वेलु नचियार
रानी वेलु नचियार स्मारक | |
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जन्म |
०३\०१\1730 रामनाथपुरम, तमिलनाडु, भारत |
मौत |
२५\१२\1796 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
ईरानी वेलुनाचियार तमिलनाडु के शिवगंगा क्षेत्र की अठारहवीं सदी की महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने ईरानी और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हथियार उठाए थे। वह भारत की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं।
जीवनी
[संपादित करें]वेलु नचियार रामनाथपुरम राज्य की राजकुमारी व रामनाद साम्राज्य के राजा चेल्लामुतहू विजयाराघुनाथ सेतुपति और रानी सक्धिममुथल सेतुपति की एकमात्र संतान थी। वह चोलो के कश्यपगोत्रम की तरह सुर्यवाम्सम की वंशज थी। उनका पालन-पोषण बिलकुल राजकुमारों की तरह किया गया था। उहोने बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाजी, तलवारबाजी और मार्शल आर्ट्स विधिवत शिक्षा ली थी। अस्त्र-शस्त्र के साथ ही उन्होंने विभिन्न भाषाएँ जैसे- फ्रेंच, अंग्रेज़ी और उर्दू का भी ज्ञान था। उनका विवाह शिवगंगा के राजा मुथुवादुग्नाथापेरिया उदायियाथेवर से हुआ था। उनकी एक पुत्री भी थी।
ब्रिटिश आक्रमण
[संपादित करें]वेलुनाचियार, जिसने 1772 में यूरोपीय के आक्रमण में अपने पति को खो दिया था, देश को बहाल करने की प्रतीक्षा कर रही थी। वेलुनाचियार, जो इस आक्रमण का विरोध करना चाहते थे, हैदर अली से मिले और उर्दू में अंग्रेजी के प्रतिरोध को समझाया। वेलु नचियार के उर्दू भाषा कौशल से आश्चर्यचकित होकर, हैदर अली ने बहुत मदद करने का वादा किया। आईडी=48218 |शीर्षक=वीरमंगई वेलुनाचियार!|प्रथम1=पोस्ट की गई तिथि:|अंतिम1=26 जून|प्रथम2=|अंतिम2=2019 13:15|कार्य=दिनमलार}}</ref> 8 कालखंड डिंडीगुल किला, विशाक्षी किला, अय्यमपालयम किला वह बारी-बारी से डेरा डालकर रहता था। मरुदु बंधुओं के महान प्रयासों से शिवगंगा के लोगों को इकट्ठा करके एक प्रतिरोध बल का गठन किया गया। प्रतियोगिता का नेतृत्व वेलुनाचियार मारुथु बंधुओं ने किया
महिला सेना का निर्माण
[संपादित करें]साल १७८० में मैसूर के सुल्तान, हैदर अली की सहायता से बनाई गयी सेना के साथ उन्होंने अंग्रेजो से लोहा लिया। नचियार ने अंग्रेज़ी "ईस्ट इंडिया कंपनी" के शिकंजे से अपने राज्य को बहुत ही पराक्रम से निकला था। रानी वेलु नचियार वह पहली महिला क्रन्तिकारी रानी थी जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी। उसके बाद उन्होंने अंग्रेज़ी शक्तियों से लड़ने के लिए व अपनी पुत्री की याद में एक सशक्त महिला सेना तैयार की थी जिसका निधन अंग्रेजो से लड़ाई के दौरान हो गया था। ऐसा माना जाता हैं क मानव बम का उपयोग सबसे पहले उन्होंने ही किया था। उन्होंने करीब १० सालो तक अपने राज्य पर शासन किया और साल १७९६ में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया।