सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया | |
धर्मग्रंथ | बाइबिल, वचन देह में प्रकट होता है |
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Moderator | Zhao Weishan |
उत्पत्ति | 1991 चीनी जनवादी गणराज्य |
आधिकारिक जालपृष्ठ | hi |
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया,[1], जिसे पूर्वी प्रकाश(चीनी: 东方闪电; पिनयिन: Dōngfāng Shǎndiàn) के नाम से भी जाना जाता है, एक नवीन धार्मिक आन्दोलनहै जो 1991 मेंचीनमें स्थापित हुआ,[1]जिसके लिए चीनी सरकार के स्रोतों ने तीस से चालीस लाख सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया,[2]हालाँकि अध्येतागण इन आँकड़ों को कुछ बढ़ाया गया मानते हैं.[3] ”पूर्वी प्रकाश” यह नाम नया नियम, मत्ती का सुसमाचार 24:27 से लिया गया है, जिसके अनुसार: " जैसे कि प्रकाश का उदय पूर्व में होता है, और वह पश्चिम तक चमकता है; ठीक उसी तरह मनुष्य के पुत्र का आगमन भी होता है." इसकी मुख्य शिक्षा यह है कि यीशु मसीहहमारे दिनों में धरती पर देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर (全能神) की तरह लौटे हैं, और इस बार किसी पुरुष नहीं बल्कि एक चीनी महिला की तरह आए हैं.[4]इस आन्दोलन को चीनी अधिकारियों ने,[5]ज़ीजियाओ (वह शब्द जिसका अनुवाद आमतौर पर “शैतानी संप्रदाय” की तरह किया जाता है लेकिन वास्तव में यह मिंग राजवंशके समय से ही “धर्मविरुद्ध शिक्षाओं” को दर्शाने के प्रयुक्त होता रहा है) के रूप में पहचाना[6]और विभिन्न अपराधों का दोषी माना जिनमें कुख्यात झाओयुआन के मैकडोनाल्ड में हुई सम्प्रदाय हत्याशामिल है.[7]बदले में विरोधी ईसाईयों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इसे पाखंड[8]की तरह समझाया. कलीसिया ने सभी आरोपों से इंकार किया और कुछ अध्येताओं ने ये पाया कि कुछ आरोप जिनकी उन्होंने उस समय तक खोजबीन की थी, वे वास्तव में या तो झूठे थे या बढ़ाचढ़ाकर बताए गए थे.[9]
इतिहास
[संपादित करें]1989 की जागृति और पुकारने वाले
[संपादित करें]हालाँकि ये आन्दोलन (बावजूद यह स्वीकारने कि वह एक महिला है) कभी भी उसका नाम या जीवन सम्बन्धी कोई भी अन्य जानकारी नहीं देता और सावधान करता है कि बाहरी स्रोतों द्वारा दी गई कोई भी जानकारी गलत हो सकती है,[10] कई अध्येतागण विश्वास करते हैं कि देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर का मिलान चीनी महिला, यांग ज़ियांग्बिन (जन्म 1973), जो कि उत्तरपश्चिमी चीन में जन्मी थी, से होता है। [11] 1989 में, चीनी स्वतंत्र चर्चों की जागृति के दौरान, आन्दोलन द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की तरह पहचानी गई व्यक्ति औपचारिक रूप से गृह कलीसिया (चीन)अर्थात सरकार से स्वतंत्र प्रोटेस्टेंट चर्चों, में प्रवेश कर गई, और वे शब्द उच्चारित करने लगी जिसकी तुलना उसके अनुयायियों ने अधिकार और शक्ति के लिए यीशु मसीह द्वारा कहे गए शब्दों से की। [12]उस समय पर वहविटनेस लीद्वारा स्थापित समूहों, जिन्हें पश्चिम मेंस्थानीय कलीसिया और चीन मेंपुकारने वाले[13] कहा जाता है,की बैठकों में हिस्सा ले रही थी, जैसा कि उसके अधिकतर शुरुआती अनुयायियों ने किया था। [14]चीनी गृह कलीसिया आन्दोलन के बहुत से विश्वासियों ने विश्वास किया कि वे शब्द पवित्र आत्मा के थे और 1991 में उन्होंने इन शब्दों को अपनी बैठकों में पढ़ना शुरू कर दिया, तो कलीसिया की शुरुआत इस वर्षसे मानी जा सकती है, हालाँकि 1992 के अंत में जाकर उस व्यक्ति को, जो कि इन संदेशों का स्रोत था, क्राइस्ट की तरह पहचाना गया, जो कि अवतरित ईश्वर है, और एकमात्र सत्य परमेश्वर है, और फिर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया इस नाम से सम्मुख आया [15]
ज़ाओ वेशन
[संपादित करें]सर्वशक्तिमान परमेश्वर के व्यक्ति और सन्देश को स्वीकारने वालों में थे ज़ाओ वेशन(चीनी: 赵维山; जन्म 12 दिसंबर, 1951), जो कि पुकारनेवालों की एक स्वतंत्र शाखा के नेता थे.[16]. वे आन्दोलन का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा बने कि चीनी सूत्र उन्हें इसका “स्थापक” कहते है,हालाँकि पश्चिमी अध्येता मानते हैं कि ये चीनी पुलिस अधिकारियों के भीतर फैले पूर्वाग्रह की वजह से हुआ था, जो ये बात आसानी से स्वीकार नहीं कर सकते थे कि किसी महिला द्वारा इतना विशाल धार्मिक आन्दोलन स्थापित किया गया है, और यह कि वास्तव में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के “स्थापक” का ख़िताब (महिला) को दिया जाना था जिसे ये आन्दोलन सर्वशक्तिमान परमेश्वरकी तरह मानता था. [17]ऑस्ट्रेलियाई अध्येता एमिली डन के अनुसार 1991 में संगठन के एक हजार से अधिक सदस्य थे. अपने समूह पर पुलिस के छापे के बादज़ाओ नेहीलोंगजियांगछोड़ दिया और संगठन को कुइंगफेंग काउंटी, Henan, में जारी बनाए रखा, जहाँ इसका विस्तार होता रहा.[18]बाद में उसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के नेता और पुरोहित की तरह पहचाना गया. कलीसिया इस बात पर जोर देता है कि इसका नेतृत्व और मार्गदर्शन व्यक्तिगत रूप से उस व्यक्ति द्वारा किया गया, जिसे वह सर्वशक्तिमान परमेश्वरके रूप में जानता है, और यह कि ज़ाओ, “पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग लाया गया पुरुष,” आन्दोलन का प्रशासकीय नेता है.[19]
विस्तार और दमन
[संपादित करें]साम्यवाद विरोधी शिक्षाओं के कारण चीनी सरकार तुरंत ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के ऊपर संदेह करने लगी,[20]और, पुकारने वाले और सर्वशक्तिमान परमेश्वरका कलीसियादोनों ही, 1990 के वर्षों के सख्त दमन का निशाना बने जहाँ के आध्यात्मिक अंतर चीनी अधिकारियों को आवश्यक रूप से स्पष्ट नहीं थे.[21] 2000 में, ज़ाओ और यांग अमेरिका चले गए, जहाँ पर वे 6 सितम्बर को प्रविष्ट हुएऔर 2001 में उन्हें राजनीतिक शरण दी गई.तभी से वे अमेरिका में रह रहे हैं और आन्दोलन चला रहे हैं[22] 2009 की शुरुआत में, ही जुआन, जो कि चीन की मुख्यभूमि पर कलीसिया के कार्यों के प्रभारी हुआ करते थे, उन्हें चीनी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया. 17जुलाई, 2009 कोमा सुओपिंग (महिला, 1969–2009), जिसने ही जुआन की भूमिका संभाली थी, उसे भी चीनी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और हिरासत में ही उसकी मृत्यु हो गई.[23]
सरकारी दमन और ईसाई मुख्यधारा के कलीसिया के कुछ नेताओं द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर पाखंड [24]का आरोप लगाने के बावजूद कलीसिया ने चीन में प्रगति की और चीनी अधिकृत सूत्रों के अनुसार यह 2014 में तीस या चालीस लाख सदस्यों तक पहुँच गया,[25]हालाँकि अध्येतागण इन आँकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया मानते हैं.[26] 2014 में झाओयुआन के मैकडोनाल्ड में हुई सम्प्रदाय हत्याके बाद चीन में दमन और तीव्र हुआ और हजारों सदस्य विदेश भाग गए, जहाँ उन्होंने दक्षिणी कोरिया, अमेरिका, इटली, फ्रांस, स्पेन, कनाडा, जापान, फिलिपींस तथा और अन्य देशों में कलीसिया स्थापित किये, जो कि हांगकांग और ताइवान में स्थापित कलीसिया से अलग थे, और जहाँ इस आन्दोलन में गैर-चीनी सदस्य भी शामिल हुए.[27]इस प्रवासी प्रसार का एक विशेष परिणाम ये था कि उन देशों में, जहाँ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया स्वतंत्रता से कार्य कर सकता था, पेंटिंग और फिल्मों का पर्याप्त कलात्मक निर्माण हुआ, जिसमें से कुछ फिल्मों ने ईसाई फिल्म समारोहों में पुरस्कार भी जीते.[28]
मान्यताएँ
[संपादित करें]तीन युग
[संपादित करें]कलीसिया के अनुसार “पूर्वी प्रकाश”, अर्थात प्रभु येशु मसीह का सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में पुनरागमन, जो कि पूर्व के एक देश चीन से होगा, और वह मानवता के तीसरे युग के शुभारम्भ के लिए होगा, जिसे ‘राज्य का युग’ कहते हैं, और वह ‘व्यवस्था के युग’ के बाद आता है अर्थात पुराने नियम के समय और ‘अनुग्रह के युग’ के पश्चात, जो कि यीशु के जन्म से लेकर 20 सदी में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के आगमन तक फैला हुआ है.[29]सलीब पर यीशु के बलिदान के साथ ही मनुष्यों के पाप क्षमा कर दिए गए, लेकिन उनके पापी स्वभाव को दूर नहीं किया गया है. ‘राज्य के युग’ में सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्यों पापी स्वभाव को दूर करने हेतु ही कार्य करेंगे. [30]सर्वशक्तिमान परमेश्वर के ही वचनों में, “मेरी सम्पूर्ण व्यवस्था योजना, वह योजना जो छः हजार वर्षों तक फ़ैली हुई है, जो तीन चरणों या तीन युगों को समाहित किए है: शुरुआत में ‘व्यवस्था का युग; फिर ‘अनुग्रह का युग (जो कि ‘उद्धार का युग’ भी है), और अंतिम दिनों में ‘राज्य का युग’. इन तीनों युगों में मेरा कार्य, हरेक युग की प्रकृति के अनुसार, सामग्री में भिन्नता लिए हुए होगा, लेकिन हरेक चरण में यह मानवों की जरूरतों के अनुसार होगा; और: ”हालाँकि यीशु ने मनुष्यों के बीच बहुत कार्य किया, केवल उन्होंने सम्पूर्ण मानवता का उद्धार किया और मनुष्यों के पाप ग्रहण किये, और मनुष्यों को उनकी समस्त भ्रष्ट प्रवृत्तिसे छुटकारा नहीं दिया. ...और इस तरह, मनुष्य को उसके पापों से क्षमा मिलने के बाद, नए युग में मनुष्य का नेतृत्व करने के लिए परमेश्वर ने देह धारण की.[31]
पवित्र शास्त्र
[संपादित करें]सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसियामें. ‘व्यवस्था का युग’ और ‘अनुग्रह के युग’ हेतु बाइबिल को पवित्र शास्त्र स्वीकृत किया गया, हालाँकि यह तर्क रखा गया कि “मनुष्यों द्वारा अंकित किये गये इस शास्त्र में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के संदेश और कुछ सत्य अंतर्दृष्टियां संकलित हैं, जो ‘व्यवस्था के युग’ और ‘अनुग्रह के युग’ में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को जानने में मददगार हैं, लेकिन इसमें कई मानवीय त्रुटियाँ भी समाहित हैं,”[32]हमारे समय में, कलीसिया विश्वास करता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथनों में हमें एक सुरक्षित मार्गदर्शन मिलेगा, जो कि एक विशाल पुस्तक ‘वचन देह में प्रकट होता है (The Word Appears in the Flesh) में समेटे गए हैं, जिसमें दस लाख से अधिक शब्द हैं, जिसमें पवित्र इतिहास, अध्यात्मशास्त्र, नीतिशास्त्र और आध्यात्मिकता के ढेर सारे प्रश्नों को लिया गया है, और यह आन्दोलन इसे नियामक की तरह ग्रहण करता है.[33]
सहस्राब्दिवाद
[संपादित करें]सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसियासहस्राब्दिवाद का एक रूप सिखाता है.’राज्य के युग’ को ‘सहस्राब्दि राज्य के युग’ से अलग रखें, जो कि बाइबिल में बताया गया भविष्य का समय है जिसमें भावी दुर्घटनाएँ होंगी, जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सन्देश सभी देशों में स्वीकृत हो जाएगा, मनुष्यों का पापपूर्ण स्वभाव परिवर्तित हो जाएगा, और परमेश्वर के कार्य से पवित्र हुए मनुष्य पृथ्वी पर हमेशा के लिए निवास करेंगे.[34]कलीसिया के अनुसार अवतरित सर्वशक्तिमान परमेश्वर (ऐसा विश्वास है कि जो धरती पर सदा निवास नहीं करेंगे) द्वारा पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य पूर्ण किये जाने के बाद, बाइबिल कीप्रकटीकरण की पुस्तकमें की गई भविष्यवाणियों के अनुसार आपदाएँ आएंगी, जो कि अकालों, भूकम्पों और युद्धों के रूप में होंगी. हालाँकि, “पृथ्वी पूरी तरह से नष्ट नहीं होगी, और वे लोग जो परमेश्वर द्वारा पवित्र किये गए हैं, वे अंतिम दिनों की उथल-पुथल के बाद बचा लिए जाएंगे और हमेशा के लिए धरती पर निवास करेंगे.”[35]अमेरिकी अध्येता होली फोक के अनुसार, “इतिहास का विभिन्न युगों में विभाजन चीन केप्लेमाउथ ब्रेदर्नतथा अन्य इंजील मिशनरियों का प्रभाव प्रदर्शित करता है. विधानवाद, बाइबिल की व्याख्या की ऐसी विधि है जो इतिहास के सृष्टि सम्बंधित पक्ष का समर्थन करती है जिसमें अंतिम समय को शामिल किया गया है, का विकास उन्नीसवीं शताब्दी मेंजॉन नेल्सन डर्बी द्वारा किया गया था," हालाँकि डर्बी और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बीच कुछ मतभिन्नता भी है.[36]
महान लाल ड्रैगन
[संपादित करें]सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया मानती है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारे दिनों में लौटे हुए यीशु हैं और चीन में जन्मे हैं, जो कि कलीसिया के अनुसार वह देश है, जो ठीक समय पर उस जगह का प्रतिनिधित्व करता है जहाँ पर प्रकटीकरण की पुस्तककेशैतानी महान लाल ड्रैगनने स्वयं को चीनी कम्युनिस्ट पार्टीकी आकृति के रूप में प्रकट किया है और जहाँ पर यीशु मसीह का द्वितीय आगमन भी स्वयं को निश्चित ही प्रकट करेगा.[37]जैसा कि एमिली डन ने देखा, ईसाईयों पर अत्याचार करने वाली राजनीतिक शक्ति के साथ महान लाल ड्रैगन को पहचानने वाली धर्मविद्या की खोज सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा नहीं की गई है बल्कि ‘पुकारने वालों’ सहित, चीनी ईसाईयों में, इसकी लम्बी परंपरा रही है.[38]
धार्मिक संस्कारों; पूजन की अनुपस्थिति
[संपादित करें]सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया मानती है किसभी धार्मिक संस्कार, जिनमेंबप्तिस्मा शामिल है, ‘अनुग्रह के युग’ की प्रक्रियाएँ थी और ‘राज्य के युग’ में इनका कोई स्थान नहीं है. इसके चलते सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में किसी तरह का बप्तिस्मा नहीं है, और कोई भी व्यक्ति इन बातों को मानकर कलीसिया का सदस्य बन सकता है कि देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर, यीशु मसीह का द्वितीय आगमन है और अंतिम दिनों में केवल एक सत्य परमेश्वर का ही अस्तित्व होगा, वह व्यक्ति सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम पर प्रार्थना करने का इच्छुक हो, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के विश्वासों को समझने और स्वीकारने के योग्य हो.[39] धार्मिक संस्कारों की अनुपस्थिति का अर्थ यह नहीं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्यों के लिए साथ इकठ्ठा होना, परमेश्वर की प्रार्थना और पूजा करना महत्वपूर्ण नहीं है.वे नियमित तौर मिलकर और अपने पवित्र शास्त्रों पर चर्चा द्वारा, धर्मोपदेश सुनकर, भजन गाकर, और गवाहियों के परस्पर आदान-प्रदान द्वारा अपना “मिलाप” जारी रखते हैं; इटली के अध्येतामेसिमो इंट्रोविनने निरीक्षण किया कि, इस अर्थ में धार्मिक जीवन की तीव्रता पूजन के अत्यंत अल्पतम उपयोग तक सिमट जाती है."[40]
विवाद
[संपादित करें]सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के विरुद्ध गंभीर अपराधों के आरोप, जो कि मीडिया में बार-बार दिखाई देते हैं, दो स्रोतों से आते हैं: चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तथा अन्य ईसाई कलीसिया.[41]चीनी सरकार और मीडिया समय-समय पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को अपराधों का दोषी ठहराते हैं.सर्वाधिक नियमित आरोप चार प्रमुख घटनाओं से सम्बंधित हैं: 2014 में झाओयुआन के मैकडोनाल्ड में हुई सम्प्रदाय हत्या, 2013 मेंशेनज़ी में एक युवा लड़के की आँखें निकाली गईं,[42] 2002 में हुआ ईसाई नेताओं का अपहरण,[43]तथा 2012 में दुनिया के अंत की घोषणा करने से सम्बंधित दंगे.[44]
चीनी अधिकारिक सूत्र भी समय-समय पर अन्य आरोप लगाते रहते हैं. 2017 में पश्चिमी अध्येतागण, जिनमें मेसिमो इंट्रोविन और होली फोक शामिल थे, जिन्होंने कलीसिया पर अध्ययन किया है, को अधिकृत चीनी संप्रदाय-विरोधी संगठन द्वारा हेनान में खतरनाक सम्प्रदायों और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में बुलाया गया.[45]इसी चीनी संप्रदाय-विरोधी संगठन द्वारा 2017 मेंकुछ समय बाद, एक दूसरी कॉन्फ्रेंसहांगकांग, मेंआयोजित की गई, और अध्येतागण को चीनी कानूनी अनुपालन अधिकारियों से, उनके अनुसार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा किये गए अपराधों की जानकारी और दस्तावेज मिले.[46]उन्होंने पाया कि चार मुख्य घटनाओं से सम्बंधित आरोपों से अतिरिक्त आरोप कम उल्लेखित और दस्तावेजों द्वारा कम समर्थित दिखाई दे रहे हैं .[47]
हालाँकि कलीसिया को हमेशा से “परिवार का विरोधी” आरोपित किया गया है, इन्हीं श्री इंट्रोविन द्वारा 2018 में बेलोर विश्वविद्यालय के इंटरडिसिप्लिनरी जर्नल ऑफ़ रिसर्च ऑन रिलिजन में प्रकाशित एक अध्ययन ने कहा कि वास्तव में तो परिवार सम्बन्धी इनकी विचारप्रणाली अत्यंत पारंपरिक और रुढ़िवादी है, और प्रस्तुत किये गए सर्वे प्रमाण ये दर्शाते हैं कि वे अधिकतर चीनी सदस्य जो दक्षिणी कोरिया, अमेरिका और फिलीपींस चले गए, उन्हें उनके ही परिवार के सदस्यों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के लिए परिवर्तित किया था. [48]
झाओयुआन के मैकडोनाल्ड में हुई सम्प्रदाय हत्या
[संपादित करें]28 मई, 2014 को छः “मिशनरियों” ने, जो “सर्वशक्तिमान परमेश्वर” के प्रतिनिधि होने का दावा कर रहे थे, देशभर में हो-हल्ला सुलगा दिया जब उन्होंने चीन के शैनडोंग प्रान्त के एक शहर झाओयुआन के एक मैकडोनाल्ड रेस्टोरेंट में एक महिला पर हमला किया और उसकी हत्या कर दी. [49]पाँच “मिशनरियों” (छठा एक नाबालिग था) पर मुकदमा चला और दोष सिद्ध हुआ और 10 अक्टूबर को उनमें से दो को मृत्युदंड मिला, जो 2015 में दिया गया, एक को आजीवन कारावास और अन्य दो को 7 और 10 वर्ष की जेल मिली. [50]
मैकडोनाल्ड हत्याकांड का अध्ययन बाद में नए धार्मिक आंदोलनों के अध्येताओं द्वारा किया गया जैसे कि जैसे एमिली डन,[51] डेविड ब्रोमलेऔरमेसिमो इंट्रोविन. [52] ये लोग चीनी और पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टों के मुकाबले बिलकुल अलग निष्कर्ष पर पहुंचे, और बताया कि हत्यारे एक छोटे और स्वतंत्र सम्प्रदाय का हिस्सा थे जो कि पूर्वी प्रकाश से सम्बंधित नहीं था, जो “सर्वशक्तिमान परमेश्वर” इन शब्दों का प्रयोग अपनी दो महिला नेत्रियों को “द्विक देवियाँ” निर्दिष्ट करने के लिए करते थे, ये थीं जांग फेन (मुख्य हत्यारे जांग लिडोंग की बेटी, जिसे अपने पिता के साथ 2015 में मृत्युदंड दिया गया) और लू यिंगचुन. [53]मुक़दमे के दौरान, प्रतिवादी पक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि, हालाँकि दोनों ने ही “सर्वशक्तिमान परमेश्वर” इस नाम का प्रयोग किया, लेकिन उनका समूह और ज़ाओ वेशन द्वारा नेतृत्व किये जाने वाला सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ये दोनों दो अलग संगठन थे. उनकी नेत्रियों में एक लू यिंगचुन ने कहा, “सरकार ने ज़ाओ वेशन द्वारा नेतृत्व किये जाने वाले फर्जी “सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया” को शैतानी संप्रदाय का नाम दिया, और हम उन्हें ‘शैतानी आत्माएँ’ कहते हैं.” केवल जांग फेन और मैं... वास्तविक ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया’ का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. जांग फेन और मैं वास्तविक ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर’ की बेजोड़ प्रवक्ता हैं. सरकार उस सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर प्रहार कर रही है जिसमें ज़ाओ वेशन का विश्वास है, ना कि हमारे द्वारा उद्धृत किया गया ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर’. वे लोग फर्जी ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर’ हैं जबकि हम वास्तविक ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर’ हैं.” [54]
बाद में चीनी मीडिया ने जेल में बंद इस समूह के दो सदस्यों, लू यिंगचुन और जांग हांग, की स्वीकारोक्ति को प्रकाशित किया, जिन्होंने बताया कि वे सफलतापूर्वक “पुनर्शिक्षित” किये गए थे. उन्होंने दावा किया कि समूह के नेताओं ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया के कुछ साहित्य का पठन किया था, लेकिन उन्होंने इस बात को कायम रखा कि यह भिन्न मूल विश्वासों वाला एक अलग आन्दोलन है.[55]
गुओ जियाओबिन का मामला
[संपादित करें]24 अगस्त, 2013 के दिन एक महिला ने शेनज़ीमें गुओ जियाओबिन नामक युवा लड़के की आँखें निकाल दी. यह लड़का बाद में शेनजेन में हुई कृत्रिम आँखों की सफल शल्यक्रिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रसिद्ध हुआ. [56]झाओयुआन के मैकडोनाल्ड में हुई सम्प्रदाय हत्या के बाद चीनी मीडिया के कुछ हिस्से ने इस अपराध का आरोप सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्यों पर लगाया. [57]अमेरिकी अध्येता होली फोक के एक अध्ययन, जो कि 2017 में ‘चीनी सम्प्रदाय-विरोधी संगठन’ द्वारा आयोजित दो कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के बाद लिखा गया, ने ध्यान दिलाया कि चीनी पुलिस ने इस मामले को सितम्बर 2013 में यह कहकर बंद कर दिया था कि ये अपराध गुओ जियाओबिन की चाची ने किया था और इसका सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से कोई सम्बन्ध नहीं था. केवल 2014 की हत्या की घटना के बाद चीन के कुछ संप्रदाय-विरोधियों ने इस घटना के लिए भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया को आरोपित करना शुरू किया था.[58]फोक ने ये भी पाया कि चीनी पीड़ितों की आँखें निकालने के आरोप चीन में ईसाई-विरोधी दुष्प्रचार का आम हिस्सा रहे हैं, कम-से-कम उन्नीसवीं सदी में तो निश्चित ही रहे हैं. [59]
ईसाई नेताओं के अपहरण के आरोप
[संपादित करें]अन्य ईसाई चर्चों के कुछ नेताओं ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर कुटिलता भरी योजनाओं द्वारा “पाखंड” और “दुस्साहस” का आरोप लगाया. आरोपों में यह दावा शामिल था कि 2002 में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया ने चीनी सुसमाचार संघ (China Gospel Fellowship) (CGF) के चौंतीस नेताओं का अपहरण उनके धर्म-परिवर्तन हेतु कर लिया था. [60]पश्चिम के ढेरों ईसाईयों ने इन आरोपों को विश्वासयोग्य पाया. [60]2018 में प्रकाशित एक अध्ययन में इंट्रोविन ने चीनी सुसमाचार संघ द्वारा बताई गई कहानी में अनियमितताएँ पाई, इस बात को विस्मयकारी पाया कि अपराध के लिए कोई भी व्यक्ति ना तो गिरफ्तार हुआ और ना ही किसी पर मुकदमा चला, और फिर यह निष्कर्ष निकाला कि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि, चीनी सुसमाचार संघ अपहरण की कहानी रचकर, इस तथ्य के लिए कारण खोजने की कोशिश कर रहा है कि राष्ट्रीय नेताओं सहित उसके कई सदस्य, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में जा चुके हैं, हालाँकि इनकी अन्य व्याख्याएँ भी बने रहना संभव हैं. [61]
2012 में विनाश के दिन की भविष्यवाणी
[संपादित करें]2012 में होने वालीक़यामत के दिन की भविष्यवाणीको चीन में अत्यंत विस्तृत ख्याति मिली जहाँ पर 2012नामकफिल्म अत्यंत मशहूर हुई थी और कुछ व्यवसाइयों ने इस तथाकथित क़यामत से बचने के लिए “नावें” बनाकर और बेचकर बढ़िया मुनाफा कमाया. [62]2012 की घटना की वैश्विक रूपरेखा में, जो कि माया सभ्यता पर आरोपितभविष्यवाणियों पर आधारित थी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर 2012 में दुनिया के अंत का अनुमान लगाने, और चीन में दंगे तथा अपराध करवाने का आरोप लगाया गया. [63]“माया” के क़यामत के दिन अर्थात 21 दिसंबर, 2012 के तुरंत पहले चीनी सरकार ने मध्य चीन[64] में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के 400 सदस्यों और चीन के अन्य प्रान्तों में लगभग 1000 सदस्यों को बंदी बना लिया.[65]
ऑस्ट्रेलियाई अध्येता एमिली डन ने 2015 में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को समर्पित प्रथम विद्वत्तापूर्ण अध्ययन पुस्तक में लिखा कि, कई चीनियों की तरह, “पूर्वी प्रकाश के सदस्यों ने माया भविष्यवाणी को अपनाया” लेकिन उन्होंने “यह कार्य समूह के स्व-घोषित अधिकृत लोगों की स्वीकृति के बिना किया हुआ प्रतीत होता है,” जिसने कि वास्तव में, दुनिया के अंत से सम्बंधित “माया” और अन्य सिद्धांतों को अध्यात्मशास्त्रीय और तथ्यात्मक रूप से “गलत समझा जाना” घोषित किया. [66]
इंट्रोविन ने पाया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्यों, जिन्होंने 2012 में दुनिया के अंत की भविष्यवाणियों को माना और प्रसारित किया, में कुछ को कलीसिया से निकाल दिया गया, “उनकी स्थिति कलीसिया की विचारधारा के साथ नियमित नहीं थी. सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने दुनिया के अंत की नहीं, बल्कि इसके रूपांतरण की घोषणा की थी. और यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के इस धरती पर कार्य के पूर्ण हुए बगैर नहीं होगा,” अर्थात सर्वशक्तिमान परमेश्वर की तरह पहचाने गए व्यक्ति की मृत्यु होने के पहले नही होगा, जबकि वह 2012 में जीवित थी और बढ़िया थी. [67]
शरणार्थी मुद्दे
[संपादित करें]विशेषरूप से 2014 के मैकडोनाल्ड हत्या के मामले के बाद हुए प्रहार में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के हजारों सदस्य शरणार्थी होने की आशा के साथ दक्षिणी कोरिया, अमेरिका, कनाडा जापान, इटली, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में भाग गए. हालाँकि कुछ देशों में सरकारें दावा करती हैं कि इस बात के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं कि शरण की याचना कर रहे लोगों पर अत्याचार हुए हैं, लेकिन कुछ अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर एक आन्दोलन की तरह अत्याचार किये जाने का प्रमाण इस निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए पर्याप्त है कि चीन लौटने पर सदस्यों द्वारा गंभीर खतरों का सामना किये जाने की आशंका है, और इसलिए आवेदकों के प्रति अहितकारी निर्णय लेना उचित नहीं है. [68]
असत्य समाचार दावे
[संपादित करें]विकिसमाचार पर संबंधित समाचार देखें: Chinese police arrest six after woman beaten to death at Shandong McDonald's |
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा भड़काए गए असत्य समाचार मुहिम का शिकारहोने का दावा करता है. ये जोर देकर कहता है कि चीनी और पश्चिमी वेबसाइटों में 2012 से सम्बंधित उसकी भविष्यवाणियों को लेकर दिखाए जारहे फ्लायर या बैनर वास्तव में या तो रचे गए हैं या फोटोशॉप और अन्य तकनीकों के प्रयोग द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मौजूदा सामग्री से छेड़छाड़ करके बनाए गए हैं. [69] कुछ अध्येताओं ने वास्तव में कलीसिया के विरुद्ध चीनी मुहिमों का फर्जी समाचारों के शानदार उदाहरण की तरह अध्ययन किया है. [70]कलीसिया ने यूनाइटेड किंगडम में एक झूठी वेबसाइट “Church of Almighty God UK” के अस्तित्व में होने का भी आरोप लगाया है.[71]सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा इसे हटाने के लिये किये जा रहे प्रयास अभी तक सफल नहीं हुए हैं. जबकि अध्येतागण यह कह रहे है कि ये वेबसाइट सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्थितियों और विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करती जो कि इनसे जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए बिलकुल जाहिर सी बात है.[72]कलीसिया द्वारा इस घटना का अभियोग लगाते हुए “सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की नक़ल कर रही वेबसाइटों से सम्बंधित घोषणापत्र” जारी किया गया है। [73]
टिप्पणियाँ
[संपादित करें]1. सदैव "The" में बताए गए T के साथ लिखें; Chinese: 全能神教会; pinyin: Quánnéng Shén Jiàohuì
सन्दर्भ
[संपादित करें]उद्धरण
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बाहरी लिंक्स
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- परमेश्वर की कलीसिया का वेब टीवी[मृत कड़ियाँ]
- “सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया.”ब्रिटिश डेटाबेस Profiles of Millenarian & Apocalyptic Movements में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया की प्रविष्टि, जो कि CenSAMM (Center for the Critical Study of Apocalyptic and Millenarian Movements) द्वारा संचालित किया जाता है.
- सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को समर्पित विद्वत्तापूर्ण पत्रिकाThe Journal of CESNUR (जनवरी-फ़रवरी 2018) का विशेषांक.