लूत (इस्लाम)
लूत (इस्लाम) (अंग्रेज़ी:Lot in Islam) क़ुरआन में वर्णित अरबी भाषा में नबी पैग़म्बर का नाम है, हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के भतीजे हजरत लूत ने मिस्र से वापसी पर उर्दुन के इलाके में दो मशहूर बस्तियां सदूम और आमूरा थीं वहां रहने लगे।
इस्लाम धर्म की महत्वपूर्ण पुस्तक क़िसासुल अंबिया और ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार समलैंगिक कृत्यों के विरुद्ध ईस्लामी मान्यता से लोगों को जागरूक करते रहे .[1] [2]
क़ुरआन में वर्णन
[संपादित करें]- और इसमाईल, अलयसअ,यूनुस और लूत को भी। इनमें से हर एक को हमने संसार के मुक़ाबले में श्रेष्ठता प्रदान की॥(क़ुरआन 6:86)
- और हमने लूत को भेजा। जब उसने अपनी क़ौम से कहा, “क्या तुम वह प्रत्यक्ष अश्लील कर्म करते हो, जिसे दुनिया में तुमसे पहले किसी ने नहीं किया?”
तुम स्त्रियों को छोड़कर मर्दों से कामेच्छा पूरी करते हो, बल्कि तुम नितान्त मर्यादाहीन लोग हो उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके अतिरिक्त और कुछ न था कि वे बोले, “निकालो, उन लोगों को अपनी बस्ती से। ये ऐसे लोग है जो बड़े पाक-साफ़ है!” फिर हमने उसे और उसके लोगों को छुटकारा दिया, सिवाय उसकी स्त्री के कि वह पीछे रह जानेवालों में से थी और हमने उनपर एक बरसात बरसाई, तो देखो अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ (क़ुरआन 7:80-84)
- और रहा लूत तो उसे हमने निर्णय-शक्ति और ज्ञान प्रदान किया और उसे उस बस्ती से छुटकारा दिया जो गन्दे कर्म करती थी। वास्तव में वह बहुत ही बुरी और अवज्ञाकारी क़ौम थी (क़ुरआन 21:74)
क़ौम लूत पर अज़ाब
[संपादित करें]इस्लाम के पैगम्बर कुरान अनुसार | |||||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
आदम | इदरीस | नुह | हुद | सालेह | इब्राहीम | लूत | इस्माइल | इसहाक | याकूब | यूसुफ़ | अय्यूब | ||
آدم | إدريس | نوح | هود | صالح | إبراهيم | لوط | إسماعيل | إسحاق | يعقوب | يوسف | أيوب | ||
आदम (बाइबल) | इनोच | नोअह | एबर | शेलह | अब्राहम | लॉट | इश्माएल | आइजै़क | जैकब | जोसफ | जॉब | ||
शोएब | मूसा | हारुन | जुल-किफ्ल | दाऊद | सुलेमान | इलियास | अल-यासा | यूनुस | ज़कारिया | यहया | ईसा | मुहम्मद | |
شُعيب | موسى | هارون | ذو الكفل | داود | سليمان | إلياس | إليسع | يونس | زكريا | يحيى | عيسى | مُحمد | |
जेथ्रो | मोजे़ज़ | आरोन | एजी़कल | डैविड | सोलोमन | एलीजाह | एलीशाह | जोनाह | जे़करिया | जॉन | ईशु मसीह | पैराच्लीट |
दुनिया में सबसे पहले शैतान ने बद फेली करवाई, वो हज़रते सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम की क़ौम में अमरद (बगैर दादी मूछ का नौजवान लड़का) हसीन यानि खूबसूरत लड़के की शक्ल में आया और उन लोगों को अपनी तरफ माइल किया यहां तक के गन्दा काम करवाने में कामयाब हो गया और इसका उनको ऐसा चस्का लगा के इस बुरे काम के आदि हो गए और नौबत यहां तक पुहंची के औरतों को छोड़कर मर्दों से अपनी “ख्वाहिश” पूरी करने लगे
- क़ौमे लूत पर लरज़ा ख़ेज़ अज़ाब नाज़िल हो गया* :-
जब क़ौमे लूत की सरकशी और खसलते बद फेली (गन्दा काम) क़ाबिले हिदायत न रही तो अल्लाह तआला का अज़ाब आ गया, जैसा के हज़रत सय्यदना जिब्रील अलैहिस्सलाम चंद फरिश्तों के साथ अमरद (बगैर दादी मूछ का नौजवान लड़का) हसीन यानि खूबसूरत लड़कों की सूरत में मेहमान बनकर हज़रत सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे | इन मेहमानो के हुसनो जमाल और क़ौम की बदकारी की खसलत के ख्याल से हज़रते सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम मुशव्वश यानि फ़िक्र मंद हुए| थोड़ी देर बाद क़ौम के बद फेलो ने हज़रत सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम के मकाने आली शान का मुहासिरा (घेरना) कर लिया और इन मेहमानो के साथ बद फेली के बुरे इरादे से दिवार पर चढ़ने लगे | हज़रत सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम ने निहायत दिल सोज़ी के साथ इन लोगो को समझाया मगर वो अपने बद (बुरे) इरादे से बाज़ न आए | आपको मुतफक्किर और रंजीदा देख कर हज़रत सय्यदना जिब्रील अलैहिस्सलाम ने कहा या नबी अल्लाह आप ग़मगीन न हो हम फरिश्ते हैं और इन बदकारों (बुरे काम करने वाला) पर अल्लाह का अज़ाब लेकर उतरे हैं आप मोमिनीन और अपने अहिल व अयाल को साथ लेकर सुबह होने से पहले पहले इस बस्ती से दूर निकल जाईए और खबर दार कोई शख्स पीछे मुड़कर न देखे बस्ती की तरफ वरना वो भी इस अज़ाब में गिरफ्तार हो जायेगा | जैसा के हज़रत लूत अलैहिस्सलाम अपने घर वालों और मोमिनो को साथ लेकर बस्ती से बाहर तशरीफ़ ले गए | फिर हज़रत सय्यदना जिब्रील अलैहिस्सलाम इस शहर की पांचों बस्तियों को अपने परों पर उठाकर आसमान की तरफ बुलंद हुए और कुछ ऊपर जाकर उन बस्तियों को ज़मीन पर उलट दिया | फिर उन पर इस ज़ोर से पत्थरों की बारिश के क़ौमे लूत की लाशों के भी परखचे उड़गए ऐन यानि ख़ास उस वक़्त जब के ये शहर उलट पलट हो रहा था हज़रते सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम की एक बीवी जिसका नाम “वाइला” था जो के दर हक़ीक़त मुनाफ़िक़ा थी और क़ौम के बदकारो से मुहब्बत रखती थी उसने पीछे मुड़कर देख लिया और उसके मुँह से निकला: हाएरे मेरी क़ौम ये कहकर खड़ी हो गई फिर अज़ाबे इलाही का एक पत्थर उसके ऊपर भी गिरपड़ा और वो भी हलाक हो गई।।
हज़रत सय्यदना लूत अलैहिस्सलाम की क़ौम का एक ताजिर उस वक़्त कारोबारी तौर पर मक्का शरीफ की ज़्यारत को आया था उसके नाम का पत्थर वहीँ पहुँच गया मगर फरिश्ते ने ये कहकर रोक लिया के ये अल्लाह का हरम है चुनाचे वो पत्थर 40 दिन तक हरम के बाहर ज़मीन व आसमान के दरमियान मुअल्लक़ (लटका रहा) रहा जैसे ही वो ताजिर (बिजनिसमैन) फारिग हो कर मक्का से निकल कर हरम से बाहर हुआ वो पत्थर उसपर गिरा और वो वहीँ हलाक हो गया |
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ ""हज़रत लूत "अलैहि सलाम,क़ससुल अंबिया-पृष्ठ 101". https://archive.org/.
|website=
में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ हज़रत लूत "अलैहि सलाम, https://ummat-e-nabi.com/loot-alaihi-salam/
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- [https://www.australianislamiclibrary.org/prophets.html[मृत कड़ियाँ] किससुल अंबिया - (उर्दू / अरबी / अंग्रेजी / बंगला / पश्तो) नबियों / पैग़म्बरों से सम्बंधित पुस्तकें