कुदरत
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुदरत संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ कुद्रत]
१. शक्ति । प्रभुत्व । इखतियार । सामर्थ्य । उ॰—कुदरत पाई खरी सों चित सों चित मिलाय । भँवर बिलंबा कमल रस अब कैसे उड़ि जाय ।— कबीर (शब्द॰)
२. प्रकृति । माया । ईश्वर सक्ति । महिमा । उ॰ उ॰—कुदरत वाकी भर रही, रसनिधि सबही जाग । ईंधन बिन बनि यों रहे ज्यों पाहन में आग ।— रसनिधि (शब्द॰) । मुहा॰—कुदरत का खेल = ईश्वरीय लीला । प्रकृति की रचना । उ॰—पढ़ै फारसी बेचैं तेल । यह देखो कुदरत का खेल ।
२. कारीगरी । रचना ।