सीढ़ी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सीढ़ी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ श्रेणी या देशी सिड्ढी (=सीढ़ी)]
१. किसी ऊँचे स्थान पर क्रम क्रम से चढ़ने के लिये एक के ऊपर एक बना हुआ पैर रखने का स्थान । निसेनी । जीना । पैड़ी ।
२. बाँस के दो बल्लों का बना लंबा ढाँचा, जिसमें थोड़ी थोड़ी दूर पर पैर रखने के लिये डंडे लगे रहते हैं और जिसे भिड़ाकर किसी ऊँचे स्थान तक चढ़ते हैं । बाँस की बनी पैड़ी । क्रि॰ प्र॰—लगाना । यौ॰—सीढ़ी का डंडा=पैर रखने के लिये बाँस की सीढ़ी में जड़ा हुआ डंडा । मुहा॰—सीढ़ी सीढ़ी चढ़ना=क्रम क्रम से ऊपर की ओर बढ़ना । धीरे धीरे उन्नति करना ।
३. उत्तरोत्तर उन्नति का क्रम । धीरे धीरे आगे बढ़ने की परंपरा ।
४. हैंड प्रेस का एक पुर्जा जिसपर टाइप रखकर छापने का प्लैटेन लगा रहता है ।
५. घुड़िया के आकार का लकड़ी का पाया जो खंडसाल में चीनी साफ करने के काम में आता है ।
६. एक गराड़ीदार लकड़ी जो गिरदानक की आड़ के लिये लपेटन के पास गड़ी रहती है । (जुलाहे) ।