, दमानरी,
दपूरदशर्शी एविनं नविविहेकसम्पन्न हलोतमा हहै। (उत्तरमाफमालगुनरी नक्षत्र ममें) सनंगरीत
ममें रचच रखनहे विमालमा, भलोगरी नकन्तिगु कभरी कभरी रलोगममागर्य कमा अनगुगमामरी
भरी हलोतमा हहै। समार हरी विह रशस्वरी एविनं सतविमादरी भरी हलोतमा हहै, इसममें
सनंशर नहरीनं हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 78
हससनंजक नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे विमालमा जमातक चलोर, कपूर, ननलर्यज्ज और
असत बलोलनहे विमालमा हलोतमा हहै। रनद (जन्मकगुण्डलरी ममें) शगुभ रलोग सहे
रगुक हलो तलो नविदमानम् एविनं परमाकमरी हलोतमा हहै। चचत्रमा नक्षत्रसमपूह ममें जन्म
लहेनहे पर जमातक कमृपर, स्वस्थि, परस्त्ररीगमामरी, धन एविनं पगुत्र सहे रगुक,
सज्यौम तरमा आभपूषरलोनं कहे प्रनत आसनक कलो प्रमाप्त करतमा हहै। स्वमातरी
नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे विमालमा बमालक दमानरी, धनरी, धमानमर्यक, परलोपकमाररी,
पदमाचधकमाररी, अपनहे कमारर्य ममें कगुशल एविनं ब्रमाहर दहेवितमा-ममातमा-नपतमा
आनद कमा भक बनतमा हहै। नविशमाखमा ममें जन्म लहेनहे विमालमा बमालक
शत्रगुओनं पर नविजर प्रमाप्त करनहे विमालमा, कलोधरी, अहनंकमाररी, रमाजसहेविक,
ईषमार्यलगु, आनसक, कमृपर एविनं नविषमादग्रस बनतमा हहै।
सज्यौन्दरर्यममाधगुरर्यविचलो रशसरमा
नविदहेशविमासनं गगुरनपतमृसहेविनमम् ।
कतर्यवननषमानं द्रनविरनं रनतसमृनतनं
तरमानगुरमाधमा प्रददमानत जमातकमम् ॥१८॥
अनगुरमाधमा अपनहे कमालमानंश ममें जन्म लहेनहे विमालहे जमातक कलो सगुन्दरतमा, मधगुर
विमाररी, रश, नविदहेशविमास, गगुर एविनं ममातमा-नपतमा ककी सहेविमा कमा भमावि,
कतर्यवननषमा, धन एविनं कमामगुकतमा प्रदमान करतरी हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 79
रनद शविर नक्षत्र ममें नकसरी बमालक कमा जन्म हुआ हलो तलो विह उच्च
पदमाचधकमाररी, धममार्यत्ममा, उदमार एविनं गरीतविमाद्यमानद लचलत कलमाओनं कमा
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 80
प्रहेमरी हलोतरी हहै। धननषमा ममें जन्म लहेनहे पर वनक परमाकमरी, धहैरर्यविमानम्,
सनंगरीत कमा प्रहेमरी, ननभर्यर और सगुखरी हलोकर रशस्वरी हलोतमा हहै।
विरर कहे शगुभ नक्षत्र (शतचभषमा) ममें जन्म लहेनहे पर जमातक रमाजमा कमा
नप्रर, जज्यौनतषरी, नविविहेककी, सगुरलोग्य, भज्यौनतक विसगुओनं कमा अल्प उपभलोग
करनहे विमालमा एविनं सतविमादरी हलोतमा हहै।
सञ्जमातहे भमाद्रपदरलोरर्यत्फलन्तिददमामहमम् ।
पपूविमार्यरमानं दगुतःखसनस उदमासतः कमामगुकसरमा ॥२६॥
कमृपरश धनरी गविर्शी नमानसकलो धपूतर्यममानसतः ।
उत्तरमारमानं समगुत्पन्नसमानकर्यकलो रशसमाचन्विततः ॥२७॥
नविद्यमानं धननं विमाक्पटगु तनं लभतहे भमाग्यमदतगु मम् ।
रहेवितरीसगु सगुविमागरीशतः समाहसरी बगुनरसम्बलरी ॥२८॥
धनरी सन्तिनतसम्पन्नतः कमामगुकलो ननगर्यदसरमा ।
नक्षत्रलक्षरजमाननं जलोनतशशमास्त्रहेषगु ककीनतर्यतमम् ॥२९॥
समनगचचन दहैविजलो जमातकमानमानं शगुभमाशगुभमम् ।
ततलो विदहेदनविषञ्च दहैविस गहनमा गनततः ॥३०॥
भमाद्रपद नक्षत्रलोनं ममें जन्म लहेनहे पर जलो फल हलोतमा हहै, अब ममैं उसहे कहतमा
हूराँ। पपूविमार्यभमाद्रपद ममें जन्म लहेनहे पर दगुतःख सहे परीनड़ित, उदमास, कमामगुक,
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 81
कमृपर, धनरी, अहनंकमाररी, नमानसक एविनं धपूतर्य हलोतमा हहै। उत्तरमाभमाद्रपद ममें
जन्म लहेनहे पर जमातक तमानकर्यक एविनं रशस्वरी हलोतमा हहै। विह नविद्यमा, धन,
विमाचमालतमा एविनं अदगुत भमाग्य कलो प्रमाप्त करतमा हहै। रहेवितरी नक्षत्रसमपूह ममें
जन्म लहेनहे विमालमा जमातक सगुन्दर विमाररी कमा स्वमामरी, समाहसरी एविनं बगुनरबल
सहे कमारर्य करनहे विमालमा हलोतमा हहै। विह धन एविनं सन्तिमान सहे रगुक, कमामरी
एविनं ननरलोग हलोतमा हहै। इस प्रकमार सहे जज्यौनतषरीर शमास्त्रग्रन्थलोनं ममें नक्षत्रलोनं
कहे लक्षर कमा विरर्यन नकरमा गरमा हहै। इनकहे आधमार पर जमातकलोनं कहे
शगुभमाशगुभ कमा अच्छच्छी प्रकमार नविचमार करकहे हरी दहैविज कलो भनविष कमा
करन करनमा चमानहए, कलोनंनक दहैवि ककी गनत बड़िरी गहररी हहै।
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 82
रमाचशस्वरूपविरर्यनमम्
अरमाततः सम्प्रविकमानम रमाशरीनमानं प्रभगुविरर्यनमम् ।
भज्यौमतः शगुकलो बगुधशन्द्रलो भमानगुसमारमासगुतनस्सततः ॥०१॥
कगुजलो जरीविश सज्यौररश शननरमानङ्गरससरमा ।
महेषमादरीनमानं कमहेरलोकमा ह्यहेतहे रमाशरीश्वरमा ग्रहमातः ॥०२॥
अब ममैं रमाचशरलोनं कहे स्वमानमरलोनं कमा विरर्यन कर रहमा हूराँ। मङ्गल, शगुक, बगुध,
चन्द्रममा, सपूरर्य, बगुध, शगुक, मङ्गल, गगुर, शनन, शनन एविनं गगुर, रहे कम सहे
महेष आनद रमाचशरलोनं कहे स्वमामरी ग्रह हलोतहे हमैं।
महेष रमाचश ककी आकमृनत महेष कहे सरीनंग कहे सममान हहै। विमृष रमाचश बहैल कहे
मगुख कहे सममान हहै। नमरगुन रमाचश आपस ममें आचलनं गन नकरहे हुए दम्पनत
कहे सममान नदखमाई पड़ितरी हहै। ककर्य कलो कहेकड़िहे कहे सममान बतमारमा गरमा
हहै एविनं चसनंह रमाचश चसनंह ककी पपूराँछ कहे सममान हहै। कन्यमा रमाचश अन्न धमारर
ककी हुई कन्यमा कहे सममान एविनं तगुलमा रमाचश तरमाजपू पकड़िहे हुए पगुरष कहे
सममान हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 83
विमृचशक रमाचश नबच्छपू कहे आकमार ककी हहै और धनगु रमाचश कमर सहे नरीचहे कहे
भमाग ममें घलोड़िहे कहे सममान एविनं ऊपररी भमाग ममें धनगुधर्यर कहे सममान
नविचचत्रतमा सहे रगुक हहै।
मकर रमाचश कमा आकमार मगरमच्छ कहे सममान हहै नकन्तिगु विह मगुखभमाग ममें
नहरर कहे सममान प्रतरीत हलोतरी हहै। कगुम्भ रमाचश ककी आकमृनत हमार ममें घड़िहे
सहे जल नगरमातहे हुए पगुरष कहे सममान हहै। मछचलरलोनं कमा जलोड़िमा मरीन
रमाचश कमा सपूचक हहै। इस प्रकमार सहे रमाचशरलोनं ककी आकमृनत बतमाई गई
चजसहे दहेश एविनं कमाल कहे भहेद सहे आकमाश ममें दहेखमा जमा सकतमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 84
महेष, चसनंह एविनं धनगु रमाचश कलो अनग्नतत सहे रगुक जमाननमा चमानहए। विमृष,
कन्यमा एविनं मकर रमाचश पमृथरीतत विमालहे हमैं। आकमाशतत कहे सम्बन्धि सहे
नमरगुन, तगुलमा एविनं कगुम्भ रमाचशरलोनं कलो जमाननमा चमानहए। ककर्य, विमृचशक
एविनं मरीन जलतत विमालरी रमाचशरमानं बतमाररी गररी हमैं।
सविमा दलो नक्षत्र कहे नमशर सहे एक रमाचश कमा ननममार्यर हलोतमा हहै। (एक
नक्षत्र ममें चमार चरर हलोतहे हमैं, नज्यौ नक्षत्र चररलोनं ककी एक रमाचश हलोतरी हहै)
दमादशरमाचशचक ममें चसनंह सहे आगहे ककी छतः रमाचशरलोनं कहे स्वमामरी सपूरर्य एविनं
मकर सहे आगहे ककी रमाचशरलोनं कहे स्वमामरी चन्द्रममा हलोतहे हमैं।
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 85
रमाचशरननविधमानमम्
सङहेपहेर प्रविकमानम नविधमाननं नमानतनविसरमम् ।
रललोकहे दगुलर्यभनं शमास्त्रनं रमाशरीषचन्वितनविग्रहमम् ॥०१॥
जलो रमाचशरलोनं कहे पपूजमानविधमान सहे रगुक नकन्तिगु सनंसमार ममें दगुलर्यभ शमास्त्रलोनं ममें
विचरर्यत हहै, उस नविधमान कलो ममैं नविसमार ममें नहरीनं, अनपतगु सनंक्षहेप ममें हरी
बतमा रहमा हूराँ।
महेष, विमृष, नमरगुन एविनं ककर्य रमाचश ककी पपूजमा विमारगुगमृह ममें करहे। चसनंह,
कन्यमा, तगुलमा एविनं विमृचशक रमाचशरमानं भपूगमृह ममें मनण्डत रहतरी हमैं।
धनगु, मकर एविनं मरीन रमाचशरमानं, जलो कगुम्भ सहे रगुक हलोतरी हमैं, उनकहे रन
नविधमान कलो पमाचरर्यविरगुग कहतहे हमैं।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 86
धनगु, मरीन, कन्यमा एविनं उसकहे बमाद नमरगुन, इन नदस्वभमावि विमालहे सबलोनं
ककी परीलहे रनंग कहे रन ममें पपूजमा करहे।
तगुलमा, मकर, महेष एविनं चन्द्रममा कहे गमृह ककर्य, इन चरसनंजकलोनं ककी पपूजमा
लमाल रनंग विमालहे रन ममें करहे।
विमृचशक, कगुम्भ, विमृष एविनं चसनंह नस्थिरसनंजक हमैं। इन सबलोनं कमा श्वहेतविरर्य कहे
रन ममें पपूजन करहे।
अब विमारगु कमा जलो महमानम् गमृह हहै, ममैं उसहे कहतमा हूराँ। पहलहे नरीचहे रहेखमा
खरीनंचकर उस रहेखमा कलो नत्रकलोर बनमा दहे। इस नत्रकलोर ककी दमानहनरी
रहेखमा नविष्णगु कलो नप्रर हलोतरी हहै। बमाररीनं रहेखमा कहे अचधपनत ब्रहमा हमैं एविनं
नरीचहे कहे रहेखमा चशवि ककी हलोतरी हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 87
इस प्रकमार सहे नत्रकलोर बनमाकर उसकहे बमाद व्रत कलो करनहे विमालमा वनक
नत्रकलोर कहे चमारलोनं ओर विमृत्त बनमारहे। इस प्रकमार सहे विमृत्त कहे अन्दर बनहे
नत्रकलोर कलो विमारगुगमृह कहमा गरमा हहै।
ममैं भपूगमृह कलो कहतमा हूराँ जलो चसनंह सहे आगहे ककी चमार रमाचशरलोनं कहे पपूजन ममें
प्ररगुक हहै। चजस रमाचश ककी पपूजमा करनरी हलो उसकहे रनंग कहे अनगुसमार
षटलोर बनमाकर उसहे विगर्य सहे बमानंध दहे । इस प्रकमार विगर्य कहे अन्दर बनमा
हुआ षटलोर ललोगलोनं कलो सभरी चसनररमानं दहेतमा हहै। धनगु सहे आगहे ककी
रमाचशरलोनं कहे पपूजन कमा जलो नविधमान हहै, अब उसहे ममैं कहतमा हूराँ।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 88
रमाचश, रमाचश कहे स्वमामरी, उस रमाचश ममें जलो जलो नक्षत्र हमैं, उनकहे स्वमामरी
तरमा आकमाशरीर नपण्डलोनं ककी जहमानं नस्थिनत हहै उस नविष्णगुपगुत्र चशशगुममार
चक ककी पपूविरक रनलोनं ममें नविचधपपूविर्यक पपूजमा करकहे वनक रमाचशदलोष सहे
मगुक हलो जमातमा हहै। ग्रह नक्षत्रलोनं कहे प्रभमावि सहे सनंसमार ममें कमा दगुलर्यभ हहै ?
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 89
व्रतमानगुशमासनञ्चमाचश्वनरीनक्षत्रव्रतविरर्यनमम्
शमास्त्रप्रलोकमान्यममानत्र व्रनतनलो धमर्यविमृररहे ।
मगुननचभरपनदष्टमाराँसमान्सम्प्रविकमानम सपूत्रततः ॥०१॥
व्रतनं तपतः प्रविकन्तिहे कतमृर्यसन्तिमापहहेतगुनमा ।
गलोननग्रहहेर ननरमलो कथतहे मगुननचभतः पगुरमा ॥०२॥
शमास्त्र ममें व्रतरी कहे धमर्य ककी विमृनर चलए जलो ननरम बतमाए गए हमैं, और
जलो मगुननरलोनं कहे दमारमा उपनदष्ट हमैं, उनमें ममैं रहमाराँ सपूत्ररूप सहे कहूनंगमा। व्रत
कलो तप भरी कहतहे हमैं कलोनंनक विह कतमार्य कलो तपमातमा हहै। (उसरी तमाप सहे
अशगुभविमृनत्तरमानं भस हलोतरी हमैं) इचन्द्ररलोनं कमा ननग्रह करनहे सहे पपूविर्यकमाल ममें
मगुननरलोनं नहे इसहे ननरम कहमा हहै।
अनग्नहलोनत्ररलोनं कहे चलए अनग्न हरी कलमारकतमार्य बतमाए गए हमैं जलो व्रत एविनं
उपविमास कहे ननरमलोनं कहे कमारर सम्पन्नतमा एविनं मगुनक कलो प्रदमान करतहे
हमैं। दहेवितमा कहे ननकट रहनहे कमा कमर्य जब सनंरम सहे रगुक हलो जमातमा हहै
एविनं जब पमापलोनं कमा शमन हलोतमा हहै तलो उसहे उपविमास कहतहे हमैं।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 90
शमाक, ममानंस, दपूसरहे कहे घर कमा अन्न, मसपूर, चनमा, मधगु, महैरगुन एविनं ईषमार्य
कमा भमावि, इन सबलोनं कलो व्रत करनहे विमालमा प्ररत्नपपूविर्यक छलोड़ि दहे। रश ककी
कमामनमा विमालमा वनक (व्रत कहे नदन) कमानंसपमात्र ममें भलोजन न करहे,
उत्तहेजक पगुष्प एविनं गन्धि कमा सहेविन तरमा दतगुविन सहे दमानंत समाफ न करहे।
पञ्चगव सहे कगुलमा करकहे मगुखशगुनर करहे (रह नकरमा शपूद्रलोनं कहे चलरहे
विचजर्यत हहै)। पमान खमानहे सहे एविनं बमारम्बमार जल परीनहे सहे व्रत क्षरीर हलो
जमातमा हहै। महैरगुन करनहे एविनं नदन ममें शरन करनहे सहे व्रत खनण्डत हलो
जमातमा हहै। सभरी ललोगलोनं कहे चलए उपविमास ममें धमर्य (धमृनत, क्षममा, दममानद)
दस प्रकमार कमा बतमारमा गरमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 91
अचश्वनरीभसमगुत्पन्नमारमाचश्वनरीव्रतनमषतहे ।
सविर्यरलोगहरज्यौ दहेविज्यौ दसनमासतसनंजकज्यौ ॥१०॥
अचश्वनरी नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे विमालहे कहे चलए अचश्वनरीव्रत कहमा गरमा हहै।
नमासत एविनं दस नमाम विमालहे दलोनलोनं दहेवितमा सभरी रलोगलोनं कमा हरर करनहे
विमालहे हमैं।
प्रमाततःकमालहे सररत्कपूलहेऽरविमा शङ्करमचन्दरहे ।
जन्मक्षर्यनदविसहे विमानप नदतरीरमारमानं नरलोत्तमतः ॥११॥
सनंजरमा सनहतनं सपूरर्यमश्वरूपसमचन्वितमम् ।
अचश्वनज्यौ रमलज्यौ तत्र पपूजरहेतम् नस्थिरममानसतः ॥१२॥
शहेष वनक प्रमाततःकमाल ममें नदरी कहे तट पर जमाकर अरविमा चशविमचन्दर ममें
जन्म नक्षत्र (अचश्वनरी) कहे नदन अरविमा नदतरीरमा नतचर कलो अश्व कमा रूप
धमारर नकरहे हुए सपूरर्यदहेवि कमा सनंजमा दहेविरी सहे रगुक स्वरूप ममें तरमा उनसहे
उत्पन्न अचश्वनरीकगुममारलोनं कमा एकमाग्र मन सहे पपूजन करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 92
सगुन्दर रूप, अनगुपम तहेजनस्वतमा, सभरी ततलोनं कहे रलोगहरर कमा समामथर्य,
सलोमपमान कमा अचधकमार रहे सब पपूविर्यकमाल ममें ब्रहमा जरी नहे नदतरीरमा नतचर
ममें अचश्वनरीकगुममारलोनं कलो नदरमा रमा इसरीचलए उनकहे चलए नदतरीरमा नतचर
उत्तम हहै।
पगुष्पमाहमाररी परलोभलोजरी सतविमाकलो दढव्रततः ।
भपूतमा जपहेदचश्वनज्यौ रस्स सविर्यफलभमाग्भविहेतम् ॥१५॥
जलो व्रतरी (सहजन, कगुषमाण्ड आनद कहे) पगुष्प कमा भक्षर करकहे अरविमा
दपूध परीकर, सत विचन बलोलतहे हुए एविनं व्रत ममें दढ रहकर अचश्वनरी
कगुममारलोनं कहे मन कमा जप करतमा हहै, विह सभरी शगुभफललोनं कलो प्रमाप्त करतमा
हहै।
अचश्वभमानं नम इतहैवि मनतः शमास्त्रहे प्रककीनतर्यततः ।
पगुष्पमाहुनतनं ततलो दद्यमातम् पमारसहेनमारविमा सगुधरीतः ॥१६॥
शमास्त्र ममें अचश्वभमानं नमतः ऐसमा मन बतमारमा गरमा हहै। इस मन कहे दमारमा
बगुनरममानम् वनक फपूललोनं सहे अरविमा खरीर सहे आहुनत दहे।
जलो (स्त्ररी-शपूद्रमानद) विहेदमनलोनं कहे अचधकमाररी नहरीनं हमैं, उनमें कहेविल जप सहे
हरी चसनर प्रमाप्त हलो जमारहेगरी (विहे हविन न करमें) । इसकहे बमाद व्रत कलो
करनहे विमालमा महमानम् ध्यमान कहे दमारमा अचश्वनरीकगुममारलोनं ककी प्रमारर्यनमा करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 93
चजनलोनंनहे च्यविन ऋनष कलो सगुन्दर रूप प्रदमान नकरमा रमा, चजनलोनंनहे
ब्रहविहेत्तमा दधरीचच कहे मसक ककी इन्द्र कहे कलोध सहे रक्षमा ककी ररी, उन
दलोनलोनं अचश्वनरी कगुममारलोनं ककी ममैं भनक करतमा हूराँ। इस प्रकमार सहे एक विषर्य
तक व्रत करकहे उद्यमापन ममें व्रतरी ब्रमाहरलोनं कलो बछड़िहे कहे समार गमार कमा
दमान करहे।
॥इनत षषतः पटलतः॥
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 94
भरररीनक्षत्रव्रतविरर्यनमम्
भरररीषगु च रलो जमातलो रमस व्रतममाचरहेतम् ।
स्वनक्षत्रमागमहे नद्यमासटनं गतमा ननशमामगुखहे ॥०१॥
कमृष्णपक्षहे चतगुदर्यश्यमामरविमा पपूजरहेद्यममम् ।
सगुमहेरलोदर्यचक्षरहे भमागहे रस सनंरमनरी पगुररी ॥०२॥
चजस वनक नहे भरररी नक्षत्र ममें जन्म चलरमा हहै विह रमरमाज कमा पपूजन
करहे। अपनहे जन्मनक्षत्र कहे आनहे पर रमानत्र कहे प्रमारम्भ हलोनहे कहे समर
नदरी कहे तट पर जमाए अरविमा (नक्षत्र कहे रमानत्रवमापरी न हलोनहे पर)
कमृष्णपक्ष ककी चतगुदर्यशरी कलो उन रमरमाज ककी पपूजमा करहे चजनककी सनंरमनरी
नमाम ककी पगुररी सगुमहेर कहे दचक्षर भमाग ममें हहै।
रम-रम ऐसमा सगुनकर भरभरीत हलोकर उदमास न हलो जमारहे। जलो आत्ममा
कलो ननरचनत रखतहे हमैं, उन दहेवि कलो रम कहमा गरमा हहै।
रम कहे चलए, धमर्यरमाज कहे चलए, ममृतगु और अन्तिक कहे चलए, विहैविस्वत
कहे चलए, कमाल कहे चलए, सभरी प्रमाचररलोनं कमा अन्ति करनहे विमालहे कहे चलए,
विमृकमानग्न कलो उदर ममें धमारर करनहे विमालहे कहे चलए, चचत्र और चचत्रगगुप्त कहे
चलए प्ररमाम हहै, ऐसमा बलोलकर प्ररमाम करनहे और नफर चछप कर
दगुरमाचमार करनहे विमालहे ललोगलोनं पर शमासन करनहे विमालहे धपूम्रविरर्य कहे रमरमाज,
चचत्रगगुप्त, शरीघ्रगनत विमालहे कमालदण्ड एविनं रमपमाश, स्वगर्य, ममृतगु तरमा धमर्य
कलो जमाननहे विमालहे धमर्यरमाज ककी चन्दन, ममालमा आनद कहे दमारमा पपूजमा करहे।
रममार नमतः इस मन कहे दमारमा व्रतरी नतल सहे हविन करहे। मन सहे पहलहे
ॐ एविनं अन्ति ममें स्वमाहमा लगमा लमें (ॐ रममार नमतः स्वमाहमा ) । स्त्ररी,
शपूद्र, व्रमात एविनं विरर्यसनंकर कहे चलए हविन कमा नविधमान नहरीनं हहै। विहे
स्वमाहमा और प्ररवि कहे नबनमारममार नमतः मन कमा ममात्र जप कर लमें।
कमृसरनं भलोजरहेनदप्रमान्यरमाशनकसमचन्विततः ।
एविनं विहै विषर्यपरर्यन्तिनं व्रतनं कमृतमा नरलोत्तमतः ॥०९॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 96
अपनरी शनक कहे अनगुसमार ब्रमाहरलोनं कलो चखचड़िरी कमा भलोजन करमारहे। इस
प्रकमार एक विषर्य तक व्रत करकहे अन्ति ममें ब्रमाहरलोनं कलो गज्यौदमान करकहे
सन्तिगुष्ट करहे। भरररी नक्षत्र कहे जमातकलोनं कहे चलए इस प्रकमार सहे रह
रमरमाज कमा महमानम् व्रत बतमारमा गरमा हहै।
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 97
॥ अरमाष्टमतः पटलतः॥
धननषमाकमृनत्तकमानक्षत्रव्रतविरर्यनमम्
धननषमाकमृनत्तकमाजमातस्स आग्नहेरव्रतञ्चरहेतम् ।
हवकवविहलो दहेविलो जमातविहेदलो हुतमाशनतः ॥०१॥
प्रमातमर्यध्यमाह्नकमालहे विमा समगुपलोष ननरम च ।
नविममामरविमा भमाह्नहे पपूजरहेनदन्ध्यविमाचसनरीमम् ॥०२॥
ततलो दद्यमातम् सनविचधनमा सशगुकनं पञ्जरमाचन्वितमम् ।
नविप्रमार हमाटकनं दतमा सगुविमागरी जमारतहे पगुममानम् ॥०३॥
महेषमारूढनं चशरलोभमाञ्च चतगुतःशृङ्गसमचन्वितमम् ।
स्वमाहमाशनकधरनं ध्यमारहेदनलनं हुतभलोचजनमम् ॥०४॥
बरीजन्तिगु पपूविर्यमगुच्चमारर्य प्रविदहेज्जमातविहेदसहे ।
शनकमन्तिहे प्ररगुञ्जरीत अन्यहेभश नमतः पदमम् ॥०५॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 98
ध्यमान करहे। पहलहे अनग्न कमा बरीजमन (रनं), बलोलकर नफर जमातविहेदसहे
पद कलो कहहे। उसकहे बमाद अनंत ममें अनग्न ककी शनक (स्वमाहमा) कमा प्ररलोग
करहे। अन्य ललोग (जलो विहेदमाचधकमार सहे रनहत हमैं, विहे) नमतः कमा प्ररलोग
करमें। (विहेदमाचधकमार विमालहे रनं जमातविहेदसहे स्वमाहमा कहमें और स्त्ररी शपूद्रमानद कहे
चलए रनं जमातविहेदसहे नमतः मन हहै)
अनग्न कमा ध्यमान करनहे विमालमा शहेष मनगुष दमादशरी नतचर ममें गगुह्यकगरलोनं
कहे नननमत्त पलल कमा भलोग प्रदमान करहे और नफर ब्रमाहरलोनं कलो भरी
भलोजन करमारहे। कलमार ककी इच्छमा करनहे विमालमा वनक पलल शब्द
कमा अरर्य भ्रम सहे ममानंस न समझ लहे, नतलकगुट कलो नविदमानलोनं कहे दमारमा
पलल कहमा जमातमा हहै। नविष्कगुम्भ आनद अशगुभ रलोगलोनं कहे आनहे पर रमानत्र
ममें एक हरी समर कमा भलोजन करहे। इस प्रकमार सहे कमृनत्तकमा नक्षत्र ममें
जन्म लहेनहे विमालहे ललोगलोनं कहे चलए इस प्रकमार सहे अनग्नव्रत कहमा गरमा हहै।
॥इतष्टमतः पटलतः॥
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 99
अचभचजद्रलोनहररीजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
अचभचजद्रलोनहररीभपूतमासहे कगुविर्यन्तिगु रशतःप्रदमम् ।
ब्रहरतः सगुव्रतनं ललोकहे तनदधमाननं विदमामहमम् ॥०१॥
पपूरमार्यरमामरविक्षर्थे विमा व्रतञ्च प्रनतपनत्तरज्यौ ।
कतर्यवनं शहैलशृङ्गहे विमा सररत्कपूलहे विनमान्तिरहे ॥०२॥
जलो जमातक अचभचजतम् अरविमा रलोनहररी नक्षत्र ममें जन्म चलए हमैं विहे
ब्रहमाजरी कहे, सनंसमार ममें रश कलो दहेनहे विमालहे इस व्रत कलो करमें। उसकमा
नविधमान कहतमा हूराँ। पपूचरर्यममा, जन्मनक्षत्र कहे नदन अरविमा प्रनतपदमा नतचर
कलो रह व्रत नदरी कहे नकनमारहे, पविर्यत कहे चशखर पर अरविमा जनंगल ममें
जमाकर करनमा चमानहरहे।
चजनकहे मन सहे रद्र, विक्षस्थिल सहे नविष्णगु एविनं मगुख सहे चमारलोनं विहेद प्रकट
हुए हमैं, उन चतगुमगुर्यख (ब्रहमाजरी) ककी ममैं विनंदनमा करतमा हूराँ। इस प्रकमार सहे
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 100
ध्यमान करकहे (कमर्यकमाण्ड कहे) नविधमान ममें बतमाए गए अनगुसमार ब्रहमा ककी
पपूजमा कमा आचरर करहे। विहेदममागर्य कहे विश ममें चलनहे विमालहे (नदजमानतरलोनं)
कहे चलए गमारत्ररी कमा जमाप नविनहत हहै। विहेदमाचधकमार सहे रनहत (स्त्ररी-
शपूद्रमानद) ललोगलोनं कहे चलए ब्रहरहे नमतः मन कहमा गरमा हहै। स्वमाहमाचधकमार
सहे सम्पन्न वनक गमारत्ररी मन सहे हरी हविन करहे।
सभरी ललोक ब्रहमर हमैं, सबकगुछ ब्रहमा ममें नस्थित हहै, ऐसमा जमानकर
कमल सहे उदपूत ब्रहमाजरी कमा पपूजन करहे। शनंख एविनं भहेररी कहे नमाद सहे,
महमानम् गरीत (सलोत्रलोनं) कहे गमारन सहे, नविचभन्न द्रव एविनं उपहमारलोनं कहे दमारमा
जगचत्पतमा ब्रहमाजरी सन्तिगुष्ट नकरहे जमानहे चमानहए। इस प्रकमार सहे ब्रहमा कहे
अनंश ममें जलोड़िनहे विमालमा रह व्रत रलोनहररी नक्षत्र ममें जन्म चलए हुए ललोगलोनं
कहे चलए कहमा गरमा हहै। प्रतहेक पविर्य (पपूचरर्यममा) कलो रह व्रत नविद्यमा ककी
कमामनमा करनहे विमाललोनं कहे दमारमा नविशहेषरूप सहे नकरमा जमानमा चमानहए।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 101
ममृगचशरमाजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
कतर्यवनमन्दगुसम्बनन्धिव्रतनं ममागर्यसमगुदविहैतः ।
चमान्द्रमाररञ्च बचलचभतः शहेषहैशन्द्रव्रतनं शगुभमम् ॥०१॥
पपूचरर्यममारमानं नदतरीरमारमामरविमा सलोमविमासरहे ।
चसतपक्षहे च नकमादज्यौ पपूजरहेदड
गु गुनमारकमम् ॥०२॥
परलोभलोजरी धरमाशमाररी ब्रहचमाररी चजतहेचन्द्ररतः ।
चन्द्रनं पपूरर्यकलमारगुकनं सनक्षत्रनं प्रपपूजरहेतम् ॥०३॥
गगनमारर्यविममाचरक चन्द्र दमाक्षमारररीपतहे ।
आत्रहेर विमाररसम्भपूत चशविस्थि चशविदलो भवि ॥०४॥
नविशहेषमारर्णां ततलो दद्यमाद्यतलोऽरर्णां तचत्प्ररनं मतमम् ।
सलोममारमारर्यप्रदमानहेन सगुरूपलो जमारतहे नरतः ॥०५॥
रमानमतगुकमा च सलोममार नमतः पदमगुदरीररहेतम् ।
तनहेषगु सलोममनलोऽरमहेविमहेवि प्रककीनतर्यततः ॥०६॥
वित्सरमान्तिहे चसतनं विस्त्रनं धहेनगुनं दद्यमात्परनस्वनरीमम् ।
रज्यौप्यनं हहैममरनं चन्द्रनं नतलनं शमालनं तरहैक्षविमम् ॥०७॥
नमतः सलोममार सज्यौममार नमतः शरीतमात्मनहे तरमा ।
पनठतमा सविर्यकममार्यचर चन्द्रतहेजचस रलोजरहेतम् ॥०८॥
एविनं ममृगचशरमाजमाततः कगुरमार्यनदन्दगुव्रतनं शगुभमम् ।
नक्षत्रदलोषशमानरर्यनमष्टसम्पनत्तचसररहे ॥०९॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 102
ममृगचशरमा ममें जन्म लहेनहे विमाललोनं कहे दमारमा चन्द्रममासम्बन्धिरी व्रत नकरमा जमानमा
चमानहए। बलविमानम् ललोगलोनं कहे दमारमा चमान्द्रमारर एविनं शहेष जनलोनं कहे दमारमा
शगुभ चन्द्रव्रत नकरमा जमानमा चमानहए। पपूचरर्यममा, शगुकपक्ष ककी नदतरीरमा
अरविमा सलोमविमार कलो रमानत्र ककी प्रमारम्भविहेलमा ममें नक्षत्रपनत चन्द्रममा कमा
पपूजन करहे। व्रत ममें दगुग्ध कमा पमान करहे, भपूनमशरन करहे, ब्रहचरर्य कमा
पमालन करहे एविनं इचन्द्ररलोनं पर ननरनर रखहे। ऐसमा हलोकर अपनरी सभरी
कलमाओनं सहे पपूरर्य चन्द्रममा कमा नक्षत्रलोनं कहे समार पपूजन करहे। हहे आकमाश-
रूपरी समगुद्र कहे ममाचरक ! हहे दक्षपगुत्ररी (नक्षत्रलोनं) कहे पनत चन्द्रममा ! हहे
अनत्रपगुत्र ! हहे (समगुद्रमनंरन ममें) जल सहे उत्पन्न ! हहे चशविजरी कहे ऊपर
नस्थित ! आप महेरहे चलए कलमारदमातमा हलोनं। उन (चन्द्रममा) कलो अरर्य
नप्रर हहै अतएवि नविशहेषमारर्य दहे। चन्द्रममा कलो अरर्य दहेनहे सहे वनक सगुन्दर
रूप विमालमा हलो जमातमा हहै। 'रमानं', ऐसमा बलोल कर सलोममार नमतः पद कमा
उच्चमारर करहे। रमानं सलोममार नमतः इस प्रकमार सहे हरी चन्द्रममा कमा मन
तनलोनं ममें बतमारमा गरमा हहै। एक विषर्य वतरीत हलोनहे पर श्वहेत विस्त्र, दगुधमारू
गमार, चमानंदरी रमा सलोनहे कमा चन्द्रममा, (श्वहेत) नतल, चमाविल एविनं गगुड़ि अरविमा
नमशरी कमा दमान करहे। सज्यौम स्वरूप विमालहे, शरीतलतमा कलो अपनहे अनंदर
धमारर करनहे विमालहे सलोम कलो नमस्कमार हहै, ऐसमा पढकर अपनहे सभरी
कमर्षों कलो चन्द्रममा कहे तहेज ममें ननरलोचजत कर दहे। इस प्रकमार सहे ममृगचशरमा
ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक अपनहे नक्षत्रसम्बन्धिरी दलोषलोनं ककी शमानन्ति कहे
चलए तरमा अभरीष्ट सम्पनत्त ककी प्रमानप्त कहे चलए शगुभ चन्द्रव्रत कलो करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 103
॥अरहैकमादशतः पटलतः॥
आद्ररत्तरमाभमाद्रपदजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
अर रज्यौद्रनं प्रविकमाममाद्रमार्यसगु जमातस शहेरसहे ।
तरलोत्तरमाभमाद्रपदहे जमातमार कचरतनं पगुरमा ॥०१॥
अब आद्रमार्य नक्षत्र ममें जन्म चलए हुए ललोगलोनं कहे चलए रज्यौद्रव्रत कमा विरर्यन
करतमा हूराँ तरमा इसहे उत्तरमाभमाद्रपद ममें जन्म चलए वनक कहे चलए पपूवि-र्य
कमाल ममें कहमा गरमा हहै।
चजसममें रद्रगर नस्थित रहतहे हमैं, ऐसहे शहैविशमास्त्रलोनं ममें रह पपूजन बतमारमा
गरमा हहै। सलोमविमार, जन्मनक्षत्र कहे नदन अरविमा कमृष्णपक्ष ककी चतगुदर्यशरी
नतचर कलो व्रत करनहे विमालमा एक समर कमा हरी व्रतरलोग्य आहमार ग्रहर
करकहे समारनंकमाल ममें चशविजरी ककी पपूजमा करहे। नमलो भगवितहे रद्रमार इस
प्रकमार सहे रद्र कमा मन कहमा गरमा हहै।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 104
सनंसमारसमागर ममें चशवितत्त्व सहे हरीन कगुछ भरी नहरीनं हहै, ऐसमा सलोचकर सदहैवि
चशवि जरी कहे ध्यमान ममें लगमा रहहे।
विहेदमान्ति कहे समार कमा दलोहन करनहे विमालहे, कपमाल धमारर करनहे विमालहे,
नरीलललोनहतसनंजक, सद्यलोजमातमानद पमानंच मसक एविनं भविमानद आठ मपूनतर्यरलोनं
विमालहे रद्र, महेरहे दगुखलोनं कमा नविद्रमाविर करमें।
इसकहे बमाद गरलोनं ममें शनक (पमाविर्यतरी) कहे समार महमादहेवि कमा एविनं नत्रशपूल,
नपनमाक धनगुष, विमासगुनक एविनं डमरू कमा पपूजन करहे।
कमानतर्यक कमृष्णपक्ष ककी तमृतरीरमा कलो गलोमपूत्र ममें पकमाए गए जज्यौ कलो खमाकर
चशविमचन्दर ममें व्रत करनहे विमालमा सङ्कल्प कलो धमारर करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 105
एक विषर्य कहे नविसमार तक कहेविल रमानत्र कलो भलोजन करनहे विमालमा वनक
रद्र ककी आजमा सहे हरी कमर्य करतमा हुआ नदनलोनं कलो वतरीत करहे।
विषर्य कहे अन्ति ममें शहैवि ब्रमाहर कलो स्वरर्य तरमा बहैल कमा दमान करहे अरविमा
नतल सहे बनरी गमार एविनं सलोनहे सहे बनहे बहैल कमा दमान करहे।
इस प्रकमार सहे सदहैवि कलमार करनहे विमालहे, मनगुषलोनं कहे सभरी अशगुभलोनं कमा
नमाश करनहे विमालहे रद्र नमाम व्रत कलो भलरी प्रकमार सहे प्ररत्न करकहे करनमा
चमानहए।
॥इतहेकमादशतः पटलतः॥
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 106
पगुनविर्यसगुपपूविमार्यफमालगुनरीचचत्रमानगुरमाधमारहेवितरीनक्षत्रव्रतविरर्यनमम्
पगुनविर्यसगुभसनंजमातशहैत्रलो रहैवितकमालजतः ।
रमाधहेरशहैवि पपूविमार्यरमानं फमालगुन्यमानं जन्मगलो नरतः ॥०१॥
सविमार्यशभ
गु नविनमाशमार प्रमाप्तरहे सम्पदसरमा ।
आनदतमाननदनतञ्चहैवि रजहेदमानदतसनंजकहैतः ॥०२॥
व्रतहैसत्रमाचर्यरहेररीममानम् कश्यपनं स्वजनमाचन्वितमम् ।
धमातमा नमत्रलोऽरर्यममा पपूषमा शकलोनंऽशलो विररलो भगतः ॥०३॥
तष्टमा नविविस्वमान्सनवितमा नविष्णगुदमार्यदश ईररतमातः ।
प्रनतममासनं तगु शगुकमारमानं दमादश्यमानं तमानम् व्रतलोत्सगुकतः ॥०४॥
कहेशविस गमृहनं गतमा प्रमाततःकमालहे प्रपपूजरहेतम् ।
नविचधनमानदनतजमानमृक्षनदविसहे नदनतकश्यपज्यौ ॥०५॥
आनदतहेभलो नमलो मननं पपूविर्यममानं प्रविदहेद्व्रतरी ।
रनद चहेदचधकमाररी समादतगुर्यलञ्चमानप रलोजरहेतम् ॥०६॥
एविनं सममासममापन्नहे प्रनतममा हहैमनननमर्यतमातः ।
रज्यौप्यमा विमा क्षरीरशनकश नविचधनमा पपूजरहेच्च तमातः ॥०७॥
भलोजनरतमा नदजमानत्र मधगुरमान्ननं सगुसनंस्कमृतमम् ।
ततलो विहै दमादशमानदतप्रनतममादमानममाचरहेतम् ॥०८॥
नत्ररमात्रलोपलोनषतलो दद्यमात्फमालगुनहे भविननं शगुभमम् ।
रनद विमा शनकसम्पन्नलो न कमापर्यण्यनं प्रदशर्यरहेतम् ॥०९॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 107
पगुनविर्यसगु, पपूविमार्यफमालगुनरी, अनगुरमाधमा, चचत्रमा एविनं रहेवितरी कहे कमाल ममें उत्पन्न
बगुनरममानम् वनक सभरी अशगुभलोनं कहे नविनमाश एविनं सम्पनत्त ककी प्रमानप्त कहे
चलए आनदतसनंजक व्रतलोनं कहे दमारमा बमारह आनदत एविनं अनदनत ककी, तरमा
पररविमार कहे समार कश्यप ककी पपूजमा करहे। धमातमा, नमत्र, अरर्यममा, पपूषमा,
इन्द्र, अनंशगुममानम्, विरर, भग, तष्टमा, नविविस्वमानम्, सनवितमा एविनं नविष्णगु, रहे
बमारह आनदत बतमाए गए हमैं। व्रत ककी इच्छमा विमालमा वनक प्रतहेक
महरीनहे कहे शगुकपक्ष ककी दमादशरी नतचर अरविमा जन्मनक्षत्र कहे नदन
प्रमाततःकमाल ममें नविष्णगुमचन्दर जमाकर नविचधपपूविर्यक आनदत, कश्यप एविनं
अनदनत कमा पपूजन करहे। आनदतहेभलो नमतः मन हहै। व्रतरी मन सहे पहलहे
आनं बलोलहे (आनं आनदतहेभलो नमतः)। रनद प्ररविमाचधकमार सहे रगुक हहै तलो
ॐ जलोड़ि लहे (ॐ आनं आनदतहेभलो नमतः) । इस प्रकमार सहे एक विषर्य
बरीतनहे पर सलोनहे ककी बनरी प्रनतममाओनं कमा, अरविमा शनक कम हलोनहे पर
चमानंदरी ककी प्रनतममाओनं कमा पपूजन करहे। इस समर ब्रमाहरलोनं कलो मधगुर एविनं
पनवित्र भलोजन करमाकर बमारह आनदत ककी प्रनतममाओनं कमा दमान करहे।
रनद शनकसम्पन्न हलो तलो तरीन रमात तक उपविमास करकहे फमालगुन (शगुक
दमादशरी) कलो भविन कमा दमान करहे, समामथर्य रहनहे पर इसममें कमृपरतमा न
करहे।
सगुव्रतरी मनगुजतः कमृतमा दमादशमानदतसनंजकमम् ।
व्रतनं नत्रदशप्रस्वमाश मगुच्यतहे सविर्यतलो भरमातम् ॥१०॥
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 108
पगुषशविरक्षर्यजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
पगुषशविरजमातहेभलो विहैष्णविनं व्रतनमषतहे ।
रतलो दहेविगगुरनविर्यष्णगुतः समाक्षमाललोकनहतलोत्सगुकतः ॥०१॥
दमादश्यमानं विमा गगुरलोविमार्यरहे जन्मक्षर्थे हररमचन्दरहे ।
विहैष्णविमाचमारनविचधनमा विहैकगुणपनतमचर्यरहेतम् ॥०२॥
पगुष एविनं शविर नक्षत्र ममें जन्महे हुए ललोगलोनं कहे चलए विहैष्णवि व्रत कहमा
गरमा हहै कलोनंनक दहेविगगुर बमृहस्पनत, ललोकलोनं कमा नहत करनहे कहे हहेतगु उत्सगुक,
समाक्षमातम् नविष्णगु हरी हमैं। दमादशरी रमा गगुरविमार कलो रमा जन्मनक्षत्र कहे नदन
हररमचन्दर ममें विहैष्णविमाचमार ककी नविचध कहे अनगुसमार विहैकगुणपनत नविष्णगु ककी
अचर्यनमा करहे।
पहलहे गगुनं बरीज बलोलकर नफर गगुरविहे नमतः कहहे। उसकहे बमाद नमलो
नमारमाररमार ऐसहे दपूसरहे मन कमा जप करहे। नविष्णगु कमा व्रत करनहे विमालमा
वनक चमातगुममार्यस ममें प्रमाततःकमाल समान करहे, ब्रमाहरलोनं कलो भलोजन करमारहे।
कमानतर्यक ममास ममें गलोदमान करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 109
उसकहे बमाद घरी सहे भरहे घड़िहे कमा दमान करकहे सभरी कमामनमाओनं कलो प्रमाप्त
कर लहेतमा हहै। एकमादशरी ककी रमानत्र ममें (व्रतलोचचत) आहमार ग्रहर करकहे
जमागरर करहे। नविष्णगु ककी स्वरर्यप्रनतममा कमा पपूजन करकहे सगुन्दर नदखनहे
विमालहे सलोनहे कमा चक एविनं विहैसमा हरी सलोनहे कमा शङ्ख चहैत्र ममास ममें चचत्रमा
नक्षत्र आनहे पर दमान करहे।
सगुमङ्गलहैगर्शीतविमाद्यहैतः सलोत्रपमाठहैजर्यपमानदचभतः ।
तलोनषतवलो महमानविष्णगुरर ललोकमानमानं गगुरतः समृततः ॥०७॥
एतनदष्णगुव्रतनं नमाम विहैकगुणस्थिमानदनं नमृरमामम् ।
रनं कमृतमा पगुरषमा नमारर्यसरनन्ति भविसमागरमम् ॥०८॥
सगुन्दर एविनं मङ्गलमर गरीत, विमाद्य, सलोत्रपमाठ एविनं मनजप आनद कहे
दमारमा महमानविष्णगु कलो सन्तिगुष्ट करनमा चमानहए कलोनंनक विहे सभरी ललोकलोनं कहे
गगुर बतमारहे गरहे हमैं। इस प्रकमार मनगुषलोनं कलो विहैकगुण ममें स्थिमान दहेनहे विमालमा
रह नविष्णगुव्रत बतमारमा गरमा हहै, चजसहे करकहे नर रमा नमाररी सनंसमारसमागर
कलो पमार कर जमातहे हमैं।
अशहेषमानक्षत्रव्रतविरर्यनमम्
आशहेषहेरतः स्वनक्षत्रहे महलोरगव्रतञ्चरहेतम् ।
पञ्चममानं चसतपक्षस शमाविरस नविशहेषततः ॥०१॥
ननम्नगमारमासटनं गतमारविमा सपर्यनबलम्प्रनत ।
व्रतरी पगुष्करममानविश्यलोपनबलनं विमा चशविमालरमम् ॥०२॥
ननशमारमानं पपूजरहेन्नमागमानमाद्रविहेरमान्महमाबलमानम् ।
पपूतः पपूतः पपूतः पपूसतलो विमाच्यमा व्रनतनमा सपर्यविद्ध्वननतः ॥०३॥
अशहेषमा ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक जन्मनक्षत्र कहे नदन, नविशहेषकर
शमाविर ममें शगुकपक्ष ककी पञ्चमरी कलो सपर्षों कमा व्रत करहे। व्रत कलो करनहे
विमालमा वनक नदरी कहे नकनमारहे अरविमा सपर्य कहे नबल कहे पमास जमाकर,
सरलोविर ममें प्रविहेश करकहे, नबलविमृक्ष कहे पमास अरविमा चशविमालर ममें रमानत्र
कलो कद्रद कहे पगुत्र महमाबलरी नमागलोनं ककी पपूजमा करहे। व्रतरी कहे दमारमा समानंप ककी
फगुनंफकमार कहे सममान पपूतः-पपूतः-पपूतः-पपूतः ऐसरी रनन ककी जमानरी चमानहए।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 111
उसकहे बमाद सपर्थेभलो नमतः ऐसमा कहकर नबल ममें रहनहे विमालहे सपर्षों कमा
पपूजन करहे। नमशरी, दपूध एविनं लमाजमा (लमाविमा) कमा भलोग ननविहेनदत करहे।
कलमार, विमासगुनक, शहेष, पदनमाभ, कम्बल, शनंखपमाल, धमृतरमाष्टढ , तक्षक,
कमाचलर, ककरटक, आरर्यक आनद नमागपनतरलोनं ककी पपूजमा नमाममन सहे
करहे। तमामसरी, कपूजनरी, कमालरी, तरररी, भहैरविरी, शमारदमा आनद रहे सब
नमागशनकरमाराँ हमैं, इनककी भरी पपूजमा करनरी चमानहए। दगुग्ध परीकर रहहे, चशवि
ककी आरमाधनमा करतहे हुए इस व्रत कमा आचरर करहे।
एक विषर्य बरीतनहे पर शरीलविमानम् ब्रमाहर कलो सलोनहे कमा नमाग दमान करहे।
इस प्रकमार सहे अशहेषमा ममें जन्म चलए हुए वनक नमागव्रत करहे।
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 112
मघलोत्तरमाफमालगुनरीजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
मघलोत्तरमाफमालगुनरीषगु रलो जमाततः पहैतमृकहे व्रतहे ।
अनग्नष्वमादरर्यममादहेविनं पपूजरहेचत्पतमृप्ररीतरहे ॥०१॥
स्वक्षर्थेऽममारमाञ्च मध्यमाह्नहे गतमा चसन्धिगुतटमम् ।
तरीरमार्यनदषगु सररत्कपूलनं शमारकमर्य सममाचरहेतम् ॥०२॥
मघमा एविनं उत्तरमाफमालगुनरी ममें जन्म चलरमा वनक नपतरलोनं ककी प्रसन्नतमा कहे
चलए नपतमृव्रत कहे अन्तिगर्यत अनग्नष्वमातम् एविनं अरर्यममा दहेवि ककी पपूजमा करहे।
अपनहे जन्मनक्षत्र कहे नदन अरविमा अममाविसमा कहे मध्यमाह्न ममें समगुद्र कहे
नकनमारहे अरविमा तरीरर्षों ममें नदरी नकनमारहे जमाकर शमार करहे।
अममाविसमा ममें जल परीकर तरमा पपूचरर्यममा कलो दपूध परीकर रहहे। एक विषर्य
ककी पपूरर्यतमा तक इसकमा पमालन करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 113
नपतमृभलो नमतः कहकर नफर अरर्यमरहे नमतः कमा उच्चमारर करहे। भपूरहे-परीलहे
रनंग कहे विस्त्र एविनं जल सहे भरहे घड़िलोनं कमा दमान करहे। एक विषर्य कहे पपूरर्य
हलोनहे पर शमार करकहे पमानंच दगुधमारू गमारलोनं कमा दमान करहे। रह सभरी
नपतरलोनं कलो नप्रर लगनहे विमालमा नपतमृव्रत कहमा गरमा हहै।
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 114
हसनक्षत्रजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
दहेविदहेविस सपूरर्यस व्रतनं सविर्थेनप्सितप्रदमम् ।
रलो हसभहे समगुदतपू स्स कगुरमार्यदमास्करव्रतमम् ॥०१॥
सहैन्धिविनं मधगु ममानंसञ्च कमानंसपमात्रहेषगु भलोजनमम् ।
महैरगुनमनमृतमानं विमाररीनं क्षमारसमाननं रविज्यौ तजहेतम् ॥०२॥
चजसनहे हसनक्षत्र ममें जन्म चलरमा हहै, विह दहेविमाचधदहेवि सपूरर्य कमा सभरी
अभरीष्ट कलो प्रदमान करनहे विमालमा भमास्करव्रत करहे। रनविविमार कलो नमक,
मधगु, ममानंस, कमानंसपमात्र ममें भलोजन, महैरगुन, असत बलोलनमा एविनं क्षमार-
समाबगुन आनद सहे समान कमा पररतमाग कर दहे।
ममाघ ममें प्रमाततःकमाल समान करकहे ब्रमाहर दम्पनत कमा पपूजन करहे। उनमें
भलोजन करमाकर अपनरी शनक कहे अनगुसमार ममालमा-विस्त्र आनद कहे दमारमा
उनककी पपूजमा करहे। सपूरर्यदहेवि कहे बगल ममें (सपूरर्य ककी दमानहनरी ओर) छमारमा
एविनं अनदनत तरमा (सपूरर्य कहे बमारमें भमाग ममें) सनंजमादहेविरी कमा पपूजन करहे।
व्रत कलो करनहे विमालमा घमृचरतः बलोलकर नफर सपूरर्य आनदततः बलोलहे (घमृचरतः
सपूरर्य आनदततः)।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 115
विहेदमाचधकमारसम्पन्नलो गमारत्ररीजपममाचरहेतम् ।
सपूरमार्यरविर्यचशरशमानप प्रपठहेद्व्रनतनमानं विरतः ॥०५॥
विहेदमाचधकमार सहे सम्पन्न वनक गमारत्ररी कमा जप करहे। व्रनतरलोनं ममें शहेष
वनक सपूरमार्यरविर्यशरीषर्य कमा भरी पमाठ करहे।
*-*-*
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 116
स्वमातरीनक्षत्रजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
स्वमातरीनक्षत्रजमातहेभलो विमारगुव्रतनमहलोच्यतहे ।
सविर्यगलो ममातररश्वमा च सविर्थेषमाम्प्रमारविमाहकतः ॥०१॥
स्वमातरीषगु शगुकसप्तममामरविमा चशविमचन्दरहे ।
सन्ध्यमारमानं पपूजरहेद्दहेविमान्यहे मरदरसनंजकमातः ॥०२॥
रहमानं स्वमातरी नक्षत्र ममें जन्म लहेनहे विमाललोनं कहे चलए विमारगुव्रत कहमा गरमा हहै।
ममातररश्वमा विमारगु ककी गनत सविर्यत्र हहै एविनं विहे सबलोनं कहे प्रमार कमा विहन करतहे
हमैं। स्वमातरी नक्षत्र ममें अरविमा शगुकपक्ष ककी सप्तमरी कलो चशविमचन्दर ममें
सनंध्यमाकमाल ममें मरदर नमाम विमालहे दहेवितमाओनं कमा पपूजन करहे।
विमारविहे नमतः ऐसमा बलोलकर विमारगुदहेवि ककी पपूजमा करहे। विमारगु कहे विमामभमाग
ममें नस्थित उनककी पत्नरी स्वनस एविनं मनलोजविमा कमा भरी पपूजन करहे।
मरमाचमारर्य कहे नमाम सहे प्रचसर विमासगुदहेवि, अञ्जनमानन्दन हनगुममानम् एविनं
विमृकमानग्न कलो धमारर करनहे विमालहे भरीमसहेन, रहे सभरी विमारगुदहेवि कहे अनंश सहे
उत्पन्न हुए हमैं। इन विमारगुपगुत्रलोनं कमा पपूजन करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 117
ममाघ-शगुकपक्ष ककी सप्तमरी ककी रमानत्र कलो गरीलहे कपड़िलोनं ममें रहहे। रमानत्र
वतरीत हलोनहे पर शहैवि ब्रमाहर कलो नविप्रसपूतमा गमार कमा दमान करहे।
विमारगु कहे सममान रक्षक, शनकशमालरी, गगुर एविनं औषचध कलोई भरी नहरीनं हहै।
स्वमातरी नक्षत्र कहे जमातक कहे चलए इस प्रकमार सहे विमारगुव्रत कहमा गरमा हहै।
इस व्रत कहे प्रभमावि सहे विमारगुललोक कलो प्रमाप्त करतमा हहै।
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 118
॥अरमाष्टमादशतः पटलतः॥
नविशमाखमानक्षत्रजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
नविशमाखमासगु समगुदतपू इन्द्रमाग्नरी पपूजरहेन्नरतः ।
पज्यौरन्दरव्रतनं कमृतमा विहैश्वमानरव्रतञ्चरहेतम् ॥०१॥
नविशमाखमा ममें जन्म लहेनहे विमालमा वनक इन्द्र एविनं अनग्न ककी पपूजमा करहे।
पहलहे पज्यौरन्दर व्रत करकहे नफर विहैश्वमानर व्रत कमा आचरर करहे।
अष्टमरी ममें, जन्मनक्षत्र ममें अरविमा उसकहे क्षरीर हलोनहे पर प्रनतपदमा नतचर
ममें चशविमचन्दर अरविमा नविष्णगुमचन्दर ममें जमाकर इन्द्रमार नमतः ऐसमा कहकर
विह्नरहे नमतः कमा उच्चमारर करहे। हलोममाचधकमार सहे रगुक हलो तलो विहैनदक
मनलोनं सहे हविन करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 119
अष्टमरी ककी रमानत्र ममें एक समर कमा व्रतलोचचत भलोजन करहे, विषर्य कहे अनंत
ममें गलोदमान करहे। सगुन्दर गनत कलो दहेनहे विमालहे इस व्रत कलो करनहे विमालमा
वनक इन्द्रललोक कलो जमातमा हहै।
विषमार्य ऋतगु ममें ब्रमाहरलोनं कलो नविप्रसपूतमा गज्यौ दहेकर सन्तिगुष्ट करहे। विषर्य कहे
अन्ति ममें व्रत कलो करनहे विमालमा वनक घरी सहे भरहे घड़िहे कमा दमान करहे।
सभरी पमापलोनं कमा नमाश करनहे विमालहे इस विहैश्वमानर व्रत कलो करकहे नविशमाखमा
नक्षत्र कमा जमातक सभरी दलोषलोनं सहे मगुक हलो जमातमा हहै।
॥इतष्टमादशतः पटलतः॥
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 120
॥अरहैकलोननविनंशतः पटलतः॥
जहेषमानक्षत्रजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
जहेषमानक्षत्रजमातहेभलो महहेन्द्रव्रतनमषतहे ।
इचन्द्ररमारमाञ्च दहेविमानमानं पनतररन्द्रमातः प्रचक्षतहे ॥०१॥
नम इन्द्रमार मनहेर सशचचनमन्द्रमचर्यरहेतम् ।
विज्रशनकधरलो दहेविलो गजमारूढतः सहसदकम् ॥०२॥
जहेषमा नक्षत्र कहे जमातक कहे चलए महमानम् इन्द्र कमा व्रत कहमा गरमा हहै।
इचन्द्ररलोनं एविनं दहेवितमाओनं कहे स्वमामरी, इन्द्रलोनं कलो कहमा गरमा हहै। इन्द्रमार नमतः
मन सहे शचरी कहे समार इन्द्र ककी पपूजमा करहे। इन्द्रदहेवि विज्र एविनं शनक
धमारर करतहे हमैं, हमाररी पर आरूढ हमैं तरमा सहस नहेत्रलोनं सहे रगुक हमैं।
स्वनक्षत्रहेऽरविमाषमाढसप्तममानं व्रतममाचरहेतम् ।
नम इन्द्रमार महतहे विमृत्रघ्नमार बलमाररहे ॥०३॥
नमलो नमगुचचहनहे च पमाकशमास्त्रहे नमलो नमतः।
एविमगुकमा रजहेनदन्द्रनं ललोकपमालनं सगुरहेश्वरमम् ॥०४॥
अपनहे जन्मनक्षत्र अरविमा आषमाढ सप्तमरी ममें व्रत कमा आचरर करहे।
विमृत्रमासगुर कलो ममारनहे विमालहे, बलमासगुर कहे शत्रगु, महमानम् इन्द्र कलो नमस्कमार
हहै। नमगुचच कलो ममारनहे विमालहे कलो नमस्कमार हहै, पमाक नमामक दहैत पर
शमासन करनहे विमालहे कलो प्ररमाम हहै। ऐसमा कहकर दहेवितमाओनं कहे स्वमामरी
ललोकपमाल इन्द्र ककी पपूजमा करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 121
॥इतहेकलोननविनंशतः पटलतः॥
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 122
मपूलनक्षत्रजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
मपूलक्षर्यजमातकहेभश रक्षलोव्रतनमहलोच्यतहे ।
धरमाव्रतनं तरमा रसमानन्नऋर्यनततः कथतहे धरमा ॥०१॥
मपूल नक्षत्र कहे जमातक कहे चलए रक्षलोव्रत कहमा जमातमा हहै। समार हरी इसहे
धरमाव्रत भरी कहतहे हमैं कलोनंनक ननऋर्यनत कलो धरमा भरी कहमा जमातमा हहै।
गमाराँवि सहे नहैऋर्यत नदशमा ममें रमानत्र कलो नदरी कहे नकनमारहे जमाकर चतगुदर्यशरी,
अममाविसमा अरविमा जन्मनक्षत्र कहे नदन रमाक्षसलोनं कमा पपूजन करहे।
विह व्रतरी रक्षलोभलो नमतः ऐसमा कहकर रमाक्षसलोनं कहे स्वमामरी ननऋर्यनत कमा
पपूजन करहे। रक्षलोनं कमा पपूजन करहे तरमा कलोधभहैरवि नमामक दहेवितमा ककी
पपूजमा करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 123
प्रकमृनत कहे पपूजन एविनं रक्षमा कहे चलए पपूविर्यकमाल ममें जलो ब्रहमा जरी कहे दमारमा
नननमर्यत हुए, उन रक्ष-रमाक्षसलोनं कलो प्ररमाम हहै, आप सदहैवि पमाप सहे महेररी
रक्षमा करमें (ऐसरी प्रमारर्यनमा करहे) ।
रनद शनक-समामथर्य हलो तलो ब्रमाहर कलो बरीस पल (लगभग ६०० ग्रमाम
रमा समाठ तलोलहे) सगुविरर्य ककी पमृथरी बनमाकर दमान करहे। रनद समामथर्य न
हलो तलो दपूसरमा नविधमान बतमातमा हूराँ। पपूचरर्यममा कहे आनहे पर मज्यौन धमारर करहे
एविनं दपूध परीकर रहहे। नफर चशवि जरी ककी पपूजमा करकहे श्वहेतविरर्य विमालहे गमार
बहैल कमा जलोड़िमा (एक गमार-बहैल अरविमा दलो गमार अरविमा दलो बहैल) दमान
करहे। ब्रमाहरलोनं कलो भलोजन करमाकर रमाक्षसलोनं कहे स्वमामरी कलो प्ररमाम करहे।
इस प्रकमार सहे रमाक्षसरमाज कलो प्रसन्न करनहे विमालमा रक्षलोव्रत कहमा गरमा हहै।
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 124
॥अरहैकनविनंशतः पटलतः॥
पपूविमार्यषमाढमाशतचभषमाजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
पपूविमार्यषमाढमासगु विमारण्यमानं जमातमार विररव्रतमम् ।
जमातकहैसत्प्रकतर्यवममृक्षदलोषननविमृत्तरहे ॥०१॥
ॐ विज्यौनमनत मनगुतः प्रलोकलो विररसमाम्बगुभपूपतहेतः।
पञ्चममामरविक्षर्थे विमा गतमा पगुष्कररररीतटमम् ॥०२॥
सन्तितरी पपूजरहेत्तस विमारररीनं पगुष्करनं तरमा।
नदरीविमाररचधसनंरगुकमानं चषर्यररीनं विररनप्ररमामम् ॥०३॥
नदभगुजनं हनंसपमृषस्थिनं दचक्षरहेनमाभरप्रदमम् ।
विमामहेन नमागपमाशन्तिगु धमाररन्तिनं सगुभलोनगनमम् ॥०४॥
नमागहैनर्यदरीचभरमार्यदलोचभतः समगुद्रहैतः पररविमाररतमम् ।
ध्यमातहैविनं विररनं दहेविनं ततसनं प्ररमहेद्व्रतरी ॥०५॥
विररलो धविललो चजष्णगुतः पगुरषलो ननम्नगमाचधपतः ।
पमाशहसलो महमाबमाहुससहै ननतनं नमलो नमतः ॥०६॥
पपूविमार्यषमाढमा अरविमा शतचभषमा ममें जन्म चलए हुए वनक कहे चलए
विररव्रत हहै। नक्षत्र कहे दलोष ककी शमानंनत कहे चलए जमातकलोनं कहे दमारमा उसहे
करनमा चमानहए। ॐ विज्यौनं रह जल कहे रमाजमा विरर कमा मन कहमा गरमा
हहै। पञ्चमरी नतचर अरविमा जन्मनक्षत्र कहे नदन सरलोविर कहे नकनमारहे जमाकर
विरर ककी सन्तिमान विमारररी तरमा पगुष्कर कमा पपूजन करहे। नदरी एविनं समगुद्र
सहे रगुक विरर ककी पत्नरी चषर्यररी कमा पपूजन करहे। दलो भगुजमाओनं विमालहे, हनंस
कहे परीठ पर बहैठहे हुए, दमानहनहे हमार सहे अभर प्रदमान करतहे हुए, बमारमें
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 125
हमार ममें नमागपमाश धमारर नकरहे हुए, सगुन्दर विसगुओनं कमा उपभलोग करनहे
विमालहे, नमाग-नदरी-जलचर तरमा समगुद्रलोनं सहे नघरहे हुए विरर दहेवितमा कमा
ध्यमान करकहे व्रत कलो करनहे विमालमा वनक उनमें प्ररमाम करहे। श्वहेतविरर्य
कहे, नविजरशमालरी विररदहेवि, जलो ननदरलोनं कहे स्वमामरी हमैं, पमाश कलो धमारर
करतहे हमैं तरमा नविशमाल भगुजमाओनं विमालहे हमैं, उनकहे चलए सदहैवि प्ररमाम हहै।
पनवित्र व्रत कमा पमालन करनहे विमालमा वनक चहैत्रममास ममें गन्धि-उबटन-इत्र
आनद कमा उपभलोग न करहे। उसकहे बमाद सगुगन्धि-चन्दन सहे चलपटरी हुई
सगुन्दर मलोतरी, श्वहेतविस्त्र, खरीर एविनं दचक्षरमा कमा शमास्त्रविहेत्तमा ब्रमाहर कलो
दमान करहे। रमानत्र कलो जल ममें विमास करकहे प्रमाततःकमाल गलोदमान करहे।
महमात्ममा विरर कमा रह सभरी रलोगलोनं कमा नमाश करनहे विमालमा एविनं सभरी
प्रकमार कहे सज्यौभमाग्य ककी विमृनर करनहे विमालमा शगुभ व्रत कहमा गरमा हहै।
॥ इतहेकनविनंशतः पटलतः॥
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 126
॥ अर दमानविनंशतः पटलतः॥
उत्तरमाषमाढमाजमातकमानमानं व्रतविरर्यनमम्
कचरतमा रलोत्तरमाषमाढमा तसमानं जमातस रद्व्रतमम् ।
नविश्वव्रतञ्च तत्प्रलोकनं नविश्वहेदहेविनप्ररङ्करमम् ॥०१॥
पज्यौषहे शगुकदशममानं विमा स्वक्षर्थे कहेशविमचन्दरमम् ।
गतमा च नविचधसम्भमारहैनविर्यश्वहेदहेविमानम् समचर्यरहेतम् ॥०२॥
चजसहे उत्तरमाषमाढमा कहतहे हमैं, उसममें जन्म लहेनहे विमालहे वनक कमा जलो व्रत
हहै, उसहे नविश्वव्रत कहमा गरमा हहै जलो नविश्वहेदहेवि कलो प्रसन्न करनहे विमालमा हहै।
पज्यौष ममास कहे शगुक पक्ष ककी दशमरी कलो अरविमा अपनहे जन्मनक्षत्र कहे
नदन नविष्णगुमचन्दर ममें जमाकर शमास्त्रलोक समामनग्ररलोनं सहे नविश्वहेदहेविलोनं कमा पपूजन
करहे।
दशमरी कलो एक समर (रमानत्र) कमा भलोजन करतमा हुआ एक विषर्य वतरीत
कर सलोनहे कमा ब्रहमाण्ड (प्रनतमपूनतर्य) बनमाकर दमान करहे। ऋतगु, दक्ष, विसगु,
सत, कमाल, कमाम, मगुनन, गगुर, नविप्र तरमा रमाम, रहे दस नविश्वहेदहेवि बतमारहे
गए हमैं।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 127
विषमार्यन्तिहे ब्रहभलोजञ्चमारलोजरहेन्व्रतकमृन्नरतः ।
दशधहेनपूसतलो दतमा नपतमृशमारनं सममाचरहेतम् ॥०५॥
नविश्वहेभतः पदमगुच्चमारर्य दहेविहेभलो नम उच्चरहेतम् ।
एतनदश्वव्रतनं प्रलोकनं महमापमातकनमाशनमम् ॥०६॥
विषर्य कहे बरीतनहे पर ब्रमाहर-भलोजन कमा आरलोजन करहे और नफर व्रत कलो
करनहे विमालमा वनक दस नविप्रसपूतमा गमारलोनं कमा दमान करनहे कहे बमाद नपतरलोनं
कमा शमार करहे। नविश्वहेभलो दहेविहेभलो नमतः कमा उच्चमारर करहे। इस प्रकमार
बड़िहे बड़िहे पमापलोनं कमा नमाश करनहे विमालमा नविश्वव्रत कहमा गरमा हहै।
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 128
पपूविमार्यभमाद्रपदजमातकमानमामजमातजमातमानमाञ्च व्रतविरर्यनमम्
पपूविमार्यभमाद्रपदहे जमाततः कगुरमार्यदसव्रतनं शगुभमम् ।
अजलो नविष्णगुरजलो ब्रहमाजतः चशविलोऽजमा महहेश्वररी ॥०१॥
पपूविमार्यभमाद्रपद ममें उत्पन्न वनक शगुभ बसव्रत कलो करहे। नविष्णगु अज हमैं।
ब्रहमा भरी अज हमैं, चशवि अज हमैं तरमा महहेश्वररी दगुगमार्य भरी अजमा (जन्ममानद
नविकमारलोनं सहे रनहत) हमैं।
कमृष्णपक्ष ककी चतगुदर्यशरी अरविमा जन्मनक्षत्र कहे नदन चशविमालर ममें जमाकर
रद्र ककी पपूजमा करहे। अजमार नमतः कहकर नत्रदहेविलोनं कमा पपूजन करकहे ब्रह
कमा ध्यमान करतहे हुए आत्मतत कमा चचन्तिन करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 129
चहैत्रममास ममें एक हरी समर कहे भलोजन कमा ननरम तरीन रमातलोनं तक करकहे
इचन्द्ररविमृनत्त पर ननरनर रखतहे हुए नदरी ममें जमाकर समान करकहे
नविचधपपूविर्यक दमान करहे। पमानंच दगुधमारू बकरररलोनं कमा दमान ब्रमाहर कलो करहे।
रह सभरी रलोगलोनं कमा नमाश करनहे विमालमा बसव्रत कहमा गरमा हहै।
चजसहे अपनहे जन्मनक्षत्र कमा (अरविमा अशगुभ एविनं परीनडत नक्षत्र कमा)
जमान न हलो विह नक्षत्रपगुरष कहे व्रत कमा आचरर करहे अरविमा सनंचक्षप्त
रूप सहे रमाचशव्रत कमा आरलोजन करहे।
कमानतर्यक ममास ममें कहेविल रमानत्र कमा भलोजन करतमा हुआ महेष कमा दमान
करहे। ममागर्यशरीषर्य ममें विमृष कमा दमान करहे। पज्यौष-ममाघ-फमालगुन आनद सभरी
महरीनलोनं ममें कम सहे (नमरगुन-ककर्य-चसनंहमानद) रमाचशरलोनं ककी स्वरर्यप्रनतममा
बनमाकर चन्दन-विस्त्र-ममालमा आनद सहे सगुसनज्जत करकहे बहुत सरी दचक्षरमा
कहे समार दमान करहे।
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 130
सभरी उपद्रविलोनं कमा नमाश करनहे विमालमा रह रमाचशव्रत कहमा गरमा हहै जलो
सभरी इच्छमाओनं कलो पपूरमा करकहे चन्द्रममा कहे ललोक ककी प्रमानप्त करमातमा हहै।
परमम् विहेगविमानम्, अनविनमाशरी, सपर्य कहे सममान उत्कट, सपूरमार्यनद कहे अनसत
कहे कमारर, समृनष्ट-नस्थिनत-प्रलर कहे कमाररभपूत महमानम् ईश्वर घलोर कमाल-
पगुरष कहे चलए प्ररमाम हहै।
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॥ इनत प्ररलोगखण्डतः॥
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 131
पररचशष्ट
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 132
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 133
शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा
नक्षत्रममाहहेश्वररी 134
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शरीननग्रहमाचमारर्यनविरचचतमा