अँगरखा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अँगरखा संज्ञा पुं॰ [ सं॰ अङ्ग = देह+ रक्षक = बचानेवाला, प्रा॰ रक्खअ, हिं॰ रखा ] एक पुराना मर्दाना पहिनावा जो घुटनों के नीचे तक लंबा होता है और जिसमें बाँधने के लिये बंद टँके रहते हैं । बंददार अंगा । चपकन । विशेष—इसे हिंदू और मुसलमान दोनों बहुत दिनों से पहले पहनते आते हैं । इसके दो भेद हैं— (१) छहकालिया, जिसमें छह कलियाँ होती है और चार बंद लगे रहते हैं । इसके बगल के बंद भीतर वा नीचे की ओर बाँधे जाते हैं, ऊपर नहीं दिखाई पड़ते, अर्थात् इसका पल्ला जिसका बंद बगल में बाँधा जाता है भीतर वा नीचे होता है, उसके ऊपर वह पल्ला होता है जिसका बंद सामने छाती पर बांधा जाता है । (२) बाला वर, जिसमें चार कलियाँ होती है और छह बंद लगे रहते हैं । इसका बगल में बाँधनेवाला पल्ला नीचे रहता है और दूसरा उसके ऊपर छाती पर से होता हुआ दूसरी बगल में जाकर बाँधा जाता है । अतः उसके सामने के और एक बगल के बंद दिखाई पड़ते हैं ।