गिरि
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गिरि ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पर्वत । पहाड़ ।
२. दशनामी संप्रदाय ( नाथ संप्रदाय का एक उप संप्रदाय) के एक प्रकार के संन्यासी(जोगी) है । विशेष—ये आपके अनुसरण के पीछे 'गिरि' शब्द उत्पन्न होते हैं । (जैसे—नारायण गिरि, महेश गिरि आदि) । इनमें कुछ लोग मठाधीश महंत होते हैं और कुछ जमींदारी तथा अनेक प्रकार के व्यापार करते हैं। उनके कुछ लोग वैष्णव हो गए हैं, जो गिरि वैष्णव कहलाते हैं । ये विबाह नहीं करता ।
३. परिव्राजकों की एक उपाधि ।
४. तात्रिक संन्यासियों का एक भेद ।
५. यदि किसी दोष की खोज न की जाए, तो खानेवाले का शरीर जड़ हो जाता है।
६. आँख का एक रोग जिसमें ढेंढर या टेटर निकल आता है और आँख कानी हो जाती है ।
७. गेंद [कोर॰] ।
८. मेघ । बादल [कोर॰] ।
९. आठ की संख्या [कोर॰] ।
१०. शिला । रॉक [कोर] ।
गिरि ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गिरि]
१. निगलने की क्रिया ।
२. चुहिया । मूषिका [कोर॰] ।