VP2025T15H [ww.upscmaterial.online]
VP2025T15H [ww.upscmaterial.online]
VP2025T15H [ww.upscmaterial.online]
www.visionias.in
TEST BOOKLET
INSTRUCTIONS
1. IMMEDIATELY AFTER THE COMMENCEMENT OF THE EXAMINATION, YOU SHOULD CHECK THAT THIS BOOKLET
DOES NOT HAVE ANY UNPRINTED OR TURN OR MISSING PAGES OR ITEMS, ETC. IF SO, GET IT REPLACED BY A
COMPLETE TEST BOOKLET.
2. ENCODE CLEARLY THE TEST BOOKLET SERIES A, B, C OR D AS THE CASE MAY BE IN THE APPROPRIATE PLACE IN
THE ANSWER SHEET.
3. You have to enter your Roll Number on the Test Booklet in the Box
provided alongside. Do NOT write anything else on the Test Booklet.
4. This Test Booklet contains 100 items (Questions). Each item is printed in English & Hindi. Each item comprises
four responses (answers). You will select the response which you want to mark on the Answer Sheet. In case you
feel that there is more than one correct response with you consider the best. In any case, choose ONLY ONE
response for each item.
5. You have to mark all your responses ONLY on the separate Answer Sheet provided. See direction in the answers
sheet.
6. All items carry equal marks. Attempt all items. Your total marks will depend only on the number of correct
responses marked by you in the answer sheet. For every incorrect response 1/3rdof the allotted marks will be
deducted.
7. Before you proceed to mark in the Answer sheet the response to various items in the Test booklet, you have to
fill in some particulars in the answer sheets as per instruction sent to you with your Admission Certificate.
8. After you have completed filling in all responses on the answer sheet and the examination has concluded, you
should hand over to Invigilator only the answer sheet. You are permitted to take away with you the Test Booklet.
9. Sheet for rough work are appended in the Test Booklet at the end.
उपयुवक्त कथिों िें से कौि-सा/से सही है/हैं? 3. उसे राज्य सरकार की अिुिमत के मििा दकसी
कं पिी या मिगि िें मिदेशक का पद स्र्ीकार िहीं
(a) के र्ि 1
करिा चामहए।
(b) के र्ि 2
उपयुवक्त कथिों िें से दकतिे सही हैं?
(c) 1 और 2 दोिों
(a) के र्ि एक
(d) ि तो 1, ि ही 2 (b) के र्ि दो
(c) सभी तीिों
2. भारत िें मिरर्श शासि के दौराि पाररत अमिमियिों (d) कोई िहीं
के संदभव िें, मिम्नमिमित कथिों पर मर्चार कीमिए:
1. 1813 के चार्वर अमिमियि िे भारत के साथ 5. भारत िें स्र्तंत्रता संग्राि के संदभव िें, मिम्नमिमित
व्यापार को सभी मिरर्श िागररकों के मिए िोि कथिों िें से कौि-सा 'िुदाई मिदितगार' का सर्वश्रेष्ठ
ददया।
र्र्वि करता है?
2. 1833 के चार्वर अमिमियि िे चाय के व्यापार और
(a) यह मिरर्श शासि के मर्रुद्ध सहंसक गमतमर्मियों
चीि के साथ व्यापार पर ईस्र् इं मिया कं पिी के
पर कें दित एक िांमतकारी सिूह था।
एकामिकार को सिाप्त कर ददया।
(b) यह उत्तर-पमिि सीिांत प्रांत िें एक असहंसक
उपयुवक्त कथिों िें से कौि-सा/से सही है/हैं?
आंदोिि था।
(a) के र्ि 1 (c) यह समर्िय अर्ज्ञा आंदोिि के दौराि िंगाि िें
(b) के र्ि 2 एक दकसाि मर्िोह था।
2. उिके मर्रुद्ध कोई आपरामिक कायवर्ाही संमस्थत भारत िें प्रथि मर्मि आयोग की स्थापिा हुई?
या िारी िहीं रिी िाएगी। (a) 1833 का चार्वर अमिमियि
3. उिके कृ त्यों के मिए उिके मर्रुद्ध कोई मसमर्ि
(b) 1853 का चार्वर अमिमियि
कायवर्ाही िहीं की िाएगी।
िीचे ददए गए कू र् का उपयोग कर सही उत्तर चुमिए। (c) 1784 का मपट्स इं मिया एक्र्
(b) के र्ि 1 और 3
(c) के र्ि 2 और 3 19. इं मियि होि रूि सोसायर्ी के संदभव िें, मिम्नमिमित
(b) के र्ि दो
30. हाि ही िें सुर्ख़वयों िें रहे चिर्ात असिा के संदभव िें
(c) के र्ि तीि
मिम्नमिमित कथिों पर मर्चार कीमिए:
(d) सभी चार
1. इसकी उत्पमत्त अरि सागर िें हुई और यह कच्छ
तर् पर िैंिफाि दकया।
27. िंमत्रिंिि (Cabinet) के संदभव िें मिम्नमिमित कथिों
2. सािान्यतः उष्र्करर्िंिीय चिर्ात िंगाि की
पर मर्चार कीमिए: िाडी की तुििा िें अरि सागर िें अमिक आते हैं।
1. यह िंमत्रपररर्द से छोर्ा मिकाय है।
उपयुवक्त कथिों िें से कौि-सा/से सही है/हैं?
2. इसका उल्िेि संमर्िाि के िूि पाठ िें दकया गया
(a) के र्ि 1
था।
3. संमर्िाि िें िंमत्रिंिि की भूमिका को पररभामर्त (b) के र्ि 2
िहीं दकया गया है, यह मिर्ेि िें मर्कमसत संसदीय (c) 1 और 2 दोिों
सरकार की परंपराओं पर आिाररत है।
(d) ि तो 1, ि ही 2
उपयुवक्त कथिों िें से दकतिे सही हैं?
(a) के र्ि एक
31. कायवस्थि पर यौि उत्पीडि, िमहिाओं के मिम्नमिमित
(b) के र्ि दो
िूि अमिकारों िें से दकसका/दकिका उल्िंघि करता
(c) सभी तीिों
है/हैं?
(d) कोई िहीं
1. अिुच्छेद 14 के तहत सिािता का अमिकार
28. सुर्ख़वयों िें रहा "र्ाइि दिस्र्ि" के संदभव िें, 2. अिुच्छेद 21 के तहत िीर्ि और स्र्तंत्रता का
करते हैं, ऊिाव की उच्चति अर्स्था िें िौिूद रहते िीचे ददए गए कू र् का प्रयोग करके सही उत्तर चुमिए।
(c) ये िेिर तकिीक िें उपयोग दकए िािे र्ािे (b) के र्ि 3
परंपरागत दिस्र्ि हैं।
(c) के र्ि 1 और 3
(d) ये ऊिाव की क्षमत दकए मििा दो अर्स्थाओं के िीच
दोिि करते हैं। (d) 1, 2 और 3
पारदर्शवता सुमिमित होगी और सरकार की शीघ्र 3. िेहरू के प्रमसद्ध भार्र् “रट्रस्र् मर्द िेमस्र्िी” ददए
प्रमतदिया प्राप्त होगी।
3. यह प्रस्तार् राज्य सभा िें प्रस्तुत िहीं दकया िा िािे से पहिे उन्होंिे संमर्िाि सभा के स्र्तंत्रता
सकता। सत्र िें र्ंदे िातरि गीत गाया था।
4. यह मियमित कायवर्ाही की अपेक्षा अत्यार्श्यक
उपयुवक्त कथिों िें मिम्नमिमित िें से दकस व्यमक्तत्र् का
चचावओं को प्राथमिकता देकर मर्िायी एिेंिे को
िहत्र्पूर्व रूप से प्रभामर्त करता है। र्र्वि दकया िा रहा है?
मिम्नमिमित िें से कौि उपयुवक्त कथिों िें उमल्िमित
प्रदिया से संिद्ध है? (a) अरुर्ा आसफ अिी
(a) आई.एि.ए. के िुकदिों के आिार पर महरासत िें 1. एमन्िप्शि मर्मशष्ट मियिों का उपयोग करके
मिए गए सभी राििीमतक कै ददयों की ररहाई। पठिीय िािकारी को अपठिीय रूप िें पररर्र्तवत
(c) मिरर्श अमिकाररयों द्वारा दकए िािे र्ािे िस्िीय 2. एंि-र्ू-एंि एमन्िप्शि यह सुमिमित करता है दक
भेदभार् और दुव्यवर्हार का उन्िूिि। िेर्ा पारगिि के दौराि और सर्वर िें संग्रहीत रहते
(d) मिरर्श शासि से भारत की तत्काि स्र्तंत्रता।
हुए, दोिों ही सिय एमन्िप्र्ेि रहे।
देिे की िांग।
(c) 1 और 2 दोिों
(b) अल्पसंख्यकों के मिए पृथक मिर्ावचि क्षेत्रों की
(d) ि तो 1, ि ही 2
स्थापिा का अिुरोि।
है।
59. िमियांर्ािा िाग हत्याकांि के संदभव िें, मिम्नमिमित
2. इसे भारत के राज्यक्षेत्र िें मस्थत सभी न्यायाियों
कथिों पर मर्चार कीमिए:
िें सुिर्ाई का अमिकार प्राप्त है।
1. इस घर्िा की िांच के मिए अंग्रि
े ों िे हंर्र आयोग
का गठि दकया था। 3. यह के न्िीय िंमत्रिंिि का महस्सा होता है और
2. िहात्िा गांिी िे िमियांर्ािा िाग हत्याकांि के इसमिए उसे मििी मर्मिक प्रैमक्र्स करिे
मर्रोि िें अपिी िाइर्हुि की उपामि त्याग दी से प्रमतिंमित दकया गया है।
थी।
उपयुवक्त कथिों िें से दकतिे सही हैं?
उपयुवक्त कथिों िें से कौि-सा/से सही है/हैं?
(a) के र्ि एक
(a) के र्ि 1
(b) के र्ि दो
(b) के र्ि 2
(c) सभी तीिों
(c) 1 और 2 दोिों
संदभव िें, मिम्नमिमित कथिों पर मर्चार कीमिए: (NRI) और ओर्रसीि मसर्ीिि ऑफ इं मिया
(a) के र्ि 1 और 3
(b) के र्ि दो
1. आसेमिक
(c) सभी तीिों
2. आयरि
(d) कोई िहीं
3. फ्िोरीि
4. यूरेमियि
66. 'िोिेर्' ('Bonnet') और 'रोएि ओल्िी' ('Roen
िीचे ददए गए कू र् का उपयोग करके सही उत्तर का
Olmi') शब्द हाि ही िें सुर्िवयों िें रहे हैं। र्े दकसकी
चयि कीमिए।
दकस्िें हैं-
(a) के र्ि एक
(a) िशरूि
(b) के र्ि दो
(b) के सर
(c) के र्ि तीि (c) चार्ि
(d) सभी चार (d) गन्ना
23 www.visionias.in ©Vision IAS
67. िॉन्च व्हीकि िाकव -3 (LVM3) के संदभव िें, 70. मिम्नमिमित िें से कौि-से िेता िेडा सत्याग्रह िें गांिी
िी के साथ शामिि थे?
मिम्नमिमित कथिों पर मर्चार कीमिए:
1. सरदार र्ल्िभभाई पर्ेि
1. यह भारत का एकिात्र ऐसा याि है मिसिें भूमस्थर
2. िरहरर पारीि
कक्षा िें पेिोि िे िािे की क्षिता है।
3. िर्ाहरिाि िेहरू
2. इसे चार-चरर्ीय याि के रूप िें तैयार दकया गया 4. रमर्शंकर व्यास
है मिसिें दो ठोस और दो तरि कोर चरर् हैं। िीचे ददए गए कू र् का प्रयोग कर सही उत्तर चुमिए।
(a) 1, 2, 3 और 4
उपयुवक्त कथिों िें से कौि-सा/से सही है/हैं?
(b) के र्ि 1, 2 और 3
(a) के र्ि 1
(c) के र्ि 3 और 4
(b) के र्ि 2 (d) के र्ि 1, 2 और 4
(c) 1 और 2 दोिों
2. यह घर्िा ति होती है िि गिव हर्ा िुिे िि पर 3. कें िीय स्तर पर, संपूर्व ििर् पर इम्पीररयि
मर्िाि पररर्द द्वारा ितदाि दकया िा सकता था।
िहती है और ऊपर की ओर प्रर्ाह ििाती है।
उपयुवक्त कथिों िें से दकतिे सही हैं?
3. यह घर्िा उष्र्करर्िंिीय और उपोष्र्करर्िंिीय (a) के र्ि एक
क्षेत्रों तक ही सीमित है। (b) के र्ि दो
(c) सभी तीिों
उपयुवक्त कथिों िें से दकतिे सही हैं?
(d) कोई िहीं
(a) के र्ि एक
82. एक राििीमतक प्रर्ािी के संदभव िें, मिम्नमिमित
(b) के र्ि दो मर्शेर्ताओं पर मर्चार कीमिए:
1. िंमत्रपररर्द मर्िामयका के प्रमत उत्तरदायी होती है
(c) सभी तीिों
2. मर्िामयका और कायवपामिका के िीच शमक्तयों का
स्पष्ट पृथक्करर्
(d) कोई िहीं
3. मर्िाििंिि के मिचिे सदि के मिए मिमित
कायवकाि का अभार्
4. सरकार का िेतृत्र् मर्मिर्त रूप से कायवपामिका
80. भारतीय संमर्िाि की प्रस्तार्िा िें संशोिि के संदभव के पास
उपयुवक्त िें से दकतिी मर्शेर्ताएं संसदीय शासि
िें, मिम्नमिमित कथिों पर मर्चार कीमिए:
प्रर्ािी की हैं?
1. भारतीय संमर्िाि की प्रस्तार्िा िें संशोिि को (a) के र्ि एक
(b) के र्ि दो
अिुच्छेद 368 के तहत संशोिि िहीं िािा िाता
(c) के र्ि तीि
है। (d) सभी चारों
92. इं मियि सोशि कांफ्रेंस के संदभव िें, मिम्नमिमित कथिों (a) के र्ि 1
3. इसिे िाि मर्र्ाह को रोकिे हेतु िोगों से याचिा कांग्रेस िे पहिी िार सीिे ििता से अपीि की तथा 21
करिे के मिए ‘याचिा अमभयाि’ चिाया। र्र्व की आयु के सभी पुरुर्ों और िमहिाओं के मिए
सदस्यता के द्वार िोि ददए?
उपयुवक्त कथिों िें से दकतिे सही हैं?
(a) स्र्देशी आंदोिि
(a) के र्ि एक
(b) असहयोग आंदोिि
(b) के र्ि दो
(c) समर्िय अर्ज्ञा आंदोिि
(c) सभी तीिों
(d) भारत छोडो आंदोिि
(d) कोई िहीं
VISIONIAS
www.visionias.in
ANSWERS & EXPLANATIONS
GENERAL STUDIES (P) TEST – 4715 (2025)
Q 1.B
• सार्वभौमिक ितामिकार का मर्चार भारतीय राष्ट्रर्ाद के िूल मर्चारों िें मिमित िै। एक िै। भारत के मलए अिौपचाररक रूप से
संमर्िाि तैयार करिे का पिला प्रयास 'कं मटिट्यूशि ऑफ इं मिया मिल' के िाि से सि् 1895 िें हुआ था। इस पिले प्रयास िें
भी इसके लेखक िे घोषणा की थी कक प्रत्येक िागररक अथावत् भारत िें जन्िे व्यमि को देश के िािलों िें भाग लेिे तथा सरकारी
पद िामसल करिे का अमिकार िै। िोतीलाल िेिरू ररपोिव (1928) िें िागररकता की इस अर्िारणा की पुमि करते हुए किा
गया िै कक 21 र्षव की आयु प्राप्त करिे र्ाले प्रत्येक व्यमि को, चािे र्ि स्त्री िो या पुरुष, प्रमतमिमि सभा या संसद के मलए
ितदाि करिे का अमिकार िोगा। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• 61र्ें संमर्िाि संशोिि अमिमियि, 1988 िें लोकसभा और राज्य मर्िािसभाओं के चुिार्ों िें ितदाि की आयु 21 र्षव से
घिाकर 18 र्षव कर दी गई। इसके मलए संमर्िाि के अिुच्छेद 326 िें संशोिि ककया गया था, जो लोकसभा और
मर्िािसभाओं के चुिार्ों से संिंमित िै। इसमलए कथि 2 सिी िै।
Q 2.C
o व्यापार एकामिकार की सिामप्त: इस अमिमियि िे भारत िें व्यापार पर ईटि इं मिया कं पिी के एकामिकार को सिाप्त कर
कदया, मजससे भारतीय िाजार िें प्रमतटपिाव की अिुिमत मिल गई। िालांकक, कं पिी िे अभी भी चीि के साथ व्यापार और
चाय के व्यापार पर अपिा एकामिकार ििाए रखा। इसमलए कथि 1 सिी िै।
o क्षेत्रों और राजटर् का प्रमतिारण: अमिमियि िें यि प्रार्िाि ककया गया था कक कं पिी अगले 20 र्षों तक क्षेत्रों पर
अमिकार ििाए रखेगी और राजटर् संग्रि करती रिेगी।
o मियंत्रण िोिव की शमियों का मर्टतार: अमिमियि िे मियंत्रण िोिव (िोिव ऑफ कं ट्रोल) की शमियों का और मर्टतार ककया,
मजससे उसे ईटि इं मिया कं पिी के िािलों पर अमिक अमिकार और मियंत्रण प्राप्त हुआ।
o सामित्य, मशक्षा और मर्ज्ञाि को प्रोत्सािि: भारत की टथािीय जिता के िीच सामित्य, मशक्षा और मर्ज्ञाि के प्रोत्सािि,
पुिरुद्धार और संर्िवि के मलए प्रमतर्षव एक लाख रुपये की रामश आर्ंरित की जािी थी।
o ईसाई मिशिररयों के मलए अिुिमत: ईसाई मिशिररयों को भारत आिे और अपिे ििव का प्रचार करिे की अिुिमत दी गई,
मजससे ईसाई ििव का प्रसार करिा आसाि िो गया।
o प्रशासमिक मिकाय िें पररर्तवि: इस अमिमियि िे भारत िें कं पिी की व्यार्सामयक गमतमर्मियों को सिाप्त कर कदया,
मजसिें चाय के व्यापार पर एकामिकार भी शामिल था। इसिे कं पिी की प्राथमिक भूमिका को व्यापार से शासि की ओर
टथािांतररत कर कदया। इसमलए कथि 2 सिी िै।
o अंग्रेजों के मलए भारत िें िसिे की टर्तंत्रता: इसके अंतगवत अंग्रेजों को भारत िें िसिे की टर्तंत्रता प्रदाि की गई, मजससे
मिरिश मिर्ामसयों के मलए देश िें अमिक टथायी उपमटथमत का िागव प्रशटत हुआ।
o क्षेत्रीय टर्ामित्र् िें पररर्तवि: यद्यमप ईटि इं मिया कं पिी का भारतीय क्षेत्रों पर अमिकार जारी रिा, लेककि इस अमिमियि
िें यि प्रार्िाि ककया गया कक इि क्षेत्रों को “ििािमिि के मलए ट्रटि िें रखा जाएगा”, जो कं पिी से मिरिश ताज की ओर
संप्रभुता िें पररर्तवि को दशावता िै।
Q 3.D
• ग़दर आंदोलि की शुरुआत 1913 िें हुई थी और इसके तित उत्तरी अिेररका िें क्ांमतकारी गमतमर्मियां संचामलत की गई थीं।
इसिे एक साप्तामिक सिाचार पत्र ग़दर शुरू ककया मजसका िुख्यालय सैि फ्ांमसटको िें था। ग़दर का अथव मर्िोि िोता िै।
• इसके तित क्ांमतकारी गमतमर्मियों के संचालि के मलए, पिले के कायवकतावओं िे र्ैंकूर्र िें 'टर्देश सेर्क गृि' और मसएिल िें
'यूिाइिेि इं मिया िाउस' की टथापिा की थी।
o जी.िी. कु िार िे र्ैंकूर्र िें टर्देश सेर्क गृि की टथापिा की और "टर्देश सेर्क" िािक एक पमत्रका शुरू की जो गुरुिुखी
िें प्रकामशत िोती थी। मसएिल िें यूिाइिेि इं मिया िाउस की टथापिा 1910 िें जी.िी. कु िार और तारकिाथ दास िे की
थी।
• ग़दर पािी के पीछे प्रेरक िेतृत्र्कताव लाला िरदयाल, रािचंि, भगर्ाि ससंि, करतार ससंि सरािा, िरकतुल्लाि और भाई
परिािंद थे। ग़दर आंदोलि के िेतृत्र्कतावओं का उद्देश्य भारत िें मर्िोि शुरू करिा था।
• 1914 िें िेतत्ृ र् की किी के िाद िंगाल के क्ांमतकाररयों िे भी ग़दर आंदोलि िें भाग मलया। िंगाली क्ांमतकाररयों से संपकव
ककया गया और ससचंििाथ सान्याल और मर्ष्णु गणेश सपंगले के प्रयासों से, िंगाली क्ांमतकारी रास मििारी िोस, जो र्ायसराय
िार्ििंग पर अपिे सािसी ििले के मलए प्रमसद्ध िो गए थे, अंततः जिर्री 1915 के िध्य िें मर्िोि का िेतृत्र् संभालिे के मलए
पंजाि पहुंचे।
Q 4.C
• ििामिर्िा की मियुमि राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती िै। उसे उच्च न्यायालय का न्यायािीश मियुि िोिे के योग्यता रखिे
र्ाला व्यमि िोिा चामिए।
• उसे भारत का िागररक िोिा चामिए तथा उसे दस र्षों तक न्यामयक पद िारण करिे का या उच्च न्यायालय िें दस र्षों तक
र्कालत करिे का अिुभर् िोिा चामिए।
• संमर्िाि के तित ििामिर्िा के पद की मिमित अर्मि मििावररत ििीं की गई िै और ि िी इसिें उसे ििाए जािे की प्रकक्या
और आिार शामिल िैं। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• ििामिर्िा राज्य के राज्यपाल के प्रसाद्पयिंत पद िारण करता िै, मजसका तात्पयव िै कक उसे राज्यपाल द्वारा ककसी भी सिय
ििाया जा सकता िै।
• संमर्िाि िें ििामिर्िा के र्ेति-भत्तों को भी मििावररत ििीं ककया गया िै। उसके र्ेति भत्तों का मििावरण राज्यपाल द्वारा
ककया जाता िै। यि पूणवकामलक पद ििीं िै और र्ि मिजी कािूिी प्रैमटिस कर सकता िै।
• पद से िुि िोिे के िाद ििामिर्िा को पुिः मियुि ककया जा सकता िै या र्ि ककसी अन्य सरकारी पद के मलए पात्र िोता िै।
इसमलए कथि 2 सिी िै।
o ििामिर्िा को राज्य सरकार के मर्रुद्ध कोई सलाि ििीं देिी चामिए या मर्श्लेष्ण ििीं करिा चामिए।
o उसे उि िािलों िें सलाि या मर्श्लेष्ण ििीं करिा चामिए मजििें उसे राज्य सरकार की ओर से सलाि देिे या पेश िोिे के
मलए किा गया िो।
o ििामिर्िा को राज्य सरकार की अिुिमत के मििा आपरामिक अमभयोजि िें आरोपी व्यमि का िचार् ििीं करिा
चामिए।
o उसे राज्य सरकार की अिुिमत के मििा ककसी कं पिी या मिगि िें मिदेशक का पद टर्ीकार ििीं करिा चामिए। इसमलए
कथि 3 सिी िै।
Q 5.B
• खुदाई मखदितगार, मजसे “सर्ेंट्स ऑफ़ गॉि” या “लाल कु ती (Redshirts)” के िाि से भी जािा जाता िै, मिरिश भारत िें एक
असिंसक प्रमतरोि आंदोलि था। इसके अंतगवत पश्तूि टर्ायत्तता और मिरिश दिि के अंत के मलए संघषव ककया गया था। उत्तर-
पमिि सीिांत प्रांत िें ककए गए इस आंदोलि का िेतत्ृ र् पश्तूि टर्तंत्रता सेिािी अब्दुल गफ्फार खाि िे ककया था।
• सिय के साथ, यि आंदोलि राजिीमतक िो गया। इसकी िढ़ती प्रिुखता के कारण अंग्रेजों को इस क्षेत्र पर ध्याि देिा पड़ा।
1929 िें खाि और अन्य िेताओं की मगरफ्तारी के िाद, ऑल-इं मिया िुमटलि लीग से सिथवि प्राप्त करिे िें मर्फल िोिे के िाद,
यि आंदोलि औपचाररक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस िें शामिल िो गया।
• खुदाई मखदितगार के सदटय संगरित थे और पुरुष र्दी के रूप िें लाल कु ती पििते थे, जो उिकी पिचाि का प्रतीक था,
जिकक िमिलाएं काले र्स्त्र पििती थीं। खुदाई मखदितगार िे मर्भाजि का मर्रोि ककया, मजसे कई लोगों िे इस रूप िें देखा
कक यि आंदोलि टर्तंत्र पाककटताि राष्ट्र के मििावण के पक्ष िें ििीं था।
• अब्दुल गफ्फार खाि (1890-1988), पश्तूिों (पाककटताि और अफगामिटताि का एक िुमटलि जातीय सिूि) के 20र्ीं सदी के
अग्रणी िेता थे। र्े ििात्िा गांिी के अिुयायी थे और उन्िें "सीिांत गांिी" किा जाता था।
• गफ्फार खाि िे गांिीजी से िुलाकात की और 1919 िें रॉलेि एटि के मर्रुद्ध आंदोलि के दौराि राजिीमत िें प्रर्ेश ककया,
मजसिें राजिीमतक असंतुिों को मििा ककसी िुकदिे के कारार्ास की अिुिमत दी गई थी। र्े 1920 िें मखलाफत आंदोलि िें भी
शामिल हुए, मजसका उद्देश्य तुकी सुल्ताि के साथ भारतीय िुसलिािों के आध्यामत्िक संिंिों को िजिूत करिा था।
• 1921 िें उन्िें उिके िूल क्षेत्र उत्तर-पमिि सीिांत प्रांत िें मजला मखलाफत समिमत का अध्यक्ष चुिा गया। 1929 िें भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पािी) के एक अमिर्ेशि िें भाग लेिे के तुरंत िाद, गफ्फार खाि िे पश्तूिों के िीच लाल कु ती आंदोलि
(खुदाई मखतितगार) की शुरुआत की। इसमलए मर्कल्प (b) सिी उत्तर िै।
Q 6.B
• आचायव िरें ि देर् (1889-1956) एक प्रमसद्ध भारतीय सिाजर्ादी िेता, मशक्षा के पक्षिर और टर्तंत्रता सेिािी थे।
• र्े कांग्रस
े सोशमलटि पािी के प्रिुख मसद्धांतकारों िें से एक थे, मजन्िोंिे लोकतांमत्रक सिाजर्ाद का सिथवि ककया, मजसिें सिंसक
साििों का त्याग ककया गया और सत्याग्रि को एक क्ांमतकारी रणिीमत के रूप िें अपिाया गया था।
• िरें ि देर् िे 1947-1951 तक लखिऊ मर्श्वमर्द्यालय और 1951-1954 तक ििारस सिंद ू मर्श्वमर्द्यालय के कु लपमत के रूप िें
सेर्ाएं दी। उन्िोंिे इि मर्श्वमर्द्यालयों के मर्टतार िें िदद की और कई िई पररयोजिाएं शुरू कीं।
o उन्िोंिे सैद्धांमतक रूप से सिंसात्िक साििों का त्याग ककया और सत्याग्रि को क्ांमतकारी रणिीमत के रूप िें अपिाया।
o असियोग आंदोलि और अन्य राजिीमतक गमतमर्मियों िें सकक्य भागीदारी के कारण िरें ि देर् को टर्तंत्रता आंदोलि के
दौराि कई िार जेल जािा पड़ा।
o िरें ि देर् जामत व्यर्टथा के प्रिल मर्रोिी थे। उन्िोंिे जामत व्यर्टथा के उन्िूलि और सािामजक सिािता को िढ़ार्ा देिे के
मलए सकक्य रूप से सिथवि ककया।
o उन्िोंिे र्ंमचत सिुदायों को सशि ििािे और सािामजक पररर्तवि को िढ़ार्ा देिे िें, मर्शेष रूप से िमिलाओं के मलए
मशक्षा के िित्र् को पिचािा।
o एक मशक्षामर्द् और ििारस सिंदू मर्श्वमर्द्यालय के कु लपमत के रूप िें, िरें ि देर् िे िमिलाओं की मशक्षा का सिथवि करिे
और मर्मभन्न क्षेत्रों िें उिकी भागीदारी को प्रोत्सामित करिे के मलए उपाय ककए।
o िरें ि देर् िे िि असिािताओं को दूर करिे और संसाििों का अमिक न्यायसंगत मर्तरण सुमिमित करिे के मलए भूमि
सुिार और आर्थवक न्याय की र्कालत की।
o िरें ि देर् ककसाि आंदोलि िें सकक्य रिे और उन्िोंिे अमखल भारतीय ककसाि कांग्रस
े के अध्यक्ष के रूप िें कायव ककया।
o र्े िौद्ध ििव के मर्द्वाि थे और िाटसवर्ाद िें उिकी गिरी रुमच थी, मजसिे उिकी सिाजर्ादी मर्चारिारा को प्रभामर्त
ककया।
o टर्तंत्रता के िाद, आचायव िरें ि देर् िे सोशमलटि पािी का िेतृत्र् ककया और िाद िें 1956 िें अपिी िृत्यु तक प्रजा
सोशमलटि पािी का िेतत्ृ र् ककया।
o प्रिाििंत्री राजीर् गांिी िे उन्िें “भारत के ििािति सपूतों िें से एक” िताया और किा कक राष्ट्र उिका अत्यमिक ऋणी िै।
o एक मशक्षामर्द् और सिाज सुिारक के रूप िें उिकी मर्रासत को सम्िाि देते हुए, 1975 िें उत्तर प्रदेश िें िरें ि देर् कृ मष
और प्रौद्योमगकी मर्श्वमर्द्यालय का िाि उिके िाि पर रखा गया।
• ए. के . गोपालि: र्े भारतीय कम्युमिटि पािी (CPI) और िाद िें भारतीय कम्युमिटि पािी (िाटसवर्ादी) [CPI(M)], के प्रिुख
िेता थे। र्े CPI(M) के संटथापक सदटय और सिाज के किजोर र्गों के पक्षिर थे।
• श्यािा प्रसाद िुखजी: र्े एक प्रिुख भारतीय राजिीमतज्ञ और भारतीय जिसंघ के संटथापक थे। र्े िेिरूर्ादी िीमतयों के िुखर
आलोचक थे और उन्िोंिे जम्िू-कश्िीर के भारतीय संघ िें एकीकरण िें िित्र्पूणव भूमिका मिभाई थी।
Q 7.A
• िामलया संदभव: ड्रोि के िढ़ते उपयोग के साथ, रक्षा अिुसंिाि एर्ं मर्कास संगिि (DRDO) अपिी टर्यं की एंिी-ड्रोि काउं िर
तकिीक मर्कमसत कर रिा िै। यि सभी प्रकार के ड्रोि का पता लगािे तथा सॉफ़्ि ककल और िािव ककल करिे िें सक्षि िै जैस:े
o िीमियि अल्िीट्यूि लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) यूएर्ी को ISTAR (खुकफया, मिगरािी, िोिी और लक्ष्य प्रामप्त) के मलए
मर्कमसत ककया गया िै। इसमलए युग्ि 1 सिी सुिमे लत ििीं िै।
• उग्रि (Ugram)
o संदभव: िाल िी िें, DRDO की प्रयोगशाला और िैदरािाद मटथत एक मिजी फिव िे उग्रि िािक एक टर्देशी असॉल्ि
राइफल लॉन्च की िै।
o इस राइफल का र्जि 4 ककलोग्राि से कि िै और इसकी फायररंग रें ज 500 िीिर िै। इसमलए युग्ि 2 सिी सुिमे लत िै।
o इसे भारतीय सशस्त्र िलों, अिवसैमिक िलों और राज्य पुमलस िलों की पररचालि आर्श्यकताओं को पूरा करिे के मलए
मिजाइि और मर्कमसत ककया गया िै।
• पुष्पक (Pushpak)
o संदभव: पुष्पक, एक एसयूर्ी आकार का पंख र्ाला रॉके ि िै। िाल िी िें, इसे भारतीय र्ायुसेिा के मचिूक िेलीकॉप्िर से
छोड़ा गया, और RLV LEX-02 प्रयोग के तित सफलतापूर्वक उतारा गया।
o पुष्पक एक पुि: प्रयोज्य प्रक्षेपण याि (RLV) िै। इसमलए युग्ि 3 सिी सुिमे लत ििीं िै।
o इसे भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगिि (ISRO) द्वारा मर्कमसत ककया गया िै।
o RLV-LEX -01 प्रयोग का RLV-TD (HEX1) के साथ पिला परीक्षण िै मजसिें र्ािि की िंगाल की खाड़ी के ऊपर एक
रिर्े पर लैंसिंग शामिल िै।
Q 8.A
• 1857 के मर्िोि िे मर्शेष रूप से जरिल पररमटथमतयों िें, भारत िें कं पिी की प्रशासमिक सीिाओं को उजागर कर कदया था।
इस सिय तक, कं पिी की िहुत अमिक जर्ािदेिी ििीं िोती थी।
• मििेि िें कं पिी के मर्रुद्ध व्यापक आक्ोश था, टयोंकक इस मर्िोि के मलए कं पिी की िीमतयों को मजम्िेदार ििराया गया था।
• 1858 का अमिमियि भारत के प्रशासि िें व्यापक िदलार् के उद्देश्य से लाया गया था और इसे “भारत के शासि को अच्छा
ििािे के मलए अमिमियि” (Act for the Good Government of India) के िाि से भी जािा जाता िै।
• भारत का शासि एक राज्य समचर् और 15 सदटयों र्ाली एक पररषद के िाध्यि से मिरिश ताज के िाि पर ककया जािा था।
यि राज्य समचर् एक मिरिश सांसद और प्रिाििंत्री की िंमत्रिंिल का सदटय िोिा था।
• इस अमिमियि के तित भारत के गर्िवर जिरल का पदिाि िदलकर भारत का र्ायसराय कर कदया गया। र्ायसराय भारत िें
मिरिश ताज का प्रत्यक्ष प्रमतमिमि था।
• पिल करिे और अंमति मिणवय देिे की शमि राज्य समचर् के पास थी तथा पररषद की प्रकृ मत के र्ल सलािकारी थी।
• इस प्रकार, मपट्स इं मिया एटि द्वारा शुरू की गई द्वैि शासि प्रणाली सिाप्त िो गई। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• कं पिी के मिदेशक िंिल की शमियां भारत के राज्य समचर् िें मिमित थीं। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• यि मिणवय मलया गया कक शेष भारतीय राजकु िारों और प्रिुखों (संख्या िें 560 से अमिक) को उिकी टर्तंत्र मटथमत प्राप्त िोगी,
िशते र्े मिरिश आमिपत्य को टर्ीकार करें ।
Q 9.B
• िामलया संदभव: मििाचल प्रदेश िें चंिा की िमणििेश झील िें पिली िार िटिेि अपोलो प्रजामत की मततली को देखा गया और
उसकी तटर्ीर ली गई।
o आकार: यि िध्यि से िड़े आकार की मततली िै, मजसके पंखों का फै लार् 5 से 7 सेिी तक िोता िै।
o मर्तरण क्षेत्र: यि लद्दाख से लेकर पमििी िेपाल तक पाई जाती िै। इसमलए मर्कल्प (b) सिी उत्तर िै।
o पयावर्ास की ऊंचाई: यि आंतररक मििालय िें 3,500 से 4,800 िीिर की ऊंचाई पर पाई जाती िै।
▪ इन्िें व्यार्सामयक रूप से िित्र्पूणव मततमलयां िािा जाता िै और इिकी कीित िहुत अमिक िोिे के कारण इिका
अर्ैि मशकार ककया जाता िै।
▪ मििाचल प्रदेश िें: 11 अपोलो प्रजामतयां दजव की गई िैं, मजििें से 5 को अिुसूमचत प्रजामत घोमषत ककया गया िै।
▪ मटथमत: उििें से ज़्यादातर अि संकिग्रटत (एंिेंजिव) िैं और उिके संरक्षण एर्ं सुरक्षा के मलए तत्काल ध्याि कें कित
करिे की आर्श्यकता िै।
Q 10.D
• एि. एि. रॉय को भारत िें कम्युमिटि आंदोलि के मलए अग्रणी िािा जाता िै। र्े 1934 िें भारत के मलए संमर्िाि सभा का
प्रटतार् प्रटतुत करिे र्ाले प्रथि व्यमि थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े िे 1929 िें अपिे लािौर अमिर्ेशि िें संमर्िाि मििावण के
मलए संमर्िाि सभा की िांग की थी।
• मिरिश सरकार िे प्रारंभ िें संमर्िाि सभा की िांग को अटर्ीकर कर कदया। िालांकक, अगटत 1940 िें र्ायसराय लॉिव
मलिमलथगो िे “अगटत प्रटतार्” प्रटतुत ककया, मजसिें मद्वतीय मर्श्व युद्ध की सिामप्त के िाद संमर्िाि सभा के गिि का प्रार्िाि
शामिल था।
• अंततः, िई 1946 की कै मििेि मिशि योजिा के अिुसार संमर्िाि सभा का गिि ककया गया। कै मििेि मिशि िे भारतीय िेतत्ृ र्
को मिरिश सत्ता का िटतांतरण करिे पर मर्चार-मर्िशव करिे के मलए भारत का दौरा ककया।
• मिर्ावचि प्रकक्या:
o अप्रत्यक्ष मिर्ावचि: सदटयों को प्रांतीय मर्िाि सभाओं के सदटयों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से मिर्ावमचत ककया जािा था, जैसा कक
भारत सरकार अमिमियि 1935 िें प्रार्िाि ककया गया था।
o मिर्ावचि एकल संक्िणीय ित प्रणाली के तित आिुपामतक प्रमतमिमित्र् के आिार पर आयोमजत ककए गए थे।
o िािांकि: देश के सभी भागों से उपमटथमत सुमिमित करिे के मलए िुख्य रूप से ररयासतों से कु छ सदटयों को र्ायसराय
द्वारा िामित ककया जािा था।
• समर्िाि सभा िें मर्मभन्न राजिीमतक दलों, सिुदायों और क्षेत्रों समित मर्मर्ि पृष्ठभूमि के प्रमतमिमि शामिल थे, िालांकक इसिें
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का र्चवटर् था।
• अगटत 1947 िें भारत के मर्भाजि के िाद, संमर्िाि सभा िें सदटयों की संख्या 389 से घिकर 299 िो गई, टयोंकक
पाककटताि िें शामिल िोिे र्ाले प्रांतों के सदटय सभा से िािर िो गए थे।
• संमर्िाि सभा िें लगभग तीि र्षों तक शासि, अमिकारों और मजम्िेदाररयों के मर्मभन्न पिलुओं पर मर्चार-मर्िशव ककया गया
और 26 िर्ंिर, 1949 को संमर्िाि को अपिाया गया, जो 26 जिर्री, 1950 को भारत गणराज्य के जन्ि का जश्न ििाते हुए
लागू हुआ।
o लोकसभा की कु ल सदटय संख्या के दसर्ें भाग से कि सीिें ििीं रखिे र्ाले सिसे िड़े मर्पक्षी दल के िेता को ‘मर्पक्ष का
िेता’ के रूप िें िान्यता दी जाती िै।
o र्ि लोक लेखा समिमत (अध्यक्ष), सार्वजमिक उपक्ि समिमत और प्राक्कलि समिमत जैसी िित्र्पूणव समिमतयों का सदटय
िोता िै तथा कई संयि
ु संसदीय समिमतयों का भी सदटय िोता िै।
o के न्िीय सतकव ता आयुि और अन्य सतकव ता आयुिों की मियुमि भारत के राष्ट्रपमत द्वारा एक उच्चामिकार प्राप्त समिमत
(HPC) की मसफाररशों पर की जाती िै। इस समिमत िें प्रिाििंत्री, गृि िंत्री और लोक सभा िें मर्पक्ष के िेता शामिल िोते
िैं।
o के न्िीय सूचिा आयोग िें एक िुख्य सूचिा आयुि और अमिकति दस सूचिा आयुि िोते िैं। इिकी मियुमि भारत के
राष्ट्रपमत द्वारा एक समिमत की मसफाररश पर की जाती िै। इस समिमत िें अध्यक्ष के रूप िें प्रिाििंत्री, लोकसभा िें मर्पक्ष
का िेता और प्रिाििंत्री द्वारा िामित एक के न्िीय कै मििेि िंत्री शामिल िोते िैं।
o राष्ट्रीय िािर्ामिकार आयोग के अध्यक्ष और सदटयों की मियुमि राष्ट्रपमत द्वारा छि सदटयीय समिमत की मसफाररशों पर
की जाती िै। इस समिमत िें अध्यक्ष के रूप िें प्रिाििंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापमत, संसद के दोिों
सदिों िें मर्पक्ष के िेता और कें िीय गृि िंत्री शामिल िोते िैं।
o लोकपाल की मियुमि राष्ट्रपमत द्वारा एक चयि समिमत की मसफाररश पर की जाती िै। चयि समिमत िें प्रिाििंत्री
(अध्यक्ष), लोकसभा के अध्यक्ष, लोकसभा िें मर्पक्ष के िेता, भारत के िुख्य न्यायािीश या उिके द्वारा िामित कोई अन्य
न्यायािीश और एक प्रमतमष्ठत न्यायमर्द शामिल िोते िैं।
Q 12.B
• आिुपामतक प्रमतमिमित्र् (PR) एक मिर्ावचि प्रणाली िै। इस प्रणाली के तित ककसी मिर्ावमचत मिकाय िें ककसी राजिीमतक दल
या सिूि द्वारा जीती गई सीिों की संख्या, ितदाताओं से प्राप्त ितों की संख्या के अिुपात िें िोती िै।
• कु छ सािान्य PR प्रणामलयों िें पािी-सूची PR, एकल िटतांतरणीय ित और मिमश्त सदटय आिुपामतक रूप से शामिल िोते
िैं। सूची आिुपामतक प्रमतमिमित्र् मर्श्व िें आिुपामतक प्रमतमिमित्र् के सिसे व्यापक रूप से इटतेिाल ककए जािे र्ाले रूपों िें से
एक िै। इसे र्ैमश्वक टतर पर 85 से अमिक देशों िें उपयोग ककया जाता िै।
o सूची PR िें, राजिीमतक दल िहु-सदटयीय मिर्ावचि क्षेत्रों के मलए उम्िीदर्ारों की सूची प्रटतुत करते िैं।
o ितदाता ककसी व्यमिगत उम्िीदर्ार के िजाय राजिीमतक दल के मलए ितदाि करते िैं।
o प्रत्येक दल िें, उम्िीदर्ारों का चयि पािी सूची िें उिके र्रीयता क्ि के आिार पर ककया जाता िै।
• लाभ:
o आिुपामतक पररणाि (Proportional Outcomes): सूची PR यि सुमिमित करता िै कक ककसी दल का सीि शेयर उसके
र्ोि शेयर से िेल खाता िो, मजससे मिष्पक्षता और सिार्ेमशता को िढ़ार्ा मिलता िै।
o िहुपक्षीय प्रणामलयों को प्रोत्सामित करिा (Encourages Multiparty Systems): सूची PR की आिुपामतक प्रकृ मत
छोिे दलों को प्रमतमिमित्र् प्राप्त करिे की अिुिमत देती िै, मजससे अमिक मर्मर्ि मर्िामयका का गिि िोता िै।
o मटथर सरकारें (Stable Governments): सूची PR के कारण अटसर गििंिि सरकारें ििती िैं, जो अमिक मटथर और
सिार्ेशी शासि प्रदाि कर सकती िैं।
7 www.visionias.in ©Vision IAS
• िुकसाि:
o ितदाता-उम्िीदर्ार का संिि
ं मर्च्छेद (Voter-Candidate Disconnect): िंद सूमचयों के साथ, ितदाताओं का इस
िात पर कोई सीिा प्रभार् ििीं पड़ता कक कौि से मर्मशि उम्िीदर्ार मिर्ावमचत िोते िैं।
o दलों को िजिूती (Strengthens Parties): सूची PR की दल-कें कित प्रकृ मत ितदाताओं और उिके प्रमतमिमियों के िीच
व्यमिगत संिंि को किजोर कर सकती िै।
o जरिल ितपत्र (Complex Ballot): ितदाताओं को एकल सदटयीय मजलों की तुलिा िें दल सूची ितपत्र संरचिा अमिक
जरिल प्रतीत िो सकती िै।
• इसमलए मर्कल्प (b) सिी उत्तर िै।
Q 13.C
• िामलया संदभव: पीपल फॉर एमथकल ट्रीििेंि ऑफ एमििल्स (PETA) िे गुर्ािािी उच्च न्यायालय िें भैंस और िुलिुल की लड़ाई
की प्रथाओं के मर्रुद्ध कािूिी चुिौती दी िै।
• ये लड़ाइयां असमिया शीतकालीि फसल उत्सर् िाघ मिहू से जुड़ी लोक संटकृ मत का मिटसा िैं।
• िोि जुज (Moh Juj): यि असि िें आयोमजत िोिे र्ाली एक पारं पररक भैंस की लड़ाई िै।
• िुलिुली (Bulbuli): यि असि िें आयोमजत की जािे र्ाली एक पारं पररक पक्षी लड़ाई िै। इसमलए मर्कल्प (c) सिी उत्तर िै।
• इस पारं पररक लोक संटकृ मत का आयोजि िाल िी िें 9 र्षव के प्रमतिंि के िाद जिर्री 2024 िें ककया गया।
Q 14.B
• 1919 िें पाररत रॉलेि एटि िे भारत िें क्ांमतकारी गमतमर्मियों पर अंकुश लगािे के उद्देश्य से मिरिश औपमिर्ेमशक सरकार
द्वारा लोगों को मििा िुकदिा चलाए दो साल तक मिरासत िें रखिे की अिुिमत दी गयी थी। यि िहुत िी अलोकमप्रय कािूि
था, मजससे पूरे भारत िें व्यापक अशांमत फै ल गई। ििात्िा गांिी िे इस कािूि का कड़ा मर्रोि ककया, टयोंकक उन्िोंिे इसे
िुमियादी िागररक टर्तंत्रता का ििि िािा और इसके मखलाफ़ मर्रोि प्रदशवि शुरू ककए।
• िालांकक रॉलेि एटि के मर्रोि िे असंतोष के िािौल को िढ़ार्ा कदया और यि मिरिश शासि के मखलाफ िड़े संघषव का मिटसा
था, लेककि यि 1920 के असियोग आंदोलि शुरू करिे के मलए मर्मशि कारणों िें से एक ििीं था। आंदोलि को प्रेररत करिे
र्ाले प्रिुख िुद्दे थे:
o मखलाफत िुद्दा (मखलाफत के मर्घिि पर िुसलिािों के साथ एकजुिता),
o जमलयााँर्ाला िाग ित्याकांि (1919 िें शांमतपूणव प्रदशविकाररयों की क्ू र ित्या), और
o टर्राज (टर्-शासि की िांग)।
• असियोग का आह्र्ाि पिली िार अली िंिओं
ु (िोिम्िद और शौकत) की पिल पर 22-23 िर्ंिर 1919 को कदल्ली िें अमखल
भारतीय मखलाफत सम्िेलि िें ककया था। मखलाफत सम्िेलि की इलािािाद िैिक िें, चार चरणों र्ाले असियोग कायवक्ि की
घोषणा की गई - उपामियों का िमिष्कार, मसमर्ल सेर्ाओं का, पुमलस एर्ं सेिा का और अंततः करों का भुगताि ि करिा। इसके
िाद गांिीजी िे कांग्रेस के सदटयों से आंदोलि को अपिा सिथवि देिे का आग्रि ककया। मसतम्िर 1920 के ऐमतिामसक कलकत्ता
मर्शेष अमिर्ेशि िें कांग्रस
े िे उपामियों के त्याग, टकू लों, न्यायालयों और पररषदों के िमिष्कार तथा मर्देशी र्टतुओं के
िमिष्कार का कायवक्ि अपिाया।
• इस प्रकार, असियोग आंदोलि (NCM) मिरिश शासि के दौराि 1920 िें गांिीजी द्वारा शुरू ककया गया पिला राष्ट्रव्यापी
आंदोलि था।
असियोग आंदोलि दििकारी मिरिश शासि के मर्रुद्ध भारतीय जिता के सभी र्गों के िढ़ते आक्ोश की अमभव्यमि थी।
• इसमलए मर्कल्प (b) सिी उत्तर िै।
• संदभव (Context): िाल िी िें, सर्ोच्च न्यायालय िे राज्य के राज्यपालों की संर्ैिामिक उन्िुमि को पुिः पररभामषत करिे
संिंिी यामचका पर सुिर्ाई करिे पर सििमत व्यि की।
• िूल (Origin): राष्ट्रपमत और राज्यपाल को दी गई सुरक्षा का िूल लैरिि किार्त रे टस िॉि-पोिेटि पेकेरे या "राजा कु छ भी
गलत ििीं कर सकता" से मिलता िै, जो अंग्रेजी कािूिी परं पराओं िें मिमित िै।
• संर्ि
ै ामिक प्रमतरक्षा (Constitutional immunity): अिुच्छेद 361 िें किा गया िै कक राष्ट्रपमत या ककसी राज्य का राज्यपाल
ककसी भी सरकार के प्रमत उत्तरदायी ििीं िोगा।
o अपिे कायावलय की शमियों और कतवव्यों के उपयोग एर्ं मिर्विि के मलए ककसी भी न्यायालय िें। इसमलए कथि 1 सिी िै।
o उि शमियों और कतवव्यों के उपयोग एर्ं मिर्विि िें उसके द्वारा ककए गए या ककए जािे र्ाले ककसी भी कायव के मलए।
o प्रथि, प्रार्िाि िें आगे किा गया िै कक उिके मर्रुद्ध ककसी भी प्रकार की कोई आपरामिक कायवर्ािी संमटथत या जारी
ििीं रखी जाएगी। इसमलए कथि 2 सिी िै।
o दूसरा, राष्ट्रपमत या राज्यपाल के पद पर रिते हुए मगरफ्तारी या कारार्ास की कोई प्रकक्या ििीं की जा सकती।
• िालााँकक, 2 ििीिे के िोरिस के िाद उिके कृ त्यों के मलए उिके मखलाफ मसमर्ल कायवर्ािी की जा सकती िै। इसमलए कथि 3
सिी ििीं िै।
Q 16.A
• इसिे संरचिात्िक पररर्तविों का सिथवि ििीं ककया और संटथाओं से संिंमित िौजूदा संर्ैिामिक व्यर्टथाओं और मसद्धांतों को
िूल रूप से सिी िािा। िालांकक, इसिे कायावत्िक या पररचालि पिलुओं िें िदलार् की आर्श्यकता पर जोर कदया। इसिे कें ि
की शमियों को कि करिे की िांग को पूरी तरि से खाररज कर कदया और किा कक राष्ट्रीय एकता और अखंिता की रक्षा के मलए
एक िजिूत कें ि आर्श्यक िै। िालांकक, इसिे अमत-कें िीकरण को एक पररिायव घििा के रूप िें देखा। इसकी िित्र्पूणव
मसफाररशें मिम्नमलमखत थीं:
o अिुच्छेद 263 के अंतगवत अंतर-सरकारी पररषद िािक एक टथायी अंतरावज्यीय पररषद की टथापिा की जािी चामिए।
o अिुच्छेद 356 (राष्ट्रपमत शासि) का प्रयोग िहुत संयि से ककया जािा चामिए तथा अत्यंत गंभीर िािलों िें अंमति उपाय
के रूप िें ति ककया जािा चामिए जि सभी उपलब्ि मर्कल्प मर्फल िो गए िों।
o अमखल भारतीय सेर्ाओं र्ाली संटथा को और अमिक िजिूत ककया जािा चामिए तथा कु छ और ऐसी सेर्ाएाँ ििाई जािी
चामिए।
o करािाि की अर्मशि शमि संसद के पास ििी रििी चामिए, जिकक अन्य अर्मशि शमियााँ सिर्ती सूची िें रखी जािी
चामिए।
o जि राष्ट्रपमत राज्य मर्िेयक पर अपिी टर्ीकृ मत ििीं देते िैं, तो इसका कारण राज्य सरकार को िताया जािा चामिए।
o संघर्ाद की भार्िा को िढ़ार्ा देिे के मलए क्षेत्रीय पररषदों का िए मसरे से गिि और पुिः सकक्य ककया जािा चामिए।
o राज्यों की सििमत के मििा भी कें ि को अपिे सशस्त्र िलों को तैिात करिे का अमिकार िोिा चामिए। िालांकक, यि
र्ांछिीय िै कक राज्यों से परािशव ककया जािा चामिए।
o राज्य के राज्यपाल की मियुमि िें िुख्यिंत्री से परािशव की प्रकक्या संमर्िाि िें िी मििावररत की जािी चामिए।
o ककसी राज्य िें राज्यपाल के पांच र्षव के कायवकाल को अत्यंत अमिर्ायव कारणों के अलार्ा िामित ििीं ककया जािा
चामिए।
o मत्रभाषा फािूवले को उसकी र्ाटतमर्क भार्िा के अिुरूप सिाि रूप से लागू करिे के मलए कदि उिाए जािे चामिए।
o रे मियो और िेलीमर्जि के मलए कोई टर्ायत्तता ििीं, िमल्क उिके संचालि िें मर्कें िीकरण।
• कदसंिर 2007 तक कें ि सरकार िे सरकाररया आयोग की 179 (247 िें से) मसफाररशों को लागू कर कदया िै। इििें सिसे
िित्र्पूणव िै 1990 िें अंतरावज्यीय पररषद की टथापिा।
Q 17.C
• भारत िें, आर्थवक मियोजि की अर्िारणा 1940 और 1950 के दशक िें प्रिुखता से उभरी, जि टर्तंत्रता के िाद देश की
अथवव्यर्टथा का पुिर्िविावण ककया जा रिा था। मशक्षामर्दों और उद्योगपमतयों के एक सिूि िे देश िें मियोमजत अथवव्यर्टथा की
टथापिा के मलए योजिाएाँ ििािे के मलए सियोग ककया।
• िॉम्िे प्लाि: सिसे िित्र्पूणव शुरुआती प्रयासों िें से एक िॉम्िे प्लाि था, मजसे 1944 िें प्रिुख उद्योगपमतयों और अथवशामस्त्रयों
द्वारा तैयार ककया गया था। इसमलए कथि I सिी िै।
• इस योजिा िें भारतीय अथवव्यर्टथा के मर्कास के मलए 15 र्षीय कायवक्ि प्रटतामर्त ककया गया, मजसिें मिम्नमलमखत पर
ध्याि के मन्ित ककया गया:
o िॉम्िे प्लाि िें आर्थवक मर्कास िें राज्य की कें िीय भूमिका की पररकल्पिा की गई थी, मजसिें सरकार मिर्ेश और मियोजि
िें अग्रणी भूमिका मिभाएगी। इसिे सार्वजमिक और मिजी क्षेत्रों के िीच संतल
ु ि के साथ मिमश्त अथवव्यर्टथा की िांग की।
इसमलए कथि II सिी ििीं िै।
• अन्य प्रारं मभक योजिाएाँ: िॉम्िे प्लाि के अमतररि, भारत िें आर्थवक मियोजि के अन्य प्रारंमभक प्रयास मिम्नमलमखत थे:
o एि. मर्श्वेश्वरै या िे अपिी पुटतक "प्लान्ि इकोिॉिी फॉर इं मिया" (1934) िें आर्थवक मर्कास के मलए जो योजिा प्रटतुत
की, र्ि िॉम्िे योजिा के साथ-साथ भारत िें आर्थवक मियोजि के अन्य प्रारं मभक प्रयासों िें से एक थी।
o जर्ािरलाल िेिरू िे राष्ट्रीय योजिा समिमत का िेतत्ृ र् ककया, मजसकी टथापिा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े िे 1938 िें की थी।
• इि प्रारं मभक योजिाओं िे 1947 िें आजादी के िाद अपिाई गई आर्थवक योजिा की िींर् रखी। 1951 िें आरम्भ की गई प्रथि
पंचर्षीय योजिा का ध्याि कृ मष क्षेत्र के मर्कास पर कें कित था, जो इि प्रारं मभक योजिाओं िें पिचािी गई प्राथमिकताओं के
अिुरूप था।।
• इस अमिमियि िे पिली िार भारतीयों के मलए न्यामयक पद पर मियुमि िेतु िागव प्रशटत ककया तथा कािूिों के संमिताकरण के
मलए एक मर्मि आयोग की मियुमि का प्रार्िाि ककया।
o 1834 िें लॉिव िैकाले की अध्यक्षता िें मर्मि आयोग का गिि ककया गया, मजसिे दंि संमिता और आपरामिक प्रकक्या
संमिता के संमिताकरण की मसफाररश की।
• िंगाल के गर्िवर-जिरल को मर्मशि मर्िायी शमियों के साथ भारत का गर्िवर-जिरल ििाया गया। िम्िई और ििास
प्रेसीिेंमसयों को उिकी मर्िायी शमियों से र्ंमचत कर कदया गया। भारत के गर्िवर-जिरल को िागररक और सैन्य शमियााँ
प्रदाि की गईं।
• पिली िार भारत सरकार का गिि ककया गया मजसका अमिकार भारत िें मिरिशों के सम्पूणव प्रादेमशक क्षेत्र पर था। भारत के
प्रथि गर्िवर-जिरल लॉिव मर्मलयि िेंरिक थे।
• मपट्स इं मिया एटि 1784 द्वारा गर्िवर जिरल की पररषद के सदटयों को कि कर कदया गया, कफर से िढ़ाकर 4 कर कदया गया।
चौथे सदटय के पास िहुत सीमित शमियााँ थीं, र्ि मर्िायी उद्देश्यों को छोड़कर पररषद के सदटय के रूप िें कायव करिे के मलए
अमिकृ त ििीं था।
• गर्िवर जिरल काउं मसल को पूरे भारत िें ककसी भी मिरिश, मर्देशी या भारतीय के मलए ककसी भी कािूि को संशोमित करिे,
मिरटत करिे या िदलिे का अमिकार था।
• एक र्ामणमज्यक संटथा के रूप िें ईटि इं मिया कं पिी की गमतमर्मियााँ को सिाप्त कर कदया गया। अि कं पिी पूरी तरि से एक
प्रशासमिक मिकाय िि गई। भारत िें कं पिी द्वारा अमिकृ त क्षेत्रों पर "सम्राि एर्ं उिके उत्तरामिकाररयों के ट्रटि का" मियंत्रण
था।
• इस अमिमियि िे मसमर्ल सेर्ाओं िें चयि के मलए खुली प्रमतयोमगता प्रणाली शुरू करिे का प्रयास ककया। इसिें किा गया कक
भारतीयों को कं पिी के अंतगवत ककसी भी टथाि, कायावलय और रोजगार से र्ंमचत ििीं ककया जािा चामिए। कोिव ऑफ
िायरे टिसव के मर्रोि के िाद इसे रद्द कर कदया गया।
Q 19.B
• 1905 िें इं मियि िोि रूल सोसाइिी (IHRS) की टथापिा लंदि िें श्यािजी कृ ष्ण र्िाव द्वारा मिरिश भारत िें टर्शासि को
िढ़ार्ा देिे के मलए की गयी थी। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• सोसाइिी के लक्ष्यों िें शामिल थे: िोि रूल को िढ़ार्ा देिा, मििेि िें प्रचार प्रसार करिा, भारतीयों को टर्तंत्रता और राष्ट्रीय
एकता के िारे िें जागरूक करिा, भारतीय छात्रों का सिथवि करिा और असिंसक टर्शासि एर्ं मिमष्क्य प्रमतरोि को िढ़ार्ा
देिा।
• संगिि िे लंदि िें "इं मिया िाउस" की भी टथापिा की, जो भारतीय राष्ट्रर्ादी गमतमर्मि के कें ि के रूप िें कायव करता था। इसिे
लंदि िें पढ़ रिे भारतीय छात्रों को एक िंच प्रदाि ककया, मजस पर र्े ििस कर सकें और भारतीय टर्तंत्रता को िढ़ार्ा दे सकें ।
िाल गंगािर मतलक और मिमपि चन्ि पाल जैसे िेताओं िे छात्रर्ृमत्त का उपयोग छात्रों को मर्देश भेजिे के मलए ककया।
• सार्रकर और िरदयाल जैसे क्ांमतकारी इं मियि िोिरूल सोसाइिी के सदटय ििे। इस िंिली के सदटय िदिलाल ढींगरा िे
1909 िें भारत कायावलय के िौकरशाि कजवि-र्ाइली की ित्या कर दी। इसमलए कथि 2 सिी िै।
o दूसरे मर्टकाउं ि िैमलफ़ै टस के पुत्र लॉिव एिर्िव फ्े िररक र्ुि इरमर्ि िे ईिि िें मशक्षा प्राप्त की और 1910 से 1925 तक
संसद सदटय के रूप िें कायव ककया।
o भारत के (भमर्ष्य के ) संमर्िाि के मलए सुझार् िेतु लखिऊ िें (1928) एक सर्वदलीय सम्िेलि आयोमजत ककया गया,
मजसकी ररपोिव को िेिरू ररपोिव या िेिरू संमर्िाि किा गया।
o लािौर के सिायक पुमलस अिीक्षक सॉन्िसव की ित्या; कदल्ली के असेंिली िॉल िें िि मर्टफोि (1929); लािौर षियंत्र
िािला और लंिी भूख िड़ताल के िाद जमति दास की िृत्यु (1929), और कदल्ली िें ट्रेि िें िि दुघवििा (1929)।
o समर्िय अर्ज्ञा आंदोलि शुरू करिे के मलए गांिीजी द्वारा दांिी िाचव (12 िाचव, 1930)।
o प्रथि गोलिेज सम्िेलि (1930) का िमिष्कार, गांिी-इरमर्ि सिझौता (1931), तथा समर्िय अर्ज्ञा आंदोलि का
मिलंिि।
o मद्वतीय गोलिेज सम्िेलि (1931) एर्ं सम्िेलि की मर्फलता, समर्िय अर्ज्ञा आंदोलि की पुिः शुरुआत।
o सांप्रदामयक पंचाि (Communal Award) की घोषणा (1932) मजसके तित पृथक सांप्रदामयक मिर्ावचि िंिल टथामपत
ककये गये।
o यरर्दा जेल िें गांिीजी द्वारा ककया गया ‘आिरण अिशि’, जो पूिा सिझौते (1932) के िाद सिाप्त हुआ।
o आचायव िरे न्ि देर् और जयप्रकाश िारायण द्वारा अमखल भारतीय ककसाि सभा (1936) और कांग्रेस सोशमलटि पािी की
टथापिा (1934)।
Q 21.B
• NCTC या राष्ट्रीय आतंकर्ाद मिरोिक कें ि भारत का संघीय आतंकर्ाद मर्रोिी संगिि िै, मजसे 26/11 के ििलों के िाद
िित्र् मिला, टयोंकक यि ििसूस ककया गया कक भारत के पास आतंकर्ाद के संिंि िें र्ाटतमर्क सिय की खुकफया जािकारी
र्ाली कोई कें िीय एजेंसी ििीं िै। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• 26/11 ििलों का अमिकांश दोष राज्यों की आपस िें सिन्र्य टथामपत करिे िें असिथवता तथा के न्ि की खुकफया जािकारी
साझा करिे िें असिथवता को कदया गया।
• NCTC सभी कायों का सिन्र्य करिे तथा आतंकर्ाद-रोिी सभी खुकफया सूचिाओं को एकीकृ त करिे के मलए योजिाएं तैयार
करिे पर ध्याि कें कित करे गा।
12 www.visionias.in ©Vision IAS
• इस एजेंसी को UAPA, 1967 (गैरकािूिी गमतमर्मि रोकथाि अमिमियि) के प्रार्िािों के तित ििाया गया िै। इसमलए
कथि 2 सिी िै।
• इसे आतंकर्ादी गमतमर्मियों को रोकिे के मलए पूरे भारत िें तलाशी, जब्ती और मगरफ्तारी का अमिकार कदया गया िै।
• राष्ट्रीय आतंकर्ाद मिरोिक कें ि (NCTC) भारत िें प्रटतामर्त आतंकर्ाद मिरोिक मिकाय िै। ररसचव एंि एिामलमसस सर्ंग
(RAW) कै मििेि समचर्ालय के अिीि भारत की मर्देशी खुकफया एजेंसी िै।
• इसमलए, NCTC गृि िंत्रालय के अिीि िोगा, जिकक RAW प्रिाििंत्री कायावलय के अिीि अलग से काि करता िै। इसमलए
कथि 3 सिी ििीं िै।
Q 22.D
• िुमि कदर्स िुमटलि लीग द्वारा 22 कदसंिर, 1939 को ििाया गया, जो मिरिश भारत के सभी प्रांतीय कांग्रेस िंमत्रिंिलों के
इटतीफे से मिली राित का प्रतीक था। 1937 के चुिार्ों के िाद, मिरिश भारत के सात प्रांतों िें कांग्रेस िंमत्रिंिलों का गिि
ककया गया था। िालााँकक, िुमटलि लीग के र्ल एक, िंगाल प्रांत िें िी िंमत्रिंिल गरित कर सकी थी और र्ि भी कृ षक प्रजा
पािी के िेता ए. के . फजलुल िक के िेतृत्र् िें एक ििागििंिि के रूप िें था। िोिम्िद अली मजन्ना के िेतृत्र् िें, िुमटलि लीग िे
िुसलिािों को अपिे िेतृत्र् िें संगरित करिे के मलए 1938 से कई तरि की रणिीमतयााँ अपिाईं। ऐसी िी एक रणिीमत िुमटलि
जिित के साििे िुसलिािों के मखलाफ कांग्रेस िंमत्रिंिलों के र्ाटतमर्क और काल्पमिक भेदभार् को उजागर करिा था।
• इस िीमत के अिुसरण िें िी मजन्ना िे भारतीय िुसलिािों से 22 कदसंिर 1939 को 'िुमि और िन्यर्ाद कदर्स' के रूप िें
ििािे और 'कांग्रस
े ी उत्पीड़ि' से िुमि के संकेत के रूप िें ििािे का आह्र्ाि ककया था। अटिूिर की शुरुआत िें, सभी कांग्रेसी
िंमत्रिंिलों िे मद्वतीय मर्श्व युद्ध की सिामप्त के िाद भारत को कदए जािे र्ाले िोमिमियि दजे की अपयावप्तता के मर्रोि िें
इटतीफा दे कदया था।
Q 23.A
• के शर्ािंद भारती िािले (1973) िें उच्चति न्यायालय िे संमर्िाि के ‘िूल ढांच’े (या ‘िूल मर्शेषताओं’) का एक िया मसद्धांत
टथामपत ककया। इसिें मिणवय कदया गया कक अिुच्छेद 368 के तित संसद की संर्ैिामिक शमि उसे संमर्िाि के 'िूल ढांच'े िें
िदलार् करिे िें सक्षि ििीं ििाती िै।
• इसका अथव यि िै कक संसद संमर्िाि के ‘िूल ढांच’े से संिंमित ककसी भी मर्शेषता को कि ििीं कर सकती।
• िालााँकक, उच्चति न्यायालय िे अभी तक यि पररभामषत या टपि ििीं ककया िै कक संमर्िाि का ‘िूल ढांचा’ टया िै। मर्मभन्न
मिणवयों से, मिम्नमलमखत संमर्िाि की ‘िूल मर्शेषताओं’ या संमर्िाि के ‘िूल ढांच’े के तत्र्ों/घिकों/सािमग्रयों के रूप िें उभरे िैं:
o संमर्िाि की सर्ोच्चता
o संसदीय प्रणाली
o मर्मि का शासि
o सिािता का मसद्धांत
o न्यायपामलका की टर्तंत्रता
• िौमलक कतवव्यों को अभी तक संमर्िाि के िूल ढांचे के भाग के रूप िें पररभामषत ििीं ककया गया िै।
Q 24.D
• भारतीय कम्युमिटि पािी (CPI) की टथापिा 1925 िें कािपुर िें रूस िें िोल्शेमर्क क्ांमत से प्रेररत िोकर की गई थी। इसके
शुरुआती उद्देश्यों िें साम्राज्यर्ाद मर्रोिी देशभमि और िाटसवर्ादी अंतरावष्ट्रीयतार्ाद का मिश्ण था।
• CPI को शुरू िें मिरिश औपमिर्ेमशक प्रशासि द्वारा प्रमतिंमित कर कदया गया था और 1942 िें र्ैिामिक ििाये जािे तक इसे
गुप्त रूप से काि करिा पड़ा था।
• 1947 िें भारत की टर्तंत्रता के िाद, CPI की गमतमर्मियों िें तीव्रता आई और सिािता, ितामिकार, राष्ट्रीयकरण, भूमि
सुिार और मर्रोि के अमिकार जैसे सािामजक सुिारों की िांग की।
• 1950 के दशक िें CPI को कु छ चुिार्ी सफलता मिली और 1957 िें िुख्यिंत्री ई.एि.एस.िम्िूदरीपाद के िेतत्ृ र् िें के रल िें
पिली गैर-कांग्रस
े ी सरकार ििी।
• िालााँकक, 1960 के दशक िें दुभावग्य से CPI का मर्भाजि िो गया और एक गुि अलग िोकर भारतीय कम्युमिटि पािी
(िाटसवर्ादी) [CPI(M)] िि गया।
o ई.एि.एस. िम्िूदरीपाद - प्रिुख CPI िेता जो 1957 िें CPI शासि के तित के रल के पिले िुख्यिंत्री ििे।
o ए.के . गोपालि -CPI और िाद िें CPI (M) के संटथापक सदटय, र्े एक ट्रेि यूमियि िेता और गरीिों और ककसािों के
लोकमप्रय िेता थे।
o एस. ए. िांगे - एस. ए. िांगे एक प्रिुख ट्रेि यूमियमिटि और िाद िें भारतीय कम्युमिटि पािी के अध्यक्ष ििे, जो 1964 िें
CPI (M) के पािी से अलग िोिे के प्रिुख कारणों िें से एक थे।
o सुरर्रि सुिाकर रे ड्डी - 2012 िें CPI के प्रिुख ििे, पािी के ििासमचर् के रूप िें कायवरत रिे।
o गुरुदास दासगुप्ता - प्रिुख CPI सांसद और अमखल भारतीय ट्रेि यूमियि कांग्रेस (AITUC) के पूर्व ििासमचर्।
• इस प्रकार, CPI भारत की सिसे प्रारं मभक कम्युमिटि पार्िवयों िें से एक थी, मजसका इमतिास 1925 से शुरू िोता िै। 1950 के
दशक िें इसे कु छ चुिार्ी सफलता मिली, लेककि 1964 िें मर्भाजि के िाद इसिें मगरार्ि आई, मजसके कारण CPI(M) का
गिि हुआ।
Q 25.B
• भारतीय राष्ट्रपमत की शपथ एक औपचाररक प्रमतज्ञाि िै जो भारत के राष्ट्रपमत पद ग्रिण करिे से पिले लेते िैं। यि शपथ
िित्र्पूणव िै टयोंकक यि संमर्िाि और देश के कािूि को ििाए रखिे के मलए राष्ट्रपमत की प्रमतिद्धता का प्रतीक िै।
o संर्ि
ै ामिक आिार:
▪ भारत के संमर्िाि के अिुच्छेद 60 के तित शपथ लेिे का प्रार्िाि िै। यि एक संर्ैिामिक आर्श्यकता िै कक राष्ट्रपमत
को पद ग्रिण करिे से पिले शपथ लेिी चामिए।
o शपथ की मर्षय-र्टतु: राष्ट्रपमत की शपथ िें संमर्िाि और मर्मि को संरमक्षत, सुरमक्षत और िचार् करिे की प्रमतज्ञा
शामिल िै। इसमलए मर्कल्प 4 शामिल िै। शपथ का सिीक शब्दांकि इस प्रकार िै:
▪ "िैं, (िाि), ईश्वर की शपथ लेता हूाँ कक िैं भारत के राष्ट्रपमत के पद का मिष्ठापूर्वक पालि करूाँगा (या राष्ट्रपमत के कृ त्यों
का मिर्विि करूाँगा) तथा अपिी पूरी क्षिता से संमर्िाि और मर्मि का परररक्षण, सुरक्षा, और प्रमतरक्षण करूाँगा तथा
िैं भारत की जिता की सेर्ा और कल्याण के मलए टर्यं को सिर्पवत करूाँगा।" इसमलए मर्कल्प 3 समम्िमलत िै।
o शपथ भारत के िुख्य न्यायािीश या उिकी अिुपमटथमत िें सर्ोच्च न्यायालय के र्ररष्ठति न्यायािीश द्वारा कदलाई जाती
िै। यि सिारोि आितौर पर राष्ट्रपमत भर्ि िें आयोमजत िोता िै, जो राष्ट्रपमत का आमिकाररक मिर्ास िै।
o राष्ट्रपमत की शपथ मर्मि के शासि और देश के लोकतांमत्रक ढांचे के प्रमत प्रमतिद्धता को दशावती िै। यि पद के साथ आिे
र्ाली मजम्िेदाररयों और कतवव्यों की याद कदलाता िै।
Q 26.D
• मद्वतीय मर्श्व युद्ध के दौराि, इं मियि िेशिल आिी (INA) िे सुभाष चंि िोस के िेतत्ृ र् िें भारत की टर्तंत्रता के मलए लड़ाई लड़ी।
• तीि INA. सदटयों की ररिाई के िाद, मिरिश भारतीय सेिा को दुमर्िा का साििा करिा पड़ा टयोंकक शेष पकड़े गए INA
सैमिकों को िुकदिे का इं तजार करिा पड़ा।
• मर्िोि के खतरे के कारण िुकदिों को रोकिे की मसफाररशों के िार्जूद, किांिर-इि-चीफ टलाउि औमचिलेक िे आगे िढ़िे का
फै सला ककया।
Q 27.B
• िंमत्रिंिल (Cabinet) िंमत्रपररषद से छोिा मिकाय िै। िंमत्रिंिल, िंमत्रपररषद का एक मिटसा िै। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• िंमत्रपररषद एक संर्ैिामिक मिकाय िै। इसका आकार प्रिाििंत्री द्वारा मििावररत ककया जाता िै। इसे तीि-टतरीय मिकाय िें
र्गीकृ त करिा मििेि िें मर्कमसत संसदीय सरकार की परंपराओं पर आिाररत िै।
• दूसरी ओर, िंमत्रिंिल का उल्लेख संमर्िाि के िूल पाि िें ििीं ककया गया था। इसे 1978 िें 44र्ें संमर्िाि संशोिि
अमिमियि द्वारा संमर्िाि के अिुच्छेद 352 िें शामिल ककया गया था। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• ििारे राजिीमतक-प्रशासमिक प्रणाली िें िंमत्रिंिल की भूमिका मििेि िें मर्कमसत संसदीय सरकार की परं पराओं पर आिाररत
िै। इसमलए कथि 3 सिी िै।
Q 28.D
• िामलया संदभव: भौमतकमर्दों िे लेजर का उपयोग करके रुमिमियि परिाणुओं को उिके सािान्य आकार से सैकड़ों गुिा िड़ा
करके एक िए प्रकार का "िाइि कक्टिल" ििाया िै।
• इस अमभिर् मर्मि के पररणािटर्रूप परिाणु मििा ऊजाव खोए दो अर्टथाओं के िीच दोलि करते िैं। इसमलए मर्कल्प (d) सिी
उत्तर िै।
• परं परागत पदाथव के मर्परीत, िाइि कक्टिल सिय की सिरूपता को तोड़ते िैं। साथ िी ये क्ांिि यांमत्रकी द्वारा अिुित न्यूिति
ऊजाव अर्टथा िें मर्द्यिाि रिते िैं तथा मिरं तर दोलि करते रिते िैं।
• यि सेंसर, र्ायरलेस संचार और क्ांिि प्रौद्योमगकी िें िई अंतदृमव ि और संभामर्त अिुप्रयोग के मलए उपयोगी िै।
Q 29.B
• िामलया संदभव: चीिी र्ैज्ञामिकों िे िाल िी िें घोषणा की कक उन्िोंिे रे ट्रो ('ReTro') िािक एक रीसस (Rhesus) िंदर का
टलोि ििाया िै जो र्यटकता तक जीमर्त रिा। इसमलए, मर्कल्प (b) सिी उत्तर िै।
• र्ैज्ञामिकों का िाििा िै कक इस िई तकिीक का उपयोग टलोि प्राइिेट्स के उत्पादि के मलए ककया जा सकता िै, मजिका
उपयोग दर्ा परीक्षण और व्यर्िार संिंिी अिुसंिाि िें ककया जा सकता िै।
• िॉली और अन्य के मलए इटतेिाल की जािे र्ाली टलोसिंग की सािान्य तकिीक को सोिैरिक सेल न्यूमटलयर ट्रांसफर (SCNT)
किा जाता िै। इस तकिीक के साथ, शरीर की कोमशका के िामभक को एक अंिाणु कोमशका (Egg Cell) िें टथािांतररत ककया
जाता िै मजसका िामभक पिले से िी ििा कदया गया िोता िै। िालांकक, इससे सािान्य तौर पर टलोि ककए गए भ्रूणों के मलए
जन्ि और जीमर्त रििे की दर अत्यंत कि िोती िै।
• सफलता की इस कि दर के सिािाि के मलए, शोिकतावओं िे एक ऐसी तकिीक मर्कमसत की, मजसिें उन्िोंिे मर्कासशील भ्रूण
िें कोमशकाओं की िािरी परत SCNT "ट्रोफोब्लाटि" को ICSI भ्रूण से प्रमतटथामपत ककया। ट्रोफोब्लाटि िाद िें प्लेसेंिा का एक
िड़ा मिटसा िि जाता िै। इसके कारण, भ्रूण िें एक "प्राकृ मतक प्लेसेंिा" मर्कमसत हुआ।
Q 30.D
• सािान्य तौर पर चक्र्ातों की उत्पमत गिव सिुिी जल पर िोती िै, इसके मर्परीत असिा चक्र्ात की उत्पमत्त गुजरात िें जिीि
पर एक गिि अर्दाि (Deep Depression) के रूप िें हुआ। यि अरि सागर के ऊपर एक उष्णकरििंिीय चक्र्ात का रूप
िारण कर मलया था। चक्र्ात असिा भारत िें लैंिफाल ि करते हुए अरि सागर िें और ओिाि की ओर िढ़ गया। इस चक्र्ात
िे भारत िें गुजरात, राजटथाि और िध्य प्रदेश के साथ-साथ दमक्षणी पाककटताि को भी प्रभामर्त ककया। इसमलए कथि 1 सिी
ििीं िै।
• भारतीय िौसि मर्ज्ञाि मर्भाग (IMD) के अिुसार, इससे पिले अगटत िें के र्ल तीि िार 1976, 1964 और 1944 िें भारत
की िुख्य भूमि के ऊपर चक्र्ात उत्पन्न हुए िैं। अरि सागर िें प्रर्ेश िी ये प्रिल िो जाते िैं।
o गिि अर्दाि के संभामर्त कारण: िािसूिी पर्ि प्रणाली का असािान्य िोिा, अरि सागर से आिवता प्राप्त िोिा और भूमि
पर िृदा िें ििी िोिा, सिंद ििासागर का गिव िोिा आकद।
• दुमिया के लगभग 10% उष्णकरििंिीय चक्र्ात भारत िें आते िैं। ये चक्र्ात िई-जूि और अटिूिर-िर्ंिर ििीिों िें ििते िैं।
• अरि सागर की तुलिा िें िंगाल की खाड़ी िें अमिक चक्र्ात ििते िैं। िगाल की खाड़ी और अरि सागर िें उत्पन्न िोिे र्ाले
चक्र्ातों का अिुपात लगभग 4:1 िै। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• िालांकक, जलर्ायु पररर्तवि संकि और अरि सागर के गिव िोिे के कारण भारत के पमििी ति पर भी अमिक चक्र्ात उत्पन्न
िो रिे िैं।
• 1997 िें, मर्शाखा और अन्य ििाि राजटथाि राज्य के ऐमतिामसक मिणवय िें भारत के उच्चति न्यायालय िे कायवटथल पर
यौि उत्पीड़ि को पररभामषत करते हुए मिर्ारक, मिषेिात्िक तथा मिर्ारण उपायों की घोषणा की, और प्रटतामर्त कदशा-
मिदेशों को मर्िायी अमिदेश देिे के मलए मिदेश कदए। यौि उत्पीड़ि से िमिलाओं के मिम्नमलमखत िूल अमिकारों का उल्लंघि
िोता िै:
• अिुच्छेद 14 के तित सिािता का अमिकार मर्मि के सिाि संरक्षण के अमिकार का उल्लंघि करता िै, टयोंकक कायवटथल पर
यौि उत्पीड़ि के कारण िमिला किवचाररयों को ि के र्ल अपिे रोजगार के संिंि िें िमल्क अन्य पुरुष किवचाररयों के संिंि िें भी
िुकसाि उिािा पड़ता िै।
• अिुच्छेद 21 के तित जीर्ि के अमिकार िें गररिापूणव जीर्ि जीिे का अमिकार भी शामिल िै, मजसका उल्लंघि उस सिय
िोता िै जि िमिला को कायवटथल पर यौि उत्पीड़ि का साििा करिा पड़ता िै।
• ककसी भी पेशे को करिे और ककसी भी व्यर्साय, व्यापार या कारोिार को करिे का अमिकार, मजसिें यौि उत्पीड़ि से िुि
सुरमक्षत र्ातार्रण का अमिकार भी शामिल िै।
Q 32.A
• मर्शेष श्ेणी का दजाव (Special Category status) भारत के कु छ राज्यों को कदया जािे र्ाला र्गीकरण िै जो अपिे
सािामजक-आर्थवक मर्कास िें िािा उत्पन्न करिे र्ाली मर्मशि चुिौमतयों का साििा करते िैं।
• र्तविाि िें देश के ग्यारि राज्यों को यि दजाव प्राप्त िै, मजििें सात पूर्ोत्तर राज्य शामिल िैं, -
o असि, िागालैंि, मििाचल प्रदेश, िमणपुर, िेघालय, मसकक्कि, मत्रपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरि, उत्तराखंि और
तेलग
ं ािा।
• गािमगल फािूल
व ा के अिुसार कु छ राज्यों को मिमित अंतर्िवमित कारणों के चलते "मर्शेष राज्य का दजाव" कदया जािा आर्श्यक
िै मजसकी र्जि से र्े ऐमतिामसक रूप से मपछड़े रिे िैं।
• यि दजाव राष्ट्रीय मर्कास पररषद (NDC) द्वारा मििावररत मर्मशि िािदंिों के आिार पर प्रदाि ककया जाता िै और इसिें प्रायः
मिम्नमलमखत कारक शामिल िोते िैं:
Q 33.D
• यद्यमप सिायक संमि की शुरुआत औपचाररक रूप से भारत िें लॉिव र्ेलेजली द्वारा की गयी थी, ककं तु संभर्तः िु प्लेटस िी था
मजसिे पिली िार भारतीय शासकों को युद्ध लड़िे के मलए यूरोपीय सैमिकों को ककराए पर कदया था। इसके िाद टलाइर् से
लेकर लगभग सभी गर्िवर-जिरलों िे इस प्रणाली को मर्मभन्न भारतीय राज्यों िें लागू ककया और इसे लगभग पूणवता तक
पहुाँचाया। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
18 www.visionias.in ©Vision IAS
• इस सुरक्षा जाल िें फं सिे र्ाला पिला भारतीय राज्य (मजसिे सिायक संमि प्रणाली की आशंका जताई थी) अर्ि था मजसिे
1765 िें एक संमि पर िटताक्षर ककए मजसके तित कं पिी िे अर्ि की सीिाओं की रक्षा करिे का र्चि कदया, िशते कक िर्ाि
इस प्रकार की रक्षा का खचव टर्यं र्िि करे। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• सतारा पिली भारतीय ररयासत थी मजसे िड़प िीमत के तित मिला मलया गया था।
• सिायक संमि व्यर्टथा को टर्ीकार करिे र्ाले भारतीय राजकु िार थे: िैदरािाद के मिजाि (मसतंिर 1798 और 1800), िैसरू
के शासक (1799), तंजौर के शासक (अटिू िर 1799), अर्ि के िर्ाि (िर्ंिर 1801), पेशर्ा (कदसंिर 1801), िरार के
भोंसले राजा (कदसंिर 1803), ससंमिया (फरर्री 1804), जोिपुर, जयपुर, िाचेरी, िूद
ं ी के राजपूत राज्य और भरतपुर के
शासक (1818)। िोलकर 1818 िें सिायक संमि को टर्ीकार करिे र्ाला अंमति िरािा संघ था।
Q 34.B
• टथगि प्रटतार् एक संसदीय प्रकक्या िै जो संसद सदटयों (MPs) को लोकसभा के सत्र के दौराि तत्काल ध्याि कदए जािे की
आर्श्यकता र्ाले िित्र्पूणव िािलों को उिािे की अिुिमत प्रदाि करती िै। यि सरकार को जर्ािदेि ििरािे और राष्ट्र को
प्रभामर्त करिे र्ाले िित्र्पूणव िुद्दों को उजागर करिे का एक िित्र्पूणव सािि िै।
• टथगि प्रटतार् का उपयोग सदि का ध्याि लोक िित्र् के उि अत्यार्श्यक िािलों की ओर आकर्षवत करिे के मलए ककया जाता
िै मजि पर तत्काल चचाव और सिािाि की आर्श्यकता िोती िै।
• इसे राज्य सभा िें प्रटतुत ििीं ककया जा सकता; इसका उपयोग के र्ल लोक सभा िें ककया जाता िै।
• जि टथगि प्रटतार् टर्ीकार कर मलया जाता िै, तो सदि की मियमित कायवर्ािी टथमगत कर दी जाती िै, तथा सत्र का शेष
सिय उिाए गए िुद्दे पर चचाव करिे के मलए प्रयोग ककया जाता िै।
• टथगि प्रटतार् लािे के इच्छु क सांसद को प्रटतार् के मर्षय को मिर्दवि करते हुए लोक सभा या राज्य सभा के ििासमचर् को
मलमखत सूचिा के िाध्यि से सूमचत करिा िोगा।
• लोकसभा अध्यक्ष अथर्ा सभापमत यि तय करते िैं कक प्रटतार् को टर्ीकार ककया जाएगा या ििीं। इसे टर्ीकार ककए जािे के
मलए कु छ िािदंिों को पूणव करिा आर्श्यक िोता िै, जैसे कक तात्कामलकता, मिमित िािला और सार्वजमिक िित्र्। इसे
टर्ीकार ककए जािे के मलए 50 सदटयों का सिथवि प्राप्त िोिा चामिए।
• चचाव के मलए मििावररत सिय ढाई घंिे से कि ििीं िोिा चामिए, अन्यथा कक ििस पिले सिाप्त ि िो जाए।
• यकद प्रटतार् टर्ीकृ त िो जाता िै तो सदि टथमगत िो जाता िै और सरकार को उिाए गए िािले पर तत्काल कारव र्ाई करिी
िोती िै।
• सदि की कायवर्ािी टथमगत करिे के मलए प्रटतार् लािे का अमिकार मिम्नमलमखत प्रमतिंिों के अिीि िै:
o ऐसा िािला उिाया जािा चामिए जो मिमित, त्यात्िक, अत्यार्श्यक और लोक िित्र् का िो।
o इसे िाल िी िें घरित ककसी मर्मशि िािले तक सीमित रखा जािा चामिए तथा इसे सािान्य शब्दों िें तैयार ििीं ककया
जािा चामिए।
o ककसी ऐसे िािले पर चचाव को पुिः प्रारं भ ििीं ककया जािा चामिए मजस पर उसी सत्र िें चचाव की जा चुकी िो।
o ककसी भी ऐसे िािले के मिपिाि से संिंमित ििीं िोिा चामिए जो न्यायालय के मिणवयािीि िो।
o ऐसा कोई प्रश्न ििीं उिािा चामिए जो ककसी मर्मशि प्रटतार् पर उिाया जा सकता िो।
• अमर्श्वास प्रटतार्: एक संसदीय प्रकक्या मजसके िाध्यि से संसद सदटय सरकार िें अमर्श्वास व्यि करते िैं, मजसके
पररणािटर्रूप ितदाि ककया जाता िै, और मजसके पाररत िोिे पर सरकार को त्यागपत्र देिा िी पड़ता िै।
• ध्यािाकषवण प्रटतार्: एक संसदीय प्रकक्या जो सांसदों को लोक िित्र् के अत्यार्श्यक िािलों पर ध्याि आकर्षवत करिे तथा
मििा ककसी औपचाररक ििस या ितदाि के सरकार से प्रमतकक्या की िांग करिे िें सक्षि ििाती िै।
Q 35.A
• 1906 िें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अमिर्ेशि कलकत्ता िें आयोमजत ककया गया। इस अमिर्ेशि िें दादाभाई िौरोजी की
अध्यक्षता िें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े िे प्रटतार् पाररत ककया कक कांग्रस
े का लक्ष्य “यूिाइिेि ककं गिि या अन्य उपमिर्ेशों
(ऑटट्रेमलया र् किािा) की तरि ‘टर्शासि’ या ‘टर्राज’ की प्रामप्त िै। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• टर्देशी एर्ं िमिष्कार आंदोलि के द्वारा कु छ िुमटलि िेताओं िे राष्ट्रीय आंदोलि िें भाग मलया गया। इििें िैररटिर अब्दुल
रसूल, मलयाकत हुसैि, गजिर्ी, िौलािा आजाद (जो क्ांमतकारी आतंकर्ादी सिूिों िें से एक िें शामिल िो गए) के िाि
उल्लेखिीय िैं। ककं तु उच्च और िध्यि र्गव के अमिकांश िुमटलि िेता या तो आंदोलि से दूर रिे या उन्िोंिे िंगाल मर्भाजि का
सिथवि ककया। ढाका के िर्ाि सलीिुल्लाि िे िंगाल मर्भाजि का सिथवि ककया तथा घोमषत ककया कक इससे उन्िें िुमटलि
आिादी िहुल पूर्ी िंगाल का एक पृथक िया राज्य प्राप्त िोगा। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
Q 36.B
• 1940 िें उन्िोंिे कांग्रेस की िमिला शाखा - ‘अमखल भारतीय िमिला कांग्रेस’ की टथापिा की।
• अरुणा आसफ अली और उषा िेिता के साथ मिलकर उन्िोंिे भारत छोड़ो आंदोलि िें सकक्य रूप से भाग मलया। राजिीमतक
गमतमर्मियों का संचालि करिे र्ाले दो भूमिगत कें ि थे और दोिों का िेतृत्र् िमिलाओं द्वारा ककया जाता था। इि दोिों कें िों िें
से क्ांमतकारी कें ि का िेतृत्र् अरुणा आसफ अली द्वारा ककया जा रिा था और असिंसक कें ि का िेतृत्र् सुचेता कृ पलािी द्वारा
ककया जाता था। उन्िें मगरफ्तार कर मलया गया और जुलाई 1945 तक लखिऊ जेल िें रखा गया।
• र्ि ििात्िा गांिी की करीिी सियोगी थीं और उन्िोंिे िोर्ाखली िें मर्भाजि दंगा पीमड़तों की सिायता की।
• 14 अगटत 1947 को उिके द्वारा संमर्िाि सभा के टर्तंत्रता सत्र िें िेिरू के प्रमसद्ध “रट्रटि मर्द िेमटििी” भाषण से कु छ मििि
पिले र्ंदे िातरि गीत गाया गया था।
• र्ि संमर्िाि सभा के मलए भी मिर्ावमचत की गईं और भारत के संमर्िाि का चािवर तैयार करिे र्ाली उपसमिमत की सदटया भी
थीं।
• टर्तंत्रता के पिात र्ि कई िार लोकसभा के मलए मिर्ावमचत हुई। र्ि संयि
ु प्रांत (र्तविाि उत्तर प्रदेश) मर्िाि सभा की सदटय
भी मिर्ावमचत हुई तथा उत्तर प्रदेश की िुख्य िंत्री ििीं और भारत की प्रथि िमिला िुख्यिंत्री थीं। उन्िोंिे उत्तर प्रदेश की िुख्य
िंत्री के रूप िें 1963 से 1967 तक पदभार संभाला।
Q 37.B
• संघ लोक सेर्ा आयोग द्वारा चयि ककए व्यमि को उस पद पर आसीि िोिे का अमिकार ििीं िोता। िालांकक सरकार को अपिा
कायव मिष्पक्ष र् मििा िििािी या मििा िुरे इरादे से करिा चामिए। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• UPSC की मसफाररशें िाध्यकारी ििीं िोती िैं, लेककि UPSC की मसफाररशों को टर्ीकार ि करिे के मलए सरकार संसद के
प्रमत जर्ािदेि िै। इसमलए कथि 3 सिी िै।
Q 38.B
• िामलया संदभव: अरुणाचल िुगुि जिजामत िे गंभीर रूप से लुप्तप्राय सॉन्गििव िुगुि मलयोमसचला के मलए भूमि दाि की।
• िुगुि मलओमसचला एक छोिा (के र्ल 20 सेिी) िब्िलर पक्षी िै, मजसके पंख जैति
ू -ग्रे रं ग के िोते िैं और इिका मसर काले रं ग
का िोता िै जो िोपी जैसा प्रतीत िोता िै।
• िुगुि मलयोमसचला के र्ल ईगलिेटि र्न्यजीर् अभयारण्य िें िी पाया जाता िै, मर्श्व िें अन्यत्र किीं ििीं।
• इस पक्षी की पिचाि पुणे मटथत खगोल र्ैज्ञामिक रििा अथरे या (Ramana Athreya) िे की थी।
• संरक्षण की कदशा िें एक िड़े कदि के रूप िें, अरुणाचल प्रदेश सरकार िे अंततः र्न्यजीर् संरक्षण अमिमियि, 1972 के तित
िाइिु आ सािुदामयक ररजर्व को अमिसूमचत ककया।
• िुगि
ु मलओमसचला उत्सर् पक्षी की खोज के 15 र्षव पूरे िोिे के उपलक्ष्य िें आयोमजत ककया जािे र्ाला एक उत्सर् िै।
• िुगि
ु जिजामतयााँ
o भूिाि की सीिा से संलग्न पमििी अरुणाचल प्रदेश िें रििे र्ाली खोर्ा जिजामत, मजसे िुगुि लोगों के िाि से भी जािा
जाता िै, भारत के सिसे छोिे आकदर्ासी सिुदायों िें से एक िै।
o भाषा: र्े खो-ब्र्ा भाषा िोलते िैं। इसका व्युत्पन्न ‘खो’ मजसका का अथव आग िै और ‘ब्र्ा’ मजसका अथव पािी िै, से हुआ िै।
इसमलए इसका िाि खोर्ा िै। उिकी भाषा पड़ोसी शेरदुकपेि जिजामत की िेय भाषा से मिलती-जुलती िै, मजसके साथ र्े
पिाड़ों िें शांमतपूर्वक सि-अमटतत्र् िें रिते थे।
o िटल: िुगुि िंगोल िटल के िैं और ऐसा िािा जाता िै कक र्े पौरामणक जिजामत अमचिफु म्फु लुआ के र्ंशज िैं।
o अंतर्र्वर्ािी: िुगि
ु आितौर पर अंतर्र्वर्ािी िोते िैं टयोंकक र्े अपिे सिुदाय के भीतर िी मर्र्ाि करते िैं।
Q 39.D
• िोि रूल आंदोलि आयररश िोि रूल आंदोलि की तजव पर मिरिश भारत िें एक आंदोलि था। यि आंदोलि 1916-1918 के
िीच लगभग दो र्षों तक चला। यि आंदोलि श्वेत उपमिर्ेशों की तजव पर युद्ध के पिात भारत के मलए टर्शासि की िांग के
मलए शुरू ककया गया था। मतलक और एिी िेसेंि िे ककसी भी िकरार् से िचिे के मलए अपिी अलग-अलग लीग टथामपत की।
इसमलए मर्कल्प (d) सिी उत्तर िै।
• िोिरूल लीग आंदोलि का िुख्य उद्देश्य भारतीय जििािस को ‘िोिरूल’ के रूप िें ‘टर्शासि’ के अथव से पररमचत करािा था।
आंदोलि का उद्देश्य पुटतकालयों एर्ं अध्ययि कक्षों (मजििें राष्ट्रीय राजिीमत से संिंमित पुटतकों का संग्रि िो) तथा जिसभाओं
एर्ं सम्िेलिों का आयोजि कर भारतीयों िें राजिीमतक मशक्षा को प्रोत्सामित करिा था। इसके मलए लीग िे सिाचार-पत्रों,
Q 40.A
• िायलर पुरटकार: पयावर्रणीय उपलमब्ि के मलए र्षव 2024 का िायलर पुरटकार जोिाि रॉकटट्रॉि (Johan Rockstrom) को
प्लैिेिरी िाउं ड्रीज फ्े िर्कव के मर्कास िें उिके अभूतपूर्व योगदाि और अग्रणी कायव के मलए प्रदाि ककया गया।
• पयावर्रणीय उपलमब्ि के मलए प्रदाि ककया जािे र्ाला िायलर पुरटकार एक र्ार्षवक पुरटकार िै। इसकी टथापिा 1973 िें जॉि
और ऐमलस िायलर द्वारा पयावर्रण, ऊजाव और टर्ाट्य पर र्ैज्ञामिक कायों के मलए की गई थी।
• रॉकटट्रॉि िे 2009 िें प्लैििे री िाउं ड्रीज फ्े िर्कव को मर्कमसत करिे र्ाली अंतरावष्ट्रीय शोि िीि का िेतत्ृ र् ककया। यि फ्े िर्कव
एक र्ैज्ञामिक िागवदर्शवका िै जो पृ्र्ी पर िािर् जीर्ि का सिथवि करिे र्ाले प्राकृ मतक तंत्रों की पिचाि करता िै। इसके द्वारा
यि मििावररत करिे िें भी सिायता प्राप्त मिलती िै कक ग्रि पर जीर्ि को गंभीर रूप से प्रभामर्त ककए मििा ििुष्य उि तंत्रों िें
ककतिा पररर्तवि सुरमक्षत रूप से कर सकते िैं।
• इि क्षेत्रों के मलए इसे मर्श्व के सिसे प्रमतमष्ठत पुरटकारों िें से एक िािा जाता िै तथा िायलर पुरटकार मर्जेताओं को 250,000
िॉलर का िकद पुरटकार और एक पदक प्रदाि ककया जाता िै।
Q 41.C
• संमर्िाि के अिुच्छेद 263 द्वारा टथामपत भारतीय अंतर-राज्य पररषद सिकारी संघर्ाद का सिथवि करिे तथा राज्यों एर्ं कें ि
सरकार के िीच साझा मितों के िािलों को सुलझािे के मलए एक िित्र्पूणव िंच के रूप िें कायव करती िै।
• अिुच्छेद 263 िें उपिंमित िै कक राष्ट्रपमत के मलए मिम्नमलमखत मर्षयों पर जांच, चचाव और सलाि देिे के मलए एक अंतर-राज्य
पररषद की टथापिा करिा र्ैि िोगा:
o ऐसे मर्षय मजििें कु छ या सभी राज्यों का, अथर्ा संघ तथा एक या अमिक राज्यों का सिाि मित शामिल िै; या
o ऐसे मर्षय पर मर्चार-मर्िशव तथा, मर्शेष रूप से, उस मर्षय के संिंि िें िीमत और कारव र्ाई के िेितर सिन्र्य के मलए
मसफाररशें।
• प्रिाििंत्री द्वारा िामित छि कें िीय कै मििेि िंत्री (गृि िंत्री समित)। इसमलए कथि 3 और कथि 4 सिी िैं।
• यि एक टथायी संर्ि
ै ामिक मिकाय ििीं िै। इसे ककसी भी सिय टथामपत ककया जा सकता िै यकद राष्ट्रपमत को ऐसा प्रतीत िोता
िै कक ऐसी पररषद की टथापिा से सार्वजमिक मितों को पूरा ककया जा सकता िै। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै और कथि 2
सिी िै।
• ककसी भी देश का संमर्िाि अिेक उद्देश्यों को पूरा करता िै। यि कु छ ऐसे आदशों को मििावररत करता िै, जो ऐसे देश का आिार
ििते िैं मजसिें िि िागररकों की तरि रििे की आकांक्षा रखते िैं। अथावत संमर्िाि ििें िताता िै कक ििारे सिाज का िूल
टर्रूप टया िो। सािान्यतः एक देश लोगों के मर्मभन्न प्रकार के सिुदायों से ििता िै। यि आर्श्यक ििीं की ये लोग सभी िुद्दों
पर आर्श्यक रूप से एकित िोते िैं। लेककि र्े कु छ आटथाओं िें साझेदारी करते िैं। संमर्िाि मसद्धान्तों, मियिों तथा प्रकक्याओं
का एक ऐसा सेि प्रटतुत करता िै, मजसके आिार पर आि सििमत मर्कमसत िोती िै। लोग चािते िैं कक देश का शासि इसी
सििमत के आिार पर संचामलत िो तथा सिाज आगे िढ़े। इसके जररए र्े ि के र्ल यि तय करते िैं कक सरकार ककस तरि की
िोगी िमल्क उि आदशों पर भी एक साझी सिझ मर्कमसत करते िैं मजिकी ििेशा पूरे देश िें रक्षा की जािी चामिए। संमर्िाि
लोगों की िौमलक पिचाि को अमभव्यि करता िै। इसका अथव िै कक लोग एक सािूमिक इकाई के रूप िें इस िात पर सिित िैं
कक उन्िें कै से शामसत िोिा चामिए, ककसे शामसत करिा चामिए इत्याकद। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• लोकतंत्र िें संमर्िाि का एक अन्य िित्र्पूणव कायव यि िोता िै कक कोई भी ताकतर्र सिूि ककसी दूसरे या कि ताकतर्र सिूि
या लोगों के मर्रुद्ध अपिी ताकत का इटतेिाल ि करे । उदािरण के मलए, संमर्िाि िें प्रायः ऐसे मियि मििावररत ककए गए िैं जो
प्रामिकाररयों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग से रक्षा करते िैं, जैसे कक िूल अमिकार।
• संमर्िाि का एक िुख्य कायवयि िै कक र्ि सरकार द्वारा अपिे िागररकों पर लागू ककये जािे र्ाले कािूिों पर कु छ सीिाएं
लगाए। ये सीिाएं इस रूप िें िौमलक िोती िैं कक सरकार कभी उसका उल्लंघि ििीं कर सकती। सरकार की शमियों को
सीमित करिे का सिसे सरल तरीका यि िै कक िागररकों के रूप िें ििारे िूल अमिकारों को टपि कर कदया जाए और कोई भी
सरकार कभी भी उसका उल्लंघि ि कर सके । इसमलए कथि 2 सिी िै।
Q 43.D
• अिुच्छेद 355 कें ि को यि दामयत्र् सौंपता िै कक र्ि यि सुमिमित करे कक प्रत्येक राज्य सरकार संमर्िाि की प्रिंि व्यर्टथा के
अिुरूप िी कायव करें गी। इस कतवव्य के अिुपालि के मलए कें ि, अिुच्छेद 356 के अंतगवत राज्य िें संर्ैिामिक तंत्र के मर्फल िो
जािे पर राज्य सरकार को अपिे मियंत्रण िें ले सकता िै। यि सािान्य रूप िें 'राष्ट्रपमत शासि' के रूप िें जािा जाता िै। इसे
'राज्य आपात' या 'संर्ैिामिक आपातकाल' भी किा जाता िै।
• संमर्िाि िें 'आपातकाल की घोषणा' पद का प्रयोग राष्ट्रीय आपातकाल को व्यि के मलए ककया गया िै, ि कक ककसी राज्य िें
राष्ट्रपमत शासि के मलए। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• अिुच्छेद 356 के तित राष्ट्रपमत शासि की घोषणा दो आिारों पर की जा सकती िै - पिला, अिुच्छेद 356 िें उमल्लमखत
आिार पर और दूसरा, अिुच्छेद 365 िें उमल्लमखत आिार पर।
• अिुच्छेद 356 राष्ट्रपमत को 'राज्य आपात' या 'संर्ैिामिक आपातकाल' घोमषत करिे का अमिकार देता िै, यकद र्ि संतुि िो कक
ऐसी मटथमत उत्पन्न िो गई िै मजसिें राज्य की सरकार संमर्िाि के प्रार्िािों द्वारा संचामलत ििीं की जा सकती िै। उल्लेखिीय
िै कक राष्ट्रपमत या तो राज्य के राज्यपाल की ररपोिव पर या अन्यथा भी (यािी राज्यपाल की ररपोिव के मििा भी) यि कारवर्ाई
कर सकता िै।
• यकद राज्यपाल अिुच्छेद 356 के तित राष्ट्रपमत शासि की मसफाररश करता िै, तो राज्यपाल का मिणवय न्यामयक सिीक्षा के
अिीि िोता िै। (एस. आर. िोम्िई र्ाद 1994)। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• अिुच्छेद 365 िें उल्लेख िै कक यकद कोई राज्य कें ि द्वारा कदए गए ककस मिदेश का पालि करिे या उसे प्रभार्ी करिे िें मर्फल
रिता िै, तो राष्ट्रपमत के मलए यि िाि लेिा र्ैि िोगा कक ऐसी मटथमत उत्पन्न िो गई िै मजसिें राज्य का शासि संमर्िाि की
प्रिंि व्यर्टथा के अिुसार ििीं चल सकती िै।
• भारतीय संमर्िाि के अिुसार, संघ (के न्ि सरकार) अिुच्छेद 256 िें मिर्दवि कु छ पररमटथमतयों िें राज्यों को मिदेश जारी कर
सकता िै।
• संघ की यि शमि ककसी राज्य को मिदेश देिे की उस सीिा तक मर्टताररत िै जो उसे उद्देश्य के मलए आर्श्यक लगता िै।
उदािरण के मलए, संघ मिम्नमलमखत िािलों िें राज्य को मिदेश दे सकता िै:
o प्राथमिक मशक्षा टतर पर राज्य से संिंमित भाषाई अल्पसंख्यक सिूिों के िच्चों को िातृभाषा िें मशक्षा के मलए पयावप्त
सुमर्िाओं की व्यर्टथा करे ;
o राज्य िें अिुसमू चत जिजामतयों के कल्याण के मलए मर्शेष योजिाएं ििाए और उिका कक्यान्र्यि करे ।
o अिुच्छेद 256 के अिुसार 'प्रत्येक राज्य अपिी कायवकारी शमियों का उपयोग संसद द्वारा ििाए गए कािूिों और राज्य िें
प्रचमलत सभी पूर्-व मर्द्यिाि कािूिों के अिुरूप करे गा।
• भारतीय संमर्िाि का अिुच्छेद 365, कें ि सरकार द्वारा कदए गए मिदेशों का पालि करिे िें ककसी राज्य की मर्फलता के
पररणािों से संिमं ित िै।
o यकद कोई राज्य संमर्िाि के तित कें ि सरकार द्वारा कदए गए ककसी भी मिदेश का पालि करिे िें मर्फल रिता िै, तो
राष्ट्रपमत यि िाि सकते िैं कक ऐसी मटथमत उत्पन्न िो गई िै मजसिें राज्य का शासि संमर्िाि की प्रिंि व्यर्टथा के अिुसार
ििीं चल सकती िै।
o इससे राष्ट्रपमत को अिुच्छेद 356 के तित कारव र्ाई करिे का अमिकार प्राप्त िो जाता िै, मजसके तित र्ि राज्य िें राष्ट्रपमत
शासि लागू कर सकता िै।
• अिुच्छेद 355 संघ को दामयत्र् सौंपता िै कक र्ि राज्यों को िाह्य आक्िण और आंतररक अशांमत से सुरक्षा प्रदाि करे ।
Q 45.A
o तमिलिािु : अप्रैल 1930 िें, सी. राजगोपालाचारी िे ििक कािूि तोड़िे के मलए मतरुमचरापल्ली (मिरिश काल िें
मत्रमचिापोली) से तंजौर (या तंजार्ुर) ति पर र्ेदारण्यि तक एक पदयात्रा का आयोजि ककया था। इस घििा के िाद
मर्देशी कपड़ों की दुकािों पर व्यापक िरिा कदया गया; कोयंििूर, िदुरै, मर्रुिुिगर आकद के आंतररक क्षेत्रों िें शराि
मर्रोिी अमभयाि को प्रभार्ी सिथवि मिला। यद्यमप, राजाजी िे आंदोलि को असिंसक ििाए रखिे का प्रयास ककया, ककं तु
जिता िें सिंसा भड़क उिी और पुमलस िे सिंसक दिि प्रारं भ कर कदया। इसमलए युग्ि 1 सिी सुिमे लत ििीं िै।
o उड़ीसा: गोपालिंिु चौिरी, जो एक गांिीर्ादी िेता थे, के िेतत्ृ र् िें ििक सत्याग्रि िालासोर, किक और पुरी मजलों के
तिीय क्षेत्रों िें प्रभार्ी सामित हुआ। इसमलए युग्ि 3 सिी सुिमे लत िै।
o असि: समर्िय अर्ज्ञा आन्दोलि मर्भाजिकारी िुद्दों के कारण, 1921-22 िें प्राप्त की गई उपलमब्ियों को िामसल करिे िें
मर्फल रिा था। इि कारणों िें असमिया और िंगामलयों, सिंदओं
ु और िुसलिािों के िीच िढ़ते संघषव और घिी आिादी
र्ाले पूर्ी िंगाल से िुमटलि ककसािों के आिे से मर्कमसत िोिे र्ाले तिार् थे। िालांकक, िई 1930 िें कसिंघि सकुव लर के
मर्रुद्ध एक सफल छात्र िड़ताल देखी गई थी, मजसके तित छात्रों की राजिीमत िें भागीदारी पर प्रमतिंि लगा कदया था।
कदसंिर 1930 िें चंिप्रभा सैककयािी िे आकदर्ासी कछारी सिुदाय के गांर्ों को र्ि कािूि तोड़िे के मलए प्रेररत ककया,
मजसे असि कांग्रस
े िेतृत्र् िे अटर्ीकार कर कदया था।
o मििार: चंपारण और सारि ििक सत्याग्रि शुरू करिे र्ाले प्रथि दो मजले थे। मििार चूंकक एक टथलरुद्ध राज्य था, यिां
िड़े पैिािे पर ििक का मििावण व्यार्िाररक ििीं था, और अमिकांश टथािों पर यि के र्ल एक प्रतीकात्िक मर्रोि था।
पििा िें, अंमिका कांत मसन्िा के िेतृत्र् िें ििक ििािे और ििक कािूि तोड़िे के मलए िखास तालाि को एक टथल के
रूप िें चुिा गया था। िालांकक, शीघ्र िी एक अत्यंत प्रभार्शाली चौकीदारी कर मर्रोिी ( No chaukidari tax) आंदोलि
िे ििक सत्याग्रि (ििक ििािे िें भौमतक िािाओं के कारण) को प्रमतटथामपत कर कदया था। िर्ंिर 1930 तक, मर्देशी
र्स्त्रों और शराि की मिक्ी िें व्यापक रूप से मगरार्ि आई, और राज्य के कई मिटसों जैसे िुग
ं रे के िरिी क्षेत्र िें प्रशासि
ध्र्टत िो गया।
Q 46.C
• िामलया संदभव - मर्शेषज्ञों का िाििा िै कक ईराि अपिे 'एमटसस ऑफ रे मजटिेंस' गििंिि के िाध्यि से इजरायल पर ििला
कर सकता िै।
• एमटसस ऑफ रे मजटिेंस : यि ईराि के िेतत्ृ र् िें टर्ायत्त उग्रर्ादी इटलािी सिूिों का एक िेिर्कव िै। इिका इमतिास 1979 की
ईरािी क्ांमत से जुड़ा हुआ िै। इसिें शामिल िैं
• मिजिुल्लाि का अथव िै 'ईश्वर का संगिि'। इसकी टथापिा 1980 के दशक के प्रारं भ िें लेििाि िें की गई थी। यि "एमटसस
ऑफ रे मजटिेंस" का सिसे िड़ा और सिसे शमिशाली सदटय िै।
Q 47.D
• कांग्रेस के गिि के िाद सरकार िे कांग्रेस के प्रमत ‘फू ि िालो और राज करो’ की िीमत अपिाई। लॉिव िफररि िे कांग्रेस को
‘देशिोि की फै टट्री’ किा था।
25 www.visionias.in ©Vision IAS
• यूिाइिेि इं मियि पैरट्रयरिक एसोमसएशि एक राजिीमतक संगिि था मजसकी टथापिा 1888 िें सर सैयद अििद खाि और
ििारस के राजा मशर् प्रसाद ससंि िे की थी। इसिें उत्तर भारत के िुमटलि संगिि और रूकढ़र्ादी सिंद ू अमभजात र्गव शामिल थे।
इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मर्परीत, इस सिूि का उद्देश्य िुमटलि सिुदाय और मिरिश शासि के िीच घमिष्ठ संिंि मर्कमसत
करिा और सिंद-ू िुमटलि एकता को िढ़ार्ा देिा था। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
Q 48.D
• मगजुभाई ििेका, अरसिंदो घोष और तारािाई िोदक सभी मशक्षा के अग्रदूत थे मजन्िोंिे एक-दूसरे के कायों को प्रभामर्त ककया
तथा भारत िें मशक्षा व्यर्टथा को आकार देिे िें िदद की।
• श्ी अरसिंदो घोष की गुरुकु ल मशक्षा व्यर्टथा िें गिरी आटथा थी और उन्िोंिे 1943 िें पांमिचेरी िें आश्ि टकू ल की टथापिा
की थी। अरसिंदो की मशक्षा योजिा के मर्चारों के स्रोत अमभन्न योग और आध्यामत्िक योग थे। र्ि इस त्य पर िल देते थे कक
ििुष्य के पास भौमतक और िािमसक भार्िाएं िोती िैं तथा आध्यामत्िक आत्िा िें ईश्वर को पिचाििे और ििसूस करिे की
क्षिता िोती िै।
• मगजुभाई ििेका िे 1920 िें भारत िें पिला िोंिेसरी टकू ल टथामपत ककया था। उन्िोंिे मशक्षा की ऐसी पद्धमत को शुरू करिे का
प्रयास ककया, मजसिें मशक्षाप्रद सािग्री को पूरी तरि से ििाकर उिकी जगि किािी की ककतािें, किािी सुिािा, भूमिका-
मिभािा (रोल-प्ले), टथािीय खेल और रचिात्िक अभ्यास शामिल ककया। इस प्रकार, उन्िोंिे िच्चों को अमिक टर्तंत्रता दी तथा
मशक्षाप्रद सािग्री के मििा, र्े अपिी टर्यं की क्षिता को अमिक व्यि कर सकते थे।
• पद्मभूषण श्ीिती तारािाई िोदक, भारत िें प्री-टकू ल मशक्षा की अग्रणी िािी जाती िै। तारािाई िोदक को सिी िायिे िें
"िोंिेसरी िदर" किा जाता िै। उन्िोंिे भारत िें गुजीभाई ििेका के साथ मिलकर प्रीटकू ल मशक्षा िें िित्र्पूणव योगदाि कदया
था। र्ि प्रीटकू ल मशक्षा िें मगजुभाई ििेका के कायों से प्रेररत थीं। उिकी मशक्षण पद्धमत िे कोसिाि के आकदर्ासी सिुदाय िें
एक िौि क्ांमत का संचार ककया।
• िूति िाल मशक्षण संघ (NBSS- न्यू चाइल्ि एजुकेशि एसोमसएशि) की शुरुआत 1926 िें मगजुभाई ििेका और तारािाई
िोदक द्वारा गुजरात राज्य के भार्िगर िें दमक्षणािूर्तव फाउं िेशि िें की थी। यि िाल मशक्षा के क्षेत्र िें एक अग्रणी संटथाि िै।
इसका उद्देश्य पूरे भारत िें िाल मशक्षा के प्रमत जागरूकता उत्पन्न करिा था।
Q 49.A
• 1890 के दशक के दौराि, मतलक िे गणपमत और मशर्ाजी उत्सर्ों तथा अपिी पमत्रकाओं के सरी और िरािा के िाध्यि से सिंसा
के प्रयोग समित उग्र राष्ट्रर्ाद की भार्िा का प्रचार ककया।
• आश्य की आर्श्यकता, प्रेस अमिमियिों से िुि क्ांमतकारी सामित्य को प्रकामशत करिे की संभार्िा तथा िमथयारों की खोज िे
भारतीय क्ांमतकाररयों को मर्देश जािे के मलए िजिूर कर कदया था।
• मजिरिैि योजिा, मजसे जिवि षड्यंत्र भी किा जाता िै, प्रथि मर्श्व युद्ध के दौराि भारत िें मिरिश साम्राज्य के मर्रुद्ध मर्िोि
उत्पन्न करिे की योजिा थी। इस योजिा का आयोजि जमति िे ककया था, मजन्िोंिे रासमििारी िोस से इसका िेतृत्र् करिे का
आग्रि ककया। युगांतर पािी िे मर्देश िें भारतीय सिथवकों और क्ांमतकाररयों के िाध्यि से जिवि िमथयार और गोला-िारूद
आयात करिे की व्यर्टथा की थी। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
Q 50.A
• संमर्िाि संशोिि की शमि संसद िें मिमित िै। इस तरि अिेररका के मर्परीत राज्य मर्िाििंिल राज्य, मर्िाि पररषद के
गिि या सिामप्त िेतु प्रटतार् के अमतररि कोई मर्िेयक या संमर्िाि संशोिि का प्रटतार् ििीं ला सकता। यिां भी संसद इस
प्रटतार् को या तो अिुिोकदत कर सकती िै या अटर्ीकार कर सकती िै अथर्ा इस पर कोई कायवर्ािी ििीं कर सकती िै। संयुि
राज्य अिेररका िें, दो-मतिाई राज्य मर्िाििंिलों की यामचका पर कांग्रस
े (अिेररकी मर्िाििंिल) द्वारा िुलाए गए संर्ि
ै ामिक
सम्िेलि द्वारा भी संशोिि िेतु प्रटतार् प्रटतुत ककया जा सकता िै। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• भारतीय संमर्िाि के िड़े मिटसे को अके ले संसद िी मर्शेष िहुित या सािारण िहुित द्वारा संशोमित कर सकती िै। मसफव कु छ
िािलों िें राज्य मर्िाििंिल की संटतुमत भी आर्श्यक िोती िै, र्ि भी उििें से आिे राज्यों की संटतुमत भी आर्श्यक िोती िै,
जिकक अिेररका िें यि तीि-चौथाई राज्यों के द्वारा अिुिोकदत िोिा आर्श्यक िै। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
Q 51.B
• िोंिफोिव सुिारों को लागू ककए जािे से िीक छि िाि पिले, इंपीररयल लेमजटलेरिर् काउं मसल िें दो मर्िेयक प्रटतुत ककए गए
थे। उििें से एक को ििा कदया गया था, ककं तु दूसरा - मिफें स ऑफ इं मिया रे गल
ु श
े ि एटि, 1915 का मर्टतार करिे र्ाले
मर्िेयक को - िाचव 1919 िें पाररत ककया गया। इसे आमिकाररक तौर पर अराजक और क्ांमतकारी अपराि अमिमियि
(Anarchical and Revolutionary Crimes Act) किा गया था, ककं तु इसे सािान्यतः रॉलेि एटि के िाि से जािा जाता
िै। यि अमिमियि एक र्षव पिले मिरिश न्यायािीश सर मसििी रॉलेि की अध्यक्षता र्ाले रॉलेि आयोग की मसफाररशों पर
आिाररत था, मजसका उद्देश्य भारतीय लोगों के 'राजिोिी षड्यंत्र' की जांच करिा था। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• इस अमिमियि के तित कमथत राजिीमतक आंदोलिकाररयों को मििा िुकदिे के 2 र्षव तक मिरासत िें रखिे का प्रार्िाि था।
इस प्रकार की प्रशासमिक मगरफ्तारी के मर्रुद्ध कोई अपील की अिुिमत ििीं थी। इसिे राजिोि के िािलों के मलए मििा जूरी
के गुप्त न्यायालयों िें सुिर्ाई की अिुिमत दी, मजससे न्यामयक पारदर्शवता और मिष्पक्षता गंभीर रूप से प्रभामर्त हुई। इस
अमिमियि िे राजिीमतक कायवकतावओं को मििा जूरी के िुकदिा चलािे या मििा सुिर्ाई के जेल िें भेजिे की अिुिमत दी।
इसिे 'देशिोि' के संदि
े पर मििा र्ारं ि के भारतीयों को मगरफ्तार करिे की अिुिमत दी। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• इं पीररयल लेमजटलेरिर् काउं मसल के सभी मिर्ावमचत भारतीय सदटयों िे इस मर्िेयक के मर्रुद्ध ितदाि ककया, ककं तु र्े अल्पित
िें थे और आमिकाररक िािांककत लोगों द्वारा आसािी से परामजत कर कदए गए। तदुपरांत इस अमिमियि के मर्रोि िें सभी
मिर्ावमचत भारतीय सदटयों- मजििें िुिम्िद अली मजन्ना, िदि िोिि िालर्ीय और िजिर उल िक शामिल थे- िे इटतीफ़ा दे
कदया। इसमलए कथि 3 सिी िै।
Q 52.A
• कोल मर्िोि (1831): कोल और अन्य जिजामतयां छोिािागपुर क्षेत्र िें मिर्ास करती थीं। इसिें रांची, ससंिभूि, िजारीिाग,
पलािू और िािभूि के पमििी मिटसे शामिल थे। 1831 िें मर्िोि की शुरुआत ति हुई जि कोल िुमखयाओं से भूमि का िड़े
पैिािे पर िटतांतरण िािरी लोगों, जैसे सिंद,ू मसख, और िुमटलि ककसािों और साहूकारों को ककया गया, जो दििकारी थे तथा
भारी करों की िांग करते थे। इसके अमतररि, मिरिश न्यामयक और राजटर् िीमतयों िे कोल सिुदाय की पारं पररक सािामजक
मटथमतयों को िुरी तरि प्रभामर्त ककया। कोलों िे इसका मर्रोि ककया और 1831 िें िुद्िु भगत के िेतत्ृ र् िें कोल मर्िोमियों िे
लगभग एक िजार िािरी लोगों को िार िाला या जला कदया। िड़े पैिािे पर सैन्य अमभयािों के िाद िी व्यर्टथा ििाल की जा
सकी। इसमलए युग्ि 1 सिी सुिमे लत ििीं िै।
• 1855 िें दो भाइयों, मसद्िू और कान्हू िे मर्िोि की शुरुआत की, इन्िोंिे संथाल सिुदाय को अन्यायपूणव िीमतयों और उि पर
लगाए गए अत्यमिक करों के मर्रुद्ध संगरित ककया। संथालों िे अपिे भूमि अमिकारों को पुिः प्राप्त करिे, दििकारी व्यर्टथाओं
को सिाप्त करिे और एक टर्-शामसत सिाज टथामपत करिे की िांग की।
• मर्िोि तेजी से फै ला, और संथालों िे असािारण सािस एर्ं एकता का प्रदशवि करते हुए प्रमतरोि ककया। उन्िोंिे अमिकाररक
शोषण के प्रतीकों जैसे पुमलस टिेशिों और मिरिश टर्ामित्र् र्ाली संपमत्तयों पर ििला ककया। िालांकक, मिरिशों िे िल का
प्रयोग ककया, मजससे संथालों और औपमिर्ेमशक सेिा के िीच सिंसक संघषव हुआ।
• संथालों के सािमसक प्रयासों के िार्जूद, अंततः 1856 िें मिरिश सेिा द्वारा मर्िोि का दिि कर कदया गया। इसमलए युग्ि 2
सिी सुिमे लत ििीं िै।
• रािोसी मर्िोि: रािोसी पमििी घाि िें रििे र्ाली पिाड़ी जिजामतयां थीं, र्े मिरिश शासि और प्रशासि के मिरिश पैििव से
सिित ििीं थीं। र्े मिरिश मर्लय की िीमत का मर्रोि कर रिे थे। िरािा प्रशासि द्वारा रािोसी सिुदाय के लोगों को व्यापक
टतर पर मियोमजत ककया गया था। िालांकक, मिरिश द्वारा िरािा क्षेत्रों का मर्लय ककए जािे िादर्े अपिी आजीमर्का से र्ंमचत
िो गए थे। उन्िोंिे 1822 िें मचत्तुर ससंि के िेतत्ृ र् िें मर्िोि ककया और सतारा के आसपास के क्षेत्र िें लूिपाि की।
• रिोमसयों िे पुिः 1825-26 िें पूिा के उिाजी िाइक और उिके सिथवक िापू सत्रंिकजी सार्ंत के िेतृत्र् िें मर्िोि ककया तथा
यि मर्िोि 1829 तक जारी रिा। 1839 िें सतारा के राजा प्रताप ससंि को पदच्युत करिे और मिर्ावमसत ककए जािे पर पुिः
मर्िोि हुआ और 1840-41 िें भी अशांमत देखी गई। अंत िें, एक मिरिश श्ेष्ठ िल िे इस क्षेत्र िें शांमत टथामपत की। आि तौर
पर, मिरिश िे रािोमसस के प्रमत शांमतर्ादी िीमत अपिाई और उििें से कु छ को पिाड़ी पुमलस िें भती भी ककया। इसमलए युग्ि
3 सिी सुिमे लत िै।
Q 53.A
• फ्ी सिंदटु ताि (सिाचार पत्र) की टथापिा तारकिाथ दास द्वारा की गई थी और इसे र्ैंकूर्र िें प्रकामशत ककया जाता था। इसे
सर्वप्रथि अप्रैल 1908 िें प्रकामशत ककया गया था और इसिें मिरिश िीमतयों की आलोचिा की गई थी।
• अरसर्ंद घोष टर्देशी आंदोलि का मर्टतार पूरे भारत िें करिे के पक्ष िें थे। उन्िें देशभमिपूणव मर्चारों और भारतीय
पररमटथमतयों एर्ं संटकृ मत से संिंमित मशक्षा प्रणाली को प्रोत्सामित करिे के मलए 1906 िें टथामपत िंगाल िेशिल कॉलेज के
सप्रंमसपल के रूप िें मियुि ककया गया था। र्े िंदे िातरि के भी संपादक थे और अपिे संपादकीय लेखों के िाध्यि से टर्देशी
आंदोलि की भार्िा िें िड़ताल, राष्ट्रीय मशक्षा आकद को प्रोत्सामित करते थे। इसके प्रकशि िें जसतंििाथ ििजी और
िारींिकु िार घोष (मजन्िोंिे अिुशीलि समिमत का प्रिंिि ककया) उिके सिायक थे। इसमलए युग्ि 2 सिी सुिमे लत ििीं िै।
• िह्मिांिर् उपाध्याय िे अपिे संध्या और युगांतर (िारींिकु िार घोष से जुड़े एक सिूि द्वारा टथामपत ककय गया था) क्ांमतकारी
सिाचार पत्रों के िाध्यि से टर्राज एर्ं टर्देशी आंदोलि को लोकमप्रय ििाया। इसमलए युग्ि 3 सिी सुिमे लत ििीं िै।
Q 54.B
• संदभव: भारतीय प्रौद्योमगकी संटथाि, ििास और िंिी के शोिकतावओं िे कैं सर रोिी दर्ा कै म्पिोथेमसि (Camptothecin:
CPT) के उत्पादि को िढ़ािे के मलए इस पादप की कोमशकाओं को जैर्-रासायमिक रूप से संशोमित ककया िै।
• यि एक लुप्तप्राय औषिीय पादप िै जो भारत के पमििी घाि िें पाए जाता िै। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• इसिें कै म्पिोथेमसि (CPT) ििक योमगक पाया जाता िै, मजसे कैं सर रोिी गुणों के मलए जािा जाता िै।
• एि. मििोमियािा िें अन्य पादप प्रजामतयों की तुलिा िें सर्ावमिक CPT की सांिता पाई जाती िै।
• इसक पादप के अत्यमिक दोिि के कारण यि लुप्तप्राय अर्टथा िें पहुंच गया िै।
• CPT के के र्ल दो एिालॉग अथावत इररिोिेकि (Irinotecan) और िोपोिेकि (Topotecan) को कैं सर के इलाज के मलए
िंजूरी दी गई िै। इसमलए कथि 2 सिी िै।
• CPT का उपयोग करिे र्ाली एलोपैमथक दर्ाएं एि. मििोमियािा से ििाई जाती िैं।
• इस पादप को दमक्षण पूर्व एमशयाई क्षेत्रों िें व्यापक टतर पर उगाया जाता िै, और ये पादप िुख्य रूप से चीि और भारत िें पाए
जाते िैं।
Q 55.B
• िामलया संदभव: कई भारतीय 'िंकी रूि (Donkey route)’ का उपयोग मिकारागुआ से िोते हुए अिेररका और किािा िें प्रर्ेश
करिे िेतु करते िैं।
• यि उि अिौपचाररक या अिमिकृ त िागों को संदर्भवत करता िै, मजिका उपयोग प्रायः आमिकाररक िागों या चौककयों को
िायपास करिे के मलए ककया जाता िै। आितौर पर यि िागव पर्वतीय या दुगि
व इलाकों से िो कर गुजरता िै जिां से पारं पररक
पररर्िि चुिौतीपूणव िोता िै। इसमलए मर्कल्प (b) सिी उत्तर िै।
• इि िागों का उपयोग कभी-कभी तटकरी, र्टतुओं के टथािांतरण या ध्याि आकर्षवत ककए मििा सुदरू के क्षेत्रों तक पहुंचिे के
मलए ककया जाता िै।
• िोंकसव (Donkers): ऐसे अमिकांश िािलों िें, जि प्रर्ासी ट्रांमजि देश िें पहुंचते िैं, तो एजेंि प्रर्ामसयों को तथाकमथत
'िोिकसव' या िािर् तटकरों से मिलर्ाते िैं, जो उन्िें अर्ैि रूप से अपिे अंमति गंतव्य तक पहुंचिे िें िदद करते िैं।
Q 56.B
• संमर्िाि िें मिदेशक तत्र्ों का कोई श्ेणीर्ार र्गीकरण ििीं ककया गया िै। िालांकक, उिकी मर्षय-र्टतु और उििे कदए गए
मिदेश के आिार पर, उन्िें व्यापक रूप से तीि श्ेमणयों- सिाजर्ादी, गांिीर्ादी और उदार-िौमद्धक िें र्गीकृ त ककया जा सकता िै।
o सिुदाय के भौमतक संसाििों का टर्ामित्र् और मियंत्रण इस प्रकार िंिा िो मजससे सािूमिक मित का सर्ोत्ति रूप से
सािि िो;, सिाि कायव के मलए सिाि र्ेति: िालकों की सुकुिार अर्टथा की सुरक्षा तथा अल्पव्यटकों की शोषण से सुरक्षा
सुमिमित करिा, आकद। (अिुच्छेद 39)
o कायव की न्यायसंगत और िािर्ोमचत दशाओं तथा प्रसूमत सिायता सुमिमित करिा (अिुच्छेद 42)
o ग्रािीण क्षेत्रों िें कु िीर उद्योगों को र्ैयमिक या सिकारी आिार पर िढ़ार्ा देिे का प्रयास करिा (अिुच्छेद 43)
o 14 र्षव तक की आयु के सभी िच्चों को मिःशुल्क और अमिर्ायव मशक्षा प्रदाि करिा (अिुच्छेद 45)
o जिता के दुिवल र्गों, मर्शेष रूप से अिुसूमचत जामतयों और अिुसूमचत जिजामतयों के आर्थवक एर्ं शैमक्षक मितों को िढ़ार्ा
देिा (अिुच्छेद 46)
o िादक पेय और टर्ास्नय के मलए िामिकर ओषमियों पर प्रमतिंि लगािा (अिुच्छेद 47)
o गोित्या पर रोक लगािा और र्ैज्ञामिक आिार पर कृ मष एर्ं पशुपालि को संगरित करिा (अिुच्छेद 48)।
o पूरे देश िें एकसिाि मसमर्ल संमिता को लागू करिा। (अिुच्छेद 44)
Q 57.D
• 1946 का रॉयल इं मियि िेर्ी मर्िोि भारत िें मिरिश औपमिर्ेमशक शासि के मर्रुद्ध िोिे र्ाले प्रिुख मर्िोिों िें से एक था।
o िटलीय भेदभार्: भारतीय िामर्कों को उिके मिरिश अमिकाररयों द्वारा ककए जािे र्ाले अत्यमिक िटलीय भेदभार् का
साििा करिा पड़ता था। र्े कि र्ेति, जीर्ि की मिम्नतर एर्ं खराि पररमटथमतयों और भेदभार्पूणव व्यर्िार से पीमड़त थे।
o कायव की खराि पररमटथमतयााँ: िामर्कों को िेिद जीर्ि की मिम्नतर एर्ं खराि पररमटथमतयों का साििा करिा पड़ता था।
उन्िें िहुत कि और मिम्नटतरीय भोजि मिलता था साथ िी उन्िें छोिे-छोिे क्ािवरों िें भीड़भाड़ िें रििा पड़ता था; उिकी
दयिीय कायव दशाओं और मिरिश अमिकाररयों द्वारा ककए जा रिे किोर व्यर्िार िे उन्िें मर्िोि के मलए प्रेररत ककया।
o राष्ट्रीयता की भार्िा: यि मर्िोि भारत िें व्यापक टतर पर चल रिे राष्ट्रीय आंदोलिों जैसे INA ट्रायल्स और 'भारत छोड़ो
आंदोलि' से प्रेररत था। इि आन्दोलिों िे िामर्कों िें टर्तंत्रता और न्याय की भार्िा को जागृत ककया।
o िामर्क िीसी दत्त की मगरफ्तारी: इन्िें मििेि के मर्रुद्ध िोलिे के मलए मगरफ्तार ककया गया था। यि मर्िोि को जन्ि देिे
र्ाला एक तत्कामलक कारण मसद्ध हुआ, मजससे मर्रोि प्रदशवि और आिरण अिशि की शुरुआत हुई।
o उिकी िांगों िें िेितर भोजि और जीर्ि टतर िें सुिार की िांग शामिल थी, जो लंिे सिय से मशकायत का कारण ििी
हुई थी।
o राजिीमतक कै कदयों की ररिाई: प्रदशविकारी िामर्कों िे सभी राजिीमतक कै कदयों की ररिाई की िांग की, मर्शेष रूप से उि
लोगों की मजन्िें आईएिए िुकदिों के आिार पर िंदी ििाया गया था। साथ िी, इन्िोिे सुभाष चंि िोस जैसी प्रमसद्ध
िमटतयों की ररिाई की भी िांग की।
o इं िोिेमशया से भारतीय सैमिकों की र्ापसी: िामर्कों िे इं िोिेमशया िें तैिात भारतीय सैमिकों की र्ापसी की िांग की, जो
मिरिश साम्राज्यर्ादी िीमतयों के प्रमत उिके मर्रोि को दशावता िै।
o सिाि र्ेति और व्यर्िार: उन्िोंिे मिरिश िामर्कों के सिाि र्ेति और भत्ते की िांग की ताकक दशकों से चली आ रिी
भेदभार्पूणव प्रथाओं को सिाप्त ककया जा सके ।
o िालांकक मर्िोि का व्यापक संदभव भारतीय टर्तंत्रता के संघषव से जुड़ा था कफर भी िामर्कों की मर्मशि िांगों िें मिरिश
शासि से तत्काल टर्तंत्रता की िांग टपि रूप से शामिल ििीं थी।
• मिरिश सरकार िे मर्िोि को कु चलिे के मलए त्र्ररत और मिणावयक कारव र्ाई की। सरकार िे यथासम्भर् अमिकामिक सैन्य शमि
जुिाई और मर्िोि को दिािे के मलए सिंसा का सिारा मलया। फरर्री 1946 तक, सरदार र्ल्लभभाई पिेल जैसे िेताओं के
िेतृत्र् िें िातचीत के िाद मर्िोि प्रभार्ी रूप से सिाप्त िो गया, मजन्िोंिे िामर्कों को आत्िसिपवण के मलए राजी ककया।
Q 58.C
• गोलिेज सम्िेलि, (1930-32), भारतीय इमतिास िें, मिरिश सरकार द्वारा भारत के भार्ी संमर्िाि पर मर्चार करिे के मलए
तीि सत्रों िें आयोमजत की गई िैिकों की एक श्ृख
ं ला थी। यि सम्िेलि 1927 िें साइिि किीशि द्वारा भारत सरकार
अमिमियि, 1919 की सिीक्षा के पररणािटर्रूप आयोमजत ककया गया था। इसकी ररपोिव 1930 िें प्रकामशत हुई थी। यि
सम्िेलि लंदि िें आयोमजत ककया गया था।
• 2 िर्ंिर, 1929 को, प्रिुख राष्ट्रीय िेताओं के एक सम्िेलि िें 'कदल्ली घोषणापत्र' जारी ककया गया, मजसिें गोलिेज सम्िेलि
िें भाग लेिे के मलए कु छ शतें रखी गईं थीं जैस:े
o गोलिेज सम्िेलि का उद्देश्य यि मििावररत करिा ििीं िोिा चामिए कक िोमिमियि टिेिस कि या कै से प्राप्त िोगा, िमल्क
इसका उद्देश्य िोमिमियि टिेिस के कायावन्र्यि के मलए एक संमर्िाि तैयार करिा (इस प्रकार एक संमर्िाि सभा के रूप
िें कायव करिा) और िोमिमियि टिेिस के िूल मसद्धांत को तुरंत टर्ीकार करिा िोिा चामिए;
o राजिीमतक कै कदयों के मलए एक सािान्य िाफी और सुलि की िीमत अपिायी जािी चामिए;
• गांिीजी िे िोतीलाल िेिरू और अन्य राजिीमतक िेताओं के साथ कदसंिर 1929 िें लॉिव इरमर्ि से (ट्रेि िि मर्टफोि िें
सुरमक्षत िचिे के िाद) िुलाकात की। उन्िोंिे र्ायसराय से यि आश्वासि िांगा कक गोलिेज सम्िेलि का उद्देश्य िोमिमियि
टिेिस के मलए संमर्िाि मििावण की योजिा तैयार करिा िोिा चामिए। इरमर्ि िे किा कक सम्िेलि का उद्देश्य यि ििीं िो
सकता िै। र्ायसराय इरमर्ि िे कदल्ली घोषणापत्र िें रखी गई िांगों को अटर्ीकार कर कदया। इसके कारण िकरार् का आिार
तैयार हुआ।
• ििात्िा गांिी िे ऐसे अन्यायपूणव कािूिों के मर्रुद्ध असिंसक समर्िय अर्ज्ञा आंदोलि का आह्र्ाि ककया, मजसकी शुरुआत 6
अप्रैल 1919 को एक िड़ताल के साथ की गई। पंजाि िें 9 अप्रैल 1919 को दो राष्ट्रर्ादी िेताओं सैफुद्दीि ककचलू और िॉ.
सत्यपाल को मिरिश अमिकाररयों िे मििा ककसी पूर्व सुचिा के मगरफ्तार करके ककसी अज्ञात टथाि पर भेज कदया गया इि
िेताओं कों के र्ल मर्रोि सभाओं को संिोमित करिे के आरोप िें मगरफ्तार ककया गया था।
• इससे भारतीय प्रदशविकाररयों िें आक्ोश फै ल गया और र्े अपिे िेताओं के पक्ष िें एकजुिता कदखािे के मलए 10 अप्रैल को
िजारों की संख्या िें सड़कों पर उतर आए। भमर्ष्य िें ऐसे ककसी भी मर्रोि को भड़किे से रोकिे के मलए सरकार िे िाशवल लॉ
लागू कर कदया और पंजाि िें कािूि व्यर्टथा की मजम्िेदारी मिगेमियर-जिरल िायर को सौंप दी गई।
• 13 अप्रैल को िैसाखी के कदि, अमिकांशतः आस-पास के गांर्ों से आए लोग जमलयांर्ाला िाग िें एकत्र हुए। इि लोगों को
अिृतसर िें लगाए गए प्रमतिंिात्िक आदेशों की जािकारी ििीं थी। मिगेमियर-जिरल िायर अपिी सेिा के साथ घििाटथल
पर पहुंच।े जिरल िायर के आदेश पर सैमिकों िे सभा को घेर मलया और एकिात्र मिकास िागव को अर्रुद्ध कर कदया। तत्पिात
उन्िोंिे मिित्थे भीड़ पर गोलीिारी शुरू कर दी, मजसिें 1000 से अमिक मिित्थे पुरुष, िमिलाएं और िच्चे िारे गए।
• 14 अटिू िर, 1919 को भारत सरकार िे अव्यर्टथा जांच समिमत(Disorders Inquiry Committee) के गिि की घोषणा
की। इस किेिी को अमिकांशतः इसके अध्यक्ष लॉिव मर्मलयि िंिर के िाि पर िंिर समिमत/आयोग के रूप िें जािा जाता िै।
लॉिव मर्मलयि िंिर टकॉिलैंि के पूर्व सॉमलमसिर जिरल और टकॉिलैंि िें कॉलेज ऑफ जमटिस के सीिेिर थे। आयोग का उद्देश्य
"िंिई, कदल्ली और पंजाि िें िाल िी िें फै ली अव्यर्टथाओं, उिके कारणों और उिसे मिपििे के मलए ककए गए उपायों की जांच
करिा" था। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• लॉिव मर्मलयि िंिर भारतीय मसमर्ल सेर्ा के अमिकारी और र्ायसराय की कायवकारी पररषद के सदटय भी थे। समिमत िें
भारतीय सदटय भी शामिल थे। समिमत िे िाचव 1920 िें अपिी अंमति ररपोिव प्रटतुत की मजसिें जिरल िायर के कायों की
सर्वसम्िमत से सिंदा की गई। िालांकक, समिमत िे जिरल िायर के मर्रुद्ध कोई अिुशासिात्िक या दंिात्िक कारव र्ाई ििीं की।
• रर्ींििाथ िैगोर, मजन्िें मिरिशों द्वारा 'िाइिहुि' की उपामि दी गई थी, िे अपिी िाइिहुि की उपामि त्याग दी। र्ायसराय को
मलखे अपिे पत्र िें उन्िोंिे घोषणा की: "सिय आ गया िै जि सम्िाि के ये तिगे ििारे अपिाि को उिके अपिािजिक संदभव
िें और अमिक टपि कर रिे िैं, और िैं अपिी ओर से उि सभी मर्शेष उपामियों को त्यागकर अपिे देशर्ामसयों के साथ खड़ा
िोिा चािता हूाँ, जो अपिी तथाकमथत तुच्छता के कारण उस अपिाि का साििा करिे के मलए िाध्य िैं, जो इं सािों के योग्य
ििीं िै"। इस िरसंिार िे टर्तंत्रता संग्राि के इमतिास िें एक िित्र्पूणव िोड़ को मचमह्ित ककया। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
Q 60.C
• संदभव: मिमजिल युग िें, सूचिा िी संपमत्त िै और इसे सुरमक्षत रखिे के मलए एमन्क्प्शि एक िित्र्पूणव तरीका िै।
• एमन्क्प्शि: मर्मशि मियिों के आिार पर उपभोग करिे योग्य अथर्ा पििीय सूचिा को एक अपििीय रूप िें पररर्र्तवत
करिा। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• कुं जी: एमन्क्प्िेि िेटटि को मिकक्प्ि करिे के मलए कं प्यूिर द्वारा उपयोग ककया जािे र्ाला िेिा घिक, जो एमन्क्प्शि के मलए
उपयोग ककए गए मियिों के आिार पर प्रयुि िोता िै।
• एमन्क्प्शि के प्रकार:
o एंि-िू -एंि एमन्क्प्शि (E2E): मर्शेष टथािों के िीच िेिा का एमन्क्प्शि, मजससे यि सुमिमित िोता िै कक यि ट्रांमजि और
रे टि दोिों िें एमन्क्प्िेि िै (पारगिि के दौराि और सर्वर िें संग्रिीत रिते हुए, दोिों िी सिय)। इसमलए कथि 2 सिी िै।
• असिमितीय एमन्क्प्शि: एमन्क्प्शि और मिकक्प्शि के मलए अलग-अलग कुं मजयों का उपयोग करता िै।
o पररभाषा: एक गमणतीय एल्गोरर्ि जो एक इिपुि (या "संदेश") प्राप्त करके िाइट्स की एक मिमित-आकार की सटट्रंग
उत्पन्न करता िै, मजसे िैश र्ैल्यू या िाइजेटि किा जाता िै।
o कायव: संदश
े को एमन्क्प्ि करिे के मलए उत्तरदायी िोता िै; इसका आउिपुि एक मर्मशि, अज्ञात और यादृमच्छक प्रतीत िोिे
र्ाला अक्षरों का अिुक्ि िोता िै, जो कदए गए इिपुि के मलए अमद्वतीय िोता िै।
Q 61.A
• भारत का ििान्यायर्ादी (AG) संघीय कायवकाररणी का एक मिटसा िै। AG देश का सर्ोच्च मर्मि अमिकारी िै। संमर्िाि के
अिुच्छेद 76 िें भारत के ििान्यायर्ादी के पद का प्रार्िाि िै।
• इसकी मियुमि राष्ट्रपमत द्वारा की जाती िै। राष्ट्रपमत द्वारा उच्चति न्यायालय का न्यायािीश मियुि िोिे के मलए अर्िवत ककसी
व्यमि को भारत का ििान्यायर्ादी मियुि ककया जाएगा।
• संमर्िाि द्वारा उिके पद की अर्मि मिमित ििीं की गई िै। र्ि राष्ट्रपमत की प्रसादपयिंत अपिा पद िारण करता िै।
• र्ि राष्ट्रपमत द्वारा मििावररत पाररश्मिक प्राप्त करता िै। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• उसे भारत के राज्यक्षेत्र िें मटथत सभी न्यायालयों िें सुिर्ाई का अमिकार प्राप्त िै। साथ िी, उसे संसद के दोिों सदिों या उिकी
संयि
ु िैिक तथा संसद की ककसी समिमत, मजसके र्ि िामित सदटय िो, की कायवर्ािी िें िोलिे तथा भाग लेिे का अमिकार
प्राप्त िै, परन्तु उसे इिकी कायवर्ामियों िें ितदाि का अमिकार प्राप्त ििीं िै। इसमलए कथि 2 सिी िै।
• र्ि सरकार का पूणवकामलक र्कील ििीं िैं। र्ि सरकारी किवचाररयों की श्ेणी िें शामिल ििीं िै। इसके अलार्ा, उसे मिजी
मर्मिक प्रैमटिस से भी प्रमतिंमित ििीं ककया गया िै।
• र्ि कें िीय िंमत्रिंिल का सदटय ििीं िोता िै। इसमलए कथि 3 सिी ििीं िै।
Q 62.A
• भारत िें राज्य सभा (Council of States) का सदटय िििे के मलए, ककसी व्यमि को संमर्िाि के अिुच्छेद 84 के अिुसार
मिम्नमलमखत पात्रता िािदंिों को पूरा करिा िोगा:
o िागररकता: उम्िीदर्ार को भारत का िागररक िोिा चामिए और चुिार् आयोग के सिक्ष संमर्िाि के प्रमत मिष्ठा की शपथ
या प्रमतज्ञाि देिा चामिए।
o आयु: िािांकि पत्रों की जांच की मतमथ पर उम्िीदर्ार की आयु कि से कि 30 र्षव िोिी चामिए। इसमलए कथि 1 सिी िै।
o उम्िीदर्ार को भारत िें ककसी संसदीय क्षेत्र का मिर्ावचक िोिा चामिए, आर्श्यक ििीं कक र्ि उस राज्य का िो मजसका
र्ि प्रमतमिमित्र् करिा चािता िै। इसका अथव िै कक उसे लोकसभा (संसद के मिचले सदि) के चुिार्ों िें र्ोि देिे के योग्य
िोिा चामिए। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै और कथि 3 सिी िै।
• सदटयता के मलए अयोग्यताएाँ: उम्िीदर्ार को संमर्िाि या संसद द्वारा ििाए गए ककसी कािूि के तित संसद की सदटयता के
मलए अयोग्य ििीं िोिा चामिए। अयोग्यताएाँ जिप्रमतमिमित्र् अमिमियि, 1951 िें मिर्दवि िैं, और इििें शामिल िैं:
o मर्कृ तमचत्त: यकद र्ि मर्कृ तमचत्त िै और सक्षि न्यायालय की ऐसी घोषणा मर्द्यिाि िै;
o लाभ का पद: संसद द्वारा मर्मि द्वारा घोमषत ककसी , ऐसे पद को छोड़कर, मजसको िारण करिे र्ाले का मिरर्िवत ि िोिा
संसद िे मर्मि द्वारा घोमषत ककया िै, कोई लाभ का पद िारण करता िै।
o आपरामिक दोषमसमद्ध: कु छ अपरािों के मलए दोषी ििराए गए और दो र्षव या उससे अमिक के कारार्ास की सजा से
दंमित व्यमि अयोग्य िोते िैं।
Q 63.D
• भूजल िें प्राकृ मतक रूप से पाए जािे र्ाले फ्लोराइि की राष्ट्रीय पेयजल सीिा 1.50 मिलीग्राि/लीिर िै। अत्यमिक फ्लोराइि से
कं कालीय फ्लोरोमसस (Skeletal Fluorosis) िो सकता िै, दांत क्षय िढ़ सकता िै और टर्ाट्य संिि
ं ी जोमखि िो सकते िैं,
मर्शेषकर िच्चों के मलए।
फ्लोराइि संदष
ू ण पर िुख्य मिष्कषव
• अिुिय
े टतर से अमिक र्ाले राज्य: राजटथाि (सिसे अमिक), तेलंगािा, पमििी आंध्र प्रदेश, पूर्ी किाविक, आकद।
• फ्लोराइि संदष
ू ण शुष्क ग्रीष्ि पूर्व-िािसूि ििीिों के दौराि सिसे अमिक िोता िै।
• शुष्क क्षेत्रों, मर्शेषकर पमििी भारत िें, आिव क्षेत्रों की तुलिा िें अमिक प्रदूषण देखा गया।
• आसेमिक संदष
ू ण: भारत िें आसेमिक संदष
ू ण का 90% मिटसा पमिि िंगाल, मििार, झारखंि, उत्तर प्रदेश आकद राज्यों िें िै।
• यूरेमियि संदष
ू ण: लगभग 12 राज्यों िें पाया गाया िै। जैस,े पंजाि।
• लौि संदष
ू ण: राजटथाि, झारखंि, असि आकद राज्य
• अन्य संदष
ू ण िैं - एंिीििी, कै िमियि, तांिा, िेररयि आकद। इि सभी का िािर् टर्ाट्य पर प्रमतकू ल प्रभार् पड़ता िै, जैसे -
मर्षािता, उच्च रिचाप, यकृ त और गुदे की क्षमत आकद।
Q 64.B
• NRI या अप्रर्ासी भारतीय र्ि व्यमि िोता िै मजसके पास भारतीय पासपोिव िोता िै लेककि र्ि मर्देश िें रिता िै और/या
काि करता िै जिकक ओर्रसीज मसिीजि ऑफ इं मिया (OCI) र्ि व्यमि िोता िै जो तकिीकी रूप से दूसरे देश का िागररक
िोता िै, लेककि उसे भारतीयों को प्राप्त कई अमिकार और टर्तंत्रताएाँ दी जाती िैं। OCI कािव एक दीघवकामलक र्ीजा िै जो
दूसरे देशों के ऐसे िागररकों को उपलब्ि िोता िै मजिके भारत से पाररर्ाररक संिंि िैं। यि उन्िें NRI और भारतीय िागररकों
के सिाि कई लाभों का िकदार ििाता िै। NRI भारत िें रििे र्ाले ककसी भी िागररक को मिलिे र्ाले सभी लाभों को प्राप्त
करते िैं। OCI के पास इििें से कई अमिकार ििीं िोते िैं।
o ककसी भी उद्देश्य से भारत आिे के मलए िहु-प्रर्ेश आजीर्ि र्ीजा (िालााँकक OCI कािविारकों को भारत िें शोि कायव करिे
के मलए मर्शेष अिुिमत की आर्श्यकता िोगी, मजसके मलए र्े संिंमित भारतीय मिशि/पोटि/FRRO को आर्ेदि प्रटतुत
कर सकते िैं)। इसमलए मर्कल्प 5 सिी िै।
o भारत िें ककसी भी अर्मि के प्रर्ास के मलए मर्देशी क्षेत्रीय पंजीकरण अमिकारी (FRRO) या मर्देशी पंजीकरण
अमिकारी (FRO) के पास पंजीकरण से छू ि।
o कृ मष या िागाि संपमत्तयों के अमिग्रिण से संिमं ित िािलों को छोड़कर आर्थवक, मर्त्तीय और शैमक्षक क्षेत्रों िें उन्िें उपलब्ि
सभी सुमर्िाओं के संिि
ं िें अप्रर्ासी भारतीयों (NRI) के साथ सिािता। इसमलए मर्कल्प 2 सिी ििीं िै।
o भारतीय िच्चों को देश के अंदर गोद लेिे के िािले िें पंजीकृ त OCI कािविारक को अप्रर्ासी भारतीयों के सिाि िािा
जाएगा। इसमलए मर्कल्प 4 सिी िै।
o भारत के पंजीकृ त OCI कािविारक को भारत िें घरे लू क्षेत्रों िें िर्ाई ककराए के िािले िें मिर्ासी भारतीय िागररकों के
सिाि िािा जाएगा।
o पंजीकृ त OCI कािविारक से भारत िें राष्ट्रीय उद्यािों और र्न्यजीर् अभयारण्यों िें भ्रिण के मलए घरे लू भारतीय आगंतुकों
के सिाि िी प्रर्ेश शुल्क मलया जाएगा।
▪ भारत िें राष्ट्रीय टिारकों, ऐमतिामसक टथलों और संग्रिालयों िें जािे के मलए सिाि प्रर्ेश शुल्क मलया जाएगा;
▪ प्रासंमगक अमिमियिों िें मिमित प्रार्िािों के अिुसरण िें भारत िें मिम्नमलमखत व्यर्सायों को अपिािा, अथावत:् -
➢ अमिर्िा
➢ र्ाटतुमर्द
▪ प्रासंमगक अमिमियिों िें मिमित प्रार्िािों के अिुसरण िें प्रर्ेश के मलए पात्र िोिे के मलए उन्िें अमखल भारतीय प्री-
िेमिकल िेटि या ऐसे अन्य परीक्षणों के मलए उपमटथत िोिा िोगा।
• NRI को सभी लोकसभा, राज्यसभा और मर्िािसभा/पररषद चुिार्ों िें पूणव ितदाि का अमिकार िै। OCI कािविारक ककसी
भी चुिार् िें ितदाि ििीं कर सकते। इसमलए मर्कल्प 3 सिी ििीं िै।
• NRI सार्वजमिक पद के मलए चुिार् लड़ सकते िैं। OCI कािविारक ििीं। इसमलए मर्कल्प 1 सिी ििीं िै।
• NRI मििा ककसी पूर्व अिुिमत के शोि कायव कर सकते िैं। OCI कािविारकों को टथािीय मर्देशी क्षेत्रीय पंजीकरण अमिकारी
(FRRO) से पूर्व अिुिमत लेिी िोगी।
Q 65.C
• आदशव आचार संमिता (MCC) भारतीय मिर्ावचि आयोग द्वारा मििावररत कदशा-मिदेशों का एक सिूि िै, जो टर्तंत्र और
मिष्पक्ष चुिार् सुमिमित करिे के मलए चुिार् से पिले राजिीमतक दलों और उम्िीदर्ारों के आचरण को मियंमत्रत करती िै।
• यि संमर्िाि के अिुच्छेद 324 के अिुरूप िै, जो भारतीय मिर्ावचि आयोग को संसद और राज्य मर्िािसभाओं के चुिार्ों की
मिगरािी करिे की शमि देता िै।
• MCC के पास र्ैिामिक सिथवि ििीं िै और यि आि सििमत से संचामलत कोि िै। यि कािूि द्वारा लागू करिे योग्य ििीं िै,
लेककि कु छ प्रार्िाि जिप्रमतमिमित्र् अमिमियि, 1951 आकद जैसे कािूिों िें संिमं ित प्रार्िािों के िाध्यि से लागू करिे योग्य िैं।
• 1960 िें, आदशव आचार संमिता को पिली िार के रल के राज्य मर्िािसभा चुिार्ों िें लागू ककया गया था।
o उम्िीदर्ार मर्त्तीय अिुदािों की घोषणा ििीं कर सकते। इसके अलार्ा, सरकार िई पररयोजिाएाँ शुरू ििीं कर सकती।
इसमलए मर्कल्प 1 सिी िै।
o सड़क आकद जैसे िुमियादी ढांचे के मर्कास से संिंमित मिकायों की ओर से कोई र्ादा ििीं ककया जा सकता।
o िंमत्रयों और सार्वजमिक पदों पर आसीि व्यमियों को सरकारी यात्राओं के साथ-साथ चुिार् प्रचार यात्राएं करिे की
अिुिमत ििीं िोती िै।
• चुिार् प्रचार के मलए पररर्िि, िशीिरी आकद जैसे सरकारी संसाििों पर प्रमतिंि। इसमलए मर्कल्प 2 सिी िै।
Q 66.A
गोल्िि िैटि फ्ॉग और िोिेि िशरूि (Golden Backed Frog & Bonnet Mushroom)
• संदभव: भारत िें एक िेंढक पर उगिे र्ाले िशरूि िे र्ैज्ञामिकों को िैराि कर कदया िै।
• अिेकों कर्क अन्य जीर्ों के साथ सिजीर्ी संिंि िें मर्कमसत िोते िैं।
• इििें से कु छ परजीर्ी िोते िैं और म्यूकरिाइकोमसस जैसे संक्िण का कारण िि सकते िैं, मजसे आितौर पर ब्लैक फं गस के
रूप िें जािा जाता िै।
• िालााँकक, यि पिली िार िै कक ककसी िशरूि को जीमर्त जीर् पर उगते देखा गया िै।
• ये िेंढक िकदयों, तालािों और अन्य जल मिकायों के पास रििा पसंद करते िैं, जिां र्े अपिे अंिे दे सकते िैं और अपिा
भोजि ढू ंढ सकते िैं।
• र्े िुख्य रूप से कीिभक्षी िोते िैं और कई प्रकार के छोिे कीिों और आर्थ्रोपोि जैसे चींरियों, भौंरों और झींगुरों को खाते िैं।
• र्े िुख्य रूप से के रल, किाविक और तमिलिािु राज्यों िें पाए जाते िैं, तथा गोर्ा िें भी इिके पाए जािे की सूचिा िै।
• एक सािान्य िाइसीिा (Mycena) जो अच्छी तरि से सड़ी हुई लकड़ी पर मर्मशि क्ॉस या दांतेदार गलफड़ों के साथ
सिूिों िें उगता हुआ पाया जाता िै।
• यि र्षव भर पाया जा सकता िै, लेककि गर्िवयों और शरद ऋतु िें इसके पाए जािे की संभार्िा अमिक िोती िै।
• िशरूि की कै प (Cap) िें अलग-अलग रे मियल खांचे िोते िैं, खास तौर पर ककिारों पर। कै प का रं ग भूरे से लेकर गिरे
भूरे रं ग तक िोता िै और इसका आकार घंिी के आकार से लेकर शंकु के आकार जैसा और चपिा िोता िै।
• संदभव: गोर्ा के शोिकतावओं िे एक जंगली िशरूि प्रजामत से सोिे के सूक्ष्िकणों का संश्लेषण ककया िै, मजसे गोर्ा िें व्यापक
रूप से एक व्यंजि के रूप िें खाया जाता िै।
36 www.visionias.in ©Vision IAS
• यि िर्िविोिाइसीज प्रजामत का एक खाद्य िशरूि िै।
• र्े र्ि और चरागाि पाररमटथमतकी तंत्र िें एक शमिशाली जैर्मिम्नकारी कर्क के रूप िें िित्र्पूणव भूमिका मिभाते िैं, जो
जिीि पर िौजूद 50% िृत पौिों के पदाथव को उपजाऊ मिट्टी िें पररर्र्तवत कर देते िैं।
• मिर्ास टथाि: गोर्ा के पमििी घाि के र्न्य क्षेत्रों िें दीिक पिामड़यों पर उगता िै।
• प्रमतिंि: गोर्ा र्ि मर्भाग िे 1992 िें इि जंगली िशरूिों की किाई पर प्रमतिंि लगा कदया था। िालांकक, अगले िी र्षव
प्रमतिंि िें संशोिि करके इसे के र्ल र्न्यजीर् अभयारण्यों और सरकारी टर्ामित्र् र्ाले संरमक्षत र्िों तक सीमित कर
कदया गया।
• प्रभार्: गोर्ा राज्य जैर् मर्मर्िता िोिव िे चेतार्िी दी िै कक 'रोएि ओल्िी' के अत्यमिक दोिि के पररणािटर्रूप
टयासािूर र्ि रोग (Kyasanur Forest Disease -KFD) जैसे िए र्ि रोग फै ल सकते िैं।
Q 67.D
• िामलया संदभव: भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगिि (ISRO) के LVM3 या GSLV-Mk3 िे भारती एंिरप्राइजेज सिर्थवत
र्िर्ेि के 36 उपग्रिों को सफलतापूर्वक अंतररक्ष िें भेजा।
• जिकक LVM3 र्तविाि िें भारत िें सिसे शमिशाली प्रक्षेपण याि िै, यि भू-सिकामलक कक्षा मिशिों िें सक्षि एकिात्र
प्रक्षेपण याि ििीं िै। PSLV का उपयोग मर्मभन्न उपग्रिों को भू-सिकामलक और भूमटथर कक्षाओं िें प्रक्षेमपत करिे के मलए भी
ककया गया िै, जैसे IRNSS िक्षत्र-िंिल के उपग्रि। PSLV अिेकों पेलोि को कक्षा िें टथामपत करिे िें सक्षि िै, इसमलए
पेलोि फे यररंग िें िल्िी-पेलोि एिेप्िर (Multi-payload Adaptors) का उपयोग ककया जाता िै। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• लॉन्च व्िीकल िाकव -3 या LVM3 (मजसे पिले मजयोससंक्ोिस सैिेलाइि लॉन्च व्िीकल िाकव III या GSLV Mk III के िाि से
जािा जाता था) भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगिि (ISRO) द्वारा मर्कमसत तीि-चरण र्ाला िध्यि-मलफ्ि लॉन्च व्िीकल
िै। िुख्य रूप से संचार उपग्रिों को भूमटथर कक्षा िें प्रक्षेमपत करिे के मलए मिजाइि ककया गया, यि प्रक्षेपण याि भारतीय
िािर् अंतररक्ष उड़ाि कायवक्ि के तित चालक दल के मिशिों को लॉन्च करिे के मलए भी तैयार ककया गया िै। LVM3 िें अपिे
पूर्वर्ती GSLV की तुलिा िें अमिक पेलोि क्षिता िै। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• अंतररक्ष मर्शेषज्ञों का कििा िै कक जिां तक पेलोि क्षिता का सर्ाल िै, ISRO का LVM3, GTO (Geosynchronous
Transfer Orbit) पर 4,000 ककलोग्राि और LEO (Low Earth Orbit) पर 8,000 ककलोग्राि र्जि लॉन्च करिे की अपिी
क्षिता के साथ प्रभामर्त करता िै। 'LMV3 खास तौर पर भारी संचार उपग्रिों के मलए तैयार ककया गया िै, जो िड़े पेलोि
लॉन्च करिे िें भारत की आत्िमिभवरता को दशावता िै। इसके मर्परीत, फाल्कि 9 िे ऐमतिामसक रूप से GTO पर 7,000
ककलोग्राि से अमिक र्जि र्ाले पेलोि लॉन्च ककए िैं और एक िी मिशि पर 143 उपग्रिों को तैिात करिे का ररकॉिव ििाया िै।
Q 68.B
• मििलर की आियवजिक सफलता और िेमल्जयि, िॉलैंि और फ्ांस के पति िे इं ग्लैंि को सिझौता करिे पर मर्र्श कर कदया।
चूंकक यूरोप िें युद्ध िे एक िया िोड़ ले मलया था, इसमलए प्रिुख कांग्रेस िेतृत्र् कफर से दुमर्िा िें था। गांिी और िेिरू दोिों िे
मििेि की मटथमत का लाभ उिािे के मर्चार का कड़ा मर्रोि ककया। कांग्रेस सिझौता करिे के मलए तैयार थी, उसिे मिरिश
सरकार से युद्ध अर्मि के दौराि अंतररि सरकार ििािे की अिुिमत िांगी, लेककि सरकार इसिें इच्छु क ििीं थी।
Q 69.B
• कक्प्स के र्ापस लौििे के उपरांत, गांिी जी िे एक प्रटतार् तैयार ककया मजसिें अंग्रेजों से तुरंत भारत छोड़िे तथा जापािी
आक्िण के मखलाफ असिंसक असियोग आंदोलि का आह्र्ाि ककया गया था। भारत छोड़ो आंदोलि को भारत अगटत आंदोलि
या अगटत क्ांमत के िाि से भी जािा जाता िै। यि आंदोलि ििात्िा गांिी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) द्वारा 8 अगटत,
1942 को शुरू ककया गया था। िुंिई शिर मजले िें मटथत ग्र्ामलया िैंक िैदाि का भारतीय इमतिास िें एक प्रिुख टथाि िै,
टयोंकक यिीं से भारत छोड़ो आंदोलि शुरू ककया गया था। इस आंदोलि का उद्देश्य भारत िें मिरिश शासि को सिाप्त करिा
था। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• जुलाई 1942 िें र्िाव िें कांग्रेस कायवसमिमत की िैिक हुई। इस िैिक िें यि संकल्प मलया गया कक र्ि गांिीजी को असिंसक जि
आंदोलि की किाि संभालिे के मलए अमिकृ त करे गी। इस प्रटतार् को सािान्य तौर पर ‘भारत छोड़ो’ प्रटतार् के रूप िें संदर्भवत
ककया जाता िै। जर्ािरलाल िेिरू द्वारा प्रटतामर्त और सरदार पिेल द्वारा सिर्थवत, इस प्रटतार् को अगटत िें िॉम्िे िें अमखल
भारतीय कांग्रस
े समिमत की िैिक िें अिुिोकदत ककया जािा था। गांिीजी को संघषव का िेता घोमषत ककया गया था। इसमलए
कथि 2 सिी ििीं िै।
• 8 अगटत 1942 को ग्र्ामलया िैंक, िम्िई िें आयोमजत कांग्रेस की िैिक िें भारत छोड़ो प्रटतार् की पुमि की गई। ति िैिक िें
यि भी संकल्प मलया गया कक:
o भारत िें मिरिश शासि को तुरंत सिाप्त ककया जाए।
o टर्तंत्र भारत सभी प्रकार के फासीर्ाद और साम्राज्यर्ादी शमियों के मखलाफ टर्यं की रक्षा करे गा तथा अपिी अक्षुण्णता
ििाए रखेगा।
o अंग्रेजों की र्ापसी के पिात् कु छ सिय के मलए भारत िें एक अिंमति सरकार का गिि ककया जाएगा।
o मिरिश शासि के मर्रुद्ध समर्िय अर्ज्ञा आंदोलि का सिथवि ककया गया।
Q 76.A
• “पंचायत उपिंि (अिुसूमचत क्षेत्रों तक मर्टतार) अमिमियि, 1996” (PESA) के अंतगवत राज्य मर्िािसभाओं को पांचर्ी
अिुसच
ू ी के तित अिुसमू चत क्षेत्रों िें पंचायतों से संिंमित संमर्िाि के भाग IX के प्रार्िािों के मर्टतार के संिि
ं िें सभी कािूि
ििािे का अमिकार प्रदाि ककया गया िै, जो अमिमियि की िारा 4 िें प्रदत्त अपर्ादों और संशोििों के अिीि िैं।
(a) सािामजक और आर्थवक मर्कास के मलए योजिाओं, कायवक्िों और पररयोजिाओं को िंजूरी प्रदाि करिा और
(b) गरीिी उन्िूलि और अन्य कायवक्िों के लाभार्थवयों के रूप िें व्यमियों की पिचाि करिा।
(c) पेसा अमिमियि की िारा 4 (e) िें संदर्भवत योजिाओं, कायवक्िों और पररयोजिाओं के मलए पंचायत द्वारा िि के उपयोग
के संिंि िें प्रिाण पत्र जारी करिा। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• मर्कास पररयोजिाओं के मलए अिुसमू चत क्षेत्रों िें भूमि अमिग्रिण करिे से पूर्व एर्ं अिुसूमचत क्षेत्रों िें ऐसी पररयोजिाओं से
प्रभामर्त व्यमियों को िसािे या पुिर्ावमसत करिे से पिले ग्राि सभा या पंचायतों से उमचत टतर पर परािशव ककया जाएगा।
िालांकक, अिुसमू चत क्षेत्रों िें पररयोजिाओं की र्ाटतमर्क योजिा और कायावन्र्यि का सिन्र्य राज्य टतर पर ककया जाएगा।
इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• अिुसूमचत क्षेत्रों िें लघु खमिजों के मलए पूर्ेक्षण लाइसेंस या खिि पट्टा देिे के मलए उमचत टतर पर ग्राि सभा या पंचायतों की
मसफाररशें अमिर्ायव िोंगी। िीलािी द्वारा लघु खमिजों के दोिि के मलए ररयायत देिे के संिंि िें उमचत टतर पर ग्राि सभा या
पंचायतों की पूर्व मसफाररश अमिर्ायव िोगी। इसमलए कथि 3 सिी ििीं िै।
Q 77.A
• एटस-ला-शापेल की संमि: इस संमि पर 18 अटिूिर, 1748 को मििेि, फ्ांस और िच गणराज्य िे िटताक्षर ककए थे। एटस-ला-
शापेल की संमि िे ििास को अंग्रेजों को र्ापस करके तथा उत्तरी अिेररका िें फ्ांसीसी क्षेत्रों को र्ापस करके प्रथि किाविक युद्ध
को सिाप्त कर कदया, जो कक ऑमटट्रयाई उत्तरामिकार के िड़े युद्ध का मिटसा था।
• सालिाई की संमि (िई 1782): इसिे प्रथि आंग्ल-िरािा युद्ध को सिाप्त कर कदया। इस संमि पर 17 िई 1782 को मिरिश
ईटि इं मिया कं पिी और िरािों के िीच िटताक्षर ककए गए थे।
• सुगौली की संमि (4 िाचव, 1816): यि िेपाल के गोरखा सरदारों और मिरिश भारतीय सरकार के िीच एक सिझौता था
मजसिे एंग्लो-िेपाली (गोरखा) युद्ध (1814-16) को सिाप्त कर कदया। इस संमि के तित िेपाल िे मर्र्ाकदत तराई क्षेत्र या
मिचले इलाके पर अपिे सभी दार्ों को त्याग कदया और काली िदी के पमिि और सतलुज िदी तक फै ले अपिी मर्जय क्षेत्र को
छोड़ कदया।
• याण्ििू की संमि (फरर्री 1826): यि संमि मिरिश और ििाव के िध्य प्रथि एंग्लो ििी युद्ध के दो र्षव िाद 24 फरर्री 1826
को िटताक्षररत की गई थी। यि संमि ईटि इं मिया कं पिी और अर्ा के राजा (अर्ा 1364-1841 तक ििाव की राजिािी थी) के
िीच िटताक्षररत की गई थी।
Q 79.A
• िामलया संदभव: मसमसली (इिली) के ति के पास र्ॉिरटपाउि की पररघििा दजव की गई।
• र्ॉिरटपाउि के िारे िें: र्ॉिरटपाउि िित्र्पूणव र्ायुिि
ं लीय पररघििाएं िोती िैं, मजन्िें मर्शेष रूप से जल मिकायों के ऊपर
िर्ा के घूिते हुए टतंभ के रूप िें पिचािा जाता िै। ये िर्ंिर जैसी संरचिाएं सािान्य रूप से सिुिों पर या िड़ी झीलों िें
मर्कमसत िोती िैं, जो प्रकृ मत की शमि का एक िेितर प्रदशवि प्रटतुत करती िैं। इसमलए कथि 1 सिी िै।
o यि िोिेिो/िर्ंिर का एक किजोर संटकरण िै, जो सािान्य तौर पर 5-10 मििि तक मर्द्यिाि रिता िै।
o औसत व्यास लगभग 165 फीि (50 िीिर) िोता िै।
o िर्ा की गमत 100 ककिी/घंिा (60 िील प्रमत घंिा) तक पहुंच सकती िै।
o अपिे िाि के मर्परीत, यि संरचिा सिुि या झील के जल से भरी हुई ििीं िोती िै। इसके िजाय, यि कपासी िादल से
मिकलती िै। िादल िें संघिि से इसके भीतर जल ििता िै। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• प्रकार:
o िोिेमिक र्ॉिरटपाउि (सिसे शमिशाली और मर्िाशकारी प्रकार)।
o फे यर-र्ेदर र्ॉिरटपाउि (शायद िी कभी खतरिाक रूप िारण करता िै)।
• मििावण के मलए मटथमतयां: आिवता का उच्च टतर और ऊपरी िर्ा की तुलिा िें जल का अपेक्षाकृ त उच्च तापिाि।
• मििावण के क्षेत्र: र्ॉिरटपाउि उष्णकरििंिीय और उपोष्णकरििंिीय क्षेत्रों िें सिसे सािान्य रूप से पाए जाते िैं। इसके िार्जूद,
ये मर्श्व के मर्मभन्न भागों िें पाए जा सकते िैं, मजििें यूरोप, िध्य पूर्व और यिां तक कक अंिाकव रिका भी शामिल िै। इसमलए
कथि 3 सिी ििीं िै।
Q 80.D
• िेरुिारी र्ाद िें, उच्चति न्यायालय िे घोषणा की कक प्रटतार्िा संमर्िाि का मिटसा ििीं िै। िालांकक, यि संमर्िाि के
मििावताओं के िमटतष्क की कुं जी िै। लेककि िाद िें, के शर्ािंद भारती ििाि के रल राज्य िें उच्चति न्यायालय िे िािा कक
प्रटतार्िा संमर्िाि का मिटसा िै और िेरुिारी र्ाद िें इसके मर्परीत की गईं रिप्पमणयां सिी ििीं थीं। इसमलए, संमर्िाि का
Q 81.D
• र्ायसराय, लॉिव सिंिो और भारत के राज्य समचर्, जॉि िॉले िे िरिपंमथयों के साथ-साथ िुसलिािों को भी संतुि करिे के
मलए कु छ सुिारों की आर्श्यकता पर सििमत जताई। उन्िोंिे जो उपाय सुझाए उन्िें िोले-सिंिो (या सिंिो-िाले) सुिार के िाि
से जािा गया, जो 1909 के भारतीय पररषद अमिमियि िें तब्दील हुए।
• इं पीररयल मर्िाि पररषद और प्रांतीय मर्िाि पररषदों िें मिर्ावमचत सदटयों की संख्या िें र्ृमद्ध की गई। प्रांतीय पररषदों िें गैर-
सरकारी िहुित की शुरुआत की गई, लेककि इििें से कु छ गैर-सरकारी ििोिीत थे और मिर्ावमचत ििीं थे, इसमलए कु ल
मिलाकर गैर-मिर्ावमचत िहुित ििा रिा। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• भारत िें मर्िाि पररषदों की गैर-सरकारी सदटयता के मलए मिर्ावमचत मसद्धांत को िान्यता दी गई। भारतीयों को मर्मभन्न
मर्िाि पररषदों के चुिार् िें भाग लेिे की अिुिमत दी गई, िालांकक यि र्गव और सिुदाय के आिार पर था।
• पिली िार, कें िीय पररषद के चुिार् िें िुसलिािों के मलए पृथक मिर्ावचक िंिल टथामपत ककए गए - जो भारत के मलए एक
मर्भाजिकारी कदि था।
• िुसलिािों के मलए पृथक मिर्ावचि क्षेत्रों के अलार्ा, िुसलिािों को उिकी जिसंख्या से अमिक प्रमतमिमित्र् भी कदया गया।
इसके अलार्ा, सिंदओं
ु की तुलिा िें िुमटलि ितदाताओं के मलए आय योग्यता भी कि रखी गई थी। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• कें ि और प्रांतों िें मर्िाििंिलों की शमियों को िढ़ाया गया और मर्िाििंिल अि प्रटतार् पाररत कर सकते थे (जो टर्ीकार या
अटर्ीकार ककए जा सकते थे), प्रश्न और अिुपूरक प्रश्न पूछ सकते थे, िजि के अलग-अलग िदों पर ितदाि कर सकते थे,
िालांकक संपण
ू व िजि पर ितदाि ििीं ककया जा सकता था। इसमलए कथि 3 सिी ििीं िै।
Q 82.B
• संसदीय प्रणाली से तात्पयव सरकार के उस टर्रूप से िै, मजसिें सरकार की कायवपामलका और मर्िामयका शाखाएं आपस िें जुड़ी
हुई िोती िैं। इसिें, कायवपामलका मर्िामयका से चुिी जाती िै, जो उसके प्रमत उत्तरदायी और जर्ािदेि रिती िै और मर्िामयका
द्वारा उसे िखावटत भी ककया जा सकता िै।
• संसदीय प्रणाली की अपिी मर्मशि मर्शेषताएं िैं जो इसे अध्यक्षात्िक प्रणाली से अलग करती िैं। इसकी प्रिुख मर्शेषताएं िैं:
o िाििात्र और र्ाटतमर्क कायवकारी (Nominal and Real Executives): राष्ट्रपमत िाििात्र का कायवकारी (मर्मिर्त
कायवकारी) िोता िै, जिकक प्रिाििंत्री र्ाटतमर्क कायवकारी (िी फै टिो कायवकारी) िोता िै। इस प्रकार, राष्ट्रपमत राज्य का
प्रिुख िोता िै, जिकक प्रिाििंत्री सरकार का प्रिुख िोता िै। इसमलए मर्कल्प 4 सिी ििीं िै।
o सािूमिक उत्तरदामयत्र् (Collective Responsibility): यि संसदीय सरकार का िूलभूत मसद्धांत िै। िंत्री सािान्यतः
संसद के प्रमत और मर्शेषतः लोकसभा के प्रमत सािूमिक रूप से उत्तरदायी िोते िैं (अिुच्छेद 75)। र्े एक िीि की तरि
कायव करते िैं और एक साथ तैरते र् िू िते िैं। सािूमिक उत्तरदामयत्र् के मसद्धांत का तात्पयव िै कक लोकसभा, प्रिाििंत्री के
िेतृत्र् र्ाली िंमत्रपररषद को अमर्श्वास प्रटतार् पाररत करके ििा सकती िै। इसमलए मर्कल्प 1 सिी िै।
o मिचले सदि का मर्घिि तथा मिमित कायवकाल का अभार् (Dissolution of the Lower House and absence of
fixed term): संसद के मिचले सदि (लोकसभा) को प्रिाििंत्री की मसफाररश पर राष्ट्रपमत द्वारा भंग ककया जा सकता
िै। दूसरे शब्दों िें, प्रिाििंत्री राष्ट्रपमत को लोकसभा का कायवकाल सिाप्त िोिे से पूर्व उसे भंग करिे और िए चुिार् करािे
की सलाि दे सकते िैं। इसका अथव िै कक संसदीय प्रणाली िें कायवपामलका को मर्िामयका को भंग करिे का अमिकार प्राप्त
िै। इसमलए लोकसभा का कायवकाल मिमित ििीं िोता। इसमलए मर्कल्प 3 सिी िै।
Q 83.A
• प्रथि गोलिेज सम्िेलि िर्ंिर 1930 से जिर्री 1931 के िीच लंदि िें आयोमजत ककया गया था। इसे आमिकाररक तौर
पर 12 िर्ंिर 1930 को ककं ग जॉजव पंचि द्वारा प्रारं भ गया था और इसकी अध्यक्षता रै िसे िैकिोिाल्ि िे की थी। यि
मिरिश सरकार और भारतीयों के िध्य सिाि (िरािरी) टतर पर आयोमजत िोिे र्ाला प्रथि सम्िेलि था।
• कांग्रस
े और कु छ प्रिुख व्यार्सामयक अग्रणीयों िे इसिें भाग लेिे से इिकार कर कदया, लेककि सम्िेलि िें भारतीयों के कई
अन्य सिूिों द्वारा प्रमतमिमित्र् ककया गया। भारतीय ररयासतों का प्रमतमिमित्र् ििाराजा अथर्ा उसके प्रमतमिमि द्वारा
ककया गया था।
• मसखों का प्रमतमिमित्र् सरदार उज्ज्र्ल ससंि और सरदार सम्पूणव ससंि िे ककया। पारमसयों के प्रमतमिमि के रूप िें, कफरोज
सेििा, कोर्ासजी जिांगीर और िोिी िोदी िे भाग मलया।
• िुमटलि लीग िे सम्िेलि िें भाग मलया और उसके िेता एक पृथक िुमटलि राज्य की िांग आगे िढ़ािे िें सफल रिे।
• उदारर्ाकदयों का प्रमतमिमित्र् जे.एि. िसु, तेज ििादुर सप्रू, सी.र्ाई. सचंतािमण, र्ी.एस. श्ीमिर्ास शास्त्री और
मचििलाल िररलाल सीतलर्ाि िे ककया।
• जमटिस पािी िे अकोि रािासािी िुदमलयार, भाटकररार् मर्िोजीरार् जािर् और सर ए.पी. पात्रो को भेजा।
• के .िी. पॉल िे भारतीय ईसाइयों का प्रमतमिमित्र् ककया, जिकक िेिरी मगििी िे एंग्लो-इं मियि का प्रमतमिमित्र् ककया और
यूरोपीय लोगों का प्रमतमिमित्र् सर ह्यूििव कै र, सर ऑटकर िी ग्लेिमर्ले (ििाव), िी.एफ. गेमर्ि जोंस, सी.ई. र्ुि (ििास)
िे ककया। जिींदारों (मििार, संयि
ु प्रांत और उड़ीसा से), मर्श्वमर्द्यालयों, ििाव, ससंि और कु छ अन्य प्रांतों के प्रमतमिमि भी
शामिल हुए थे।
Q 84.C
• मिरिश भारत सरकार िे भारत िें मशक्षा को िेितर ििािे के मलए कई प्रयास ककए। इि सुिारों िें 1913 का भारत सरकार का
संकल्प, 1917 की सैिलर आयोग ररपोिव और 1929 की िािोग समिमत ररपोिव शामिल िैं। िालांकक ये सभी प्रयास अपयावप्त थे।
मिरिश सरकार इस त्य से भलीभांमत पररमचत थी कक भारत िें मशक्षा की मटथमत अच्छी ििीं िै। इसमलए 1944 िें सर जॉि
साजेंि को भारत िें मशक्षा की एक व्यापक योजिा तैयार करिे का कायव सौंपा गया।
o मिःशुल्क एर्ं अमिर्ायव मशक्षा: योजिा िें 6 से 11 र्षव तथा 11 से 14 र्षव की आयु के िच्चों के मलए मिःशुल्क एर्ं अमिर्ायव
मशक्षा की मसफाररश की गई थी।
o पूर्-व प्राथमिक या प्रारं मभक मशक्षा: योजिा िें 3 से 6 र्षव की आयु सिूि के िच्चों के मलए पूर्व-प्राथमिक मशक्षा की मसफाररश
की गई।
o सार्वभौमिक साक्षरता: इस योजिा का लक्ष्य अपिी शुरुआत के 40 र्षों के भीतर, अथावत् 1984 तक भारत िें सार्वभौमिक
साक्षरता प्राप्त करिा था।
o मर्श्वमर्द्यालय अिुदाि समिमत (University Grants Committee): इसिे एक मर्श्र्मर्द्यालय अिुदाि समिमत के गिि
की मसफाररश की मजसका गिि 1945 िें तीि कें िीय मर्श्र्मर्द्यालयों अलीगढ़, ििारस और कदल्ली के काि की देख-रे ख के
मलए ककया गया था। (िोि: मर्श्र्मर्द्यालय अिुदाि आयोग की टथापिा िॉ. एस रािाकृ ष्णि आयोग,1948 की मसफाररश
पर की गई)
o कदव्यांग िच्चों को िुख्यिारा िें लािा: योजिा िें सुझार् कदया गया कक कदव्यांग िच्चों को पूरी तरि िुख्यिारा िें लाया
जािा चामिए।
o मशक्षा का िाध्यि िातृभाषा: योजिा िें मसफाररश की गई थी कक सभी िाई टकू लों िें मशक्षा का िाध्यि िातृभाषा िोिी
चामिए।
Q 85.B
• 73र्ें संमर्िाि संशोिि अमिमियि, 1992 िे भारत िें पंचायती राज प्रणाली िें िित्र्पूणव िदलार् ककए। इसके तित भारतीय
संमर्िाि िें “पंचायतें” शीषवक िाि से भाग IX जोड़ा गया। इस अमिमियि िे संमर्िाि िें एक िई ग्यारिर्ीं अिुसच
ू ी भी जोड़ी।
इस अिुसच
ू ी िें पंचायतों के 29 कायवकारी मर्षयों को शामिल ककया गया। इस संशोिि का उद्देश्य सत्ता को आिारभूत टतर तक
मर्कें िीकृ त करिा और टथािीय टर्शासि को िढ़ार्ा देिा था।
• अमिमियि के प्रार्िािों को िोिे तौर पर टर्ैमच्छक (मर्र्ेकािीि) और िाध्यकारी (अमिर्ायव) प्रार्िािों के रूप िें र्गीकृ त
ककया जा सकता िै।
• पंचायतों का गिि: अमिमियि प्रत्येक राज्य िें ग्राि टतर, िाध्यमिक टतर और मजला टतर पर पंचायतों के गिि को अमिर्ायव
ििाता िै (अिुच्छेद 243 B)। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• प्रत्यक्ष चुिार्: सभी टतरों पर पंचायतों के सदटयों का मिर्ावचि प्रत्यक्ष रूप से जिता द्वारा ककया जाएगा (अिुच्छेद 243C)।
• सीिों का आरक्षण: पंचायत क्षेत्र िें अिुसूमचत जामतयों (SCs) और अिुसूमचत जिजामतयों (STs) के मलए उिकी जिसंख्या के
अिुपात िें सीिें आरमक्षत की जाएंगी (अिुच्छेद 243D)।
• सभी टतरों पर कु ल सीिों िें से कि-से-कि एक-मतिाई सीिें िमिलाओं के मलए आरमक्षत िोंगी (SCs और STs की िमिलाओं
के मलए आरमक्षत सीिों की संख्या समित)। इसमलए कथि 2 सिी िै।
• सभी टतरों पर पंचायतों िें अध्यक्षों के पद भी SCs, STs और िमिलाओं के मलए आरमक्षत िोंगे।
• पंचायतों का कायवकाल: प्रत्येक पंचायत का कायवकाल पांच र्षव का िोगा (अिुच्छेद 243E)।
• राज्य मिर्ावचि आयोग: अमिमियि िें राज्य मिर्ावचि आयोग की टथापिा का प्रार्िाि िै, जो ितदाता सूची तैयार करिे और
पंचायतों के सभी चुिार्ों के संचालि के अिीक्षण, मिदेशि और मियंत्रण के मलए मजम्िेदार िोगा (अिुच्छेद 243K)। इसमलए
कथि 4 सिी िै।
• शमियां एर्ं कायव: अमिमियि िें यि मिर्दवि ककया गया िै कक राज्य मर्िाििंिल पंचायतों को ऐसी शमियां एर्ं प्रामिकार
प्रदाि करे गा जो उन्िें टर्शासि की संटथा के रूप िें कायव करिे िें सक्षि ििािे के मलए आर्श्यक िों। इसिें आर्थवक मर्कास एर्ं
सािामजक न्याय के मलए योजिाएं तैयार करिे और ग्यारिर्ीं अिुसूची (अिुच्छेद 243G) िें सूचीिद्ध योजिाओं के कायावन्र्यि
से संिंमित शमियां और मजम्िेदाररयां शामिल िैं।
o संसद और राज्य मर्िाििंिलों के सदटयों का प्रमतमिमित्र्: राज्य मर्िाििंिल पंचायतों िें मर्मभन्न टतरों पर संसद के
सदटयों (MPs) और राज्य मर्िाि सभा के सदटयों (MLAs) के प्रमतमिमित्र् का प्रार्िाि कर सकता िै (अिुच्छेद 243C)।
o मपछड़े र्गों के मलए आरक्षण: मपछड़े र्गों के मलए आरक्षण पर मिणवय लेिा राज्य मर्िािसभाओं के मर्र्ेक पर छोड़ कदया
गया िै (अिुच्छेद 243D)। इसमलए कथि 3 सिी ििीं िै।
o पंचायतों की शमियां: राज्यों को ग्यारिर्ीं अिुसूची (अिुच्छेद 243G) िें सूचीिद्ध 29 मर्षयों के संिंि िें पंचायतों की
शमियों एर्ं मजम्िेदाररयों की प्रकृ मत और सीिा मििावररत करिे का मर्र्ेकामिकार िै।
o करािाि और मर्त्तीय संसािि: राज्य मर्िाििंिल पंचायतों को कर, शुल्क, पथकर और फीस उद्गृिीत, संग्रमित और
मर्मियोमजत करिे के मलए अमिकृ त कर सकती िै (अिुच्छेद 243H)। इसके अमतररि, राज्य पंचायतों को राज्य सरकार
द्वारा संग्रमित मर्मभन्न कर, शुल्क, पथकर (िोल) और फीस सौंप सकती िैं। इसमलए कथि 5 सिी ििीं िै।
o पंचायत लेखाओं का लेखापरीक्षा: अमिमियि राज्य मर्िािसभाओं को पंचायत लेखाओं के रखरखार् और लेखापरीक्षा के
मलए प्रार्िाि करिे की अिुिमत देता िै (अिुच्छेद 243J)।
Q 86.D
• मर्श्व िैंक गैर-सरकारी संगिि (NGO) को ऐसे गैर-लाभकारी संगिि के रूप िें पररभामषत करता िै जो लोगों के दुख-ददव दूर
करिे, गरीिों के मितों को िढ़ार्ा देि,े पयावर्रण की रक्षा करिे, िुमियादी सािामजक सेर्ाएं प्रदाि करिे या सािुदामयक मर्कास
के मलए कायव करते िैं।
• ये संगिि सरकार का भाग ििीं िोते िैं, लेककि इन्िें कािूिी दजाव प्राप्त िै और ये न्यास (ट्रटि), सोसायिी या प्राइर्ेि मलमििेि
गैर-लाभकारी कं पिी के रूप िें पंजीकृ त िोते िैं।
o सिर्ती सूची (सातर्ीं अिुसूची की सूची III) िें ििावथव संटथाओं, ििावथव और िार्िवक संटथाओं का उल्लेख िै।
Q 87.D
• संसद िे मर्त्त आयोग (प्रकीणव उपिंि) अमिमियि, 1951 अमिमियमित ककया। यि अमिमियि मर्त्त आयोग के सदटय के रूप िें
मियुि िोिे के मलए र्ांमछत अिवताओं का मििावरण करता िै। अमिमियि के अिुसार, यि आर्श्यक ििीं िै कक सभी सदटय
मर्त्तीय पृष्ठभूमि से िों। मर्त्त आयोग का एक सदटय उच्च न्यायालय का न्यायािीश या उच्च न्यायालय का न्यायािीश िििे की
योग्यता रखिे र्ाला व्यमि िोगा। इसमलए कथि 3 सिी ििीं िै।
Q 88.C
• असिमित संघर्ाद (Asymmetric Federalism) का तात्पयव संघीय व्यर्टथा के अंतगवत मर्मभन्न राज्यों एर्ं क्षेत्रों को दी गई
टर्ायत्तता और शमि के मर्मभन्न टतरों से िै। भारत के संदभव िें, इसिें मर्शेष प्रार्िाि और संर्ि
ै ामिक व्यर्टथाएं शामिल िैं जो
कु छ राज्यों और क्षेत्रों को उिकी अमद्वतीय सांटकृ मतक, ऐमतिामसक या भौगोमलक पररमटथमतयों के कारण मर्मशि शमियां और
उत्तरदामयत्र् प्रदाि करती िैं।
• भारतीय संमर्िाि का अिुच्छेद 371A िागालैंि राज्य के मलए मर्शेष प्रार्िाि प्रदाि करता िै। संसद द्वारा मिम्नमलमखत
िािलों के संिंि िें ििाया गया अमिमियि ति तक िागालैंि पर लागू ििीं िोगा, जि तक राज्य मर्िािसभा इसका अिुिोदि
ि कर दे:
(i) िागाओं की िार्िवक या सािामजक प्रथायें,
(ii) िागा रूकढ़जन्य मर्मि और प्रकक्या
(ii) मसमर्ल और दांमिक न्याय प्रशासि, जिां मर्मििय िागा रूकढ़जन्य मर्मिा के अिुसार िोते िैं।
(iv) भूमि और उसके संपमत्त स्रोतों का टर्ामित्र् और अंतरण।
• यि प्रार्िाि असिमित संघर्ाद को उजागर करता िै टयोंकक यि िागालैंि को अपिी रूकढ़जन्य मर्मियों और प्रथाओं को
संरमक्षत करिे के मलए एक अमद्वतीय मर्िायी शमि प्रदाि करता िै।
• भारतीय संमर्िाि की छिी अिुसूची असि, िेघालय, मत्रपुरा और मिजोरि राज्यों िें जिजातीय क्षेत्रों के प्रशासि का प्रार्िाि
करती िै। यि टर्ायत्त मजला पररषदों की टथापिा करती िै, मजन्िें कु छ िद तक मर्िायी, कायवकारी और न्यामयक शमियां प्राप्त
िोती िैं, मजससे इि जिजातीय क्षेत्रों को अपिी मर्मशि संटकृ मत और जीर्ि शैली को ििाए रखिे के मलए कु छ िद तक टर्-
शासि की अिुिमत मिलती िै। यि असिमित संघर्ाद का एक टपि उदािरण िै, टयोंकक यि कु छ क्षेत्रों को उिकी अमद्वतीय
जिजातीय संरचिा के आिार पर मर्मशि शासि संरचिाएं और टर्ायत्तता प्रदाि करता िै।
• कें ि सरकार भारत के संघ शामसत प्रदेशों (UTs) को सीिे शामसत करती िै। राज्यों के मर्परीत, कें ि शामसत प्रदेशों की
प्रशासमिक व्यर्टथा मभन्न िोती िै और इिका प्रशासि कें ि द्वारा मियुि ककए गए उप-राज्यपाल या प्रशासक द्वारा ककया जाता
िै। यि इि क्षेत्रों को मर्शेष टर्ायत्त शमियां देिे के िजाय उि पर कें िीकृ त मियंत्रण को उजागर करता िै। इस प्रकार, यि
असिमित संघर्ाद के मर्मशि ढांचे िें कफि ििीं िैिता िै, जो राज्यों या क्षेत्रों को मर्शेष दजाव या टर्ायत्तता प्रदाि करिे पर
कें कित िोता िै।
• अरुणाचल प्रदेश िें अिुच्छेद 371H के तित मर्शेष प्रार्िाि िैं। इसके तित राज्यपाल को राज्य िें कािूि और व्यर्टथा के
संिि
ं िें मर्शेष उत्तरदामयत्र् कदया गया िै। यि मर्शेष उत्तरदामयत्र् राज्यपाल को अपिे मिणवय के आिार पर कािूि एर्ं
व्यर्टथा के संिि
ं िें अपिे मर्र्ेक का प्रयोग करिे का अमिकार देता िै।
• इसमलए मर्कल्प (c) सिी उत्तर िै।
Q 89.A
• भाषाई आिार पर क्षेत्रों के पुिगविि का मर्चार 1900 के दशक की शुरुआत िें आया था। भारत िें राज्यों के भाषाई पुिगविि की
िांग 20र्ीं शताब्दी की शुरुआत से चली आ रिी िै। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े िे अपिे 1917 के अमिर्ेशि के दौराि भाषाई
प्रांतों के पक्ष िें एक प्रटतार् पाररत ककया था। इस मर्चार का उद्देश्य क्षेत्र िें िोली जािे र्ाली प्रिुख भाषा के आिार पर राज्यों
• भाषाई प्रांत आयोग का गिि 1948 िें भाषाई आिार पर राज्यों के पुिगविि की व्यर्िायवता की जांच के मलए ककया गया था।
इस आयोग को िर आयोग भी किा जाता िै। इसिे संभामर्त प्रशासमिक और एकता संिि
ं ी सचंताओं का िर्ाला देते हुए मर्शुद्ध
रूप से भाषाई आिार पर राज्यों के पुिगविि के मखलाफ संतमु टत दी। इसमलए कथि 2 सिी ििीं िै।
• िाद िें, लगातार सार्वजमिक िांग और जेर्ीपी समिमत तथा राज्य पुिगविि आयोग (SRC) जैसे आयोगों के गिि के िाद
भाषाई आिार पर पुिगविि को गमत मिली।
o कदसंिर 1948 िें गरित जेर्ीपी समिमत एक िित्र्पूणव समिमत थी। इसे टर्तंत्रता के पिात भारत िें भाषाई आिार पर
राज्यों के पुिगविि की जांच करिे का कायव सौंपा गया था। जर्ािरलाल िेिरू, र्ल्लभभाई पिेल और पट्टामभ सीतारिैया के
िाि पर गरित इस समिमत का गिि भाषाई आिार पर राज्यों की िढ़ती िांगों को देखते हुए ककया गया था। उन्िोंिे इस
िात पर िल कदया कक इस तरि के पुिगविि से राष्ट्रीय एकता से सिझौता ििीं ककया जािा चामिए और तत्काल पररर्तविों
के मर्रुद्ध अिुशस
ं ा दी। उन्िोंिे सुझार् कदया कक प्रशासमिक मटथरता और राष्ट्रीय एकीकरण को प्राथमिकता देिे के मलए
भाषाई पुिगविि को टथमगत ककया जािा चामिए।
o आगे चलकर भारत सरकार िे 22 कदसंिर, 1953 को राज्य पुिगविि आयोग की मियुमि की। इसकी अध्यक्षता उच्चति
न्यायालय के सेर्ामिर्ृत्त िुख्य न्यायािीश फजल अली िे की। इसके अन्य दो सदटय - एच.एि. कुं जरू और के .एि. पमणक्कर
थे। आयोग िे प्रशासमिक सुमर्िा और सांटकृ मतक पिचाि को िढ़ार्ा देिे िें भाषा को एक िित्र्पूणव कारक िािते हुए
िुख्यतः भाषाई आिार पर राज्यों के पुिगविि की मसफाररश की। इसके पररणािटर्रूप 14 राज्य और 6 कें ि शामसत प्रदेश
ििाए गए।
Q 90.C
• िामलया संदभव: िांिों से अमियंमत्रत रूप से जल छोड़े जािे के कारण ििे ‘िदी गड्ढे (ररर्र मपट्स)’ िीलमगरी िें िोयार िदी के
ककिारे रििे र्ाले सुभेद्य ऊदमिलार्ों के मलए खतरा उत्पन्न करते िैं। शोिकतावओं के अिुसार, ये ‘मपट्स’ (गड्ढे) ति ििते िैं जि
जल के तेज प्रर्ाि से चट्टािों िें मछि िि जाते िैं। जि मिजली उत्पादि के मलए जल की पंसपंग अचािक िंद िो जाती िै ति
भोजि की तलाश िें इि मछिों िें प्रर्ेश करिे र्ाले ऊदमिलार् इसिें फं स सकते िैं। िोयार घािी गंभीर रूप से लुप्तप्राय
(critically endangered) मजप्स मगद्धों का पयावर्ास िै।
• अन्य िाि: इसे िायार (अदृश्य िदी) घािी के िाि से भी जािा जाता िै।
• अर्मटथमत: यि िुदि
ु लई िाइगर ररजर्व के कोर क्षेत्र से गुिलूर तक मर्टतृत िै।
• िायोि: यि घािी तमिलिािु के िीलमगरर जैर्िंिल ररजर्व िें एक िित्र्पूणव िायोि िै। यि िाघ, िाथी और गंभीर रूप से
लुप्तप्राय मजप्स मगद्ध जैसी कई अन्य िित्र्पूणव प्रजामतयों का आश्य टथल िै। इसमलए कथि 2 सिी िै।
• यि प्रायद्वीपीय भारत का एकिात्र ऐसा क्षेत्र िै जिां र्न्य मजप्स मगद्धों की सिसे िड़ी िेसटिंग कॉलोिी िै। इसमलए कथि 1 सिी िै।
• NSAIDs: यि क्षेत्र प्रकृ मत के शर्भक्षकों के मलए एक मटथर खाद्य श्ृंखला प्रदाि करता िै। ऐसा इसमलए िै टयोंकक ये शर्
अमिकांशतः िॉि-टिेरायिल एंिी-इं फ्लेिेिरी ड्रग्स (NSAIDs) और अन्य मर्षाि रसायिों से िुि िोते िैं।
Q 91.C
• िोि रूल आंदोलि के िाद मििेि की सरकार िे अपिी िीमतयां िदलीं। अि उसका रुख सिझौतार्ादी िो गया। िए राज्य
समचर् िोंिेग्यू िे 20 अगटत 1917 को िाउस ऑफ कॉिन्स िें एक ऐमतिामसक घोषणा की मजसिें उन्िोंिे किा: “मिरिश
सरकार की िीमत िै कक भारत के प्रशासि के प्रत्येक क्षेत्र िें भारतीय जिता को भागीदार ििाया जाए और टर्शासि के मलए
मर्मभन्न संटथाओं का क्मिक मर्कास ककया जाए मजससे मिरिश साम्राज्य के अमर्भाज्य अंग के रूप िें भारत िें कोई उत्तरदायी
• अि मर्िामयकाएं प्रश्न और अिुपूरक प्रश्न पूछ सकती थी, टथगि प्रटतार् पाररत कर सकते थी, तथा िजि के एक भाग पर
ितदाि कर सकती थी, ककं तु िजि का 75% भाग अभी भी ितदाि योग्य ििीं था।
Q 92.B
• इं मियि सोशल कांफ्ेंस की टथापिा एि.जी. रािािे और रघुिाथ रार् िे की थी। इसमलए कथि 1 सिी ििीं िै।
• इं मियि सोशल कांफ्ेंस का प्रथि िैिक 1887 िें ििास िें हुई थी। इसी सिय ििास िें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अमिर्ेशि
भी आयोमजत ककया गया था। इसके िाद इस कांफ्ेंस का सम्िेलि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ िी उसी सिय और टथाि पर
प्रमतर्षव आयोमजत िोता था। इसमलए कथि 2 सिी िै।
• इसिे िित्र्पूणव सािामजक िित्र् के मर्षयों पर अपिा ध्याि कें कित ककया था। र्ाटतर् िें यि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस
े की एक
सािामजक सुिार शाखा िी थी। कांफ्ेंस के िुख्य उद्देश्यों िें अंतर-जातीय मर्र्ाि को प्रोत्सािि तथा िहुमर्र्ाि या िहु पत्नी प्रथा
का मर्रोि और कु लीि प्रथा का मर्रोि प्रिुख थे।
• इसिे िाल मर्र्ाि को रोकिे के मलए ‘याचिा अमभयाि’ भी चलाया, मजसिें लोगों से याचिा की जाती थी कक र्े िाल मर्र्ाि ि
करें । इसमलए कथि 3 सिी िै।
Q 93.D
• फॉिव 17C एक राष्ट्रव्यापी ितदाि कें ि-दर-ितदाि कें ि मर्टतृत ितदाि ररकॉिव िै। इसिें कई प्रकार की जािकरी शामिल िोती
िैं, जैसे कक;
• फॉिव 17C के दूसरे भाग िें प्रत्यामशयों के िाि और उन्िें प्राप्त कु ल ितों की संख्या दजव िोती िै। इससे यि भी पता चलता िै कक
ककसी मर्शेष िूथ पर िाले गए ित कु ल िाले गए ितों की संख्या से िेल खाते िैं या ििीं।
• मिर्ावचिों का संचालि मियि, 1961 के मियि 49S और 56C के अिुपालि िें, पीिासीि अमिकारी फॉिव 17C के भाग-I िें
िाले गए ितों की एक ररपोिव तैयार करता िै और इसे प्रत्येक ितदाि एजेंि को मर्तररत करता िै।
• चुिार्ी ितीजों की अंमति घोषणा के िाद, भारतीय मिर्ावचि आयोग अपिी र्ेिसाइि पर फॉिव 20 अपलोि करता िै, मजसिें
ककसी मर्शेष मर्िािसभा मिर्ावचि क्षेत्र से चुिार् लड़ रिे प्रत्येक प्रत्याशी को मिले ितों का िूथर्ार िेिा उपलब्ि िोता िै।
▪ प्रशासमिक शमियां: मिर्ावचि क्षेत्र की सीिाएं मििावररत करिा, राजिीमतक दलों का पंजीकरण करिा, चुिार्
करािा।
▪ सलािकारी शमियां: मिर्ावचि संिंिी मर्र्ाद के िािलों िें भारत के राष्ट्रपमत और उच्चतर न्यायपामलका को सलाि देिा
Q 94.C
o यकद कोई व्यमि संसद के दोिों सदिों के मलए मिर्ावमचत िोता िै, ति उसे 10 कदिों के भीतर यि सूमचत करिा िोगा कक
र्ि ककस सदि िें कायव करिा चािता िै। ऐसी सूचिा ि देिे पर राज्यसभा िें उसका टथाि ररि िो जाता िै। इसमलए
कथि 1 सिी िै।
o यकद एक सदि का र्तविाि सदटय दूसरे सदि के मलए भी मिर्ावमचत िो जाता िै, ति पिले सदि िें उसका टथाि ररि िो
जाता िै। इसमलए कथि 2 सिी िै।
Q 95.B
• असियोग आंदोलि (NCM) 1920 िें मिरिश शासि के दौराि गांिीजी द्वारा शुरू ककया गया प्रथि राष्ट्रव्यापी आंदोलि था।
यि भारतीय जिता के िीच मिरिश शासि के प्रमत िढ़ते असंतोष और मिराशा के पररणािटर्रूप एक शमिशाली और उत्सािी
प्रमतकक्या के रूप िें उभरा। रॉलेि एटि और क्ू र जमलयार्ाला िाग ित्याकांि इस आंदोलि के आरं भ िोिे के तात्कामलक कारण
थे।
• कांग्रस
े िे मसतंिर 1920 िें कलकत्ता के अपिे मर्शेष अमिर्ेशि िें असियोग आंदोलि को िंजरू ी प्रदाि की। इसे िाद िें कदसंिर
1920 िें कांग्रस
े के िागपुर अमिर्ेशि िें सिथवि प्राप्त हुआ। इस आंदोलि िें पूरे देश िें जिता की मर्शाल भागीदारी देखी गई।
o कांग्रेस का िेतृत्र् अि 15 सदटयों की एक कायवसमिमत (CWC) द्वारा ककया जािा था, मजसिें अध्यक्ष और समचर् भी
शामिल थे। इससे कांग्रेस एक सतत राजिीमतक संगिि के रूप िें कायव करिे िें िदद मिली और उसे अपिे प्रटतार्ों को लागू
करिे के मलए व्यर्मटथत िशीिरी प्राप्त हुई।
o कांग्रस
े की सदटयता 21 र्षव या उससे अमिक आयु के सभी पुरुषों और िमिलाओं के मलए खोल दी गई, मजन्िें 4 आिा
र्ार्षवक चंदा देिा िोता था। 1921 िें सदटयता के मलए आयु सीिा घिाकर 18 र्षव कर दी गई।
o मर्देशी र्टतुओं का िमिष्कार; 1919 अमिमियि के प्रार्िािों के अिुसार चुिार् आयोमजत ककए गए; न्यायालय, सरकारी
कायव और कािूिी प्रथा; सरकारी टकू ल और कॉलेज।
o िजारों टर्यंसेर्क घर-घर जाकर लोगों को टर्देशी र्टतुएं अपिािे के िित्र् को सिझािे का प्रयास कर रिे थे। मर्देशी
कपड़ों को इकट्ठा करके उिकी िोली जलाई गई।
o राष्ट्रीय मर्द्यालय, ििामर्द्यालय और मिजी पंचायत न्यायालय टथामपत ककए गए। काशी मर्द्यापीि, मििार मर्द्यापीि और
जामिया मिमलया इटलामिया की टथापिा की गई।
o यि पिली िार था कक जि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस िे सीिे जिता से अपील की, मजसके पररणािटर्रूप सदटयता िें
उल्लेखिीय र्ृमद्ध हुई।
o कांग्रेस टर्यंसेर्कों द्वारा चरखा और खादी तथा जेल भरो आंदोलि का प्रचार।
o गांिीजी िे ‘मतलक टर्राज फं ि’ की घोषणा की, मजसका उद्देश्य रचिात्िक कायों के मलए 1 करोड़ रुपये एकत्र करिा था।
Q 96.A
• भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखिऊ सत्र िें अंततः मतलक के िेतृत्र् र्ाले गरिपंमथयों को कांग्रेस िें पुिः शामिल कर मलया गया।
इस अमिर्ेशि की अध्यक्षता एक उदारर्ादी िेता अंमिका चरण िजूिदार िे की। लखिऊ सत्र िें िोिे र्ाली एक और िित्र्पूणव
घििा िुमटलि लीग और कांग्रेस का एक साथ आिा और सरकार के साििे उिकी साझा िांगें प्रटतुत करिा था।
• कांग्रेस और िुमटलि लीग के िीच लखिऊ सिझौते को टर्तंत्रता के मलए राष्ट्रर्ादी संघषव के दौराि एक िित्र्पूणव घििा िािा
जा सकता िै। लीग िे कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार के सिक्ष संयि
ु संर्ैिामिक िांगें प्रटतुत करिे पर सििमत जताई, कांग्रेस
िे पृथक मिर्ावचि क्षेत्रों पर िुमटलि लीग की मटथमत को टर्ीकार कर मलया तथा इसे ति तक जारी रखिे पर सििमत व्यि की
जि तक कोई एक सिुदाय संयि
ु मिर्ावचि क्षेत्रों की िांग ििीं करता। िुसलिािों को अमखल भारतीय और प्रांतीय टतर पर
मर्िािसभाओं िें एक मिमित अिुपात िें सीिें भी प्रदाि की गईं। संयि
ु िांगें थीं:
• सरकार को यि घोषणा करिी चामिए कक र्ि जल्द से जल्द भारतीयों को टर्शासि प्रदाि करे गी। इसमलए कथि 1 सिी ििीं
िै।
• के न्िीय तथा प्रान्तीय टतर पर प्रमतमिमि सभाओं का और अमिक मर्टतार ककया जािा चामिए तथा उन्िें मिर्ावमचत िहुित प्रदाि
ककया जािा चामिए तथा अमिक शमियां प्रदाि की जािी चामिए।
• मर्िाि पररषद का कायवकाल पांच र्षव का िोिा चामिए। इसमलए कथि 2 सिी िै।
• र्ायसराय और प्रांतीय गर्िवरों की कायवकारी पररषदों के आिे सदटय भारतीय िोिे चामिए। इसमलए कथि 3 सिी ििीं िै।
• भारत समचर् का र्ेति मिरिश राजकोष से कदया जािा चामिए ि कक भारतीय कोष से। इसमलए कथि 4 सिी िै।
• िामलया संदभव: रक्षा अिुसंिाि और मर्कास संगिि (DRDO) प्रोजेटि कु शा पर कायव कर रिा िै। इसका उद्देश्य र्षव 2028-29
तक भारत की अपिी लंिी दूरी की र्ायु रक्षा प्रणाली को पररचालिात्िक रूप से तैिात करिा िै।
• उद्देश्य: भारत की अपिी लंिी दूरी की सति से िर्ा िें िार करिे र्ाली मिसाइलें (LR-SAM) मर्कमसत करिा। इसमलए
मर्कल्प (a) सिी उत्तर िै।
• सियोग: इसे इजरायल की प्रिुख एयरोटपेस और मर्िािि मििावता कं पिी इजरायल एयरोटपेस इं िटट्रीज के साथ संयि
ु रूप से
मर्कमसत ककया जा रिा िै।
• सीिा (रें ज): 150 कक.िी., 250 कक.िी. और 350 कक.िी. रें ज िें शत्रु लक्ष्यों पर प्रिार।
• मर्शेषताएाँ:
o LR-SAM प्रणाली एक िोिाइल प्लेिफॉिव िोगी, जो लंिी दूरी की मिगरािी और अमग्न मियंत्रण रिार से सुसमित िोगी।
o इसका उद्देश्य आिे र्ाले टिील्थ लड़ाकू मर्िाि, िर्ाई जिाज, ड्रोि, क्ू ज मिसाइल एर्ं सिीक मिदेमशत िमथयारों का पता
लगािे और उन्िें िि करिे के मलए एक िजिूत 3-टतरीय रक्षा प्रणाली टथामपत करिा िै।
o इसे एकीकृ त किाि और मियंत्रण प्रणाली (IACCS) के साथ अन्तः कक्या करिे िें सक्षि ििाया जाएगा। IACCS
भारतीय र्ायु सेिा (IAF) द्वारा उपयोग ककया जािे र्ाला एक टर्चामलत र्ायु रक्षा किाि और मियंत्रण कें ि िै।
• िोि- मिसाइल रक्षा प्रणाली: मर्मभन्न देशों िे अपिे क्षेत्रों को िर्ाई खतरों से सुरक्षा प्रदाि करिे के मलए उन्नत र्ायु रक्षा प्रणाली
मर्कमसत की िै। रूस िे S-400 ट्रायम्फ मर्कमसत ककया िै। संयि
ु राज्य अिेररका पैरट्रयि मिसाइल रक्षा प्रणाली संचामलत
करता िै। र्िीं इजराइल िे आयरि िोि मर्कमसत ककया िै।
Q 98.B
• फरर्री 1946 िें, एिली सरकार िे भारत िें एक उच्चटतरीय मिशि भेजिे की घोषणा की। इस मिशि िें तीि मिरिश कै मििेि
सदटय - पेमथक लॉरें स, भारत के राज्य समचर्; टिैफोिव कक्प्स, व्यापार िोिव के अध्यक्ष; ए.र्ी. अलेटजेंिर, एिमिरल्िी के प्रथि
लॉिव, शामिल थे। इसका उद्देश्य भारत को सत्ता सौंपिे के मलए िातचीत के जररए एक शांमतपूणव शमि िटतांतरण िेतु मर्कल्पों
की खोज करिा था। इस मिशि के अध्यक्ष पैमथक लॉरें स थे।
• 1946 की कै मििेि मिशि योजिा के अिेक िुख्य सिंदु थे, मजििें शामिल िैं:
o पाककटताि की अटर्ीकृ मत: कै मििेि मिशि िे पूणव पाककटताि की िांग को अटर्ीकार कर कदया। मिशि का िाििा था कक
दो मिटसों िें मर्भामजत एक छोिे देश को प्रशामसत करिा िुमश्कल िोगा। इसमलए कथि 3 सिी ििीं िै।
o प्रान्तों का सिूिि: प्रान्तों को उिकी जिसंख्या के आिार पर तीि र्गों िें िांिा गया:
o संमर्िाि सभा: इसिे भारत के संमर्िाि का मििावण करिे के मलए एक संमर्िाि सभा के गिि की मसफाररश की। एक
संमर्िाि सभा को प्रांतीय मर्िािसभाओं द्वारा आिुपामतक प्रमतमिमित्र् (तीि सिूिों- सािान्य, िुमटलि, मसखों िें ितदाि)
के िाध्यि से चुिा जािा था। संमर्िाि सभा िें 389 सदटय िोंगे, इसिें प्रांतीय मर्िािसभाओं से 292, िुख्य आयुि के
प्रांतों से 4 और ररयासतों से 93 सदटय भेजे जाएंगे। इसमलए कथि 1 सिी िै।
o कें िीय मर्िाििंिल िें सांप्रदामयक िुद्दों का मिणवय उपमटथत और ितदाि करिे र्ाले दोिों सिूिों के सािारण िहुित से
ककया जािा था।
o प्रान्तों को पूणव टर्ायत्तता और अर्मशि शमियां प्राप्त िोंगी। इसमलए कथि 2 सिी िै।
o ररयासतें अि मिरिश सरकार के अिीि ििीं रिेंगी। र्े उत्तरामिकारी सरकारों या मिरिश सरकार के साथ सिझौता करिे
के मलए टर्तंत्र िोंगी।
o प्रथि आि चुिार्ों के िाद, प्रांत को सिूि से िािर आिे की टर्तंत्रता थी और 10 र्षों के िाद, प्रांत को सिूि या संघीय
संमर्िाि पर पुिर्र्वचार करिे की टर्तंत्रता दी गई थी।
o इस िीच, संमर्िाि सभा द्वारा एक अंतररि सरकार का गिि ककया जािा था।
Q 99.B
• अिीिटथ न्यायपामलका की संगििात्िक संरचिा, अमिकार क्षेत्र और शब्दार्ली राज्यों द्वारा मििावररत ककए जाते िैं। इसमलए,
र्े एक राज्य से दुसरे राज्य िें थोड़े मभन्न िोते िैं। सािान्यतः उच्च न्यायालय के िीचे दीर्ािी और फौजदारी अदालतों के तीि
टतर िैं।
• मजला न्यायािीश मजले का सर्ोच्च न्यामयक अमिकारी िोता िै। उसके पास मसमर्ल और आपरामिक दोिों िािलों िें िूल और
अपीलीय क्षेत्रामिकार िोता िै। दूसरे शब्दों िें, मजला न्यायािीश सत्र न्यायािीश भी िोता िै। जि र्ि मसमर्ल िािलों की
सुिर्ाई करता िै, तो उसे मजला न्यायािीश के रूप िें जािा जाता िै और जि र्ि आपरामिक िािलों की सुिर्ाई करता िै, तो
उसे सत्र न्यायािीश किा जाता िै। इसमलए कथि 3 सिी िै।
• मजला न्यायािीश न्यामयक और प्रशासमिक दोिों शमियों का प्रयोग करता िै। उसके पास मजले के सभी अिीिटथ न्यायालयों
पर पयवर्क्ष
े ण की शमियााँ भी िोती िैं। उसके आदेशों और मिणवयों के मर्रुद्ध उच्च न्यायालय िें अपील की जा सकती िै। इसमलए
कथि 2 सिी िै
• अिीिटथ न्यायािीश मसमर्ल िुकदिों पर असीमित मर्त्तीय अमिकाररता का प्रयोग करता िै। िुख्य न्यामयक िमजटट्रेि
आपरामिक िािलों से संिंमित मिणवय करता िै, मजििें अमिकति सात र्षव तक के कारार्ास की सजा िो सकती िै।
Q 100.C
• िामलया संदभव: रे लर्े सुरक्षा िल (RPF) रे लर्े संपमत्त, यात्री क्षेत्रों और यामत्रयों की भलाई की सुरक्षा के मलए मर्मभन्न अमभयाि
चलाता िै।
o ऑपरे शि "उपलब्ि": दलालों पर मियंत्रण लगािा। इसमलए युग्ि 3 सिी सुिमे लत िै।
• ऑपरे शि सर्वशमि:
o भारतीय सेिा िे जम्िू और कश्िीर िें पीर पंजाल रें ज के दोिों ओर आतंकर्ाद का िुकािला करिे के मलए 'ऑपरे शि
सर्वशमि' शुरू ककया। इसमलए युग्ि 2 सिी सुिमे लत िै।
o यि अमभयाि संभर्तः ऑपरे शि सपवमर्िाश के अिुरूप िी कायव करे गा। यि ऑपरे शि र्षव 2003 िें पीर पंजाल रें ज के
दमक्षणी इलाकों िें उन्िीं टथािों से आतंकर्ाकदयों का सफाया करिे के मलए शुरू ककया गया था।
o ऑपरे शि ब्लैक गोल्ि राजटर् आसूचिा मिदेशालय (DRI) का एक ऑपरे शि िै मजसिें सोिे और चांदी से युि एक मिश्
िातु जब्त की गई थी। इसमलए युग्ि 1 सिी सुिमे लत िै।
IAS,IES,PCS,LAW,SSC,NET,GATE,BANK P.O
IGNOU Study Material B.A,M.A,Old+New NCERT
All Subjets
9310098385,9551705170
https://t.me/chamanphotostate
www.upscmaterial.online
Shop Adress
701, Shop No -2, Main Road Market, Dr Mukherjee
Nagar, delhi - 110009
(Near Meerut Sweets)